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नमाज़-

नमाज़-ए-तरावीह 8 रकअत सुनत


नत है या 20 रकअत
एक तहकक

नमाज़े तरावीह क रकअते िकतनी है ? इस िसलिसले मे मौजूद इतेलाफ तो आपके सामने है


िक कोई 8 रकअत तरावीह और 3 िव! कु ल 11 रकअते पढ़ता है, कोई 10 तरावीह और 3 िव! कु ल
13 रकअते पढ़ते है, और कोई 20 रकअते तरावीह और 3 िव! कु ल 23 रकअते पढ़ता है ।

जबिक हािफज़ इ*ने हजर अ+कलानी ने फतह,लबारी मे, अ-लामा एैनी हनफ ने उमदतुल कारी
मे, इमाम शौकानी ने नैलल
ु वतार मे और अ-लामा मुबारकपुरी ने तहफतुल हौजी मे और दीगर अ2यमा
व फक ह और अहले इ-म ने अपनी अपनी िकताबो मे अहदे िखलाफते रािशदा के बाद वाले मुतिलफ
लोगो से रकअते तरावीह क मुतिलफ तदाद नकल क है, उनमे बगैर िव! के और िव! समेत 11
और 13 रकअते भी मनकू ल है और नमाजे तरावीह ही क 16, 20, 24, 28, 34, 36, 38, 39,
40, 41, 46, 47, 49, रकअते भी मनकू ल है (देिखये फतुह,ल बारी 4-253, उमदतुल कारी
178, 204-205, नैनुलवतार 2,3,53, तहफतुल हौजी 3,522, 532)

एक आम आदमी रकअते तरावीह मे इतेलाफ क ये भरमार देखकर हैरान रह जाता है िक


आिखर सही बात >या है ? और इस इतेलाफ का हल >या है ?

इन अरब मुमािलक और िखलजी ?रयासतो मे तो िव!ो समेत तेरह रकअतो का भी ?रवाज है,
िजसमे दरअसल नमाज़े ईशा क आखरी दो सु@नते या फजर क दो सु@नते या महज दो इफतेताही
रकअते शािमल होती है जैसा क उमदतुलकारी, तहफतुलहौजी, शरह नौवी मुि+लम, सलातुल
तरावीह, और फतुह,ल मलहम मौलाना A*बीर अहमद उ+मानी मे तफसील मजकू रा है ।
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हमारे बरB सगीर क मुमािलक पाक व िह@द वगैरह मे िसफC दो ही अदद है, एक िव!ो समेत 11
रकअत यािन 8 रकअत तरावीह और 3 रकअत िव! और दूसरा िव!ो समेत 23 रकअत यािन 20
रकअत तरावीह और 3 िव! और इन हर दो नज़?रये के कायलीन उलेमा ने अपना अपना मौकू फ
सािबत करने के िलये आज तक बेशुमार िकताबे ?रसाले और मजािमन िलखे है और फरीके न ने ही
अपनी अपनी बात मनवाने के िलये एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया है, लेिकन अवामु@नास (आम लोग) के
नज़दीक आज भी ये सवाल बाक है िक आिखर सहीह बात और अददे मसनून >या है ? और फुकहा
के बीच पाये जाने वाले इतेलाफ का हल >या है ?

20 रकअत तरावीह और 8 रकअत क दलीले


दलीले और तहक क

पहली हदीस 20 रकअत क

‘’इ*ने अबी शैबा कहते है िक हदीस बयान क हम को यज़ीद हाIन ने वो कहते है हम को


खबर दी इJािहम िबन उ+मान ने वो हकम से ?रवायत करते है वो वो मकिसम से ?रवायत करते है वो
इ*ने अ*बास रिज0 से िक रसुलु-लाह स-ला-लाह, अलैिह वस-लम रमज़ान मे 20 रकअते और िव!
पढ़ते थे ।‘’
(मुसिLफ इ*ने अबी शैबा िज-द 2 394, सुनन कबीर बैहक िज-द 2 496, मु@तखब मुसनद अ*द
िबन ह,मैद िज-द 1 73, तबरानी कबीर िज-द 3 148, अलकमल इ*ने अदी 2/1, खतीब बगदादी
िज-द 1 209, मु@तखब मन फवाईद िज-द 2 268)

पहली हदीस 8 रकअत क

‘’अबू सलमा िबन अ*दुरCहमान रहमतु-लाह अलैह कहते है िक उ@होने हजरत आईशा
रिजअ-लाह अ@हा से पूछा क रसुलु-लाह स-ला-लाह, अलैिह वस-लम क नमाज़ रमज़ान शरीफ मे
कै से थी, तो उ@होने कहा िक रसुलु-लाह स-ला-लाह, अलैिह वस-लम रमज़ान मे और गैर रमज़ान मे
11 रकअत से Oयादा नहP पढ़ते थे । चार रकअते आप पढ़ते उन क खूबी और लंबाई का कु छ न पूछो
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िफर चार रकअते पढ़ते उन क खूबी और लंबाई का कु छ मत पूछो िफर तीन रकअत (िव!) पढ़ते
हज़रत आयशा रिज0 ने कहा या रसुलल
ु लाह
् स-ला-लाह, अलैिह वस-लम >या आप िव! पढ़ने से
पहले सो जाते है, तो आप स-ला-लाह, अलैिह वस-लम ने फरमाया ऐ आयशा मेरी आंखे सो जाती है
और मेरा िदल नहP सोता ।’’

