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Act (अधिनियम) Page |2

अधधधनयम Act

1. धसविल अधधकार सं रक्षण अधधधनयम, 1955

अधधधनयम की प्रमुख विशेषताए ँ :-

 यह अधधधनयम गाँधीजी से प्रेररत माना जाता है ।


 इस अधधधनयम का उद्देश्य है –
(i) अस्पृश्यता का प्रचार करने के धलए दं ड की व्यिस्था करना।
(ii) अस्पृश्यता का आचरण करने के धलए दं ड की व्यिस्था करना।
(iii) अस्पृश्यता से उपजी /उत्पन्न वकसी धनयोग्यता/अयोग्यता (Disability) के धलए दं ड का
प्रािधान करना।
 यह अधधधनयम भारतीय सं विधान के अनुच्छे द 17 ि 35 का वियान्ियन है (सं बंधधत है )।
 यह अधधधनयम अनुच्छे द 17 ि 35 के अधीन है ।
 अनुच्छे द 17 (Art. 17) :-
अस्पृश्यता या छु आछू त को समाप्त करना तथा ऐसे आचरण को दं डनीय अपराध घोवषत करना।
 इस प्रािधान का वियान्ियन यह अधधधनयम माना जाता है ।
 अनुच्छे द 35 :-
मौधलक अधधकारों के वियान्ियन के धलए सं सद को विधध बनाने का अधधकार है ।
 इस प्रािधान के तहत ही सं सद ने यह अधधधनयम (Act) पाररत और लागू वकया।
 सं सद द्वारा 8 मई 1955 को अस्पृश्यता अपराध अधधधनयम 1955 पाररत वकया गया।
 इस अधधधनयम को 1 जून 1955 को लागू वकया गया।
 सं सद द्वारा इसे गणतं त्र के 6 िें िषष में अधधधनयधमत वकया गया।
 1976 में इस अधधधनयम का नाम बदलकर धसविल अधधकार सं रक्षण अधधधनयम, 1955 वकया गया।
 यह अधधधनयम जम्मू-कश्मीर सवहत सभी राज्यों तथा सं घशाधसत क्षेत्रों में लागू है ।
 अस्पृश्यता या छु आछू त को भारतीय सं विधान तथा इस अधधधनयम में कहीं भी पररभावषत नहीं वकया
गया।
 मैसूर उच्च न्यायालय ने आवटषकल 17 के मामले में यह व्यिस्था दी थी वक शाब्ददक तथा व्याकरणीय
समझ से परे अस्पृश्यता का प्रयोग ऐधतहाधसक है ।
 इस अधधधनयम में कुल 17 धाराएँ (Sections) हैं ।
 इस अधधधनयम का सं खयांक (No. of Act) – 22 है ।

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अधधधनयम की धाराए ँ :-

धारा 1 :- धारा 3 :-

 इस अधधधनयम का सं ब्क्षप्त नाम, विस्तार और  धाधमषक धनयोग्यताएँ (Religious Disabilities) के


प्रारं भ। सं बंध में
 सं ब्क्षप्त नाम : धसविल अधधकार सं रक्षण  धाधमषक धनयोग्यताएँ लागू करने के धलए दं ड
अधधधनयम, 1955  यदद वकसी व्यब्ि को अस्पृश्यता
 प्रारम्भ : 1 जून 1955 को लागू (Untouchability) के आधार पर वकसी लोक
 विस्तार : जम्मू-कश्मीर सवहत सभी राज्यों तथा पूजा स्थान में प्रिेश करने, उसमें पूजा, प्राथषना
सं घशाधसत क्षेत्रों में लागू या धाधमषक सेिा करने से रोका जाता है या वकसी
नदी, घाट तथा अन्य स्त्रोत में स्नान करने से
धारा 2 :-
रोका जाता है तो उसमें कम से कम ₹ 100
 पररभाषाएँ
और अधधकतम ₹ 500 का जुमाषना तथा कम से
 अनुसूब्चत जाधत (SC) :- सं विधान के अनुच्छे द
कम 1 माह और अधधकतम 6 माह का
366 (24) में दी गई है ।
कारािास ददया जाता है ।
 अनुच्छे द 341 के तहत राष्ट्रपधत द्वारा
 बौद्ध, धसख, जैन तथा वहन्दू धमष के वकसी रूप
सं बंधधत राज्य के राज्यपाल के परामशष से
जैसे िीर, शैि, िैष्ट्णि, धलं गायत, आददिासी,
लोक अधधसूचना के माध्यम से SC की
ब्रह्म समाज, प्राथषना समाज, आयष समाज, स्िामी
घोषणा की जाती है।
नारायण समाज के अनुयायी वहन्दू माने जायेंगे।
 धसविल अधधकार :- ऐसा कोई अधधकार जो
भारतीय सं विधान द्वारा अनुच्छे द 17 के अंतगषत धारा 4 :-

