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ग़ज़रें

ज़ीयो की ग़ज़रें

वणणक्रभानुसाय ग़ज़र की ऩहरी राइन औय ग़ज़र नम्फय

अफ जहाां की कोई भहफ़िर, ददर को फहराती नहीां,-8

आ यहे दनु नमा भें जो, यां गी फहायों की तयह,-1

इस नगयी भें आकय हभ तो हां सना गाना बर


ू गए;-5

उनकी भहफ़िर की तयि जफ हभ चरे,-28

एक ददन हभ बी टी. वी. का स्टाय फन ददखरामेंग,े -3

कफ तरक काग़ज़ ऩरटते जाइमे,-19

कशभकश मे आांख की ददर से हभेशा ही यही,-20

कौन सी यात है जो तेये साथ गज़


ु ये गी,-21

चभन भें अफ पूर कभ क्मों हो यहे ?-2

छटा तेये कारे फारों की, फ़कसी घटा से कभ नहीां है,-9

जफ इम्म्तहान-ए-इश्क़ भें हभ िेर हो गमे,-15

जफ मभरी भेयी नज़य तेयी नज़य से,-16

म्जस तयप बी दे खखए, फस है ग़फ


ु ाय,-6

जो गुज़यती आांख के आगे, उसे सफ दे खते हैं,-17


जो तुम्हाये ददर भें है, कय के वही ददखरामेंग,े -18

तुभ भेये ख़्वाफों की हो सन्


ु दय ऩयी,-24

तभ
ु ने भझ
ु से प्माय फ़कमा है, मे फच्चों का खेर नहीां;-30

ददण ददर भें , आांख से आांसू बी हैं फहने रगे,-10

ददर भें होता ददण भगय, फ़पय बी हभ तो भस्


ु काते हैं,-11

न कभी थी कोई जहान भें , कभज़ोय भेया नसीफ था,-27

भझ
ु को, तेये ना होने से, फेचन
ै ी सी होती है,-26

भेया नसीफ है वीयाननमाां िज़ाओां भें,-23

भेयी वीयानी दनु नमा भें , फ़पय से फहाय आमे क्मों?-25

भैं कहीां िरयश्ता न फन जाऊां, भझ


ु े डय है फस इस फात का,-22

माद तम्
ु हायी, आकय भेये भन भें हरचर कय जाती है,-29

साज़ की आवाज भें एक ददण होता है फमाां,-7

हय भौसभ भें , हय भक़
ु ाभ ऩय, माद तुझे ही कयते हैं,-4

हुस्न वारे अगय नहीां होते,-14

हो चक
ु े थे हादसे, मांू तो फहुत ददर भें भेये,-12

हौरे - हौरे, चऩ
ु के - चऩ
ु के, आमे वो भेये कभये भें,-13

ऊऩय
ग़ज़र-०१

आ यहे दनु नमा भें जो, यां गी फहायों की तयह,


जा यहे हैं वो महाां से, फस शयायों की तयह.

शहय भें चायागयों की, कभी तो कोई नहीां,


फ़पय महाां यहते सबी क्मोंकय, बफभायों तयह?

चाहते आज़ाद कयना, औय रोगों को महाां,


म्ज़न्दगी उन की गुज़यती, गगयफ़्तायों की तयह.

चभन भें यहकय खिज़ाां की, फात क्मों वो कय यहे?


चादहमे उनको तो यहना नौफहायों की तयह.

म्जन्होंने चाहा जहाां भें, ज़ल्


ु भ को कुछ कभ कयें,
चर ददमे वो बी महाां से, गन
ु हगायों की तयह.


ऊऩय
ग़ज़र-०२

चभन भें अफ पूर कभ क्मों हो यहे?


फाग़फाां साये महाां क्मों सो यहे?

कैसे आमेगी फहाय-ए-गर


ु महाां?
िाय ही जफ सफ चभन भें फो यहे.

साये आरभ को सभझ रो एक चभन,


िासरे दनु नमा के अफ कभ हो यहे.