(सहीह बुखारी िकताबु+सलात तरावीह हदीस नं0 2013, सहीह मुि+लम िज-द 1 254, अबूदाऊद
िज-द 1 196, ितिमCजी िज-द 1 58, नसई िज-द 3 234, सहीह इ*ने खुजैमा िज-द 2 192,
मुसनद अहमद िज-द 6 36, मुसनद अबू अवाना िज-द 2 334, मुवUता इमाम मुहVमद 141, बैहक
िज-द दो 495, मुवUता इमाम मिलक 81, दारमी िज-द 1 344,)

तहक क :-
ये इ*ने अबी शैबा वाली हदीस सब ने िसफC एक ही सनद से एक दूसरे से नकल क है, इसके
बरअ>स हजरत अबू सलमा रह0 वाली हदीस अलग अलग सनदो से ?रवायत क गई है हज़रत
आयशा रिज0 वाली इस हदीस को अहले हदीस हज़रात 11 रकअत मय िव! तरावीह के अXवलीन
दलील मानते है लेिकन एतराज करने वाले ह>कानी साहब ने िलखा है- ये बात तहOजुद क हो रही है
तरावीह का इस हदीस मे कोई िजY नहP । हनफ मोअत?रज (एतराज़ करने वाले) ने सहीह बुखारी
क हदीस पर राय दे दी क ये तहOजुद के बारे मे है और इ*ने अ*बास रिज0 वाली हदीस 20 तरावीह
के सबुत मे पेश कर दी । इस तरह एतराज़ी राय 20 रकअत करने का दरवाजा हमारे िलये भी खोल
िदया । बड़े अदब से अजC है िक अहले हदीस उलेमा अXवल से आिखर तक 8 रकअत क दलील इसी
बुखारी क हज़रत आयशा रिज0 वाली हदीस को मानते है और उन अहले हदीस उलेमा क राय या
मज़कू रा हदीस का मायना व मतलब पेश करने से कोई फायदा नहP >योिक मुखालेिफन का िदल अहले
हदीस क तरफ से मैला है साफ नहP है इस िलये हम इंशाअ-लाह बड़े बड़े हनफ मुहिZस, हनफ
फकही, और शरहीन हदीस क राय इन दोनो हदीसो क मुUतािलक पेश करेगे तािक दूध का दूध और
पानी का पानी अलग हो जाये और पता चल जाये िक हक कत >या है ।
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हनफ उलेमाओ के कौल इन दोनो हदीसो के मुUतािलक


तािलक

शरह बुखारी अ-लामा अहमद िबन मुहVमद खतीब कसतलानी रहमतु-लाह

‘’ये 11 रकअते फजर क दो रकअते छोड़ कर (>योिक एक ?रवायत 13 क भी है इसमे


फजर क दो सु@नतो को शािमल िकया है) और दो इ*न अबी शैबा ने इ*ने अ*बास रिज0 से ?रवायत
िकया है िक रसु-लाह स-ला-लाह, अलैिह वस-लम रमज़ान मे 20 रकअते पढ़ते थे तो इस क सनद
जईफ है आरै िफर हज़रत आयशा रिज0 क सहीहीन वाली हदीस भी इस के िखलाफ है इस के साथ
ये बात भी िक रसुलु-लाह स-ला-लाह, अलैिह वस-लम क रात क नमाज़ का हाल वो दूसरो से Oयादा
जानती थी ।‘’ (इरशाद शरह बुखारी िज-द दो 267)

सहीह बुखारी व मुि+लम क हज़रत आयशा रिज0 वाली हदीस अगर तरावीह के बारे मे नहP है
तो अ-लामा कसतलानी ने 20 रकअत तरावीह क मुकाबले मे >यो बयान िकया और >यो उस से 11
रकअते सहीह सािबत कर के 20 रकअत को रद कर िदया । आिखर वो भी तो मु>किलद थे ।

शरह बुखारी अ-लामा हािफज अहमद अली हनफ सहारनपुरी रहमतु-लाह अलैह

‘’आप रमज़ान और गैर रमज़ान मे 11 रकअत से Oयादा नहP पढ़ते थे और जो इ*ने अबी शेबा
ने और तबरानी और बैहक ने ?रवायत िकया है िक आप रमज़ान शरीफ मे िव! के अलावा बीस
रकअत पढ़ते थे वो जईफ है और सहीह हदीस के िखलाफ भी है ।‘’ (बुखारी शरीफ िज-द अXवल
154 का हािशया)

