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दे वदत
ू
अनव
ु ादक
प्रस्तावना
ऽरीर जिब्रान का िन्द्भ 6 िनवयी 1883 को रेफवान के उत्तयी ऩहाड़ी बाग
के शहय बफशायी भें हुआ था। उन हदनों रेफनान के फहुत से रोग सुख, शाजन्द्त औय
आचथिक स्भद्धृ ि के सरमे अभयीका िाने के स्वप्न दे खते थे। सन ् 1894 भें ऽरीर
जिब्रान ने अऩनी भाॉ, बाई औय दो फहनों के साथ अभेयीका के सरमे प्रस्थान कय
हदमा औय फोस्टन शहय भें यहने रगे। सन ् 1897 भें ऽरीर जिब्रान अयफी औय
फ्रेंि बाषा का अध्ममन कयने के सरमे रेफनान वाद्धऩस आमे। सन ् 1902 भें करा
का अध्ममन कयने के सरए वे ऩेरयस गमे। ऩेरयस भें अध्ममन के फाद जिब्रान
वाद्धऩस अभेयीका आमे औय अऩना ऩूया सभम रेखन औय चित्रकायी भें रगामा।
उनभें अयफी औय अॊग्रेिी दोनों बाषाओॊ भें सरखने की ऺभता थी औय अनेकों
ऩस्
ु तके सरखी हैं। इनभें ‘‘आॉसू औय भस्
ु कान’’ ‘‘टूटे ऩॊख’’ ‘‘ये त औय झाग’’ आहद
यिनामें सजमभसरत हैं। उनकी सविप्रससि ऩस्
ु तक ‘‘दी प्रोपेट’’ मा ‘दे वदत
ू ’ सन ् 1923
भें अॊग्रेिी भें प्रकासशत हुई।
अभेरयका भें ऽरीर जिब्रान कबी फोस्टन भें औय कबी न्द्मूमाकि भें यहे । 10
अप्रैर सन ् 1931 को न्द्मूमाकि भें सेन्द्ट द्धवन्द्सेन्द्ट अस्ऩतार भें उनका दे हान्द्त हो
गमा। उनका शव समभान के साथ रेफनान रामा गमा औय िन्द्भ स्थर के िनकट
दपना हदमा गमा।
ऽरीर जिब्रान भें रेखों, कद्धवताओॊ औय चित्रों तीन भाध्मभों द्वाया अऩने आऩ
को असबव्मक्त कयने की अद्भत
ु प्रितबा थी। इन भाध्मभों द्वाया उन्द्होंने अऩने द्धविायों,
कल्ऩनाओॊ औय अनुबिू तमों को ‘दे वदत
ू ’ ऩस्
ु तक भें फड़ी िनऩुणता के साथ व्मक्त
ककमा है । इस ऩस्
ु तक का द्धवषम भानव का भानव के साथ समफन्द्ध है । उन्द्होंने
दस
ू यी ऩुस्तक ‘‘दे वदत
ू का उद्यान ’’ सरखी जिसभें भानव का प्रकृित के साथ सॊफन्द्ध
का वणिन ककमा है । वे तीसयी ऩुस्तक ‘‘दे वदत
ू की भत्ृ मु’’ सरखना िाहते थे जिसभें
भानव का ईश्वय के साथ सॊफध का वणिन होता, रेककन उसके सरखने के ऩहरे ही
उनका दे हान्द्त हो गमा।
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‘दे वदत
ू ’ ऩुस्तक की रूऩये खा इस प्रकाय है । अरभुस्तपा (दे वदत
ू } ककसी दयू
छोटे टाऩू के दे श से ओयपारीस शहय भें आमा औय वहाॊ 12 वषि तक यहा। वह
एक ऻानी ऩुरूष था औय रोगों के िीवन, व्मवहाय, कामि कराऩों तथा सभस्माओॊ
को अच्छी तयह सभझता था। शहय के सबी रोग उसका आदय कयते थे। उस शहय
भें एक साध्वी, जिसका नाभ अरसभत्रा था, उसके समऩकि भें सफसे ऩहरे आमी औय
उसकी प्रितभा को ऩहिाना। 12 वषि फाद वाद्धऩस उसे अऩने दे श वाद्धऩस रे िाने के
सरमे एक ज़हाज़ आमा, औय वह रौटने के सरमे तैमाय हुआ। िफ रोगों को मह
भारूभ हुआ कक वह ज़हाज़ द्वाया अऩने दे श को वाद्धऩस िा यहा है तो वे अऩने साये
काभ छोड़कय उसके ऩास आमे। वे फहुत उदास थे औय वह बी उदास था, रेककन
भज़फूयन उसे वाद्धऩस िाना ही था। वे सफ ऩास के एक भजन्द्दय के साभने िौक भें
इकट्डा हुमे। उन्द्होंने आग्रह ककमा कक िाने से ऩहरे वह उनको कुछ ऻान की फातें
फतरामे क्मोंकक उसने 12 वषो से उनके साथ यहकय उनके सुख, द्ु ख तथा सबी
कभों को दे खा है । इस आग्रह ऩय उनसे िाने से ऩहरे िो प्रविन हदमा, वही इस
ऩस्
ु तक का द्धवषम है ।
सविप्रथभ अरसभत्रा ने उससे प्रेभ के फाये भें कुछ कहने के सरमे िनवेदन
ककमा। इसके फाद अन्द्म रोगों ने बी सबन्द्न द्धवषमों ऩय उससे कुछ कहने के सरमे
कहा। कुर 26 द्धवषमों ऩय उसने रोगों के साभने अऩने द्धविाय प्रस्तुत ककमे। मे सफ
द्धवषम रोगों के सभाजिक समफन्द्धों, व्मवहायों, सभस्माओॊ, औय अनब
ु ूितमों से
समफचधत है । मे द्धवषम हैं: प्रेभ, शादी, फच्िे, दे ना, खाना-ऩीना, कामि, सख
ु औय
द्ु ख, भकान, वस्त्र, क्रम-द्धवक्रम, अऩयाध औय दण्ड, कानून, स्वतन्द्त्रता, तकि औय
बवुकता, ददि , आत्भ-ऻान, अध्माऩन, सभत्रता, वातािराऩ, सभम, अच्छा-फुया, प्राथिना,
आनन्द्द, सौन्द्दमि, धभि, औय भत्ृ मु।
प्रत्मेक व्मक्तक्त के अन्द्दय फहुत फड़ी ऺभता है । प्रत्मेक व्मक्तक्त दै वी प्रवद्धृ त्त यखता है
औय वह अऩनी द्धवशार आत्भा को सभझ कय ऩयभेश्वय को प्राप्त कय सकता है ।
मही आत्भा औय ऩयभात्भा का यहस्म है जिसे सभझ कय वास्तद्धवकता की गहयाइमों
को िाना िा सकता है । इससे िीवन भें सुधाय राकय उसे अचधक स्वस्थ, सख
ु ी,
शाजन्द्तभम औय अथिऩूणि फनामा िा सकता है । उसने स्ऩष्ट शब्दों भें कहा है :
“तुभ अऩने शयीय भें फन्द्द नहीॊ हो औय न अऩने घयों मा खेतों तक सीसभत
हो।
‘‘दे वदत
ू ’’ ऽरीर जिब्रान के िीवन को दशािने वारी ऩस्
ु तक बी कही िा
सकती है । शामद उन्द्होंने स्वमॊ अऩने आऩ को दे वदत
ू के रूऩ भें प्रदसशित ककमा है ।
ओयपासरस का शहय न्द्मूमाकि हो सकता है िहाॉ वह 12 वषि यहे । साध्वी अरसभत्रा
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उनकी सभत्र भेयी हे स्कर हो सकती है जिसने अभयीका आने के तुयन्द्त फाद ही
ऽरीर जिब्रान की प्रितबा को ऩहिाना औय उनकी हय तयह से सहामता की।
उनको तीन वषि ऩेरयस करा का अध्ममन के सरमे बेिा औय उसका ऩूया खिि
उठामा। ऽरीर जिब्रान की अॊग्रेिी यिनाओॊ भें सध
ु ाय कय के उन्द्हें छऩवाने तथा
अभयीका भें साहहत्म औय करा के ऺेत्रों भें उचित रोगों औय सॊस्थाओॊ से सॊऩकि
स्थाद्धऩत कयाने भें उनका भहत्वऩण
ू ि सहमोग यहा।
‘दे वदत
ू ’ को सॊसाय की प्रभुख आध्माजत्भक ऩुस्तकों भें चगना िाता है । इसे
ऩढ़कय ऽरीर जिब्रान के सायगसबित औय ऻानऩूणि द्धविायों का ऩता िरता है ।
इसके भाध्मभ द्वाया आत्भ-सध
ु ाय, आत्भ-ऻान औय आत्भ-फोध कयने भें फहुत
सहामता सभर सकती है । आत्भा-शाजन्द्त के सरमे मह ऩुस्तक एक भहत्वऩूणि वयदान
है ।
ज़हाि का आना
सविश्रे्ठ औय सविद्धप्रम अरभस्
ु तपा (दे वदत
ू ), िो अऩने सभम का अगव
ु ा था,
वाहय वषों से अऩने िहाज़ की प्रतीऺा कय यहा था िो उसे उसकी भातब
ृ सू भ वाद्धऩस
रे िामे। फायहवें वषि खसरहान के भहीने (फैसाख) के सातवें हदन, नगयी की िाय
दीवायी के फाहय वह ऩहाड़ी ऩय िढ़ा औय सभुर की ओय दे खने रगा। दयू धुॉधरेऩन
भें उसने अऩना िहाज़ आता हुआ दे खा। उसका रृदम बय आमा औय उसका
आनन्द्द सभुर के ऊऩय बफखयने रगा। उसने आॉखें फॊद कीॊ औय आत्भ-शाॊित के
सरए प्राथिना की।
“भैं कैसे शाजन्द्त औय सुख के साथ महाॉ से िा सकॉू गा? नहीॊ, भैं इस नगयी
को बफना अऩनी आत्भा घामर ककमे नहीॊ छोड़ सकता। भेये इस नगयी भें बफतामे
गमे द्ु ख बये हदन औय अकेरी सुनसान यातें फहुत रमफी थीॊ। ऐसा कौन है िो
अऩने द्ु ख औय अकेरेऩन को आसानी से अरग कय सके?