जर चुका फ़कतना चभन, अफ फस कयो,


आमशमाने वो फचा रो, जो यहे .

दे ख फफाणदी चभन की साभने,


फर
ु फर
ु ों के साथ हभ बी यो यहे.


ऊऩय
ग़ज़र-०३

इक ददन हभ बी टी. वी. का स्टाय फन ददखरामेंग,े


नाचने गाने की अऩनी वीडडमो फनवामेंग.े

अफ तो कम्प्मूटय से मभरते सफ सवारों के जवाफ,


जामें क्मों हभ स्कूर को, तारीभ घय ऩय ऩामेंग.े

गचदिमाां मरखने की आदत, अफ िताभ सी हो गई,


गय मभरी पुयसत तो फातें िोन ऩय फतरामेंग.े

फैंक भें हभ क्मों कयें, एक कैमशमय का इन्तज़ाय,


जफ भशीने-कैश से ऩैस,े मूां ही मभर जामेंग.े

नाभाफय की अफ हभें कोई ज़रूयत ही नहीां,


अफ तो ऩैग़ाभ-ए-भोहब्फत, िैक्स से मबजवामेंग.े


ऊऩय
ग़ज़र-०४

हय भौसभ भें, हय भक़
ु ाभ ऩय, माद तझ
ु े ही कयते हैं,
दनु नमा वारे िुशी भनामें, हभ तो आहें बयते हैं.

फसांत आई, फहाय राई, पूर खखरे हैं फगगमा भें,


अऩने अयभाां तो जैसे ऩतझड़ भें ऩत्ते गगयते हैं.

धूऩ भें तऩते हैं गभी से, झुरस यही सायी कामा,
ददर के घावों ऩय मे ऩसीने, काभ नभक का कयते हैं.

वषाण का भौसभ फीता है, छत से ऩानी फन्द हुआ,


रेफ़कन अऩनी आांख के आांस,ू अफ बी फहते यहते हैं.

सदी आई, मसकुड़ यहे सफ, आग से रेते हैं गभी,


ददर भें हभाये आग रगी है, फ़पय बी ठण्डे यहते हैं.


ऊऩय
ग़ज़र-०५

इस नगयी भें आकय हभ तो हां सना गाना बर


ू गए;
भहफ़िर जाना बूर गए हभ, जशन भनाना बूर गए.

चायों ओय अांधेया छामा, ऊऩय फादर नघय आमे,


तयस यहे हैं सफ ऩयवाने, शभा जराना बूर गए.

फीभायी की हारत रेफ़कन, गभी फढ़ती ही जाती,


घावों ऩय िुद नभक रग यहा, दवा रगाना बूर गए.

तीन तयि सागय की रहयें, फ़पय बी घय है फे ऩानी,


फैठ फ़कनाये िाक़ छानते, चभन उगाना बर
ू गए.

खेर-कूद औय नाच-गान से, िुयसत ऩाई है हभने,


ददण की फातें माद यहीां फस, औय िसाना बर
ू गए.


ऊऩय
ग़ज़र-०६

म्जस तयप बी दे खखए, फस है ग़फ


ु ाय,
सायी फस्ती ऩय महाां छामा ग़फ
ु ाय.

इससे फचकय जामेगा कोई कहाां?


सफकी हस्ती भें बया है जफ ग़फ
ु ाय.

आसभाां ऩय जो मसताये चभकते,


वो बी तो एक योशनी का है ग़फ
ु ाय.

म्ज़न्दगी की इब्तदा कोई बी हो,


म्ज़न्दगी की इन्तहा तो है ग़फ
ु ाय.

भौत का उसको कोई बी डय नहीां,


म्जसको प्माया हो गमा है मे ग़फ
ु ाय.


ऊऩय
ग़ज़र-०७

साज़ की आवाज भें एक ददण होता है फमाां,


भौत भें बी म्ज़न्दगी का याज होता है ननहाां.

चभकते हैं जो मसताये अांधेये भें यात बय,


ददन के नीरे आसभाां भें कहाां है उनका भकाां?