अस्पृश्यता का धनिारण कर ददए जाने के कारण  सामाब्जक धनयोग्यताएँ (Social Disabilities)


उत्पन्न होता है । लागू करने के धलए दण्ड
 होटल :- होटल के अंतगषत सब्म्मधलत है –  जो कोई व्यब्ि वकसी अन्य के विरुद्ध धनम्न
जलपान गृह, भोजनालय, सराय (Lodging), आधारों के सं बंध में धनयोग्यता अस्पृश्यता के
कॉफी हाउस, कैफे आदद। आधार पर लागू करे गा िह दब्ण्डत वकया
 स्थान :- गृह, भिन, तम्बू को पररभावषत वकया जाएगा।
गया।  आधार :-
 लोक मनोरं जन स्थान (1) वकसी दुकान, जलपान गृह, होटल या लोक
 लोक पूजा स्थान मनोरं जन स्थान में प्रिेश करना।
 विवहत (Prescribed) :- इस अधधधनयम के (2) वकसी धमषशाला या सराय में प्रिेश करना।
अधीन बनाये गए धनयम है । (3) लोक उपयोग के धलए रखे गए बतषनों ि
अन्य िस्तुओ ं का प्रयोग करना।

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(4) कोई व्यापार या कारोबार करना। (3) वकसी अन्य व्यब्ि के साथ कारोबार करने
के धलए मना करना।
(5) वकसी नदी, जलधारा, कधब्रस्तान या
श्मशान का प्रयोग करना जो जनता के प्रिेश (4) वकसी अन्य बात के धलए अस्पृश्यता के
का हो। आधार पर इं कार करना।

(6) वकसी सािषजधनक सिारी बस या रे न का धारा 7 (A) :-


उपयोग करना।
 विधध विरुद्ध अधनिायष श्रम कब अस्पृश्यता का
(7) वकसी धाधमषक अथिा सामाब्जक जुलूस आचरण समझा जाएगा –
में भाग ले ना। (1) यदद कोई व्यब्ि वकसी को साफ-सफाई
करने
(8) वकसी सामाब्जक या धाधमषक रूढ़ीप्रथा
का पालन करना। (2) पशु शि हटाने

धारा 5 :- (3) वकसी पशु की खाल खींचने या वकसी प्रकार


का कोई अन्य काम करने के धलए
 अस्पतालों आदद में व्यब्ियों को प्रिेश करने
अस्पृश्यता के आधार पर मजबूर करता है
दे ने से इं कार करने के धलए दं ड।
तो उसे दण्ड ददया जाता है।
 इस धारा में अस्पताल के साथ-साथ
 दण्ड का प्रािधान कम से कम 3 माह ि
औषधालय, ब्शक्षा सं स्थान, छात्रािास आदद
अधधकतम 6 माह का कारािास और कम से
है । ऐसे वकसी भी स्थान पर प्रिेश दे ने के
कम ₹ 100 ि अधधकतम ₹ 500 का जुमाषना
बाद भेदभाि पूणष आचरण करना। इस धारा
होगा।
के तहत दं डनीय अपराध होगा।
 वकसी काम को करने के धलए मजबूर करने के
धारा 6 :-
अंतगषत सामाब्जक तथा आधथषक बवहष्ट्कार करने
 माल बेचने या सेिा करने से मना करने के
की धमकी भी इसके अंतगषत आती है ।
धलए दण्ड का प्रािधान।
धारा 8 :-
धारा 7 :-
 कुछ दशाओं में अनुज्ञब्प्त (License) का रद्द
 अस्पृश्यता से उत्पन्न अन्य अपराधों के धलए
वकया जाना।
दं ड।
 यदद कोई व्यब्ि धारा 6 के अधीन वकसी
(1) वकसी व्यब्ि को कोई गृह या भूधम पट्टे
अपराध का दोषी पाया जाता है तो न्यायालय उस
पर दे ने से मना करना।
व्यब्ि का लाइसेंस एक धनब्श्चत अिधध के धलए
(2) वकराए से दे ने से मना करना। रद्द करने का आदे श दे सकता है ।