आि के हदन भैं शयीय से अऩने वस्त्र नहीॊ उताय यहा हूॉ फजल्क अऩने ही हाथों
अऩनी खार िीय यहा हूॉ।
अऩने ऩीछे भैं अऩने द्धविायों को नहीॊ फजल्क बूख औय प्मास से भीठा ककमा
गमा रृदम महाॉ छोड़ यहा हूॉ।
कपय बी भुझे अचधक दे य नहीॊ कयनी। सागय, जिसभें सफ कुछ सभा िाता है ,
भुझे बी अऩने ऩास फुरा यहा है औय भुझे अवश्म ही प्रस्थान कयना है ।
मद्यद्धऩ याबत्र भें सभम िरता है कपय बी जस्थयता भनष्ु म को िभाकय सभट्टी
फना दे ती है औय एक साॊिे भें फन्द्द कय दे ती है ।
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भेयी भातब
ृ सू भ के सऩत
ू ो! रहयों ऩय िढ़ने वारो!
तुभ ककतनी फाय भेये स्वप्नों भें तैये हो औय अफ भेये िागने ऩय भेये साभने
आमे हो। मह औय बी गहया स्वप्न है ।
भैं िाने को तै माय हूॉ औय भेयी तत्ऩयता खुरे ऩतवायों के साथ वामु की
प्रतीऺा कय यही है ।
तुयन्द्त भैं तेये ऩास आऊॉगा, एक अनन्द्त सागय भें एक अनन्द्त फॉूद ।
उसने सुना कक उनकी आवािें उसका नाभ ऩुकाय यहीॊ थीॊ, चिल्रा-चिल्राकय
एक खेत से दस
ू ये खेत भें िहाि के आ िाने की खफय पैरा यही थीॊ।
उसने स्वॊम से कहा: “क्मा द्धवदा का हदन सफके इकट्ठे होने का सभम होगा?
औय क्मा मह कहा िाएगा कक भेयी सन्द्ध्मा असर भें भेयी सुफह है ? ककसी ने
अऩना हर फीि हराई भें छोड़ा है औय ककसीने अऩनी िक्की का ऩहहमा फन्द्द कय
हदमा है । उनको भैं क्मा दे सकूॉगा?
क्मा भेया रृदम रूऩी ऩेड़ परों से रदा है जिनको सभेट कय भैं उनको बें ट दे
सकूॉ। औय क्मा भेयी असबराषामें श्रोते की तयह फह सकेंगी जिससे भैं उनके प्मारे
बय सकूॉ?
क्मा भैं एक वीणा हूॉ जिसके तायों को ऩयभ ् शक्तक्त के हाथ छू सकें मा भयु री
हूॉ जिसभें होकय उसकी साॊस िनकर सके?
भैंने सदै व भौन की खोि की है , औय भौन भें एसी कौनसी िनचध ऩाई है
जिसे भैं द्धवश्वास के साथ दे सकॉू ?
महद मह भेया खसरहान का सभम है तो भैंने ककन खेतों भें औय ककन बूरे
हुमे भौसभ भें फीि फोमा था?
महद वास्तव भें इसी ऺण भैं अऩना दीऩक उठाऊॉ तो क्मा भेयी ज्मोित ही
उसभें नहीॊ िर िाएगी?
मह सफ कुछ उसने शब्दों भें कहा रेककन इससे बी अचधक उसके हदर भें
अनकहा शेष यहा क्मोंकक वह स्वॊम अऩना गप्त
ु यहस्म प्रगट नहीॊ कय सकता था।
शहय के फड़े-फूढ़ों ने आगे फढ़कय कहा: “अबी हभसे अरग होकय दयू भत
िाओ। हभायी सॊध्मा के धॊुुधरेऩन भें तुभ दोऩहय के प्रकाश की बाॊित हो औय
तुमहाये मौवन ने हभें दे खने के सरए स्वप्न हदए है ।
अबी हभायी बख
ू ी आॊखों को अऩने िेहये के सरए भत तयसाओ।“
हभने तुभको फहुत ही प्माय ककमा है ककन्द्तु हभाया प्रेभ भूक यहा है औय वह
अनेक ऩदो से ढका हुआ है । कपय बी अफ वह तुभको ज़ोय से िीख कय ऩुकायता है
औय तुमहाये समभुख प्रगट होने को तै माय है ।
औयों ने बी उससे अनयु ोध ककमा रेककन उसने कोई उत्तय नहीॊ हदमा; उसने
फस अऩना ससय झुका सरमा औय उसके सभीऩ खड़े रोगों ने उसकी छाती ऩय आॉसू
चगयते हुए दे खे।
दे वदत
ू ने अत्मन्द्त उदायता के साथ उसको दे खा क्मोंकक इसी भहहरा ने
उसके शहय भें आने के केवर एक हदन फाद ही उसको ऩहिान सरमा था औय
उसभें द्धवश्वास कयने रगी थी।
अऩने अकेरेऩन भें तुभने हभाये हदनों को िनहाया है औय यात भें िागकय
तुभने हभायी नीॊद के योने औय हॉ सने को सुना है ।
इससरए तुभ हभाया रूऩ स्वमॊ हभाये साभने प्रगट कयो औय िो कुछ तुभको
िीवन औय भत्ृ मु के फीि हदखाई हदमा है उसको हभ से कहो।
दे वदत
ू ने उत्तय हदमा: “ओयपारी नगयी के िनवाससमो, िो कुछ तुमहायी
आत्भाओॊ भें अफ बी कक्रमाशीर है उसके अरावा भैं तुभसे क्मा कह सकता हूॉ?”