इमाम कसतलानी के साथ साथ शरह बुखारी मौलाना अहमद अली हंफ सहारनपुरी रह0 ने
बीस रकअत तरावीह के मुकाबले मे हदीसे आयशा रिज0 को >यो बयान िकया मालूम ह,आ िक बुखारी
शरीफ क ?रवायत तरावीह के बारे मे है ।
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शरह बुखारी अ-लामा हािफज इ*ने हजर रह0 िलखते है

‘’और जो इ*ने अ*बास रिज0 क हदीस से इ*ने अबी शैबा ने ?रवायत िकया है िक रसुलु-लाह
स-ला-लाह, अलैिह वस-लम रमज़ान मे 20 रकअत और िव! पढ़ते थे, इसक सनद जईफ है और ये
सहीहीन क आयशा रिज0 क हदीस भी इस के िखलाफ है बावजूद इसके हज़रत आयशा रिज0 नबी
करीम स-ला-लाह, अलैिह वस-लम के रात के अमल को दूसरो से Oयादा जानती थी । और अ-लाह
सब से Oयादा जानने वाला है ।‘’

अगर ये बुखारी शरीफ क हदीस तरावीह के बारे मे नही है तो अ-लामा हािफज इ*ने हजर
अ-लामा अहमद अली सहारनपुरी और इमाम कसतलानी को >या हो गया था िक उ@होने 20 के
मुकाबले मे 11 रकअत तरावीह मय िव! सािबत क और 20 को मदूCद ठहराया ।

सबके कौल अगर जमा कर िदये जाये तो ये छोटा सा ?रसाला एक मोटी सी िकताब क श>ल ले
लेगी लेहाजा हम यहां उन उलेमाओ के नाम िलख देते है िज@होने इ*ने अबी शैबा क ?रवायत को
जईफ करार िदया है । ये हनिफया के घर क शहादत होगी, िदगर अहले इ-म के कौल के कहने ही
>या ।

इस हदीस को जईफ कहने वाले :-

अ-लामा अनवर शाह कAमीरी रह0 (देवबंद) (बुखारी िज-द 2 सफा 420),

अ-लामा इ*ने नजीम रह0 (बहI रायेक िज-द 2 सफा 72),

इमाम जैली हनफ रह0 (नसबुल राय िज-द 1 सफा 293),

इमाम इ*ने तैिमया हंबली रह0

अ-लामा अबू त2यब मुहVमद िबन अ*दुल कािदर िसंधी मदनी हंफ न>शबंदी रह0 (शरह ितिमCजी
िज-द 1 सफा 423)

मौलाना वसीअ अहमद हंफ (तालीके मआनी अल आसार िलत तहावी सफा 350)
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मौलाना ज़क?रया साहब हंफ कांधलवी रह0


रह0 (अवOजुल मसािलक,
मसािलक, शरह मुवUता इमाम
मािलक िज-द 1 सफा 39)
39)
शेख अ*दुल हक हंफ मुहZीस देहलवी रह0 (मसबता िब+सु@नह सफा 217)

बानी दाIल उलूम देवबंद मौलाना रशीद अहमद गंगोही का बयान


‘’_
‘’_यारह
यारह रकअत तरावीह सरवरे आलम स-ला-
ला-लाह,
लाह, अलैिह वस-लम
लम से सािबत व
मुव>क
कदद है’’’’
(?रसाला अल ह>कु स सरीह)
सरीह)
रईसुल फुकहा अबूल हसन शरन बलाली रह0

मु-ला अली कारी हनफ रह0 (िमरकात दर हािशया िमAकात िज-द 1 सफा 115)

मौलवी महमूदलु हसन ननौतवी हंफ रह0


रह0 (हािशया रकाया सफा 36)
36)
ये कु छ मशह`र उलेमाए हंफ के नाम है िज@होने इ*ने अबी शैबा वाली ?रवायत को जईफ करार
िदया है ये फे ह?र+त मजीद लंबी है मगर हम इतने पर ही बस करते है । और हमारे कािबल दो+तो का
aयान इस हदीसे जईफ क सनद क तहक क क तरफ करते है ।

20 रकअत वाली हदीस क सनद का हाल

सनद कहते है रािवयो के उस िसलिसले को जो एक दूसरे से सून कर नीचे तक पह,ंचाते है अगर


