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विषय सचू ी
1. वसिंधु घाटी सभ्यता के परु ातावविक स्थलों की सचू ी
2. भारतीय राष्ट्रीय आिंदोलन का सारािंश
3. विश्व में प्रथम व्यवि, िस्तु और स्थानों की सूची
4. भारत में पायी जाने िाली मदृ ाएिं
5. विश्व के प्रमखु रेल मार्गों की सचू ी
6. विमालय पिवत श्ख ृिं ला के मिविपूर्व ग्लेवशयरों की सचू ी
7. भारत की खवनज पेवटयों या बेल्टो की सूची
8. एवशया से सिंबविं धत मिविपूर्व भौर्गोवलक तथ्य
9. जीि विज्ञान की विवभन्न शाखाओिं के जनक की सूची
10. स्टीफन िॉवकिं र्ग की 6 मिविपूर्व खोजें
11. सिंविधान के मिविपूर्व अनच्ु छे दों की सूची
12. भारतीय सिंविधान के स्रोतः
13. भारत के प्रधानमिंत्री
14. भारतीय अथवव्यिस्था के बारे में 20 जरूरी तथ्य - 2018
15. नोबेल पुरूस्कार - 2017
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वसिंधु घाटी सभ्यता के पुरातावविक स्थलों की सूची
ससिंधु घाटी सभ्यता दसु िया के चार प्राचीितम सभ्यताओिं में से एक है । रेसियो कार्ब ि िेसटिंग के अिस
ु ार सभ्यता 2500-1750 ई.पू. के
आसपास में सभ्यता का सिकाश हुआ था । हम , यहााँ ससिंधु घाटी सभ्यता के परु ातासविक स्थलों की सूची है दे रहे हैं जो यूपीएससी ,
एसएससी, राज्य सेिाओिं, एििीए, सीिीएस, और रेलिे आसद जैसी प्रसतयोगी परीक्षाओिं के सलए र्हुत उपयोगी है। इस सभ्यता का क्षेत्र
सिंसार की सभी प्राचीि सभ्यताओिं के क्षेत्र से अिेक गिु ा र्डा और सिशाल था। इस पररपक्ि सभ्यता के के न्द्र-स्थल पिंजार् तथा ससन्द्ध
में था। तवपश्चात इसका सिस्तार दसक्षण और पूिब की सदशा में हुआ। इस प्रकार हडप्पा सिंस्कृसत के अन्द्तगब त पिंजार्, ससन्द्ध और
र्लूसचस्ताि के भाग ही िहीं, र्सकक गज ु रात, राजस्थाि, हररयाणा और पसश्चमी उत्तर प्रदेश के सीमान्द्त भाग भी थे।
ससन्द्धु घाटी सभ्यता का क्षेत्र अवयन्द्त व्यापक था। हडप्पा और मोहिजोदडो की खुदाई से इस सभ्यता के प्रमाण समले हैं। अतः सिद्वािों
िे इसे ससन्द्धु घाटी की सभ्यता का िाम सदया, क्योंसक यह क्षेत्र ससन्द्धु और उसकी सहायक िसदयों के क्षेत्र में आते हैं, पर र्ाद में रोपड,
लोथल, कालीर्िंगा, ििमाली, रिंगापरु आसद क्षेत्रों में भी इस सभ्यता के अिशेष समले जो ससन्द्धु और उसकी सहायक िसदयों के क्षेत्र से
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र्ाहर थे। इसका सिकास ससिंधु और घघ्घर/हकडा (प्राचीि सरस्िती) के सकिारे हुआ। मोहिजोदडो, कालीर्िंगा, लोथल, धोलािीरा,
राखीगढ़ी और हडप्पा इसके प्रमख
ु के न्द्र थे।
28 वदसिंबर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कािंग्रेस (आईएनसी) का गठि गोकुलदास तेजपाल सिंस्कृत स्कूल, र्ॉम्र्े में सकया गया।
