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गरु वदना एवं आवाहन स्थापन ु ं ग���ा ग��वष्णु ग�दवो मह�र: । ु र् ु ु � े ग�साक्षात परं �� तस्मे �ी ग�वे नम: । ु र् ु अखडमडलाकारं �ा�ं यन चराचरम् । ं ं े तत्पदं द�शतं यन: तस्मै �ी ग�वे नम: ।। े ु मातवत लालिय�ी च, िपतवत मागद�शका । ृ ृ र् नमोस्तु ग�स�ायै ��ा �ज्ञायता च या ।। ु ु �ी गरवे नम: । ु

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