सनद मे सbचे मजबूत और इमान दार रावी हो और कई कई हो तो वो हदीस सहीह क िक+म मे से है
अगर ?रवायत करने वाले खोटे झूठे हो तो वो ?रवायत सहीह नहP है । 20 रकअत क सनद मे एक
रावी अबू शैबा इJािहम िबन उ+मान है इस क ऊपर हािकम िबन उतैबा िबन नहास कू फ है, इस क
ऊपर मकिसम रह0 ताबई है और उन के ऊपर हज़रत इ*ने अ*बास रिज0 है और िफर रसुलु-लाह
स-ला-लाह, अलैिह वस-लम का मुबारक इ+मे िगरामी, इस सनद मे 2 खोटे (जईफ) रावी जमा हो गये
है पहला तो अबू शैबा इJािहम िबन उ+मान है और दसूरा हािकम िबन उतैबा िबन नहास कू फ है, इन
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दोनो ने ताबई मकिसम रह0 और सहाबी इ*ने अ*बास रिज0 और िफर रसुलु-लाह स-ला-लाह, अलैिह
वस-लम के पाक और मुबारक नाम इ+तेमाल कर िलये और 20 रकअत पढ़ने का बयान उन के हवाले
से गढ़ िलया । और उन का ये बयान मुनकर है और मुनकर उसे कहते है जो सहीह हदीस के िखलाफ
हो । मुनकर ?रवायत गढ़ना बदतरीन गुनाह है । इन दोनो झूठे रािवयो के अलावा बड़े अफसोस क बात
है िक ह>कानी साहब देवबंदी ने अपनी िकताब शरीयत और जहालत मे इ*ने अ*बास रिजअ-लाह
अ@ह` पर एक बह,त बड़ा झूठ गढ़ िदया िक उनका फतवा ह,जुरे अकरम स-ला-लाह, अलैिह वस-लम के
ज़माने मे चलता था, इसक वजाहत भी अगले सफाहात मे इंशाअ-लाह आ रही है ।

दोनो झूठे रािवयो अबू शैबा इJािहम िबन उ+मान और हकम िबन उतैबा कू फ के बारे मे हंफ उलेमाओ
के कौल

(1) शरह बुखारी मे अ-लामा एैनी हंफ रह0 िलखते है :-

फने हदीस के इमामो ने इसको झूठा कहा है इमाम अहमद और इमाम बुखारी और इमाम नसई
वगैरह ने इस को जइCफ करार िदया और इ*ने अदी ने अपनी िकताब अल कािमल मे इस क
20 रकअत वाली हदीस को मुनकर ?रवायत मे शािमल िकया है ।(उमदतुल कारी, शरह सहीह
बुखारी िज-द 5, सफा 359)

अ-लामा एैनी रह0 का शुमार हंफ मज़हब के सत तरीन फु कहा मे होता है उ@होने भी 20
रकअत क ?रवायत के रावी का कbचा िचdा खोलने मे ज़रा पस ओ पेश नहP िकया ।
अ-हVदुिल-लाह ।
(2) अ+मा–ए-रजाल के मस-लमा इमाम अ-लामा ज़ैहबी रह0 का तफसीली बयान :-

अ-लामा ज़ैहबी रह0 अपनी मशह`र िकताब मीजान अला अतदाल फ नकद?रजाल मतबूआ
दाIल याअल िकताबुल अरिबया िक+म अXवल सफा 47 पर िलखते है :- इJािहम िबन
उ+मान अबू शैबा शहर का काज़ी है और इमाम अबू बY िबन शैबा का दादा है वो अपनी मां के
दूसरे खािव@द हकम िबन अतैबा से ?रवायत करता है इमाम शबा ने दूसरी ?रवायत पर भी इस
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को झूठा बताया है >योिक उसने हकम से और हकम ने अबू लैला से ये ?रवायत िकया है िक
जंगे िसfफ न मे सUतर बदरी साहबी रिज0 मौजूद थे कहा इमाम शबा ने वो ये बात झूठ कहता
है >योिक अ-लाह िक कसम मै ने खुद हकम से बात चीत क तो हकम ने बताया िक जंगे
िसfफ न मे हम को िसफC एक बदरी सहाबी खुजैमा रिज0 िमले । इमाम जैहबी कहते है िक
ताOजुब है उस जंगे िसfफ न मे हज़रत अली और हज़रत अVमार रिज0 भी शरीक थे ये दोनो
भी बदरी सहाबी है ।

ऊपर क इबारत से मालूम ह,आ िक जंगे िसfफ न मे Oयादा से Oयादा 3 बदरी सहाबी रिज0
शािमल थे िजसे बढ़ा कर इJािहम िबन उ+मान ने 70 क तदाद कर दी तो >या एैसा शस आठ
रकअत तरावीह को बढ़ाकर 20 नहP बता सकता ? और अगर 70 क जगह इसके मां के खािव@द
हकम िबन उतैबा ने 1 सहाबी बताई है तो वो भी झूठा सािबत ह,आ । और ये दोनो झूठे 20 रकअत क
?रवायत मे जमा हो गये है