इसकी अध्यक्षता िब्लकयू.सी. र्ैिजी िे की थी और इसमें 72 प्रसतसिसधयों िे भाग सलया था। ए.ओ. ह्यूम िे आईएिसी के गठि में अहम
भूसमका सिभाई थी और इिका उद्देश्य था सब्रसटश सरकार को सेफ्टी िॉकि प्रदाि करिा।
ए.ओ. ह्यूम िे आईएिसी के पहले महाससचि के तौर पर काम सकया।
कािंग्रेस का मख्ु य उद्देश्य भारतीय यिु ाओिं को राजिीसतक आिंदोलि में प्रसशसक्षत करिा और देश में जिता की राय र्िािा था। इसके
सलए इन्द्होंिे िासषब क सत्र पद्धसत को अपिाया जहािं िे समस्याओिं पर चचाब करते थे और सिंककप पाररत करते थे।
भारतीय राष्ट्रिाद का पहला या आरिंसभक चरण मध्यम दजे (िरमदल) का चरण (1885-1905) भी कहलाता है। िरमदल के िेता थे,
िब्लकयू.सी. र्िजी, गोपाल कृष्ट्ण गोखले, आर.सी. दत्ता, फीरोजशाह मेहता, जॉजब यूल आसद
नरमपिंथी िेताओिं को सब्रसटश सरकार में पूणब सिश्वास था और उन्द्होंिे पीपीपी मागब यासि सिरोध, प्राथब िा और यासचका, को अपिाया था।
काम के िरमपिंथी तरीकों से मोहभिंग होिे के कारण, 1892 के र्ाद कािंग्रेस में चरमपिंथ सिकससत होिे लगा। चरमपिंथी िेता थे– लाला
लाजपत राय, र्ाल गिंगाधर सतलक, सर्सपिचिंर पाल और अरसर्िंदो घोष। पीपीपी मागब के र्जाए इन्द्होंिे आवम– सिभब रता, रचिावमक कायब
और स्िदेशी पर जोर सदया।
प्रशाससिक ससु िधा के सलए लॉिब कजब ि द्वारा र्िंगाल सिभाजि (1905) की घोषणा के र्ाद, 1905 में स्िदेशी और र्सहष्ट्कार सिंककप
पाररत सकया गया था।
स्िदेशी आिंदोलन के दौरान कािंग्रेस के सत्रः
1. 1905 – र्िारस में कािंग्रेस सत्र। गोपाल कृष्ट्ण गोखले िे अध्यक्षता की।
2. 1906– कलकत्ता में कािंग्रेस सत्र। दादाभाई िैरोजी िे अध्यक्षता की।
3. 1907– ताप्ती िदी के सकिारे सूरत में कािंग्रेस का सत्र। सफरोजशाह मेहता िे अध्यक्षता की सजसमें िरमपिंथी और चरमपिंसथयों के र्ीच
मतभेदों की िजह से कािंग्रेस में सिभाजि हो गया।
आगा खाि III और मोहससि मक ु क द्वारा 1906 में मुवस्लम लीर्ग का गठि सकया गया।
1909 के मॉले– वमिंटो सुधार अवधवनयम द्वारा अलग सििाब चि मिंिल प्रस्तुत सकया गया था।
लाला हरदयाल िे 1913 में र्गदर आिंदोलन शरु ु सकया था और कोटलैंि में 1 िििंर्र 1913 को गदर पाटी की स्थापिा की थी। इसका
मख्ु यालय सैि फ्ािंससस्को के यगु ािंतर आश्म में था और गदर पसत्रका का प्रकाशि शरुु सकया गया था।
कोमार्गाटा मारू घटना ससतिंर्र 1914 में हुई थी और इसके सलए भारतीयों िे शोर कसमसट िाम से एक ससमसत र्िाई थी जो यासत्रयों
की कािूिी लडाई लडती थी।
1914 में पहला सिश्व यद्ध ु आरिंभ हुआ था।
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अप्रैल 1916 में सतलक िे िोम रूल आिंदोलन की शरुु आत की थी। इसका मख्ु यालय पूिा में था और इसमें स्िराज की मािंग की गई
थी।
ससतिंर्र 1916 में एिीर्ेसेंट िे होम रूल आिंदोलि शरुु सकया और इसका मख्ु यालय मरास के करीर् असियार में था।