हभ फ़कमा कयते हैं उनसे फात जो फेकाय की,


उसका यां गी ख़्वाफ भें अन्जाभ होता है अमाां.

जफाां ने जो कहा उसको तो सभझते हो भगय,


ददर के अन्दय जो छुऩा है, वो फमाां होता कहाां?

हभने म्जसको ऩा मरमा था, खो ददमा, क्मों ग़भ कयें ?


मे तभाशा फेसफफ, ददन-यात होता है महाां.


ऊऩय
ग़ज़र-०८

अफ जहाां की कोई भहफ़िर, ददर को फहराती नहीां,


ददण को कुछ कभ कये जो, वो दवा आती नहीां.

खखर यहे हैं पूर, रेफ़कन, यां ग पीके रग यहे,


अफ गुरों की प्मायी िुशफ,ू चभन भहकाती नहीां.

कोई जाकय उनसे कह दे , ित्भ हो मे इम्म्तहाां,


औय सहने को ज़िाएां, सांग की छाती नहीां.

अांधेये से हभें अफ तो, हो गमा गहया रगाव,


क्मा कयें , जफ ददमे भें हो तेर ऩय फाती नहीां.

म्ज़न्दगी, फेकाय की फातों का है एक मसरमसरा,


क्मों न हों ग़भगीन, जफ मह फात ही बाती नहीां.


ऊऩय
ग़ज़र-०९

छटा तेये कारे फारों की, फ़कसी घटा से कभ नहीां है,


हां सी तेये होठों की, एक बफजरी की चभक से कभ नहीां है.

यहे कहीां बी त,ू रेफ़कन भझ


ु को अहसास सदा इसका,
तेये ददर भें भुझको है जो प्माय, फ़कसी से कभ नहीां है.

चाहे ऩास न आ तू फ़पय बी सूयत तेयी दे खेंग,े


फसी तेयी तस्वीय जो भेये ददर भें है, वो कभ नहीां है.

घय भें चाहे नहीां फुरा, ऩय अऩने ददर भें यहने दे,


तेया ददर बी भेयी िानतय, शीश भहर से कभ नहीां है.

भेयी हारत दे ख, सबी कह यहे तुझे फेयहभ, भगय,


मसतभ बी सहकय, भझ
ु को तझ
ु से, प्माय है ज़्मादा, कभ नहीां है.


ऊऩय
ग़ज़र-१०

ददण ददर भें, आांख से आांसू बी हैं फहने रगे,


चांद ददन के इश्क़ भें, हभ कमा नहीां सहने रगे?

बरे थे रोगों के ऩहरे, प्माय से मभरते थे सफ,


इश्क़ होते ही, ज़भाने के मसतभ ढहने रगे.

दे खकय हारत हभायी, रोग रेते चुटफ़कमाां,


भजन,ूां दीवाना, न जाने औय क्मा कहने रगे.

जफ हुआ अहसास, रुसवाई मभरेगी इश्क़ भें,


भांह
ु छुऩाकय, अकेरै कभये भें हभ यहने रगे.

अफ कबी आमें न पन्दे भें फ़कसी के इश्क़ के,


सफ़ू िमाने हार भें, हभ इसमरमे यहने रगे.


ऊऩय
ग़ज़र-११

ददर भें होता ददण भगय, फ़पय बी हभ तो भस्


ु काते हैं,
जो बी हो ऩसन्द तुभको, फस वो ही तो ददखराते हैं.

घय भें तम्
ु हाये हो अांगधमाया, हभको मह भांज़यू नहीां,
शभा तुम्हायी जरी यहे, हभ अऩनी शभा फुझाते हैं.

जो तुभको आसान नहीां है, आना मभरने को हभसे,


तो फ़पय हभ ही दय ऩै तुम्हाये, अऩना घय फनवाते हैं.

तुभ ही जानो क्मा होगा अन्जाभ, भौहब्फत कयने का,


बफछे तम्
ु हायी याहों भें तो, इतने साये काांटे हैं.

फ़कसने दे खा है भस्ती मा प्माय का आरभ तुभ जैसा,


औय रोग तो िमु शमों का झट
ू ा ही स्वाांग यचाते हैं.


