कुछ तो होगा ना हरि के नाम में क्ोों मीिा दीवानी भई जगत से बेगानी भई हँ सते हुए ववष पी गयी सािा जीवन ऐसे जी गयी कुछ तो होगा ना हरि के नाम में...... थे धन्ने ने पत्थि को भोग पवाये क्ोों भोग पाने ठाकुि जी आये था प्रेम से ठाकुि को पुकािा ठाकुि ने बोला मैं हँ तुम्हािा कुछ तो होगा ना हरि के नाम में..... क्ोों मेवे छोड़ वछलके प्रभु पाये दु योधन छोड़ वविदु घि आये हरि को भी प्रेम है भाये हरि नाम में हरि आप समाये कुछ तो होगा ना हरि के नाम में...... क्ोों सोंन्यास पाया घि बाि छोड़ा क्ोों प्रभु प्रेम में ववषय सुख छोड़ा कुछ तो पाया होगा वकसी ने भक्ति के इस जाम में कुछ तो होगा ना हरि के नाम में...... व्यथथ हुआ जाता जीवन सािा विि भी सुहावे जगत पसािा कब मुख पि हरि नाम आएगा कब जीवन में घनश्याम आएगा कुछ तो होगा ना हरि के नाम में....... हरि नाम में प्रभु आप वविाजे हरि नाम ही तेिे मुख साजे है मानुष जन्म सौभाग्य से पाया क्ोों हरि नाम वबन व्यथथ गवाया कुछ तो होगा ना हरि के नाम में........
The Happiness Project: Or, Why I Spent a Year Trying to Sing in the Morning, Clean My Closets, Fight Right, Read Aristotle, and Generally Have More Fun