िषब 1916 में हुए कािंग्रस
े के लखिउ असधिेशि की अध्यक्षता असम्र्का चरण मौजूमदार (िरमपिंथी िेता) िे की थी जहािं चरमपिंथी और
िरमपिंथी दोिों प्रकार के िेता एक जटु हुए थे।
भारत सरकार अवधवनयम 1919 या मोंटार्ग–ू चेम्सफोिव ररफॉमव एक्ट को भारत में सजम्मेदार सरकार की स्थापिा के सलए पाररत
सकया गया था।
9 जििरी 1915 को गािंधी जी 46 िषब की उम्र में दसक्षण अफ्ीका से भारत िापस आए थे।
1916 में गािंधी जी िे सवय और असहिंसा के सिचार के प्रचार के सलए अहमदार्ाद (गज ु रात) में साबरमती आश्म की स्थापिा की।
चिंपारर् सवयाग्रि– 1917
खेडा सवयाग्रि– 1917
अिमदाबाद वमल िडताल– 1918
रॉलेक्ट एक्ट सवयाग्रि– फरिरी, 1919
गािंधी जी िे फरिरी, 1919 में सवयाग्रह सभा की स्थापिा की। इस आिंदोलि में छात्र, मध्यम िगब , मजदरू और पूज िं ीपसतयों िे सहस्सा
सलया और सिंगठि के तौर पर कािंग्रेस कहीं िहीं थी। यह गािंधी जी का पहला जि आिंदोलि था।
जवलयािंिाला बार्ग नरसिंिार – 13 अप्रैल 1919। 13 अप्रैल 1919 को लोग अमतृ सर के जसलयािंिाला र्ाग में सैफुद्दीि सकचलू और
सवयपाल की सगरफ्तारी का सिरोध करिे के सलए इक्ठा हुए थे।
1 अगस्त 1920 को सखलाफत ससमसत िे तीि मुद्दों– पिंजार् में हुई र्ेइिंसाफी, सखलाफत का मुद्दा और स्िराज की मािंग, पर असहयोग
आिंदोलि की शरुु आत की।
इसके र्ाद 1920 में असियोर्ग – आिंदोलन की शरुु आत हुई।
अक्टूर्र 1920 में एि.एम. जोशी, राय चौधरी िे र्ॉम्र्े में असखल भारतीय व्यापार सिंघ कािंग्रेस की स्थापिा की। अध्यक्षता लाला
लाजपत राय िे की थी।
अकाली आिंदोलन 1920 में शरुु हुआ था।
िषब 1925 में एसजीपीसी (सशरोमसण गरुु द्वारा प्रर्िंधक कसमसट) का गठि हुआ था।
सी.आर दास और मोसतलाल िेहरू िे कािंग्रेस सखलाफत स्िराज पाटी का गठि सकया था। यह कािंग्रेस में दूसरे सिभाजि के िाम से भी
जािा जाता है।
िषब 1927 में, श्समक और सकसाि पाटी (िब्लकयूपीपी) का गठि एस.एस. समराजकर, के . एि. जगु लेकर और एस. िी. घाटे िे र्ॉम्र्े में
सकया था।
िषब 1924 में, एच.आर.ए. (सहन्द्दस्ु ताि ररपसब्ललकि एसोससएशि) का कािपरु में गठि हुआ था। सी.एस आजाद, ससचि सान्द्याल और
रामप्रसाद सर्सस्मल इसके सदस्य थे।
िषब 1929 में, एचएसआरए ( सहन्द्दस्ु ताि सोशसलस्ट ररपसब्ललकि एसोससएशि) का सफरोजशाह कोटला सदकली में गठि हुआ। भगत ससिंह
एचएसआरए में शासमल हुए।
9 अगस्त 1925 को, काकोरी रेल िकै ती हुई, इस षडयिंत्र में राम प्रसाद सर्सस्मल, राजेन्द्र लासहडी, रौशि लाल और अशफाकुकलाह
खाि को फािंसी की सजा दी गई।
23 माचब 1931 को भगत ससिंह, राजगरुु और सख ु देि को लाहौर षडयिंत्र मामले में फािंसी की सजा दी गई।
8 िििंर्र 1927 को स्टेिली र्ाकिसिि के तहत सब्रसटश किं जिेसटि सरकार द्वारा साइमि कसमशि र्िाया गया था।