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धारा 9 :-  दू सरी बार अपराध करने पर दण्ड कम से कम


6 माह ि अधधकतम 1 िषष का कारािास और
 सरकार द्वारा ददये गए अनुदानों (Grants)
कम से कम ₹ 200 ि अधधकतम ₹ 500 का
का धनलम्बन (Suspension) / पुनर्ग्षहण
जुमाषना।
(Resumption) करना।
 तीसरी बार अपराध करने पर दण्ड कम से कम
 यदद वकसी सं स्था का प्रबंधक अथिा प्रमुख
1 िषष ि अधधकतम 2 िषष का कारािास और
इस अधधधनयम के अंतगषत अपराध का दोषी
कम से कम ₹ 500 ि अधधकतम ₹ 1000 का
पाया जाता है तो उस सं स्था को सरकार
जुमाषना।
द्वारा ददए जाने िाला अनुदान धनलं धबत हो
धारा 12 :-
जाता है ।
 कुछ मामलों में न्यायालय द्वारा उपधारणा
धारा 10 :-
(Presumption)।
 अपराध का दुष्ट्प्ररे ण (Abetment of the
 उपधारणा का अथष – वकसी तथ्य के बारे में
offence)
मानकर चलना वक ऐसा हुआ होगा या नहीं हुआ
 दुष्ट्प्ररे ण की पररभाषा IPC की धारा 107 में होगा।
कही गयी है इसमें सब्म्मधलत है –  इसका िणषन भारतीय साक्ष्य अधधधनयम, 1872 में

(i) उकसाना वकया गया है ।


 SC के विरुद्ध कोई कायष अपराध करने पर
(ii) षड़यंत्र में शाधमल होना
न्यायालय यह उपधाररत कर सकता है वक यह
(iii) सहायता करना (अपराधी की)।
अस्पृश्यता के आधार पर वकया गया है।
 लोकसेिक द्वारा अपराध के अन्िेषण
धारा 13 (1) :-
(Investigation) में की गयी उपेक्षा दुष्ट्प्ररे ण
 धसविल न्यायालयों की अधधकाररता की पररसीमा।
का अपराध सं गत (समझा जाएगा) है ।
 यदद धसविल न्यायालय के समक्ष कोई
धारा 10 (A) :-
िाद/आदे श/आदे श का धनष्ट्पाद (Execute) इस
 सामूवहक जुमाषना अधधरोवपत (Impose) करने
अधधधनयम के उपबंधों के प्रधतकूल हो तो
की राज्य सरकार की शब्ि।
न्यायालय ऐसा िाद/कायषिाही ना तो र्ग्हण
धारा 11 :- करे गा /ना आदे श दे गा /ना आदे श का धनष्ट्पादन
करे गा।
 पश्चात्िती (दोबारा) वकए गए अपराध के
धलए बढ़ा हुआ दं ड (शाब्स्त)।

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धारा 14 :- (3) यदद अपराध करने िाले लोक सेिक हो


तो–
 कम्पधनयों द्वारा अपराध।
 यदद इस अधधधनयम के अधीन अपराध करने (i) यदद केंर सरकार का कमषचारी हो
िाला व्यब्ि कम्पनी हो तो हर ऐसा व्यब्ि, तो केंर सरकार की अनुमधत
जो अपराध वकए जाने के समय कंपनी के (Permission) के धबना,
कारोबार के सं चालन के धलए उस कंपनी का
(ii) यदद राज्य सरकार का कमषचारी हो
भारसाधक और उस कंपनी के प्रधत
तो राज्य सरकार की अनुमधत
उत्तरदायी था, उस अपराध का दोषी समझा
(Permission) के धबना,
जायेगा और तदनुसार अपने विरुद्ध कायषिाही
ऐसे व्यब्ि को अधभयोब्जत (Cases) नहीं
वकए जाने और दब्ण्डत वकए जाने का भागी
वकया जाएगा।
होगा।
 इसमें कम्पनी से आशय वकसी धनगधमत धारा 15 (A) :-