ये दोनो झूठे रािवयो क वजह से 20 रकअत क हदीस मुतरक (एैसी जईफ हदीस िजसके रावी
पर झूठ क तोहमत हो) सािबत ह,ई । अबू शैबा िजस औरत का बेटा था तो हकम उसी औरत का
दूसरा खािव@द था और ये दोनो सौतेले बाप बेटे सरकारी आदमी यािन काज़ी थे और इन सरकारी
आदिमयg ने शहीदे कबCला हज़रत ह,सैन रिज0 से ये लेकर बाद के ज़मानो तक >या >या जु-म ढहाये
है वो मुसलमानो क तारीख मे देिखये । बगदादी रह0 बलाज़री रह0 इ*ने असीर रह0, इ*ने कसीर
रह0 और इ*ने खलदुन रह0 ने इ+लामी तारीख मे इनका अbछा न>शा खPचा है । मेहरबानी करके
अ-लाह के वा+ते गांिलयां देने के पहले मुताला तो क?रये भाईयो ।

जलीलुकi सहाबी हज़रत अ*दु-लाह


लाह िबन अ*बास
बास रिज0
रिज0 पर झूठ बांधने वाले ह>कानी
कानी साहब -

अपनी टोली मे एक िकताब शरीयत या जहालत िलखकर मशह`र ह,ए ह>कानी साहब इस अबू
शैबा वाली हदीस को तरावीह के मसले पर िलखकर आगे कहते है :-
‘’हज़रत अ*दु-लाह िबन अ*बास रिज0 को इस बात क जु+तजु भी रहती थी िक ह,जुर
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स-ला-लाह, अलैिह वस-लम िकस तरह रात को इबादत करते थे । ये हज़रत अ*दु-लाह
लाह िबन अ*बास
बास
रिज0
रिज0 वो ह+ती है िजन का फतवा ह,जरु स-ला
ला--लाह,
लाह, अलैिह वस-लम
लम क िज@दगी
दगी मे भी चलता था ।
िलिजये 20 रकअत तरावीह का सबूत िमल गया अब वो इनाम िजस का आप हर साल एलान करते है
हमे िदया जाये और अपने वादे को पूरा िकया जाये >योिक आप इमान वाले है और इमान वालो को
वादा पूरा करने के िलये कु रआन करीम ह,>म दे रहा है ।‘’ (शरीयत या जहालत इजाफा शुदा सफा
196, और अलग से जो िकताबचा छपा है उस का सफा 49-50)

मोत?रज (एतराज करने वाला) ह>कानी साहब क इस इबारत को अbछी तरह पढ़े उ@होने इस
मतIक हदीस को िलखकर 20 रकअत सािबत करने क कोिशश तो क ही साथ ही इनाम का
मुतालबा भी िकया और साथ साथ ही हज़रत अ*दु-लाह िबन अ*बास रिज0 पर झूठ भी बांध डाला क
उन का फतवा आप स-ला-लाह, अलैिह वस-लम क िज@दगी मे चलता था । ये जुमला ताOजुब मे
डालता है िक उ@हे सहाबा िकराम रिज0 क तारीख से िब-कु ल नवािकिफयत थी । आईये तहक क करे

तहक क :-

अगर उनका ये दावा है तो उ@होने ये नहP बताया िक मदीना मे िकस िहजरी सन् 1 मे या 2 मे
या 3 मे या 4 मे या 5 िहजरी सन् मे उनका फतवा चलता था और वो कौन सा फतवा था जो आप
स-ला-लाह, अलैिह वस-लम क मौजुदगी मे हज़रत अ*दु-लाह िबन अब्बास रिज0 ने िदया ।

तारीखे इ+लाम से थोड़ी सी भी वािकिफयत रखने वाले जानते है िक हज़रत अ*दु-लाह िबन
अ*बास रिज0 िहजरत से 3 साल पहले पैदा ह,ए थे यािन िहजरत के व>त उनक उk 3 साल थी ।
और म>का फतह के कु छ असाC पहले 8 िहजरी मे अपने वािलद हज़रत अ*बास िबन अ*दुल मुUतिलब
रिज0 के साथ म>का तशरीफ लाये और अपने वािलद के साथ मुशरCफ बा इ+लाम ह,ए उस व>त
उनक उk कु ल 11 साल क थी । उ@होने अपनी उk का 12 और 13 वा साल मदीना मे गुजारा िफर
ह,जुर अकरम स-ला-लाह, अलैिह वस-लम का िवसाल हो गया । अबूबY िसZीक रिज0 के ढाई साला
िखलाफत के बाद सै2यदना उमर रिज0 क िखलाफत मे इ-म हािसल करना शुI िकया और
रसुलु-लाह स-ला-लाह, अलैिह वस-लम अहािदस दुसरे सहाबा िकराम रिज0 से सीखी बह,त सी
?रवायत उ@होने खुद हज़रत उमर रिज0 से ली है । तो >या उ@होने अपनी उk के _यारहवे से लेकर
तेरहवे साल के बीच ह,जुर स-ल-लाह, अलैिह वस-लम क मौजुदगी मे फतवे िदये, कमाल है जबिक
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बड़ी बड़ी उk क सहाबा िकराम आप स-ला-लाह, अलैिह वस-लम के जलाल क ताब ना लाकर
आपके चेहरे अनवर पर नजर तक नही डालते थे, अपनी नजरो को नीचे रखे ह,ए होते थे िफर आपके
सामने कलाम करने क तो बात ही >या, और आपके कलाम पर कलाम करने का ह,>म >या अ-लाह
ने उVमती मे से िकसी को िदया है ?