कसमशि का गठि 1919 के सधु ार असधसियम के र्ाद देश में सरकार की कायब प्रणाली की जािंच करिे के सलए सकया गया था।
नेिरू ररपोटव – 1928, राष्ट्र का दजाब , सािब भौसमक व्यस्क मतासधकार आसद के सलए।
सजन्द्िा का 14 सूत्री कायब क्रम– 31 माचब 1929
आईएिसी का 1929 में हुआ लाहौर असधिेशि, अध्यक्षता जिाहरलाल िेहरू िे की। इसमें पूणब स्िराज का सिंककप कािंग्रेस द्वारा पाररत
सकया गया और गािंधी जी के िेतृवि में ससििय अिज्ञा आिंदोलि करिे का फै सला सकया गया।
26 जििरी 1930 को पहली र्ार स्ितिंत्रता सदिस मिाया गया।
दािंिी माचब के साथ सविनय अिज्ञा आिंदोलन शरुु सकया गया था। 12 माचब से 6 अप्रैल 1930 तक गािंधी जी िे अपिे 78 अियु ासययों
के साथ सार्रमती आश्म से दािंिी तक की यात्रा की और 6 अप्रैल 1930 को िमक र्िाकर िमक कािूि को तोडा।
12 नििंबर 1930 को पिला र्गोलमेज सम्मेलन आयोवजत वकया र्गया था।
5 माचव 1931 को र्गािंधी – इरविन समझौते पर िस्ताक्षर।
23 माचव 1931 को भर्गत वसिंि, राजर्गुरु और सुखदेि का रायल।
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29 माचव 1931, आईएनसी का कराची अवधिेशन, िकलभ भाई पटेल िे अध्यक्षता की। इस असधिेशि में पहली र्ार मौसलक
असधकारों और आसथब क िीसत का सिंककप पाररत सकया गया।
7 वसतिंबर 1931 को दूसरा र्गोलमेज सम्मेलन हुआ सजसमें कािंग्रेस की तरफ से गािंधी जी िे सहस्सा सलया।
16 अर्गस्त 1932 को सािंप्रदावयक या रामसे मैकिोनाल्ि परु स्कार की घोषणा हुई।
26 वसतिंबर 1932, पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर सकए गए।
नििंबर 1932 में तीसरा र्गोलमेज सम्मेलन आयोसजत सकया गया था।
1935 में, भारत सरकार अवधवनयम को असखल भारतीय सिंघ, प्रािंतीय स्िायत्तता और कें र में द्वैध शासि पसद्धत होिी चासहए, को
र्िािे के सलए पाररत सकया गया था।
भारत छोडो आिंदोलन की ओर
महत्वपूर्ण क ांग्रेस सत्रः
1. 1936 – लखनउ (उ.प्र.)– अध्यक्षता – जे.एल.नेिरू
2. 1937 – फैजपुर (मिाराष्ट्र)– अध्यक्षता– जे.एल.नेिरू (र्गािंि में आयोवजत पिला अवधिेशन)
3. 1938 –िरीपरु ा (र्गज ु रात)– एस.सी.बोस ने अध्यक्षता की
4. 1939 –वत्रपुरी (एम.पी.)– एस.सी. बोस ने अध्यक्षता की
वसतिंबर 1939 में वितीय विश्व युद्ध सछडा और भारत की सहमसत के सर्िा उसका सहयोगी घोसषत कर सदया गया ।
1939 में एस. सी. र्ोस िे फॉिावि ब्लॉक की स्थापिा की। यह एक िाम पाटी (left party) थी।
10 अगस्त 1940– सद्वतीय सिश्व यद्ध ु में भारतीयों के समथब ि पािे के सलए लॉिब सलिसलथगो िायसराय िे अर्गस्त प्रस्ताि की घोषणा
की थी।
11 माचब 1942 को प्रधािमिंत्री सििंस्टि चसचब ल िे भारतीयों के सिंिधै ासिक गसतरोध और समस्याओिं का समाधाि ढूिंढ़िे के सलए सर
स्टाफोिब सक्रप्स की अध्यक्षता में समशि भेजिे की घोषणा की।