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प्रेभ
अरसभत्रा फोरी, “हभसे प्रेभ के फाये भें कुछ कहो।“
िफ प्रेभ तुभको ऩुकाये , उसके ऩीछे िरो मद्यद्धऩ उसके यास्ते द्धवषभ औय
कहठन हैं।
औय िफ उसके ऩॊख तुमहाये ऊऩय उड़ने रगें , आत्भ सभऩिण कय दो, मद्यद्धऩ
उसकी ऩॊखड़ी भें िछऩी कटाय तुमहें घामर कय सकती है ।
िफ वह तुभसे वातािराऩ कये , तुभ उसभें द्धवश्वास कयो मद्यद्धऩ उसकी आवाज़
तुमहाये स्वप्नों को ऐसे ही नष्ट कय सकती है िैसे आॉधी फगीिे को उज़ाड़ दे ती है ।
क्मोंकक िैसे प्रेभ तुमहें भुकुट ऩहनाता है वैसे ही तुमहाया फध बी कये गा; िैसे
वह तुमहाये द्धवकास भें सहमोगी है वैसे ही तुमहाये सरए फाधक बी।
जिस प्रकाय वह ऊऩय िढ़कय धूऩ भें रहयाती तुमहायी कोभरतय शाखाओॊ को
िूभता है , उसी प्रकाय नीिे उतय कय धयती भें सरऩटी तुमहायी िड़ों को झकझोयता
है ।
िफ तुभ प्रेभ कयते हो तो तुमहें मह नहीॊ कहना िाहहमे “ईश्वय भेये रृदम भें
है ” फजल्क मह कहो ‘‘भैं ईश्वय के रृदम भें हूॉ।’’
उड़ान बयते हुमे रृदम के साथ प्रात् िागना औय प्रेभ से ऩूयी तयह बयऩूय
फीते हदनों के सरए धन्द्मवाद दे ना;
शादी
अरसभत्रा कपय फोरी औय कहा – “शादी के फाये भें क्मा कहते हो, भासरक!”
िफ भौत के सपेद ऩॊख तुमहाये अजस्तत्व को उड़ा दें गे, तो बी तुभ एक साथ
यहोगे।
एक दस
ू ये को प्रेभ कयो, रेककन प्रेभ का फॊधन भत फाॊधो, फजल्क इसे अऩनी
आत्भाओॊ के ककनायों के फीि एक फहता हुआ सागय फनकय यहने दो।
एक दस
ू ये के प्मारे को बयो रेककन एक ही प्मारे से भत द्धऩमो।
एक दस
ू ये को अऩनी योटी दो रेककन एक ही योटी से भत खाओ।
एक दस
ू ये को अऩना हदर दो रेककन उससे एक दस
ू ये को शाससत भत कयो,
क्मोंकक केवर ऩयभ िीव के हाथों ही तुमहाये हदर शाससत हो सकते है ।
एक दस
ू ये के िनकट खड़े हो रेककन फहुत िनकट नहीॊ क्मोंकक भॊहदयों के
स्तमब अरग-अरग ही खड़े होते है ।
औय फरूत व साइप्रस वऺ
ृ एक दस
ू ये की छामा भें पर पूर नहीॊ सकते।
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फच्िे
एक औयत, िो अऩनी छाती से अऩने फच्िे को रगाए थी, फोरी: फच्िों के
फाये भें हभसे कुछ कहो।
दे वदत
ू ने कहा:
क्मोंकक वे स्वमॊ अऩने द्धविाय यखते हैं। तुभ उनके शयीयों को शयण दे सकते
हो रेककन उनकी आत्भाओॊ को नहीॊ;
क्मोंकक उनकी आत्भा बद्धवष्म भें िनवास कयती है , जिस तक तुभ नहीॊ ऩहुॉि
सकते, अऩने स्वप्नों भें बी नहीॊ।
तुभ उनके िैसा होने का प्रमत्न बरे ही कयो रेककन उन्द्हें अऩने साॊिे भें
ढारने का प्रमत्न भत कयो।
इस ऩयभ धनध
ु ाियी के हाथों द्वाया अऩना झुकाव प्रसन्द्नता के सरए होने दो।
क्मोंकक िैसे वह ऩयभ ऩुरूष उड़ने वारे फाण से प्रेभ कयता है वैसे ही वह
उस धनुष से बी प्रेभ कयता है िो जस्थय है ।
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दे ना
तफ एक धनी ऩरू
ु ष ने कहा, दे ने को फाये भें हभसे कुछ कहो।
कुछ रोग हैं िो अऩनी घनी सॊऩद्धत्त भें से थोड़ा सा दान इससरए दे ते है कक
उन्द्हें भान्द्मता सभरे औय उनकी िछऩी रारसा उनकी बें ट को िनकृष्ट फना दे ती है ।
कुछ रोग ऐसे हैं जिनकी समऩित थोड़ी सी यही है औय सफ कुछ दान भें दे दे ते है ।
ऐसे रोग िीवन भें औय िीवन की िनचधमों भें द्धवश्वास कयते है । उनकी
ितिोयी कबी खारी नहीॊ होती ।
उनका दान वैसे ही है िैसे साभने घाटी के पूर का शून्द्म भें अऩनी गॊध
बफखेयना।
खुरे हाथों दान दे ने वारे के सरए दान रेने वारे की खोि दान दे ने की
अऩेऺा अचधक आनन्द्ददामक है ।
तुमहाये फगीिे के वऺ
ृ तो मह नहीॊ कहते; औय न तुमहाये िायागाह भें ऩशुओॊ
के झुॊड ही मह कहते है । वे दे ते हैं इससरए कक वे िीद्धवत यहें क्मोंकक न दे ने भें
उनका द्धवनाश है ।
जिसे हदन औय यात हदए गमे हैं वह अवश्म ही तुभसे औय बी सफ कुछ प्राप्त
कयने का मोनम ऩात्र है ।
साहस औय द्धवश्वास ही नहीॊ फजल्क उदायता से रेने भें िो ऩुन्द्म है इससे फड़ा
ऩुन्द्म औय क्मा हो सकता है ?
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दान रेने वारो- तुभ सबी दान रेने वारे हो; अऩने ऊऩय कृतऻता का बाय
भत रे फैठो क्मोंकक मह तुमहाये औय दे ने वारे दोनों के ऊऩय फोझ राद दे गा।
अच्छा है कक दानी के साथ-साथ उसके दान के सहाये वैसे ही उठो िैसे ऩॊख
रगाकय कोई ऊऩय उड़ता है ।
क्मोंकक अऩने ऋण के फाये भें अित सिेत होना उसकी उदायता ऩय सन्द्दे ह
कयना है जिस की भाता खुरे रृदम वारी धयती है औय जिसका द्धऩता ईश्वय है ।
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खाना-ऩीना
एक सयाम के वि
ृ भासरक ने ऩूछा् खाने औय ऩीने के फाये भें हभसे कुछ
कहो ।
दे वदत
ू फोरा:
जिस शक्तक्त से तेया फध होता है , भेया बी उसी शक्तक्त द्वाया फध होगा औय भेया
बी बऺण ककमा िामेगा।
क्मोंकक जिस द्धवधान द्वाया तुझे भेये हाथों भें सौंऩा गमा है , वही भुझे बी
अचधक शक्तक्तशारी हाथों को सौंऩ दे गा।
िफ तुभ सेव को अऩने दातों द्वाया िफाओ तो उससे अऩने हदर भें कहो;
‘‘तेया फीि भेये शयीय भें यहे गा, तेयी कर आने वारी ऩॊखुक्तड़माॉ भेये रृदम भें
पूरें गी।
शयद ऋतु भें िफ तुभ अऩने फगीिे से अॊगूय रेकय उसका यस िनकारने के
सरए भशीन भें इकट्ठा कयो तो अऩने रृदम भें कहो:
‘‘भैं बी अॊगूय की फेर हूॉ औय भुझको बी इसी प्रकाय एक हदन इकट्ठा ककमा
िाएगा।
िाड़े भें िफ तुभ भधु िनकारो तो अऩने रृदम भें प्रत्मेक प्मारी के सरए एक
गीत यहने दो।
कामि
एक ककसान ने ऩछ
ू ा: हभसे कामि के फाये भें कुछ कहो।
दे वदत
ू ने मह कहते हुए उत्तय हदमा:
कामि कयते सभम तुभ वह भुयरी हो जिसके सुय रूऩी रृदम के सभम की
पॉू क एक सॊगीत भें ऩरयवितित हो िाती है ।
तुभभें से कौन ऐसा है िो गॉूगे औय भौन फाॉस की तयह यहना िाहे गा िफकक
औय सफ रोग एक होकय गीत गा यहे हैं ?
