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हननममान बजररं ग बमाण (Hanuman Bajrang Baan)

ददोहमा

ननिश्चय पप्रेम पततीनत तप्रे, वविनिय करर सनिममानि।


तप्रेहहि कप्रे कमारज सकल शशभ, ससद्ध करर हिनिशममानि।।

चचौपमाई

जय हिनिशमन्त सन्त हहितकमाररी। सशननि लरीजजै पभश अरज हिममाररी।।


जनि कप्रे कमाज वविलम्ब नि ककीजजै। आतरश ददौरर महिमा सख
श दरीजजै।।
जजैसप्रे ककहद ससन्धश विहहि पमारमा। सशरसमा बदनि पजैहठि वविस्तमारमा।।
आगप्रे जमाय ललंककनिती ररोकमा। ममारप्रे हिश लमात गई सशर लरोकमा।।
जमाय वविभतीषण करो सशख दरीन्हिमा। सतीतमा ननिरखख परम पद लरीन्हिमा।।
बमाग उजमारर ससन्धश मलंहि बरोरमा। अनत आतशर यम कमातर तरोरमा।।
अक्षय कशममार करो ममारर सलंहिमारमा। लम
क लपप्रेहटि ललंक करो जमारमा।।
लमाहि सममानि ललंक जरर गई। जजै जजै धशननि सशर पशर मम भई।।
अब वविललंब कप्रेहहि कमारण स्विमामती। ककपमा करहिश पभश अन्तयमार्यामती।।
जय जय लक्ष्मण पमाण कप्रे दमातमा। आतरश हिरोई दख श करहिश ननिपमातमा।।
जजै गगरधर जजै जजै सशख समागर। सशर समकहि समरथ भटि निमागर।।
ॐ हिनिश-हिनिश-हिनिश हिनिशमलंत हिठिठीलप्रे। विजैरहहिलं ममारू बज्र सम ककीलजै।।
गदमा बज्र तजै बजैररहिरीलं ममारदौ। महिमारमाज ननिज दमास उबमाररों।।
सशननि हिलं कमार हिशलंकमार दजै धमाविरो। बज्र गदमा हिननि वविलम्ब नि लमाविरो।।
ॐ हरीलं हरीलं हरीलं हिनिशमलंत कपतीसमा। ॐ हिशह हिशह हिशह हिनिश अरर उर शतीसमा।।
सत्य हिरोहिश हिरर सत्य पमाय कजै। रमाम दत श धरू ममारू धमाई कजै।।
जजै हिनिशमन्त अनिन्त अगमाधमा। ददुःश ख पमावित जनि कप्रेहहि अपरमाधमा।।
पज
क मा जप तप निप्रेम अचमारमा। निहहिलं जमानित हिजै दमास तम्
श हिमारमा।।
विनि उपविनि जल-थल गहि
क ममाहिरीलं। तशम्हिरप्रे बल हिम डरपत निमाहिरीलं।।
पमाहय पररौं कर जरोरर मनिमाविरौं। अपनिप्रे कमाज लमागग गशण गमाविरौं।।
जजै अलंजनिती कशममार बलविन्तमा। शलंकर स्वियलं वितीर हिनिशमलंतमा।।
बदनि करमाल दनिशज कशल घमालक। भकत वपशमाच पप्रेत उर शमालक।।
भत
क पप्रेत वपशमाच ननिशमाचर। अगगनि बजैतमाल वितीर ममाररी मर।।
इन्हिहहिलं ममारू, तरोंहहि शमथ रमामककी। रमाखश निमाथ मयमार्याद निमाम ककी।।
जनिक सशतमा पनत दमास कहिमाओ। तमाककी शपथ वविलम्ब नि लमाओ।।
जय जय जय ध्विननि हिरोत अकमाशमा। ससश मरत हिरोत सस
श हि ददुःश ख निमाशमा।।
उठिश-उठिश चल तरोहहि रमाम दहि
श माई। पमाहय पररौं कर जरोरर मनिमाई।।
ॐ चलं चलं चलं चलं चपल चलन्तमा। ॐ हिनिश हिनिश हिनिश हिनिश हिनिश हिनिशमलंतमा।।