धनकाय से है इसके अन्तगषत कोई फ़मष या  अस्पृश्यता का अंत करने से उत्पन्न अधधकारों का
अन्य सं गठन शाधमल हैं । सं बंधधत व्यब्ियों द्वारा फायदा उठाना, सुधनब्श्चत

धारा 14 (A) :- करने का राज्य सरकार का कतषव्य है ।

 सद्भािना पूिक
ष की गयी कायषिाही के धलए  इसके तहत राज्य सरकार द्वारा ये उपाय वकए

सं रक्षण  केन्र सरकार + राज्य सरकार जा सकते है –

धारा 15 :- (1) पयाषप्त सुविधाओं की व्यिस्था करना।


(जैसे– पीधड़त व्यब्ियों को विधधक सहायता
 अपराध का सं ज्ञय
े (Cognizable) या
दे ना)
सं क्षप
े त: (Summarily) विचारणीय होना।
 सं ज्ञेय अपराध से आशय ऐसे अपराध से (2) अधभयोजन (मुकदमा) प्रारं भ करने के धलए

ब्जनमें कोई पुधलस अधधकारी धबना िारं ट के अधधकाररयों की धनयुब्ि करना।

धगरफ्तार कर सकता है। (3) अपराधों के विचारण के धलए विशेष


 इस अधधधनयम के अधीन दं डनीय प्रत्येक न्यायालयों की स्थापना करना।
अपराध सं ज्ञेय अपराध होगा।
(4) सधमधतयों का गठन करना।
 अपराध का धनिारण कर सकता है –
(5) अधधधनयम के उपबंधों के बेहतर वियान्ियन
(1) प्रथम श्रे णी न्यावयक न्यायाधीश
के धलए उपाय सुझाने हेत ु सिे क्षण की
(2) महानगर न्यायाधीश (अगर महानगर
व्यिस्था करना।
क्षेत्र हो तो)

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धारा 15-4(A) :-  इस धारा के तहत अपराधी पररिीक्षा अधधधनयम,


1958 के उपबंध – 14 िषष से अधधक उम्र के
 केन्र सरकार हर िषष सं सद के प्रत्येक सदन
व्यब्ि पर लागू नहीं होंगे जो इस एक्ट के तहत
के पटल पर ऐसे उपायों की ररपोटष उपब्स्थत
दोषी पाया गया है उस पर कायषिाही की
करे गी जो उसने ि राज्य सरकारों ने इस
जाएगी।
धारा के उपबंधों के अनुसरण में वकये है ।
धारा 16 (B) :-
धारा 16 :-
 धनयम बनाने की शब्ि।
 अधधधनयम अन्य विधधयों का अध्यारोपण
 धनयम बनाने की शब्ि केंर सरकार को दी गयी
(override) करे गा।
है ।
 अध्यारोही प्रभाि होने का अथष है वकसी
 केंर सरकार राजपत्र में अधधसूचना द्वारा इस
विधध, अधधधनयम, रूढ़ी, प्रथा, न्यायालय का
अधधधनयम के उपबंधों का पालन करने के धलए
आदे श, धडिी या धलब्खत में वकसी आदे श के
धनयम बना सकती है ।
होते हुए भी इस अधधधनयम के प्रािधान लागू
 सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक धनयम बनाये
होंगे।
जाने के पश्चात् यथाशीघ्र सं सद के प्रत्येक सदन
धारा 16 (A) :-
के समक्ष 30 ददन की अिधध के धलए रखा
 अपराधी पररिीक्षा अधधधनयम, 1958 जाएगा।
(Probation of Offenders Act) लागू होने
धारा 17 :-
के सं बंध में है ।
 धनरधसत

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