सक्रप्स समशि की असफलता के साथ 1942 में भारतीय िेताओिं द्वारा भारत छोडो आिंदोलि की शरुु आत हुई और भारत छोडों का
सिंककप गािंधी जी िे तैयार सकया। गािंधी जी िे करो या मरो का िारा सदया था।
1942 में कै प्टि मोहि ससिंह और सिरिंजि सगल द्वारा ससिंगापरु में इिंवियन नेशनल आमी की स्थापिा की गई। एस.सी. र्ोस िे ससिंगापरु
और रिंगूिि के दस ू रे मख्ु यालय का पदभार सिंभाला।
21 अक्टूर्र 1943 को– एस.सी. र्ोस के अधीि ससिंगापरु में आजाद सहिंद सरकार र्िी। इसमें एक मसहला रेसजमेंट भी थी सजसका िाम
रािी झािंसी रखा गया था।
1945 में, सद्वतीय सिश्व यद्ध ु समाप्त हुआ।
1945 में, राजिीसतक गसतरोध को दरू करिे के सलए लॉिब िािेल द्वारा िािेल योजना या वशमला सम्मेलन का प्रस्ताि सकया गया था।
1946 में, पीएम सक्लमेंट एट्टली द्वारा कै वबनेट वमशन प्लान की घोषणा।
2 वसतिंबर 1946 को, जे.एल. िेहरू के िेतृवि में अिंतररम सरकार का गठि हुआ।
माचव 1947 – लॉिव माउिंटबेटन को सत्ता के हस्तािंतरण के सलए रास्ता ढूिंढ़िे के उद्देश्य के साथ भारत भेजा गया। इसे र्ालकि योजिा
के िाम से भी जािा जाता है।
3 जून को इिंविपेंिेस ऑफ इिंविया एक्ट 1947 पाररत सकया गया सजसके द्वारा सत्ता को दो प्रभवु ि राष्ट्रों – भारत और पासकस्ताि,
को सौंपा गया।
विश्व के प्रमख
ु रेल मार्गों की सचू ी
रेलिे महविपूणब और सिश्वसिीय पररिहि में से एक है क्यक ु ी सकसी भी अथब व्यस्था में अिंतदेशीय पररिहि का रेल मख्ु य माध्यम होता है।
यह ि के िल सकसी भी देश की मूल सिंरचिावमक आिश्यकताओिं को पूरा करिे में महविपूणब भूसमका सिभाता है असपतु सर्खरे हुए क्षेत्रों
को एक साथ जोडिे में और राष्ट्रीय अखिंिता को भी र्ढ़ािा देता है। रािंस-महाद्वीपीय रेलिे ऐसे रेल मागब को कहा जाता है जो महाद्वीप
के एक सहस्से को दूसरे सहस्से से जोडता है। सिश्व के प्रमख
ु रेल मागगों के र्ारे में िीचे चचाब की गई है:
1. रािंस-साइबेररयन रेलिे
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इस रेलिे मागब का सिमाब ण 1891 ईसिी में शरू ु सकया गया था और यह 1905 ईसिी में सिमाब ण कायब सिंपन्द्ि हो गया था। यह एक प्रससद्ध
रेलमागब है जो सेंट पीटसब र्गब से गज़ ु रते हुए सूदूर-पूिी शहर व्लासदिोस्तोक से जोडता है। मागब के मुख्य जिंक्शि हैं: यारोस्लािस्की
िोक्झल, चेकयासर्िंस्क, ओम्स्क, िोिोसससर्स्कब, इकब ु वस्क, क्रास्िोयास्कब, उलाि-उिे, सचता, खार्रोिस्क, और व्लासदिोस्तोक।
2. कनािाई प्रशािंत रेलिे
यह रेल मागब किािा के पसश्चमी तट पर सेंट जोि से पूिी तट पर िैंकूिर तक चलता है। यह क्यूर्ेक और मॉसन्द्रयल के औद्योसगक क्षेत्रों
को जोडता है।
3. कनािा के राष्ट्रीय रेलिे
यह हैसलफै क्स शहर िोिा स्कॉसशया और सब्रसटश कोलिंसर्या के सप्रिंस रूपटब के र्ीच चलती है।