ॐ हिलं हिलं हिमालंक दप्रे त कवप चलंचल। ॐ सलं सलं सहिसम परमानिप्रे खल दल।।
अपनिप्रे जनि करो कस नि उबमारदौ। सशसमरत हिरोत आनिन्द हिममारदौ।।
तमातप्रे वविनितती कररौं पशकमाररी। हिरहिश सकल ददुःश ख वविपनत हिममाररी।।
ऐसदौ बल पभमावि पभश तरोरमा। कस नि हिरहिश ददुःश ख सलंकटि मरोरमा।।
हिप्रे बजरलं ग, बमाण सम धमाविदौ। मप्रेहटि सकल ददुःश ख दरस हदखमाविदौ।।
हिप्रे कवपरमाज कमाज कब ऐहिदौ। अविसर चकक क अन्त पछतजैहिदौ।।
जनि ककी लमाज जमात ऐहहि बमारमा। धमाविहिश हिप्रे कवप पविनि कशममारमा।।
जयनत जयनत जजै जजै हिनिशममानिमा। जयनत जयनत गशण जमानि ननिधमानिमा।।
जयनत जयनत जजै जजै कवपरमाई। जयनत जयनत जजै जजै सशखदमाई।।
जयनत जयनत जजै रमाम वपयमारप्रे । जयनत जयनत जजै ससयमा दल
श मारप्रे ।।
जयनत जयनत मद
श मलंगलदमातमा। जयनत जयनत तत्रिभवि
श नि वविख्यमातमा।।
ऐहहि पकमार गमावित गशण शप्रेषमा। पमावित पमार निहिरीलं लविलप्रेषमा।।
रमाम रूप सविर्यात्रि सममानिमा। दप्रे खत रहित सदमा हिषमार्यानिमा।।
वविगध शमारदमा सहहित हदनिरमातती। गमावित कवप कप्रे गनिश बहिश भमाहनत।।
तशम सम निहिरीलं जगत बलविमानिमा। करर वविचमार दप्रे खउलं वविगध निमानिमा।।
यहि गजय जमाननि शरण तब आई। तमातप्रे वविनिय कररौं गचत लमाई।।
सशननि कवप आरत विचनि हिममारप्रे । मप्रेटिहिश सकल ददुःश ख भ्रम भमारप्रे ।।
एहहि पकमार वविनितती कवप कप्रेररी। जरो जनि करजै लहिजै सशख ढप्रे ररी।।
यमाकप्रे पढ़त वितीर हिनिशममानिमा। धमावित बमाण तल्
श य बनिविमानिमा।।
मप्रेटित आए ददुःश ख क्षण ममाहहिलं। दजै दशर्यानि रघशपनत हढग जमाहिरीलं।।
पमाठि करजै बजरलं ग बमाण ककी। हिनिशमत रक्षमा करजै पमाण ककी।।
डतीठि, मठि
क , टिरोनिमाहदक निमासजै। परककत यलंत्रि मलंत्रि निहिरीलं त्रिमासप्रे।।
भजैरविमाहद सशर करजै समतमाई। आयशस ममाननि करजै सप्रेविकमाई।।
पण कर पमाठि करम मनि लमाई। अल्प-मत्क यश ग्रहि दरोष निसमाई।।
आवित
क गयमारहि पनतहदनि जमापजै। तमाककी छमाहहि कमाल निहहिलं चमापजै।।
दजै गकगशल ककी धकप हिमप्रेशमा। करजै पमाठि तनि समटिजै कलप्रेषमा।।
यहि बजरलं ग बमाण जप्रेहहि ममारप्रे । तमाहहि कहिदौ कफिर कदौनि उबमारप्रे ।।
शत्रिश समकहि समटिजै सब आपजै। दप्रे खत तमाहहि सरश मासशर कमाहपजै।।
तप्रेज पतमाप बशवद्ध अगधकमाई। रहिजै सदमा कवपरमाज सहिमाई।।

ददोहमा
पप्रेम पततीनतहहिलं कवप भजजै। सदमा धरर उर ध्यमानि।।
तप्रेहहि कप्रे कमारज तरश त हिरी, ससद्ध करर हिनिशममानि।।

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