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आध्मात्मभक कवितामें
िीये न्द्र
2
सच
ू ी
२१-जीिन धाया
२२-चाूंदनी
२३-फ़ासरा
२४-हदव्म ज्मोनत
२५-ईश्वय प्रेभ
२६-ईश्वय की क्रिऩा
२७-आमभ-शक्ति
२८-ईश्वय को ऩाना
२९-एक औय ज़ीयो
३०-ईश्वय की भहानता
३१-थोड़ा सभम
३२-ख़िज़ाूं
३३-कूंु डमरनी
३४-िाक शक्तिमाूं
३५-जीिन
३६-ईश्वय की खोज
३७-सूफ़ी की प्रेमभका
३८-फूूंद औय सागय
३९-बजन
४०-दे िी की आयती
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३-विश्व-चेतना
शात्न्द्त औय सख
ु ऩाने को हभ सफकी आमभा भ्िक यही है,
कयते बोग-विरास क्रकन्द्तु मभरता उसभें सन्द्तोष नहीूं है,
जीिन उरझ यहा आऩाधाऩी भें, त्जसका अन्द्त नहीूं है ,
क्मा हैं सच्चे शात्न्द्त औय सख
ु , इसका सफको ग्मान कया दे .
विश्व-चेतना! भानिता की व्माकुरता को दयू कया दे.
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ऩिन ऩत्र
ु के साथ, गगन भें चरना कहठन नहीूं था रेक्रकन,
नीर औय नर के ऩर
ु ऩय ही, चरकय सागय ऩाय क्रकमा था.
िन से रौि हदखामा तभ
ु ने, प्रजा प्रेभ का रूऩ अनोखा,
जन साधायण के कहने ऩय, सीता को फनिास हदमा था.ऊऩय
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५-दशािताय
हय मग
ु भें विकास दशाान,े तुभने सभगु चत रूऩ धये ,
धन्द्म! धन्द्म हे विष्णु दे िता! जम, जम, जम जगदीश हये!
वप्रथ्िी जफ सभर
ु थी सायी, जीिन था केिर जर भें,
भछरी फन ऩानी ऩय तैये, जम, जम, जम जगदीश हये !
ऩशओ
ु ूं भें भानिता के कुछ गचन्द्ह रगे विकमसत होने,
नयमसूंह भें दो रूऩ सभामे, जम, जम, जम जगदीश हये !
भानिता ने दख
ु से फचने, जफ चाहा ननिााण मभरे,
फन कय फि
ु शयण दी सफ को, जम, जम, जम जगदीश हये!
करमग
ु भें कर के फर ऩय ही, चरता है जीिन साया,
अफ तभ
ु करकी फन कय आमे, जम, जम, जम जगदीश हये !
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६-दग
ु ाा बजन
दग
ु ाा भाूं! तेये गुण गामें,
अऩने दख
ु , सूंताऩ मभिामें. दग
ु ाा भाूं!...
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७-साूंई बजन
जो सख
ु , दख
ु दे ता जीिन भें,
उस से शात्न्द्त ननयन्द्तय ऩामें.
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दज
ू ी का फस फाहय यहना,
धऩ
ू ताऩ भें सफ कुछ सहना,
झाूंक ख़खड़्क्रकमों से कुछ कहना,
क्रकयण कये हदन बय यखिारी,
चाय प्रेमभकामें भतिारी.
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ऩोथी ऩढ़ कय सफ ने दे खा,
मभरता नहीूं बाग्म का रेखा,
आख़िय ऩढ़ी कार की ये खा,
त्जस से अऩनी क्रक़मभत जानी,
कोई नहीूं समम का ग्मानी.
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१०-भझ
ु को रूऩ हदखा दे अऩना.
औयों से ही तुझे सन
ु ा है ,
क्रपय बी तुझ को सदा गुना है,
तुझको दे ख,ूंू मह सऩना है ,
ऩयू ा कय दे भेया सऩना,
भझ
ु को रूऩ हदखा दे अऩना.
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१३-अफ तो धर
ू भझ
ु े प्मायी है.
अणु की धर
ू जगत भें छाई,
अणु भें ऩयभाणु की सभाई,
सभझ हभें मह विद्या आई,
ब्रह्माण्ड भें धर
ू सायी है,
अफ तो धर
ू भझ
ु े प्मायी है.
कामा एक हदन धर
ू फनेगी,
धर
ू से सफ की सेज सजेगी,
अन्द्त सभम फस धर
ू उड़ेगी,
जीिन की मह गनत न्द्मायी है,
अफ तो धर
ू भझ
ु े प्मायी है.