ऊऩय
ग़ज़र-१२

हो चक
ु े थे हादसे, मांू तो फहुत ददर भें भेय,े
उनके आने का भगय, यां ग औय था ददर भें भेय.े

ज़हन का ऩहया था, दयवाज़े बी साये फन्द थे,


फ़पय न जाने कैसे दाखिर हो गमे ददर भें भेय.े

यहे थोड़ी दे य, ऩय मादें फहुत सी दे गमे,


भीठा - भीठा ददण औय हल्की चुबन ददर भें भेय.े

भेयी वहशत का तो अन्दाज़ा रगे इस फात से,


वो नहीां हैं, भगय भैं सभझ,ांू वो हैं ददर भें भेय.े

अफ तो वो यहते नहीां, फ़पय बी न जाने कहाां से,


टोक दे ते है, कोई आता है जफ ददर भें भेय.े


ऊऩय
ग़ज़र-१३

हौरे - हौरे, चऩ
ु के - चऩ
ु के, आमे वो भेये कभये भें,
हां गाभा कय डारा, भेये ददर भें औय भेये कभये भें.

फहुत फाय था उन्हें फर


ु ामा, ऩय न कबी भेये घय आमे,
मक़ीां नहीां होता था जफ वो आ ही गमे भेये कभये भें.

भामूसी छाई होती थी, यहता था सुनसान अांधेया,


उनके आते ही, जगभग उम्जमारा है भेये कभये भें.

अऩने तन भन तो उन ऩय, ऩहरे ही भैंने वाय ददमे थे,


वाय ददमा उन ऩय अफ भैंन,े जो बी था भेये कभये भें.

चरे गमे, ऩय भस्त कय गमे, वो भेये कभये भें आकय,


उनसे मभरकय रगता है, वो यहते हैं भेये कभये भें.


ऊऩय
ग़ज़र-१४

हुस्न वारे अगय नहीां होते,


ज़ख़्भी ददर औय म्जगय नहीां होते.

यास्ते भें ही शाभ हो जाती,


आऩ गय हभसिय नहीां होते.

कौन ख़्वाफों की फात दोहयाता,


ख़्वाफ यां गीां अगय नहीां होते.

जल्वा-ए-हुस्न से झुरस जाते,


ज़ल्
ु ि के सामे गय नहीां होते.

ः्आर-ए-ददर कैसे हभ सुना ऩाते,


हभज़फाां माां अगय नहीां होते.


ऊऩय
ग़ज़र-१५

जफ इम्म्तहान-ए-इश्क़ भें हभ िेर हो गमे,


दनु नमा के कायोफाय सफ, फेभेर हो गए.

भहफ़िर भें आ गमा भेया ददर, फर


ु ामे फग़ैय,
छोटी िता थी, उम्र बय की जेर हो गए.

उनकी कड़ी सज़ाओां का, एक िामदा हुआ,


दनु नमा के साये ज़ल्
ु भ, हभें खेर हो गए.

मरऩटे यहे, उस शोख के तन से, भेये िमार,


फगगमा भें खड़ा तना, उसकी फेर हो गए.

उल्ित की याह भें तो खाईं, हभने ठोकयें .


ऩत्थय ददरों से, हय क़दभ ऩय, भेर हो गए.


ऊऩय
ग़ज़र-१६

जफ मभरी भेयी नज़य तेयी नज़य से,


िौि भुझको रगा औयों की नज़य से.

माद आता है तेया गज़


ु या ज़भाना,
दे खना वो शभण से नीची नज़य से.

रगे है डय भुझे तुझको दे खने से,


हो न जामे कुछ कहीां भेयी नज़य से.

सैय गुरशन की कयो, ऩय माद यखना,


वहाां फचते यहना भौसभ की नज़य से.

खूफसूयत रगोगे तुभ औय ज़्मादा,


दे ख रो गय आईना, भेयी नज़य से.


ऊऩय
ग़ज़र-१७

जो गज़
ु यती आांख के आगे, उसे सफ दे खते हैं,
गुज़यती जो ददर के अन्दय, उसे शामय दे खते हैं.