4. काविरा-के प टाउन रािंस-कॉवन्टनेंटल रेलिे
यह प्रस्तासित है सक वमस्र की राजधानी कै रो और दवक्षर् अफ्रीका की सिंिैधावनक राजधानी, के प टाउन, आसिान,अदीस
अबाबा होते हुए मोम्बासा तक जाएगी।
5. रािंस-ऑस्रेवलया रेलिे
यह ऑस्रेसलया का सर्से लिंर्ी रेल मागब है, जो पूिी ससििी को पसश्चमी पथब तक चलती है। ब्रोकि सहल, कलगोरी और कूलगािी इस
मागब का मख्ु य जिंक्शि है। यह उकलेखिीय है सक कलगोरी और कूलगािी दसु िया के र्हुत महविपूणब सोिे की खदाि हैं।
6. रािंस कोके वशयान रेलिे
यह सोसियत सिंघ के र्ातुम शहर से फरगिा और कुस्क शहर तक चलती है।
7. ओररएिंट-एक्सप्रेस रेलिे
यह यूरोप का सर्से महविपूणब रेल मागब है, जो फ्रािंस के पेररस शिर और तुकी के कॉन्सवटनवटनोप शिर के र्ीच चलती है।
8. उत्तरी रािंस-मिािीपीय रेलिे
यह रेल मागब वसएटल को न्यू यॉकव से जोडता है।
9. वमि रािंस-मिािीपीय रेलिे
यह रेल मागब सैि फ्ािंससस्को और न्द्यूयॉकब के र्ीच चलती है।
10. दवक्षर्ी रािंस-मिािीपीय रेलिे
यह रेल मागब लॉस एिंजेकस को न्द्यूयॉकब और न्द्यू ऑरसलयन्द्स को जोडती है
11. एवशया-यूरोप रेल नेटिकव
एसशया और यूरोप के देशों को 80,000 सकलोमीटर लम्र्े िहृ द् रेल िेटिकब से जोडिे की 'यूिाइटेि िेशि इकिोसमक एिंि सोशल
कमीशि फॉर एसशया एिंि पैसससफक' की महविकािंक्षी योजिा 'एसशया-यूरोप रेल िेटिकब' पररयोजिा 2006 में हस्ताक्षररत हुआ था। यह
िेटिकब एसशया और यूरोप के र्ीच सियाब त-आयात को र्ढ़ािा देगा। यह रेल लाइि भारत में म्यािंमार की सीमा से लगे तामू क्षेत्र से प्रिेश
करेगी , जहााँ से यह र्ािंग्लादेश होते हुए पिु ः भारतीय क्षेत्र में आएगी। पसश्चम में यह रेल लाइि अटारी र्ॉिब र होते हुए पासकस्ताि में प्रिेश
करेगी।
भारत के प्रधानमिंत्री
सिंसिधाि की अिच्ु छे द 74 (1) में यह व्यिस्था की गई है सक राष्ट्रपसत की सहायता करिे तथा उसे सलाह देिे के सलए एक
मिंसत्रपररषद होगा सजसका प्रमख ु प्रधािमिंत्री होगा, राष्ट्रपसत इस मिंसत्रपररषद की सलाह के अिसु ार अपिे कायगों का सिष्ट्पादि
करेगा। इस प्रकार िास्तसिक कायब कारी शसि मिंसत्रपररषद् में सिसहत होती है सजसका प्रमख ु प्रधािमिंत्री होता है।
प्रधानमिंत्री की वनयुवि
सिंसिधाि में प्रधािमिंत्री का कायब काल तय िहीं है। प्रधािमिंत्री के सिंिैधासिक प्रािधािों का िणब ि इस प्रकार हैं:
कें र सरकार के पास एक मिंत्री पररषद होगी सजसके मसु खया प्रधािमिंत्री होंगे।
प्रधािमिंत्री की सियसु ि राष्ट्रपसत द्वारा की जाएगी
अन्द्य मिंसत्रयों की सियसु ि प्रधािमिंत्री की ससफाररश पर राष्ट्रपसत द्वारा की जाएगी।
राष्ट्रपसत के मजी से मिंत्री अपिे पद पर र्िे रहेंगे।
कोई एक मिंत्री जो 6 माह तक सकसी लगातार सिंसद का सदस्य िहीं है तो िह मिंत्री पद पर र्िे रहिे के सलए अयोग्य होगा।
शवियािं और कायव