रेककन भैं तभुसे कहता हूॉ कक कामि कयते सभम तुभ धयती के ऩयभ स्वप्न
के उस अॊश की ऩूिति कयते हो िो तुमहें स्वप्न की उत्ऩद्धत्त होने ऩय हदमा गमा था।
श्रभ से िीवन िनवािह कयने ऩय मथाथि भें तुभ िीवन से प्रेभ कय यहे हो।
भैं कहता हूॉ कक मथाथि भें महद उत्साह नहीॊ है तो िीवन अॊधकाय है ।
िफ तुभ प्रेभऩव
ू क
ि कामि कयते हो तो अऩने को अऩने आऩ से, अऩने साचथमों
से औय ईश्वय से फाॊधते हो।
प्रेभऩूवक
ि कामि कयना क्मा है ?
मह रगनऩव
ू िक एक भकान फनाना है इससरए कक तुमहायी द्धप्रमतभा इस
भकान भें िनवास कये गी।
रेककन भैं कहता हूॉ, सोते हुमे नहीॊ फजल्क दोऩहय की धूऩ भें िागते हुमे, कक
वामु घास के सफसे छोटे ितनके से उसी भीठे ऩन से फात कयती है जिस भीठे ऩन से
फतून (Oak) के द्धवशार वऺ
ृ से।
वही भहान ् है िो वामु के स्वय को अऩने प्माय द्वाया औय अचधक भीठे गान
भें ऩरयवितित कयता है ।
क्मोंकक महद तुभने उदासीन बाव द्वाया योटी ऩकाई तो वह कड़वी योटी फनेगी
िो भनुष्म की केवर आधी बूख तप्त
ृ कय सकेगी।
औय िाहे तुभ दे वताओॊ की तयह क्मों न गाओ रेककन गाने से प्रेभ न कयो
तो तुभ भनुष्मों के कानों को हदन औय यात की आवािों के सरए गॉूगा कय दोगे।
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सुख औय द्ु ख
तफ एक औयत ने ऩछ
ू ा, हभसे सुख औय द्ु ख के फाये भें कुछ कहो।
तुमहाये अन्द्दय द्ु ख जितना बी अचधक गहया प्रवेश कयता है उतना ही गहया
सुख तुभ अऩने भें यख सकते हो।
क्मा वह प्मारा जिसभें तुभ भधुऩान कयते हो वही प्मारा नहीॊ िो कुमहाय
की बट्टी भें तऩामा गमा था?
िफ तुभ द्ु खी हो तो कपय अऩने रृदम भें झाॊको औय तुभ दे खोगे कक मथाथि
भें तुभ उसी के सरए यो यहे हो िो तुमहाया आनन्द्द यह िुका है ।
रेककन भैं तुभसे कहता हूॊ कक वे दोनों अरग नहीॊ ककमे िा सकते
फहुधा तुभ अऩने सुख औय द्ु ख के फीि दो ऩरड़ों की तयह रटके हुए यहते
हो।
28
केवर उसी सभम तुभ सॊतुसरत औय जस्थय यहते हो िफ कक तुभ खारी हो।
जिस सभम भहािन अऩना सोना औय िाॊदी नाऩने के सरए तुमहें उठाता है ,
अवश्म ही तुमहाया सुख मा तुमहाया द्ु ख िढ़ता मा चगयता है ।
29
भकान
इसके फाद एक सभस्त्री आगे आमा औय फोरा, हभसे भकानों के फाये भें कुछ
कहो।
दे वदत
ू ने उत्तय हदमा:
काश! भैं तुमहाये घयों को अऩने हाथ भें इकट्ठा कय सकता औय फीि फोने
वारे की तयह िॊगर औय िायागाह भें बफखेय सकता।
काश कक घाहटमाॉ तुमहायी सड़कें होतीॊ औय हये -बये यास्ते तुमहायी गसरमाॉ
होतीॊ जिससे तुभ एक दस
ू ये को अॊगूयों के फगीिों भें होकय खोि सकते औय अऩने
कऩड़ों भें धयती की सुगॊध रेकय आ सकते।
बम से तुमहाये ऩव
ू ििों ने तुभको एक दस
ू ये के फहुत सभीऩ इकट्ठा कय हदमा
औय वह बम अबी कुछ सभम औय यहे गा। अबी कुछ औय सभम तक तुमहाये नगय
की दीवायें तुमहाये िूल्हे औय खेतों को ऩथ
ृ क यखें गी।
ओयपारी के िनवाससमो, फतराओ कक तुमहाये इन घयों भें क्मा यखा है ? औय
तुभ फन्द्द दयवािों द्वाया ककस वस्तु की आयऺा कयते हो?
30
क्मा तुभको शाजन्द्त सभरती है ? क्मा ऐसी शाॊितऩूणि उत्तेिना प्राप्त होती है िो
तुमहायी शक्तक्त को प्रगट कयती हो?
क्मा तुमहें स्भिृ तमाॉ हैं िो िभिभाते हुमे भेहयाव की तयह भन की िोहटमों
तक ऩहुॉिती हैं ?
मह तुमहें दर
ु ाय कय सुरा दे ती है इससरए कक तुमहाये बफस्तय के ऩास खड़ी
होकय शयीय की प्रित्ठ ा ऩय उऩहास कये ।
सिभि
ु ही द्धवरास की रारसा आत्भा के उत्साह की हत्मा कय दे ती है औय
कपय भत्ृ मु सॊस्काय के सभम दाॊत िनकारती घभ
ू ती है ।
रेककन तुभ, अन्द्तरयऺ की सन्द्तानो, तुभ िो द्धवश्राभ भें अशान्द्त यहते हो,
तुभ न तो बुरावे भें ऩड़ोगे औय न िनमॊबत्रत होगे।
वह घाव को ढकने वारी िभकदाय ऩट्टी नहीॊ, फजल्क आॊखों की यऺा कयने
वारी ऩरकें होगा।
31
तुभ अऩने ऩॊखों को इससरए नहीॊ सभेट रोगे कक दयवािे भें घुस सको औय
न अऩने सय इससरमे झुका दोगे कक छत से टकया िाने से फि िाओ औय न
साॉस रेने से इससरए डयोगे कक दीवायें िटख कय चगय ऩड़े।
तुभ उन भ़फयों भें िनवास नहीॊ कयोगे जिनको भुदों ने िीद्धवतों के सरए
फनामा है ।
वस्त्र
एक िुराहे ने वस्त्रों के द्धवषम ऩय फोरने के सरए कहा।
दे वदत
ू ने कहा:
तुमहाये वस्त्र ऩमािप्त भात्रा भें तुमहायें सौन्द्दमि को ढकते हैं कपय बी वे तुमहायी
कुरूऩता ऩय आवयण नहीॊ डारते।
क्मोंकक िीवन की साॉस धूऩ द्वाया औय िीवन के हाथ वामु द्वाया सॊिासरत
होते हैं।
तुभभें से कुछ कहते हो, ‘‘जिन कऩड़ों को हभ ऩहहनते हैं उन्द्हें उत्तयी (सदी
की) वामु ने फुना है ।’’
औय भत बर
ू ो कक धयती तुमहाये नॊगे ऩैयों के स्ऩशि से उल्रससत होती है औय
वामु तुमहाये केशों से खेरने की उत्कॊठा यखती है ।
34
क्रम औय द्धवक्रम
दे वदत
ू ने उत्तय हदमा औय कहा:
ऩथ्
ृ वी तुभको अऩने पर दे ती है औय महद तुभ अऩने हाथों से उन परों को
फटोयना िानो तो वही ऩमािप्त है ।
ऩथ्
ृ वी की दे नों के आदान-प्रदान भें ही तुभको बयऩयू ता सभरेगी औय तुभ
सॊतुष्ट होगे।