(और Oयादा जानने के िलये देिखये असहाबा तजिकरा अ*दु-लाह िबन अ*बास रिज0)
दो देखा आपने झूठ के सर पांव नहP होते, होिशयार रहे भाईयो आपका एक झूठ जो आप
स-ला-लाह, अलैिह वस-लम क तरफ मंसूब िकया गया आपको दोजख के गहरे गढ़े मे फे क सकता है

दौरे उमर फाIख रिज0


रिज0

तरावीह के मुUतािलक कहा जाता है िक दौरे उमर फाIख रिज0 मे लोग 20 रकअत तरावीह
पढ़ते थे और इसके िलये जो असर(एैसे अकवाल और अफआल जो सहाबा िकराम और ताबई क
तरफ मनकू ल हो) पेश िकया जाता है आईये उसक भी तहक क करते चले ।

पहला असर-
असर-ए- फाIखी :-
हज़रत उमर फाIख रिज0 के बारे मे एक असर मुसिLफ इ*ने अबी शैबा मे यहया िबन सईद
रह0 से मरवी है िजसमे वो बयान करते है :-
‘’हज़रत उमर फाIख रिज0 ने एक आदमी को ह,>म िदया िक वो लोगो को 20 रकअत नमाजे
तरावीह पढ़ाये’’
(ब हवाला तुहफतुल हौजी 3-528, नमाजे तरावीह सफा 64)
तहक क
इस असर के बारे मे मौलाना शौक नईमुवी हंफ असर अल सुनन मे िलखते है िक इस क सनद
के रावी तो िसका है लेिकन यहया िबन सईद अंसारी ने हजरत उमर िबन खUताब रिज0 के ज़माने को
पाया ही नहP । और नईमुवी क ताईद करते ह,ए अ-लामा अ*दुरCहमान मुबारकपुरी तहफतुल हौजी मे
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िलखते है िक ये असर मुनकतेए(वो जईफ हदीस िजसक सनद िकसी भी वजह से मुतसल न हो) और
ना कािबले इ+तदलाल व ह,जजत है ।

दुसरा असर-
असर-ए-फाIखी :-
सुनन कु बरी बैहक और बाज दीगर कु तुबे हदीस मे एक दुसरा असर यजीद िबन खुसैफा के
तरफ से साईब िबन यजीद से मरवी है िजसमे वो बयान करते है िक लोग हज़रत उमर रिज0 के दौरे
िखलाफत मे 20 रकअत तरावीह पढ़ते थे कारी हजरात 100-100 आयत ितलावत करते और
हजरत उ+मान रिज0 के िखलाफत के जमाने मे लोग तवील कयाम क तकलीफ के पेशे नज़र छि़डयो
या लािठयो का सहारा लेते थे ।(फतुह,ल बारी 4-253, नमाजे तरावीह सफा 49,61,62)

तहक क
इसमे पहली बात जो इसे जईफ बनाती है है वो इ*ने खुसैफा है अगरचे ये िसका है लेिकन इमाम
अहमद िबन हंबल रह0 ने इसे मुनक?रने हदीस कहा है, इमाम ज़ैहबी ने इसे मीजान अला एतेदाल मे
िजY िकया है जो इसके मुताकिmम अलैह (अके ला रावी) होने पर दलालत करता है ।

दूसरी बात जो इसे जईफ बनाती है वो ये है िक इ*ने खुसैफा क ?रवायत मे िगनती के यक न के


लेहाज से इतेलात (उलझन, उk Oयादा हो जाने पर कु Xवते हािफजा का कमजोर हो जाना) पाया
जाता है, वो साईब िबन यजीद से कभी 11 रकअत िजY करते है और कभी 21 और 21 के िजY के
साथ ‘’मेरा याल है’’ कहते है ।

तीसरी बात ये मुहVमद िबन युसुफ साईब िबन यजीद के भांजे है इस ?रAतेदारी क पेशे नज़र वो
अपने मामू क ?रवायत को िकसी भी दूसरे रावी से Oयादा जानते है लेहाजा िजस अदद को उ@होने ने
बयान िकया है उसे ही तरजीह होगी । नीज ये असर उVमुल मोमेनीन हज़रत आयशा रिज0 से मरवी
मरफू हदीस के भी मुवािफक है ।
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तीसरा असर :-
उमदतुल कारी मे अ-लामा एैनी हंफ ने इ*ने अ*दुल बर के हवाले से िलखा है िक हा?रस िबन
अ*दुरCहमान िबन अबी िजयाद से मरवी है िक साईब िबन यजीद फरमाते है :-
‘’हज़रत उमर फाIख रिज0 के अहदे िखलाफत मे लोग 23 रकअते पढ़ते थे ।‘’ (उमदतुल
कारी 3,5-357)

