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ज़ीयो की ग़ज़रें
तभ
ु ने भझ
ु से प्माय फ़कमा है, मे फच्चों का खेर नहीां;-30
भझ
ु को, तेये ना होने से, फेचन
ै ी सी होती है,-26
माद तम्
ु हायी, आकय भेये भन भें हरचर कय जाती है,-29
हय भौसभ भें , हय भक़
ु ाभ ऩय, माद तुझे ही कयते हैं,-4
हो चक
ु े थे हादसे, मांू तो फहुत ददर भें भेये,-12
हौरे - हौरे, चऩ
ु के - चऩ
ु के, आमे वो भेये कभये भें,-13
ऊऩय
ग़ज़र-०१
०
ऊऩय
ग़ज़र-०२
०
ऊऩय
ग़ज़र-०३
०
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ग़ज़र-०४
हय भौसभ भें, हय भक़
ु ाभ ऩय, माद तझ
ु े ही कयते हैं,
दनु नमा वारे िुशी भनामें, हभ तो आहें बयते हैं.
धूऩ भें तऩते हैं गभी से, झुरस यही सायी कामा,
ददर के घावों ऩय मे ऩसीने, काभ नभक का कयते हैं.
०
ऊऩय
ग़ज़र-०५
०
ऊऩय
ग़ज़र-०६
०
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ग़ज़र-०७
०
ऊऩय
ग़ज़र-०८
०
ऊऩय
ग़ज़र-०९
०
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ग़ज़र-१०
०
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ग़ज़र-११
घय भें तम्
ु हाये हो अांगधमाया, हभको मह भांज़यू नहीां,
शभा तुम्हायी जरी यहे, हभ अऩनी शभा फुझाते हैं.
०
ऊऩय
ग़ज़र-१२
हो चक
ु े थे हादसे, मांू तो फहुत ददर भें भेय,े
उनके आने का भगय, यां ग औय था ददर भें भेय.े
०
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ग़ज़र-१३
हौरे - हौरे, चऩ
ु के - चऩ
ु के, आमे वो भेये कभये भें,
हां गाभा कय डारा, भेये ददर भें औय भेये कभये भें.
०
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ग़ज़र-१४
०
ऊऩय
ग़ज़र-१५
०
ऊऩय
ग़ज़र-१६
०
ऊऩय
ग़ज़र-१७
जो गज़
ु यती आांख के आगे, उसे सफ दे खते हैं,
गुज़यती जो ददर के अन्दय, उसे शामय दे खते हैं.
०
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ग़ज़र-१८
जो तम्
ु हाये ददर भें है, कय के वही ददखरामेंग,े
अऩने ददर की फात बी अफ साि ही फतरामेंग.े
०
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ग़ज़र-१९
०
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ग़ज़र-००
०
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ग़ज़र-२१
०
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ग़ज़र-२२
०
ऊऩय
ग़ज़र-२३
०
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ग़ज़र-२४
तभ
ु भेये ख़्वाफों की हो सन्
ु दय ऩयी,
दनु नमा चाहे सूखी ऩय तुभ तो हयी.
०
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ग़ज़र-२५
सन
ू े से आांगन भें अऩनी चैन की फांसी फजती है,
तोड़ के भेयी फांसी, कोई शहनाइमाां फजामे क्मों?
०
ऊऩय
ग़ज़र-२६
भझ
ु को, तेये ना होने से, फेचैनी सी होती है,
सी-सी कयती यात बी भेये साथ यात बय होती है.
योज़ सवेये सन
ु नी चाही, फगगमा भें आवाज़ तेयी,
तेयी नहीां, भगय कोमर की कूक कान भें होती है.
०
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ग़ज़र-२७
०
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ग़ज़र-२८
०
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ग़ज़र-२९
माद तम्
ु हायी, आकय भेये भन भें हरचर कय जाती है,
जैसे ऩानी भें दीऩक की ज्मोनत चभक कय रहयाती है .
०
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ग़ज़र-३०
तभ
ु ने भझ
ु से प्माय फ़कमा है, मे फच्चों का खेर नहीां;
औयों जैसा, ऐसा-वैसा, हभ दोनों का भेर नहीां.
०
ऊऩय