िफ फाज़ाय भें तुभ सभुरों, खेतों औय फगीिों भें काभ कयने वारे रोग
िुराहों, कुमहायों औय भसारे इकट्ठा कयने वारे रोगों से सभरो;
‘‘हभाये साथ खेत भें आओ मा हभाये बाईमों के साथ सभुर भें िाकय अऩना
िार पेंको;
अऩयाध औय दण्ड
नगयी के एक न्द्मामाधीश ने आगे खड़े होकय कहा:
दे वदत
ू ने मह कहते हुए उत्तय हदमा:
जिस सभम तुमहायी आत्भा वामुभण्डर भें घूभने के सरए िरी िाती है तबी
तुभ, अकेरे औय असुयक्षऺत होकय, दस
ू यों के प्रितकूर ारती कयते हो, इसीसरए
स्वॊम के प्रितकूर बी, औय उस ारती के कयने के कायण तुभ अवश्म ही धन्द्मात्भा
के द्वाय खटखटाओगे औय वहाॊ ऩय कुछ सभम प्रतीऺा कयोगे।
रेककन तुमहायी दै वी आत्भा केवर तुमहाये अजस्तत्व भें िनवास नहीॊ कयती।
तुमहाये अन्द्दय फहुत कुछ अबी भानवीम है औय फहुत कुछ अबी भानवीम
नहीॊ है ।
फहुधा भैने तुभको ककसी व्मक्तक्त के फाये भें मह कहते हुए सुना है कक वह
ारती कयता है िैसे कक वह तुभभें से एक न हो कय कोई अिनफी है औय उसने
तुमहायी दिु नमा भें अनाचधकाय प्रवेश ककमा है ।
रेककन भैं कहता हूॉ कक जिस प्रकाय कोई बी ऩद्धवत्र औय न्द्मामशीर ऩुरूष
अऩने आऩ को उससे अचधक ऊॉिा नहीॊ उठा सकता िो तुमहाये सफ के अन्द्दय
उच्ितभ है ,
उसी प्रकाय तुमहायी सफकी गुप्त इच्छा के बफना ारती कयने वारा ारती
नहीॊ कय सकता।
िफ तुभ भें से कोई चगय िाता है तो वह अऩने से ऩीछे वारों के हहत भें
चगयता है ; उन्द्हें यास्ते के ऩत्थय से िौकन्द्ना कयने के सरए।
औय जिसे रट
ू ा गमा है वह बी अऩने रुटने के सरए दोषी है ;
औय इससे बी अचधक, फहुधा जिसे दण्ड हदमा िाता है , उसे अऩयाध यहहत
औय दोष यहहत होने का फोझा ढोना ऩड़ता है ।
क्मोंकक सम
ू ि के प्रकाश भें वे उसी तयह साथ-साथ खड़े होते है जिस तयह
कारे औय सर्फेद धागे साथ-साथ फुने होते है ।
ककस प्रकाय तुभ उन्द्हें दजण्डत कयोगे जिनकी आत्भनरािन ऩहरे ही उनके
कुकभों से फढ़कय है ?
तुभ न्द्माम सभझने वारो, कैसे उसे सभझ सकते हो महद तुभ सबी कामों
को ऩूणि प्रकाश भें न दे खो?
तबी तुभ िानोगे कक सीधा खड़ा हुआ औय नीिे चगया हुआ दोनों एक ही
व्मक्तक्त है िो अऩने फौने स्वरूऩ की याबत्र औय अऩने दै वी स्वरूऩ के हदन के फीि
धुॊधरे प्रकाश भें खड़ा है ।
़ानून
तफ एक वकीर फोरा: भासरक हभाये ़ानूनों के फाये भें क्मा कहते हो?
तुभ ़ानन
ू ों को फनाने भें आनन्द्द रेते हो ;
मह ऐसे ही है िैसे सागय के ककनाये खेरते हुए फच्िे रगाताय फारू से घयोंदे
फनाते हैं औय कपय प्रसन्द्नताऩूविक उन्द्हें नष्ट कय दे ते है ।
रेककन उनका क्मा जिनके सरए िीवन एक सागय नहीॊ औय भनष्ु म द्वाया
िनसभित ़ानून फारू की भीनाय नहीॊ,
भैं इनके फाये भें क्मा कहूॉ, ससवाम इसके कक वे बी सूमि के प्रकाश भें खड़े
तो होते है रेककन प्रकाश की तयप ऩीठ कयके ;
उनके सरए सूमि केवर भात्र एक ऩयछाईमाॊ पेंकने वारे के अितरयक्त औय क्मा
है ?
तुभ िो वामु के साथ मात्रा कयते हो, कौन सा वामुदशिक तुमहाया ऩथप्रदि शन
कय सकता है ?
कौनसा भानवीम िनमभ तुभको फाॊध सकेगा महद तुभ अऩना फॊधन तोड़ दो
रेककन ककसी भनष्ु म के कायावास के द्वाय ऩय नहीॊ?
कौन सा ़ानून तुमहें बमबीत कय सकेगा महद तुभ नािो रेककन ककसी बी
भनुष्म की रौह श्रॊख
ृ राओॊ के साभने नहीॊ रड़खडाओ?
स्वतन्द्त्रता
एक वक्ता ने कहा: हभसे स्वतन्द्त्रता के द्धवषम ऩय कुछ कहो ।
दे वदत
ू ने उत्तय हदमा:
वास्तव भें तुभ तबी स्वतॊत्र होगे िफ तुमहें हदन भें कोई चिन्द्ता न यहे औय
यात भें कोई इच्छा औय द्ु ख न यहे ।
अद्धऩतु, िफ मे िीिें तुमहाये िीवन को व्माप्त कय रें , कपय बी तुभ ननन वेष
औय फॊधन यहहत उनके ऊऩय उठे यहो।
कैसे तुभ अऩने हदन औय यात से ऊऩय उठ सकते हो महद तुभ उन िॊिीयों
को न तोड़ डारो जिन्द्हें तुभने अऩनी सभझ की कच्िाई भें अऩने ऩूणि प्रकाश के
िायों ओय फाॊधा है ।
महद तुभ सॊयऺण को हटाना िाहते हो, तो वह सयॊ ऺण तुभने स्वॊम ही िुना
है न कक वह तुभ ऩय थोऩा गमा है ।
तकि औय बावुकता
ऩि
ु ारयन कपय फोरी औय कहा: हभसे तकि औय बावुकता के द्धवषम ऩय कुछ
कहो।
तुमहाया तकि औय तुमहायी बावुकता तुमहायी सभुर भें तैयती हुई आत्भा के
ऩतवाय औय ऩोत हैं ।
महद तुमहाये ऩोत अथवा ऩतवाय टूट िामें, तुभ केवर झटक औय बटक
सकते हो, अन्द्मथा फीि सभुर भें जस्थय ऩड़े यह सकते हो।
औय उसी के द्वाया तुमहाये बावावेश को तकि द्वाया िनदे सशत होने दो जिससे
कक तुमहायी बावुकता अऩने स्वॊम के दै िनक ऩुनििन्द्भ द्वाया िीद्धवत यह सके औय
पोिनक्स की तयह अऩनी याख से ऊऩय उठ सके।
भैं िाहूॉगा कक तुभ अऩनी फुद्धिभत्ता औय अऩनी बूख को उसी प्रकाय सभझो
जिस प्रकाय तुभ अऩने घय भें आमे दो द्धप्रम अितचथमों को।
46
ऩहाक्तड़मों भें िफ तुभ श्वेत चिनाय की ठॊ डी छामा भें फैठे हो औय दयू के खेतों
भें औय ियागाहों की शाजन्द्त औय गमबीयता भें भस्त हो, तो अऩने रृदम भें भौन
ही भौन मह कहो, ‘‘ईश्वय तकि भें िनवास कयता है ।’’ औय िफ तूपान आमे ओय
प्रिॊड वामु िॊगर को झकझोय दे , कपय गििन औय बफिरी आकाश की भहत्ता को