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तझ
ु से िश
ु हय इन्द्साूं का हदर,
तझ
ु से साये पूर यहे ख़खर,
तेये बफन सन
ू ी हय भहक्रफ़र,
तूने साया यूं ग जभामा,
तेया नयू हय तयफ़ छामा.
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भन ही सफ विग्मान मसखामे,
भन ही साये मन्द्त्र फनामे,
भन भें ही सफ भन्द्त्र सभामे,
भन भें ग्मान सभामा साया,
भन से जीिन धन्द्म हभाया.
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१६-अद्वै त
डय नहीूं भझ
ु को दनु नमा भें कुछ खोने मा रुसिाई का,
तुझको ऩाकय डय है तो फस िो है तेयी जुदाई का.
ददा , दख
ु ों भें तेयी चाहत, औय ज़रूयत कोई नहीूं,
तुझको ऩा र,ूंू मही दिा है, काभ न औय दिाई का.
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दीख यहा जो, हदखा यहा िो, दोनों हैं भौजूद सदा,
ऩर दो ऩर को दे ख यहा मह इन्द्साूं क्रपय भग़रूय है क्मों?
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इस जहाूं भें, जफ फत
ु ों के रयश्ते कच्चे फन गमे,
रयश्ता एक ऩक्का फनाने, हभ फ़रयश्ते फन गमे.
ज़भीूं ऩय दख
ु सहते-सहते, िाक़ भें मभर जामेंग,े
आसभाूं का भज़ा ऩाने, हभ फ़रयश्ते फन गमे.
भज़हफों का बत
ू दे खा, बत
ू से हभ डय गमे,
बत
ू से िद
ु को फचाने, हभ फ़रयश्ते फन गमे.
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१९-तेया जरिा
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२०-िक़्त की यफ़्ताय
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२१-जीिन धाया
सोचा शामद सक
ु ूंू मभरे जो ज़हन कये हदर ऩय क़ाफ,ू
इल्भ ददा को कभ न कय सका, उसे दस
ू या नाभ हदमा.
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२२-चाूंदनी
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२३-फ़ासरा
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२४-हदव्म ज्मोनत
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२५-ईश्वय प्रेभ
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२६-ईश्वय की क्रिऩा
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२७-आमभ-शक्ति
रोग हैं भझ
ु से िफ़ा अफ क्रकस मरमे?
जफ क्रक भैंने फात सफकी भान री.
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२८-ईश्वय को ऩाना
ईश्वय को ऩा सफ सख
ु ऩाते,
दख
ु के सामे ऩास न आते.
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२९-एक औय ज़ीयो
एक, शन्द्
ू म के बेद को ऩूंक्तडत, ग्मानी बी न सभझ ऩामे,
रेक्रकन इनसे कम्पप्मि
ू य अफ चभमकाय हदखरामेगा.
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३०-ईश्वय की भहानता
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३१-थोड़ा सभम
भर
ु ाक़ाते भख़्
ु तमसय को बी ग़नीभत जाननमे,
ख़्िाफ ही यह जामगा, इतना बी मभरना, एक हदन.
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३२-ख़िज़ाूं
िश
ु ी के गा रो तयाने, जफ तरक हैं सफ़य भें,
ऩहुूंच कय भूंत्जर ऩे उनकी, गूंज
ू ही यह जामेंगी.
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३३-कूंु डमरनी
यूं ज मभरेंग,े भझ
ु को डय था, ददा सा हदर भें होता था,
साये डय अफ दयू हुए, फस डय है तेयी जद
ु ाई का.
दआ
ु मही, जफ तक त्जूंदा हूूं, तफ तक तेया साथ यहे,
औय िुदा से क्मा भाूंगू भैं? ऩा मरमा याज़ िुदाई का.
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३४-िाक शक्तिमाूं
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३५-जीिन
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३६-ईश्वय की खोज
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३७-सफ़
ू ी की प्रेमभका
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३८-फूंद
ू औय सागय
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३९-बजन
दख
ु के एक गहये सागय भें सफ हैं डूफ यहे,
फीच बूंिय से अऩनी नैमा ऩाय रगाना है.
जीिन भें हभ सख
ु ऩामें, कुछ शात्न्द्त मभरे भन को,
कभा, ग्मान, बिी भें अऩना ध्मान रगाना है .
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४०-दे िी की आयती
तू दग
ु ाा, तू ऩास यहे तो दख
ु न ऩास आमे;
दे िी, दख
ु न ऩास आमे;
शत्रु दे खकय तुझको, दयू बाग जामे;
दे िी, दयू बाग जामे.
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