तहक क
इस असर क सनद भी जईफ है >योिक इ*ने अबी िजयाद का हािफजा कमजोर है । इ*ने अबी
हाितम ने अपने वािलद से नकल िकया है िक ये मुनकर ?रवायत बयान करता है । और ये इमाम मािलक
के नजदीक कािबले एतमाद नहP ।

चौथा असर :-
मुवUता इमाम मािलक और सुनन कबरी बैहक मे यजीद िबन रोमानी बयान करते है :-
‘’हज़रत उमर क अहद िखलाफत मे लोग रमज़ान मे 23 रकअत से कयाम िकया करते थे ।‘’
(उमदतुल कारी 4,7-178, फतुह,ल बारी)
तहक क :-
इमाम मािलक रह0 ने फरमाया है िक यजीद िबन रोमानी हज़रत उमर रिज0 से नहP िमले,
यािन उन का जमाना ही नहP पाया, इमाम ज़ैली हनफ ने इस बात क ताईद नसबुल रायया 2-154
मे क है । और इमाम नौवी रह0 ने भी इस असर को जईफ करार िदया है । बैहक ने इस असर को
मुसCल (एैसी ?रवायत िजसमे ताबई और मुहVमद स-ला-लाह, अलैिह वस-लम के बीच मे िकसी सहाबा
का ?रवायत न करना और ताबई सीधे रसुलु-लालाह स-ला-लाह, अलैिह वस-लम से ?रवायत करे)
करार िदया है >योिक यजीद िबन Iमानी क हज़रत उमर िबन Uताब रिज0 से मुलाकात ही नहP ह,ई

कु छ और असर हज़रत अली रिज0 क तरफ मंसूब िकये जाते है वो भी जईफ है । और उनके
िजY का यहां कोई मतलब भी नहP है । >योिक 20 रकअत क ?रवायत हज़रत उमर िबन खUताब
रिज0 क तरफ Oयादा मंसूब क गई है । और हमे इ-जा़म भी िदया जाता रहा है िक नाऊजुिब-लाह
अहले हदीस तरावीह क नमाज़ को उमर क िबदअत करार देते है । हमने यहां पर वजाहत कर दी है
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उससे जो इ-म का शौक रखते है वो शायद मजीद तहक क करके हक का पता लगा सकते है िक उमर
रिज0 क कौन Oयादा इOजत कर रहा है ।

और अब हम आगे कु छ ?रवायते नकल करते है जो 11 रकअत तरावीह को सहीह सािबत


करती है :-

पहली हदीस
‘’साईब िबन यजीद बयान करते है िक अमीIल मोमेनीन हज़रत उमर िबन खUताब रिज0 ने
हज़रत अबी िबन काब और हज़रत तमीमदारी रिज0 को ह,>म फरमाया िक वो लोगो को 11 रकअते
पढ़ाये और इमाम एक एक रकअत मे 100-100 आयते पढ़ता हUता िक हम थक कर असा का सहारा
लेने पर मजबूर हो जाते थे और तुलुअ फजर के करीब जाकर हम नमाज़े तरावीह से फा?रग होते थे ।’’
(मुवUता इमाम मािलक,िमAकात 407, सुनन कु बरी, बैहक 2-496)

तहक क:
तहक क:-
इस हदीस को नकल करके मौलाना शौक नईमुवी हंफ िलखते है ‘’इसक सनद सहीह है’’
अ-लामा अलबानी रह0 ने भी इसक सनद को सहीह करार िदया है ।

दुसरी हदीस :-
‘’स2यदना जािबर िबन अ*दु-लाह अंसारी रिज0 से ?रवायत है िक हमे रसुलु-लाह स-ला-लाह,
अलैिह वस-लम ने रमजान मे नमाज़ पढ़ाई आप स-ला-लाह, अलैिह वस-लम ने 8 रकअत और िव!
पढ़े ।‘’ (सहीह इ*ने खुजमै ा 2-138, सहीह इ*ने ह*बान )

तहक क :-
इसक सनद मे याकु ब अलकमी पर जईफ होने का इ-जाम है जबिक वो जVह`र उलेमा के
नज़दीक सहीह है ।
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तीसरी हदीस :-
‘’सै2यदना अबी िबन काब रिजअ-लाह अ@ह` से ?रवायत है िक मैने रमज़ान मे 8 रकअत और
िव! पढ़े और नबी करीम स-ला-लाह, अलैिह वस-लम को बताया तो आप स-ला-लाह, अलैिह
वस-लम ने कु छ भी नहP फरमाया ।‘’ (मुसनद अबी यहला 3-236)