घोद्धषत कय दे , तफ तुभ अऩने रृदम को बमबीत होकय कहने दो, ‘‘ईश्वय बावुकता
भें द्धवियता है ।’’
क्मोंकक तुभ ईश्वयीम भॊडर भें एक साॊस हो औय ईश्वयीम िॊगर भें एक ऩत्ता
हो, तुभ बी तकि भें िनवास कयो औय बावना भें द्धवियो।
47
48
ददि
एक औयत मह कहते हुए फोरी: ददि के द्धवषम भें कुछ कहो।
दे वदत
ू ने कहा: तुमहाया ददि उस सीऩी का पटना है िो तुमहायी सभझ को
ढके होती है ।
औय, तुभ अऩने रृदम की ऋतुओॊ को उसी प्रकाय अऩना रेते जिस प्रकाय
सदै व तुभने उन ऋतुओॊ को अऩनामा है िो तुमहाये खेतों ऩय होकय गुियती है ।
अऩनी ऩीड़ा की सदि कटुता भें होकय बी तुभ शान्द्त स्वबाव से िनहायोगे।
क्मोंकक इसके हाथ मद्यद्धऩ बायी औय कठोय हैं, कपय बी अरौककक शक्तक्त के
कोभर हाथों द्वाया ऩथ प्रदसशित है ।
आत्भ-ऻान
एक आदभी फोरा: हभसे आत्भ-ऻान के फाये भें कुछ कहो।
दे वदत
ू ने उत्तय हदमा: भौनता भें तुमहाये रृदम हदन औय यात के यहस्मों को
िानते है ;
रेककन तुमहाये कान तुमहाये रृदम के ऻान की आवाि सुनने को तयसते हैं।
शब्दों भें तुभ उसी को िानोगे जिसे तुभने सदै व द्धविायों भें िाना है ।
तुमहाये आत्भा के िछऩे श्रोत को अवश्म उठना है औय, भयभय कयते हुए,
सभुर की ओय दौड़ना है ।
रेककन तुमहाये अगमम कोष को तोरने के सरए कोई तयािू नहीॊ होनी
िाहहए।
अध्माऩन
तफ एक अध्माऩक फोरा: हभसे अध्माऩन के फाये भें कहो ।
दे वदत
ू ने कहा: िो कुछ बी कोई व्मक्तक्त तुमहें ससखा सकता है वह ऩहरे से
ही तुमहाये ऻान के अभ्मुदम भें अधि-िनहरत अवस्था भें ऩड़ा होता है ।
महद वह वास्तव भें ऻानी है तो वह तुभसे अऩने ऻान के बण्डाय भें प्रवेश
नहीॊ कयाएगा फजल्क तुमहें तुमहाये ही भन के ककनाये तक ऩहुॊिा एगा।
सभत्रता
एक मव
ु क ने ऩछ
ू ा: हभसे सभत्रता के फाये भें कहो।
दे वदत
ू ने मह कहते हुए उत्तय हदमा:
वह तुमहाया खेत है , जिसभें तुभ प्रेभ रूऩी फीि फोकय धन्द्मवाद के आबाय
की पसर को काटते हो।
क्मोंकक अऩनी बूख के सभम तुभ उसके ऩास आते हो औय शाजन्द्त के सरए
उसे खोिते हो।
क्मोंकक सभत्रता भें शब्दों के बफना ही सबी द्धविाय, सबी इच्छाऐॊ , सबी
आशाऐॊ , उऩिती हैं औय ऐसे हषि भें फाॊटी िाती हैं जिसका वणिन नहीॊ ककमा िा
सकता।
िो कुछ बी तुमहें सफसे अचधक द्धप्रम हो, उसे अऩने सभत्र के सरए यखो।
कपय ऐसा सभत्र बी क्मा जिसे तुभ केवर सभम नष्ट कयने के सरए ही खोिो।
वातािराऩ
इसके फाद एक द्धवद्वान ने ऩूछा: वातािराऩ के द्धवषम ऩय कुछ कहो।
दे वदत
ू ने उत्तय हदमा: तुभ तबी फोरते हो िफ तुमहाये द्धविायों के फीि शाजन्द्त
नहीॊ यह ऩाती।
िफ तुभ अऩने रृदम के एकान्द्तवास भें नहीॊ यह ऩाते तो तुभ अऩने होठों ऩय
िीवन िनवािह कयते हो औय ध्विन केवर भात्र ध्मान फॉ टाने औय आभोद-प्रभोद का
साधन होती है ।
क्मोंकक द्धविाय शून्द्म का ऩऺी है िो शब्दों के द्धऩॊिड़े भें अऩने ऩॊख पैरा तो
सकता है रेककन उड़ नहीॊ सकता।
कुछ रोग फात कयते सभम बफना ऻान मा ऩूवि द्धविाय के एक एसी सच्िाई
प्रगट कय दे ते हैं जिसे वे स्वॊम बी नहीॊ सभझते।
औय, कुछ रोग अऩने अन्द्दय सच्िाई िछऩाए यखते हैं रेककन उसे शब्दों द्वाया
प्रगट नहीॊ कय ऩाते।
ऐसे रोगों के रृदम के अन्द्दय आत्भा एक रमऩूणि भौनता के रूऩ भें िनवास
कयती है ।
िफ तुभ सड़क ऩय मा फाज़ाय भें अऩने सभत्र से सभरो तो अऩनी आत्भा द्वाया
अऩने होठों औय अऩनी ज़फ
ु ान को सॊिासरत कयो।
इससे उसकी आत्भा तुमहाये रृदम के सत्म को उसी प्रकाय स्भिृ त भें यखेगी
जिस प्रकाय (बोिन कयने के फाद) यॊ ग-रूऩ औय फतिन कुछ बी न यह िाने ऩय बी
भीठे बोि का स्वाद माद ककमा िाता है ।
57
सभम
तफ एक नऺत्र ऻानी ने ऩूछा: भासरक, सभम के फाये भें क्मा कहते हो?
दे वदत
ू ने उत्तय हदमा:
तुभभें से कौन मह अनुबव नहीॊ कयता कक उसकी प्रेभ कयने की शक्तक्त असीभ
है ?
कपय बी कौन मह अनुबव नहीॊ कयता कक वही प्रेभ असीभ होते हुए बी
भनुष्म के अजस्तत्व के केन्द्र भें सीसभत है औय एक प्रेभ द्धविाय से दस
ू ये प्रेभ
द्धविाय मा एक प्रेभ कामि से दस
ू ये प्रेभ कामि की ओय नहीॊ िरता?
रेककन, महद अऩने द्धविायों भें तुभ सभम को भौसभों भें भाऩो, तो प्रत्मेक
भौसभ से अन्द्म सबी भौसभों को रऩेट रो;
58
अच्छा औय फुया
शहय के फि
ु ुगों भें एक ने कहा: हभें अच्छे औय फयु े के फाये भें फतराओ ।
तुमहाये अन्द्दय अच्छाई के फाये भें फतरा सकता हूॉ, रेककन फयु ाई के फाये भें
नहीॊ।
कपय बी महद आऩ अऩने सरमे प्रािप्त का प्रमास कयते है तो आऩ फुये नहीॊ हैं ।
रेककन आऩ भें कुछ रोगों भें वह रारसा ऐसी तीव्र धाया की तयह है िो
ऩहाक्तड़मों के यहस्मों औय िॊगर के गानों को सभुर की ओय फहा रे िाती है ।
रेककन िो अचधक िरता है उसे थोड़ा िरने वारे से मह नहीॊ कहना िाहहए,
तुभ धीभे औय रुक-रुककय िरने वारे क्मों हो?
क्मोंकक सिभि
ु अच्छे रोग नॊगे व्मक्तक्त से मह प्रन न नहीॊ कयते , ‘‘तुमहाये वस्त्र
कहाॉ हैं ’’? औय, फेघय रोगों से मह नहीॊ ऩूछते, ‘‘तुमहाये घय ऩय क्मा द्धवऩद्धत्त आ
ऩड़ी हैं?