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भारतीय राजिीसतक व्यिस्था में प्रधािमिंत्री के कई महविपूणब कायब होते हैं और प्रधािमिंत्री अपिे लाभ के सलए व्यापक शसियों
का उपयोग करते हैं। िह देश का मख्ु य कायब कारी या सिेसिाब होता है और कें र सरकार के मसु खया के रूप में कायब करता है।
1) सरकार का मवु खया - राष्ट्रपसत देश के मसु खया होते है, जर्सक प्रधािमिंत्री सरकार के मसु खया होते हैं। सभी सिणब य मिंत्री
पररषद और प्रधािमिंत्री की सलाह ि सहायता के र्ाद राष्ट्रपसत के िाम पर सलये जाते हैं। यहािं तक सक िह (राष्ट्रपसत)
प्रधािमिंत्री की ससफाररश के अिस ु ार ही अन्द्य मिंसत्रयों की सियि
ु करते हैं।
2) कै वबनेट अथिा मिंवत्रमिंिल का नेता - अपिी सियसु ियों के र्ारे में िही राष्ट्रपसत को ससफाररश करता है सक कौि क्या है,
िह मिंसत्रयों के र्ीच सिसभन्द्ि सिभागों का आििंटि और फे रर्दल करता है। िह मिंत्री पररषद की र्ैठक की अध्यक्षता करता है और
उिके सिणब य को प्रभासित करता है। प्रधािमिंत्री मिंत्री मिंिल सकसी भी सदस्य को इस्तीफा देिे के सलए कह सकता है या
राष्ट्रपसत को सकसी भी मिंत्री को हटािे की ससफाररश कर सकता है। यसद प्रधािमिंत्री की मवृ यु या इस्तीफा हो जाता है तो पूरा
मिंत्री मिंिल भिंग हो जाता है।
3) राष्ट्रपवत और मिंत्री मिंिल के बीच सिंबिंध अथिा कडी - सिंसिधाि के अिच्ु छे द 78 में प्रधािमिंत्री के कतब व्य सिसदब ि हैं और
उिके सििब हि के सलए िह राष्ट्रपसत और कै सर्िेट के र्ीच एक कडी के रूप में कायब करता है। सिम्िसलसखत ऐसे मामले हैं जहािं
िह ऐसे कायब करता है:
कें रीय मामलों के प्रशासि और कािूि के सलए प्रस्तािों से सिंर्सिं धत मिंत्री पररषद के सभी सिणब यों पर सिंिाद करते समय,
जर् मिंत्री पररषद द्वारा सकसी भी सिणब य पर सिचार करिे के सलए सिंसिधाि की सकसी भी धारा या पररषद की राय िहीं ली जाती
है तो तर् राष्ट्रपसत इस तरह के मद्दु ों पर सिचार करिे के सलए प्रधािमिंत्री से प्रश्न कर सकते हैं।
जर् राष्ट्रपसत सिंघ के मामलों या सकसी ऐसी र्ातों के प्रशासि के र्ारे में कोई भी जािकारी मािंगते हैं।
4) सिंसद का नेता - एक िेता के रूप में िह िह सत्र के सलए अपिी र्ैठकों और कायब क्रमों की सतसथयों का सिधाब रण करता है।
िह यह फै सला भी करता है सक कर् सदि का सत्रािसाि सकया जाय या उसे भिंग सकया जाए। एक मख्ु य प्रििा के रूप में िह
सरकार की प्रमख ु िीसतयों की घोषणा करता है और तवपश्चात् सिालों के जिार् देता है।
5) विदेशी सिंबधिं ों में मख्ु य प्रििा - अिंतरराष्ट्रीय सम्मेलिों में िह राष्ट्र का प्रििा होता है।
6) पाटी का नेता - िह अपिी पाटी के सदस्यों का िेता होता है ।
7) विवभन्न आयोर्गों का अध्यक्ष- प्रधािमिंत्री होिे के िाते िह िह कुछ आयोगों का िास्तसिक अध्यक्ष होता है जैसे- योजिा