हभैं रगता है फ़क उनका हुस्न कुछ ढरने रगा है,


आइने भें अफ वो अऩने को, फहुत कभ दे खते हैं.

रूऩ की अांगड़ाइमाां, जैसे नदी भें फाढ़ आना,


हो यहे भजफूय सादहर, िुद को बीगा दे खते हैं.

चभन भें तो पूर साये दीखते हैं िूफसूयत,


हो भगय म्जस पूर ऩय बौंया, उसे हभ दे खते हैं.

जफ कहा भैंने फ़क अच्छा, यात भें दे खेंगे तुभको,


वो मे फोरे, यात भें तो मसिण उल्रू दे खते हैं.


ऊऩय
ग़ज़र-१८

जो तम्
ु हाये ददर भें है, कय के वही ददखरामेंग,े
अऩने ददर की फात बी अफ साि ही फतरामेंग.े

कयते यहते हैं इयादे, कय नहीां ऩामे हैं कुछ,


वक़्त अफ है आ गमा, कुछ कय के बी ददखरामेंग.े

भाना घामर फ़कमे हैं, तुभने फहुत से ददर महाां,


सफसे ज़्मादा ददण म्जसभें, अऩना ददर ददखरामेंग.े

कयते यहना तुभ ज़िामें, ताल्रुक़ म्जससे यहे,


गय फहाना चादहए, कयके िता ददखरामेंग,े

अफ तो जीने की तभन्ना, आऩ के ही वास्ते,


जो ना हो जीना गवाया, भय के हभ ददखरामेंग.े


ऊऩय
ग़ज़र-१९

कफ तरक काग़ज़ ऩरटते जाइमे,


िाइरों भें ददर कहाां से राइमे?

इश्क़ के दफ़्तय भें आकय दे खखमे,


हुस्न की िाइर भें सफ कुछ ऩाइमे.

फैठना ही ऩड़े गय कुछ दे य तक,


ग़ैय को भत ऩास भें बफठराइमे.

जो ददखाना है, फहुत भश्ग़र


ू हो,
िाइरों को साथ भें रे आइमे.

नभण बफस्तय कय यहा है इन्तज़ाय,


सख़्त कुसी छोड़, घय आ जाइमे.


ऊऩय
ग़ज़र-००

कश्भकश मे आांख की ददर से हभेशा ही यही,


आग जफ ददर भें रगी तफ आांख से नददमा फही.

ददर ने सोचा एक ऩय ही, कये अऩने को फ़िदा,


आांख की आज़ाद फ़ितयत, कई ऩय भयती यही.

आांख भेयी सो गई जफ, कय के उनका इन्तज़ाय,


धड़कनों के साथ, ददर की चाह तफ फढ़ती यही.

इश्क़ की फाज़ी भें हाया, ददर हभाया चुऩ यहा,


आांख रेफ़कन चऩ
ु न फैठी, ज़ोय से रड़ती यही.

ददण सहकय, ददर ने चाहा, ग़भ बुराना चादहमे,


आांख भेयी, ऩय न बर
ू ी, यो के ग़भ कयती यही.


ऊऩय
ग़ज़र-२१

कौन सी यात है जो तेये साथ गज़


ु ये गी,
इसी िमार भें मे सायी यात गुज़ये गी.

जराता है, तेये कूचे भें फ़कसी का आना,


भयें ग,े जफ यक़ीफ की फायात गुज़ये गी.

इश्क़ की प्मास, अश्क़ ऩीने से नहीां फुझती,


फुझग
े ी, जफ गरे से तेयी साांस गुज़ये गी.

फहुत सजदे फ़कमे हभने, दआु में बी की हैं,


तेयी चाहत, भगय अफ जाां के साथ गज़ु ये गी.

गगरा क्मा कीम्जमे, चुऩ यहके, फेविाई का,


अफ तो भहफ़िर भें, ग़ज़र फनके, फात गज़
ु ये गी.