61
प्राथिना
एक ऩि
ु ारयन ने कहा: हभको प्राथिना के फाये भें फतराओ।
तुभ सॊकट भें औय ज़रूयत ऩड़ने ऩय प्राथिना कयते हो; काश, तुभ अऩनी खुशी
की ऩूणत
ि ा औय फहुतामतता के हदनों भें बी प्राथिना कयते !
क्मा प्राथिना केवर तुमहाया स्वमॊ का िीद्धवत आकाश भें द्धवस्ताय कयना नहीॊ
है ?
महद तुभ भजन्द्दय भें केवर भाॉगने के सरमे ही प्रवेश कयते हो तो तुभको
प्रािप्त नहीॊ होगी ;
महद तुभ अऩने को नीिा कयने के सरमे प्रवेश कयते हो तो ऊऩय नहीॊ उठ
ऩाओगें ;
62
महद तुभ औयों की बराई के सरमे बीख भाॉगने के सरमे प्रवेश कयते हो तो
तुमहायी सुनवाई नहीॊ होगी।
शब्दों द्वाया प्राथिना कैसे कयें , मह भैं तुभको नहीॊ ससखा सकता।
भैं तुभको सभुर की, िॊगर की, औय ऩवित की प्राथिना नहीॊ ससखा सकता।
रेककन तुभ िो ऩवित ऩय, िॊगर भें , औय सभुर भें ऩैदा हुमे हो, उनकी
प्राथिना को अऩने रृदमों भें खोि सकते हो।
महद तुभ यात के सन्द्नाटे भें कान रगाकय सुनो तो उनको भौन रूऩ से मह
कहता ऩाओगे:
’’हे ईश्वय! तुभ हभायी ऩॊख वारी आत्भा हो, तुमहायी इच्छा ही हभाये अन्द्दय
इच्छा है ।
‘‘तुमहाया आग्रह ही हभाये अन्द्दय याबत्रमों को, िो तुमहायी ही हैं , हदन भें फदर
दे ता है ; औय, वे हदन बी तुमहाये ही हैं।
’’हभ तुभ से कुछ बी नहीॊ भाॉग सकते क्मोंकक तुभ हभायी ज़रूयतों को उनके
ऩैदा होने से ऩहरे ही िानते हो।
आनन्द्द
एक सन्द्मासी, िो शहय भें प्रित वषि आता था, आगे आमा औय फोरा:
दे वदत
ू ने कहा:
भैं िाहूॉगा कक तुभ इसे बयऩूय हदर से गाओ, रेककन भैं नहीॊ िाहता कक गाने
भें तुभ अऩने हदर को खो फैठो।
तुभभें कुछ मव
ु क आनन्द्द खोिते हैं िैसे आनन्द्द हो सफ कुछ है औय उनको
अदारत भें ऩेश ककमा िाता है औय ताड़ना दी िाती है ।
क्मा तुभने उस भनुष्म के फाये भें नहीॊ सुना हो िड़ों के सरमे ज़भीन खोदता
था औय उसे ऽिाना सभर गमा।
तुभभें कुछ फुज़ुगि, आनन्द्द को, (ऩश्चाताऩ कयके) ऐसे माद कयते हैं िैसे
उन्द्होंने नशे भें कोई ारितमाॉ की हों।
वे आबाय के साथ अऩने आनन्द्द को माद यखें क्मोंकक वे गसभिमों भें पसर
के रूऩ भें काट सकेगें ।
कपय बी महद उन्द्हें ऩश्चाताऩ अच्छा रगे, तो उनको ऩश्चाताऩ कयने दो।
रेककन भझ
ु े फतराओ वह कौन है िो आत्भा को आघात ऩहॉ ुुिा सके?
क्मा फुरफुर याबत्र को आघात ऩहुॉिा सकेगी? क्मा खद्योत ससतायों को आघात
ऩहुॉिा सकेगा? क्मा तुमहायी रऩट मा धुॉआ वामु ऩय बाय फनेगा?
तुभ अऩने हदर भें सोिो, ‘‘हभ कैसे िानें गे कक आनन्द्द भें क्मा अच्छा है
औय क्मा अच्छा नहीॊ है ? ‘‘
अऩने खेतों औय फाीिों भें िाओ औय तुभ सीखोगे कक पूरों से शहद इकट्ठा
कयना भधुभजक्खमों का आनन्द्द है ;
सौन्द्दमि
एक कद्धव ने कहा, सौन्द्दमि के फाये भें फतराओ।
बावक
ु रोग कहते है , ‘‘नहीॊ, सौन्द्दमि एक फरवान औय बमानक िीज़ है ,
िैसे एक तूपान िो हभाये नीिे की ऩथ्
ृ वी औय ऊऩय के आकाश को झकझोय दे ता
है ।‘‘
थके हुमे औय ऩये शान रोग कहते हैं , ‘‘सुन्द्दयता नभि पुसपुसाहटों से फनी है ,
वह हभायी आत्भा भें फोरती है ; उसकी आवाज़ हभायी भौनता के आगे ऩस्त हो
िाती है ; िैसे धीभी योशनी छामा के बम से काॉऩ िाती है । ’’
याबत्र भें शहय के ऩहये दाय कहते हैं , ‘‘सौन्द्दमि प्रात् कार के साथ ऩूवि से
उहदत होगा।‘‘
दोऩहय भें श्रसभक औय नाद्धवक कहते हैं, ‘‘हभने उसे सॊध्मा की णखड़की से
ऩथ्
ृ वी ऩय झुकते हुमे दे खा है । ’’
68
वपि से ढके रोग सदी भें कहते हैं , ‘‘वह (सुन्द्दयता) ऩहाक्तड़मों से कूदती हुई
वसन्द्त ऋतु भें आमेगी।’’
गभी की तऩन भें खसरमान भें काभ कयने वारे रोग कहते हैं , ‘‘हभने उसे
शयद ऋतु की ऩद्धत्तमों के साथ नािते हुमे दे खा है । औय उसकी रटों भें कुछ वपि
की झरक बी दे खी है ।’’
ककन्द्तु, मथामि भें तुभने उसके फाये भें नहीॊ फजल्क असॊतुष्ट इच्छाओॊ के फाये
भें कहा है ।
मह न तो एक प्मासे भह
ॉु की तयह है औय न पैरामे हुमे खारी हाथ की
तयह;
धभि
एक वि
ृ ऩुिायी ने कहा: हभको धभि के फाये भें फताओ।
िफ कबी इसभें प्रवेश कयो, अऩना सफ कुछ साथ रे िाओ- अऩना हर,
अऩनी रकड़ी, अऩना हथौड़ा औय अऩनी वीणा।
अऩने हदवा स्वप्न भें तुभ अऩनी उऩरजब्धमों से ऊॉिे नहीॊ उठ सकते औय
अऩनी असपरताओॊ से नीिे नहीॊ चगय सकते।
उसे पूरों भैं भुस्कयाता दे खोगे; उसके हाथ ऩेड़ों भें उठते औय तयॊ चगत होते
दे खोगे।
72
भत्ृ मु
तफ अरसभत्रा फोरी: अफ हभें भत्ृ मु के फाये भें फतराओ।
ककन्द्तु बफना िीवन के रृदम भें खोिे उसे कैसे प्राप्त कयोगे?
एक उल्रू, जिसकी याबत्र तक सीसभत आॉखें हदन के सरमे अन्द्धी हैं , प्रकाश
के यहस्म का ऩदाि नहीॊ हटा सकता।
महद वास्तव भें तुभ भत्ृ मु की आत्भा दे खना िाहते हो तो अऩना रृदम
िीवन के शयीय के सरमे ऩूयी तयह खोर दो।
क्मोंकक िीवन औय भत्ृ मु एक हैं , उसी प्रकाय िैसे नदी औय सभुर एक हैं।
िैसे फीि फपि के नीिे स्ऩप्न दे खता है उसी प्रकाय तुमहाया रृदम वसन्द्त का
स्वप्न दे खता है ।
क्मा काॉऩने के नीिे गयक्तड़मा प्रसन्द्न नहीॊ है क्मोंकक उसे यािा द्वाया समभान
सभरेगा?