तहक क :-
इसे अबू यहला ने ?रवायत िकया और इसी तरह तबरानी ने ?रवायत िकया और इस क सनद
हसन है । इस हदीस क सनद वहP है जो हदीसे जािबर रिज0 क है । इस तकरीरी हदीस से भी
तरावीह 11 रकअत ही सािबत हो रही है ।

सु@नत फा--ए-राशेदीन
नत खुलफा

रसुलु-लाह स-ला-लाह, अलैिह वस-लम ने फरमाया :-


‘’पस तुम मे से जो ये इतेलाफ पाए तो उस पर लाि़जम है िक मेरी सु@नत और मेरे खुलफा-
ए-राशेदीन क सु@नत को लाि़जम पकड़ ले, इसे अपने दांतो के साथ पकड़ लो ।‘’ (सुनन ितिमCजी
2-2676)

इस हदीस के बारे मे इमाम ितिमCजी ने फरमाया :- हदीस हसन सहीह है ।

याद रहे िक सै2यदना उमर रिज0 का खलीफा रािशद होना नसे सहीह से सािबत है और इस
पर मुसलमानो का इOमाअ है ।
एक दूसरी हदीस मे है िक नबी करीम स-ला-लाह, अलैिह वस-लम ने फरमाया :-
‘’मेरे बाद इन दो शसो अबूबY और उमर क इ>तेदा करना ।‘’ (सुनन ितिमCजी2-3662,
इ*ने माजा 97)
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इस हदीस के बारे मे इमाम ितिमCजी ने फरमाया :- हदीस हसन है ।

लेहाज़ा सािबत ह,आ िक ये फाIखी ह,>म भी हदीस मरफू के ह,क्म मे है, जबिक मरफू अहदीस
भी इस क ताईद करती है और एक भी सहीह मरफू हदीस इस के मुखािलफ नहP है ।

दौरे फाIखी मे तरावीह क दलीले

पहली दलील :-
‘’सै2यदना साईब िबन यज़ीद रिज0 से ?रवायत है िक हम उमर िबन खUताब रिज0 के ज़माने
मे 11 रकअते पढ़ते थे’’ (सुनन सईद िबन मंसूर, हािशया असार अल सुनन 250)

तहक क :-
इस ?रवायत के तमाम रावी जVह`र क नज़दीक िसका है ।

दुसरी दलील :-
‘’बेशक उमर रिज0 ने लोगो को अबी िबन काब रिज0 और तमीमदारी रिज0 पर जमा िकया,
बस वो दोनो 11 रकअत पढ़ाते थे ।‘’ (मुसिLफ इ*ने अबी शैबा 2-39, हदीस 7670)

तहक क :-
इस ?रवायत क सनद िब-कु ल सहीह है और इस के सारे रावी सहीह बुखारी व सहीह मुि+लम
के है और िबला शक िसका है ।
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तीसरी दलील :-
अमीIल मोिमनीन सै2यदना उमर िबन खUताब रिज0 से ब सनद सहीह मुतसल 20 रकअत
तरावीह कतअन सािबत नहP है यहया िबन सईद अल अंसारी और यजीद िबन Iमानी क ?रवायते
मुनकतेए है (इस बात का एतराफ हंफ व तकलीदी उलेमा ने भी िकया है) और बाक जो कु छ भी है वो
न तो खलीफा का ह,>म है और न खलीफा का अमल और न खलीफा के सामने लोगो का अमल,
जईफ, व मुनकतेए ?रवायत को वही शस पेश करता है जो खुद जईफ होता है ।

चौथी दलील :-
इमाम दाIल िहजरत मािलक िबन अनस रह0 से मरवी है :-

‘’मै तो अपने िलये 11 रकअत कयाम रमज़ान तरावीह का कायल ह`ं और इसी पर उमर िबन
खUताब रिज0 ने लोगो को जमा िकया था, और यही रसुलु-लाह स-ला-लाह, अलैिह वस-लम क
नमाज़ है, मुझे पता नहP िक लोगो ने ये बह,त सी रकअते कहां से िनकाल ली है ?’’ (िकताबुल
तहOजुद सफा 76 हवाला 890)

तो देखा भाईयो आपने िक सहीह सनद से तरावीह क नमाज 8 रकअत तरावीह और 3 िव!
सुबह क धुप क तरह रौशन है । उन सब पर अ-लाह क ढेरो रहमते हो जो िसफC अ-लाह और उसके
महबूब रसुल क इताअत करते ह,ए इस दुिनया से कु च कर गये अ-लाह उनक कJो को नूर से भर दे ।
आमीन । अ-लाह हम सब को िसफC अपनी और अपने महबूब रसुले अरबी हज़रत मुहVमद स-ला-लाह,
अलैिह वस-लम क इताअत करने क समझ अता करे । आमीन या र*बुल आलेमीन ।

वा आखIदवािन वल हVदुिmाहे र*बील आलमीन ।

इ+लािमक दावाअ से@टर,


रायपुर, छUतसीगढ़

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