ऊऩय
ग़ज़र-२२

भैं कहीां िरयश्ता न फन जाऊां, भझ


ु े डय है फस इस फात का,
फ़पय ज़भीन ऩय न उतय ऩाऊां, मह िौि है ददन-यात का.

भेया हाथ कोई थाभ रे, तो क़दभ चरें एक याह ऩय,


इस ददर को बी तो सुकांू मभरे, न हो िून भेये जज़्फात का.

जो फुरा यही भुझे दयू से, वो ऩयी तो रगती अजीफ है,


भेयी उस हसीना का होगा क्मा, म्जसे इन्तज़ाय फयात का.

जो न इस जहान भें ऩा सका, उसे ऩाऊांगा कहीां औय क्मा?


मे िमार है उस ज़हन का, म्जसे मक़ीां सि
ू ी की फात का.

भुझे यहने दो अबी इस जगह, कुछ वक़्त औय गुज़ाय र,ूां


जो न मभर सकेगी फदहश्त भें, भझ
ु े शौक़ है उस यात का.


ऊऩय
ग़ज़र-२३

भेया नसीफ है वीयाननमाां िज़ाओां भें,


भुझे तो मभर यहीां नाकामभमाां विाओां भें.

जो तड़ऩते थे भौहब्फत भें कबी भेये मरए,


चैन मभरता है उन्हें, ज़ल्
ु भ औय ज़िाओां भें .

ददण बी हद को ऩाय कय चुका भेये ददर का,


नहीां इराज अफ इस का कोई दवाओां भें.

कर जो राती थीां भेये कांू चे भें उनकी िुशफ,ू


आज फस िाक ही उड़ती है उन हवाओां भें.

यह गमा ख़्वाफ ही फनकय, चभन फहायों का,


अफ तो टूटा हुआ एक आमशमाां खिज़ाओां भें.


ऊऩय
ग़ज़र-२४

तभ
ु भेये ख़्वाफों की हो सन्
ु दय ऩयी,
दनु नमा चाहे सूखी ऩय तुभ तो हयी.

खोटे ननकरे सफ जहान-ए-इश्क़ भें,


फस तुम्हीां हो एक जो बफरकुर खयी.

ऐसी भस्ती है तुम्हायी आांख भें,


हो नशीरे प्माय की प्मारी बयी.

भनचरों ऩय भयते है अक़्सय हसीां,


तभ
ु हो रेफ़कन एक सि
ू ी ऩय भयी.

प्माय ऐसा उसे ही होता नसीफ,


म्जसने हभ जैसी इफादत हो कयी.


ऊऩय
ग़ज़र-२५

भेयी वीयानी दनु नमा भें, फ़पय से फहाय आमे क्मों?


एक चरती-फ़पयती गाड़ी भें, योड़ा कोई अटकामे क्मों?

सन
ू े से आांगन भें अऩनी चैन की फांसी फजती है,
तोड़ के भेयी फांसी, कोई शहनाइमाां फजामे क्मों?

उम्जमाया रगता है, जैसे आग का हो एक अांगाया,


अांगधमाये भें भेये घय भें, कोई ददमा जरामे क्मों?

प्माय की फातें बूर चुके हैं, फैठे हैं आयाभ से हभ,


प्माय बयी नतयछी नज़यों के, हभ ऩय तीय चरामे क्मों?

घनी ननयाशाओां से भेया, ददर है जफ आफाद हुआ,


दे कय भझ
ु को आशा, भेये ददर को कोई जरामे क्मों?


ऊऩय
ग़ज़र-२६

भझ
ु को, तेये ना होने से, फेचैनी सी होती है,
सी-सी कयती यात बी भेये साथ यात बय होती है.

योज़ सवेये सन
ु नी चाही, फगगमा भें आवाज़ तेयी,
तेयी नहीां, भगय कोमर की कूक कान भें होती है.

नदी फ़कनाये सोच यहा, तू फैठ नाव ऩय आ जाए,


इसी मरए रहयों ऩय भेयी आांख गड़ी ही होती है.