साॉस का फन्द्द होना, साॉस को उसकी अशान्द्त गित से भुक्त कयाना है जिससे
कक वह उठकय पैर सके औय ईश्वय को बफना ककसी फन्द्धन के खोि सके।
िफ ऩथ्
ृ वी ने तुमहाये हाथ ऩैय रे सरमे होंगे तबी तुभ सिभि
ु नाि सकोगे।
74
75
अरद्धवदा
अफ सन्द्ध्मा हो गई थी।
हभ भुसाकर्फय, सदै व अकेरे यास्ते खोिने वारे , अऩना नमा हदन द्धऩछरे हदन
के सभाप्त होने से ऩहरे ही प्रायमब कय दे ते हैं औय सूमािस्त होने के साथ ही
सूमोदम हो िाता है ।
िफ ऩथ्
ृ वी सोई होती है , तफ बी हभ मात्रा कयते हैं।
तुमहाये फीि भेये हदन फहुत कभ थे; औय उनसे बी कभ वे शब्द हैं िो भैंने
फोरे हैं।
रेककन महद भेयी आवाज़ तुमहाये कानों भें धीभी ऩड़ िामे औय भेया प्रेभ
तुमहायी स्भिृ त भें सभट िामे, तो भैं कपय आऊॉगा।
उस सभम िफ भैं फोरॉ ूगा तफ भेये ऩास औय अचधक धनी रृदम होगा औय
भेये होंठ आत्भा के औय बी ़यीफ होगे।
76
िाहें भत्ृ मु भझ
ु े अदृश्म कय दे , औय फड़ी भौनता भुझे अऩने भें रऩेट रे,
कपय बी भैं तुमहायी सभझ को खोिूॊगा।
ओयपारीस भें रोगो, भैं वामु के साथ िा यहा हूॉ, रेककन खारीऩन भें नहीॊ।
धॊध
ु , िो प्रात् कार भें हटती है औय खेतों भें केवर ओस छोड़ िाती है ,
कपय से उठे गी औय फादर फनकय फयसेगी।
याबत्र की िन्स्तधता भें भैं तुमहायी गसरमों भें घूभा हूॉ औय भेयी आत्भा ने
तुमहाये घयों भें प्रवेश ककमा है ।
तुमहाये रृदमों की धड़कनें भेये रृदम भें थीॊ औय तुमहायी साॊसें भेये िेहये ऩय
थीॊ औय भैं तुभ सफ को िानता था।
फहुत फाय भैं तुमहाये फीि ऩहाड़ों भें झीर की तयह था।
77
भेये अन्द्तयतभ भें ऩहुॊि कय बी स्रोतों औय नहदमों का गामन फन्द्द नहीॊ हुआ।
वह था एक द्धवशार ऩरू
ु ष जिसभें तुभ केवर िीवाणु औय नसें भात्र हो;
प्रेभ कौनसी दरू यमों तक ऩहुॊि सकता है िो उस द्धवशार गोराकाय भें नही हैं ;
तुमहाये सफसे कभज़ोय कभि से तुभको नाऩना वैसा ही है िैसा कभिोयो़ झाग
से सभुर की शक्तक्त को भाऩना।
हाराॉकक बायी आधाय वारा ज़हाज़ तुमहाये ककनाये ऩय प्रतीऺा कयता है ककन्द्तु ,
सागय की तयह, तुभ अऩने ज्वाय को तीव्र नहीॊ कय सकते।
मद्यद्धऩ अऩनी शीत ऋतु भें तुभ अऩनी वसन्द्त ऋतु को नकायते हो कपय बी
वसन्द्त ऋतु, िो तुमहाये अन्द्दय द्धवश्राभ कय यही है , अऩने आरसीऩन भें तुभ ऩय
भुस्कयाती है औय फुया नहीॊ भानती।
भैं तुभसे वही शब्द फोरता हूॉ िो तुभ अऩने द्धविायों भें िानते हो।
ऻानी ऩरू
ु ष तुमहाये ऩास ऻान दे ने के सरमे आमे हैं। भैं तुभ से ऻान रेने के
सरमे आमा हूॉ ।
अन्द्म रोग तुमहाये ऩास आमे हैं जिन्द्होंने तुमहाये द्धवश्वास ऩय सुनहयी वामदे
ककमे हैं औय तुभने उनको धन, शक्तक्त औय कीिति हदमे हैं ।
अवश्म ही एक व्मक्तक्त के सरमे इससे फड़ी कोई बें ट नहीॊ िो उसके इयादों को
सूखे होंट भें औय िीवन को एक झयने भें फदर दे ।
िफ बी भैं झयने ऩय ऩीने के सरमे आता हूॉ, भैं िीद्धवत ऩानी को बी प्मासा
ऩाता हूॉ।
भैं भिदयू ी रेने के सरमे अत्मन्द्त गवीरा हूॉ, रेककन बें ट रेने के सरमे नहीॊ।
भैंने ऩहाक्तड़मों ऩय फेय खामे है , िफकक तुभ िाहते थे कक तुमहाये साथ फैठकय
बोिन करूॉ।
तुभभें से कुछ ने भझ
ु े अरग यहने वारा औय अऩने अकेरेऩन के नशे भें ियू
फतरामा है ।
मह सत्म है कक भैं ऩहाड़ी ऩय िढ़ा हूॉ, औय, दयू की िगहों भें घूभा हूॉ।
बफना ऊॉिी िगह िढ़े मा बफना फड़ी दयू ी ऩय गमे भैं तुभको कैसे दे ख सकता
था?
अन्द्म रोग भेये ऩास आमे औय बफना शब्द फोरे उन्द्होंने भुझसे कहा:
82
‘‘अिनफी ! अिनफी ! न छुई िाने वारी ऊॉिाइमों से प्रेभ कयने वारे! तुभ
उन ऊॉिाइमों ऩय क्मों यहते हो िहाॉ िीर अऩने घोंसरे फनाती हैं ?
रेककन सशकायी एक सशकाय बी था; भेये फहुत से तीय भेयी कभान से िनकर
कय भेये ही सीने भें आ रगे।
िफ भेये ऩॊख धऩ
ू भें पैरते थे तफ उनकी छामा ज़भीन ऩय कछुमे के रूऩ भें
थी।
तुभ अऩने शयीय भें फन्द्द नहीॊ हो औय न अऩने घयों मा खेतों तक सीसभत
हो।
िीवन औय सबी िीद्धवत रूऩ कोहये भें ऩैदा होते हैं न कक स्पहटक भें ;
क्मा तुमहायी हड्क्तडमों के ढाॊिे को खड़ा कयने औय कठोय फनाने वारी तुमहायी
साॉस नहीॊ है ?
क्मा तुमहाये शहय को फनाने वारा औय उसभें सफ कुछ सॊमोजित कयने वारा
एक स्वप्न नहीॊ है िो तुभभें ककसी को बी माद नहीॊ है ?
महद तुभ स्वप्न की पुसपुसाहट सुन सको तो अन्द्म सबी ध्विनमों को बूर
िाओेगे।
तुमहायी आॉखों के ओग िो ऩदाि है उन्द्हीॊ हाथों द्वाया हटे गा जिन्द्होंने इसे फुना
था।
िो सभट्टी तुमहाये कानों भें बयी है उन्द्हीॊ उॊ गसरमों द्वाया बेदी िामेगी जिन्द्होंने
उसे गॉूथा था।
तफ तुभ दे ख ऩाओगे।
औय, तुभ अॊधकाय को उसी प्रकाय धन्द्म कहोगे जिस प्रकाय प्रकाश को।
दे वदत
ू ने कहा
तुभने भेये अकेरेऩन भें भेये सरमे गीत गामे हैं औय भैंने तुमहायी आकाॊऺाओॊ
की भीनाय आकाश भें खड़ी कय दी है ।
महद हभाये हाथ ककसी औय स्वप्न भें कपय सभरे, तो हभ आकाश भें दस
ू यी
भीनाय फनामेंगे।