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रामायण बाल का ड

एक समय मह ष वा मी कजी ने तप या और वा याय म लगे हुए व वान! म "े#ठ मु%नवर नारदजी


से पूछा -मु%नवर ! इस संसार म गुणवान, वीयवान, धम,, कृत,, स.य बोलने वाला एवं 0ढ़2%त,
कौन है ?

सदाचार6, सभी 2ा8णय! का 9हतसाधक, साम:यशाल6, सु<दर, =ोध को जीत लेने वाला, कभी कसी क>
%नंदा नह6ं करने वाला, तथा सं@ाम म कु पत होने पर दे वता भी िजससे डरते हB, ऐसा कौन पुDष है ? मB
ये जानना चाहता हूँ । आप तो ऐसे पुDष को जानते ह6 ह!गे, कृपा करके मुझे बताइये ।

मह ष वा मी क के मुख से यह सुनकर नारदजी ने उ<ह बताना आरKभ कया । वे बोले-हे महषL !


आपने िजन अनेक दल
ु भ गण
ु ! का वणन कया है , मB वचार करके उन गुण! से युNत पुDष के वषय म
आपको बतलाता हूँ, आप यानपव
ू क स ुन ।

इPवाकु वंश म उ.प<न वह पD


ु ष राम के नाम से वQयात है । वह अपने मन को अपने वश म रखने
वाला, महाबल6, कां%तमान, धैयवान, एवं िजतेि<Rय है ।

वह अ.यंत बु Sमान, नी%त,, वNता, शोभायमान तथा शTस


ु ंहारक हB । उनके काँधे मोटे तथा @ीवा
शंख के सामान ठोड़ी मांसल है । वह धम के ,ाता, स.य 2य, 2जा के 9हतसाधक, यश वी, ,ानी, और
प वT हB और उनका दशन सदा ह6 2य लगता है ।

ऐसे उ.तम गण
ु ! से यN
ु त एवं स गण
ु ी Wये#ठ पT
ु को 2जा के 9हत क> 0#ट6 से उनके पता महाराज
दशरथ ने राWय पर अXभ षNत करना चाहा । ले कन महाराज दशरथ के एक रानी कैकेयी ने उनसे
अपने दो वर! के अनस
ु ार राम को वनवास और अपने पT
ु भरत को राWयाXभषेक मांग Xलया । महाराज
दशरथ ने अपने वचनानुसार राम को वनवास दे 9दया । अपने पता क> आ,ानुसार राम वन को चले
गए तो उनके छोटे भाई लPमण और राम क> प.नी सीता ने भी उनका अनुसरण कया ।

राम के वन म चले जाने पर महाराज दशरथ ने राम का नाम लेते हुए महा2याण कया । तब राजा का
=या कम आ9द करके तथा वXस#ठ आ9द Zा[मण! को साथ लेकर रानी कैकेयी के पुT भरत ने राWय
राWय क> कामना न करते हुए राम के पास जाने का %न\चय कया ।

राम के पास पहुंचकर भरत ने उनसे राWय को सँभालने क> 2ाथना क>, ले कन राम ने पता क> आ,ा
का पालन करते हुए राWय क> अXभलाषा को छोड़कर भरत को राWय के Xलए राWय]च[न के ^प म
अपनी खड़ाऊँ दे कर आ@हपव
ू क लौटा 9दया ।त.प\चात राम क> 2ती`ा म नि<द@ाम म रहकर ह6
भरत राWय का संचालन करते रहे ।

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