आमेंगे ददन फ़पय फहाय के, फ़पय से हरयमारी होगी,


सोच मही, धयती बी पटकय, ददन गभी के सहती है.

एक ददन भेर हभाया होगा, फ़पय ऩूये होंगे सऩने,


इस आशा से, भेये भन को, थोड़ी तसल्री होती है.


ऊऩय
ग़ज़र-२७

न कभी थी कोई जहान भें, कभज़ोय भेया नसीफ था,


सफ दौरतें थीां साभने, ऩय भैं तो एक ग़यीफ था.

जो मभरा, उसी से ग़भ मभरा, कोई ग़भगस


ु ाय मभरा नहीां,
भेये ददण को न सभझ सका, भेया दोस्त गयचे तफीफ था.

भैं खुरा फ़कसी से जफ कबी, भेया ज़हन बी तफ खुर गमा,


यहे ददर के अयभाां फन्द ही, भेया ज़हन ददर का यक़ीफ था.

भुझे अऩने ऩास फुरा के फ़पय, कुछ िासरे बी फढ़ा ददमे,


यही दयू भांम्ज़र उफ़्क़ सी, मह मसरमसरा ही अजीफ था.

शफ-ए-वस्र फेचैनी यही, फ़कमा क़ैद ज़ब्त औय शभण ने,


भेयी यात कारी यह गई, जफ चाांद भेये क़यीफ था.


ऊऩय
ग़ज़र-२८

उनकी भहफ़िर की तयि जफ हभ चरे,


अऩने फ़क़स्से, हभ से बी ऩहरे चरे.

हो गमे हभ बी फ़िदा, उस शोि ऩय,


म्जससे हाये , जाने फ़कतने भनचरे.

हभ तो भयते, जफ वो आते साभने,


तीय फ़पय नज़यों से उनकी क्मों चरे?

हुस्न के दरयमा भें उतयो सांबर कय,


बांवय से कुछ दयू ही कश्ती चरे.

म्ज़न्दगी भें इश्क़ एक तूिान है,


इस से फचते यदहमे, जफ तक फस चरे.


ऊऩय
ग़ज़र-२९

माद तम्
ु हायी, आकय भेये भन भें हरचर कय जाती है,
जैसे ऩानी भें दीऩक की ज्मोनत चभक कय रहयाती है .

फगगमा भें सफ पूर खखर यहे, कमरमाां बी तो ननकर यही हैं,


बफना तुम्हाये , भेये ददर की फगगमा उजड़ी यह जाती है.

कोमर वन भें कूक-कूक कय, माद फ़कसी की ददरा यही है,


तुभ बफन, एक हूक सी फनकय, साांस गरे भें यह जाती है.

जी कयता है तुम्हें बुराने, ददर से तुभको ननकार डार,ूां


ददर भें जफ तक तभ
ु हो, ददर की फेचैनी फढ़ती जाती है.

एक फाय फस आकय, अऩने हाथों से थाभो इस ददर को,


फ़पय दे खो, इस भद
ु ाण ददर भें, कैसे जाां वाऩस आती है.


ऊऩय
ग़ज़र-३०

तभ
ु ने भझ
ु से प्माय फ़कमा है, मे फच्चों का खेर नहीां;
औयों जैसा, ऐसा-वैसा, हभ दोनों का भेर नहीां.

ददर के अन्दय क़ैद फ़कमा, फ़पय फाांहों भें है जकड़ मरमा;


जैसी भुझको जेर मभरी है, वैसी कोई जेर नहीां.

धूऩ-ताऩ से भुझे फचाने, दी है तुभने छाांव घनी;


प्माय तुम्हाया ऩेड़ फड़ा है, मे छोटी सी फेर नहीां.

अांगधमाये भें आकय तुभने, दीऩ जरामे हैं जगभग;


इन दीऩों भें तेर प्माय का, मे भाभर
ू ी तेर नहीां.

दनु नमा वारे दे ख यहे हैं, इम्तहान हभ दोनों का;


भझ
ु े मक़ीां है, इम्तहान भें, हभ हो सकते िेर नहीां.


ऊऩय

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