आयोग, राष्ट्रीय सिकास पररषद, राष्ट्रीय एकता पररषद, अिंतर-राज्यीय पररषद, राष्ट्रीय जल सिंसाधि पररषद।
र्गठबिंधन सरकार में कायव
राज्य की गसतसिसधयों के एक सिशेष उद्देश्य को हल करिे के सलए एक अस्थायी अिसध के सलए दो या दो से असधक अलग-
अलग दलों के व्यसियों के एक साथ आिे या एक गठर्िंधि में प्रिेश करिे को गठर्िंधि कहते हैं।
एकल पाटी सरकार में शवियािं
जर् चिु ािों में एक दल परू ा र्हुमत हाससल कर लेता है तो तर् राष्ट्रपसत उस दल के िेता को प्रधािमिंत्री के रूप में सरकार
र्िािे और कायब करिे के सलए आमिंसत्रत करते हैं। सिंसिधाि में यह उकलेख है सक इस तरह के मामलों में प्रधािमिंत्री के पास
सर्िा प्रसतर्िंधों के साथ सभी असधकार होगें। इस प्रकार, इस तरह की सरकार असधक सस्थर होती है।
अल्पसिंख्यक सरकार में भूवमका
सिंसदीय प्रणाली में अकपमत सरकार का गठि तर् होता है जर् एक राजिीसतक पाटी या पासटब यों के गठर्िंधि के पास सिंसद में
कुल सीटों का र्हुमत िहीं होता है, लेसकि एक सत्रशिंकु लोकसभा चिु ाि पररणामों को तोडिे के सलए अन्द्य दलों के र्ाहरी
समथब ि द्वारा एक सरकार शपथ लेती है। ऐसी पररसस्थसत में अन्द्य दलों के समथब ि के से ही कािूि पाररत सकया जा सकता है।
यह सरकार र्हुमत िाली सरकार की अपेक्षा में कम सस्थर होती है। राजिीसतक इसतहास में इसका एक र्ेहतरीि उदाहरण
िरससिंहा राि की सरकार रही है। ऐसी सस्थसत में यह जरूरी िहीं है सक सर्से र्िी पाटी का िेता ही प्रधािमिंत्री होगा र्सकक िह
सभी सदस्यों द्वारा तय सकया गया कोई भी व्यसि हो सकता है। ऐसी सस्थसत में सरकार कािूि पाररत करािे के सलए अन्द्य दलों
पर सिभब र रहती है। गठर्िंधि और अकपमत सरकार के र्ीच प्रमख ु अिंतर यह है सक गठर्िंधि सरकार में अकपमत सरकार में
सिपक्षी दल एक समझौते का सिमाब ण कर सकते हैं सजसके द्वारा उन्द्हें सरकार पर सियिंत्रण करिे की अिमु सत प्राप्त हो जाती है।
भारत के प्रधानमिंवत्रयों की सूची (अभी तक)
क्र.सिं. िाम कायब काल अिसध
1. जिाहरलाल िेहरू 1947- 1964
2. गलु जारी लाल ििंदा 1964- 1964
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3. लाल र्हादरु शास्त्री 1964- 1966
4. गल ु जारी लाल ििंदा 1966- 1966
5. इिंसदरा गािंधी 1966- 1977
6. मोरारजी देसाई 1977- 1979
7. चरण ससिंह 1979- 1980
8. इिंसदरा गािंधी 1980- 1984
9. राजीि गािंधी 1984- 1989
10. सिश्विाथ प्रताप ससिंह 1989- 1990
11. चिंरशेखर 1990- 1991
12. पी िी िरससिंह राि 1991- 1996
13. अटल सर्हारी िाजपेयी 1996- 1996 (16
सदि)
14. एच िी देिगौडा 1996- 1997
15. आई के . गज ु राल 1997- 1998
16. अटल सर्हारी िाजपेयी 1998- 1999
17. अटल सर्हारी िाजपेयी 1999- 2004
18. िॉ मिमोहि ससिंह 2004- 2009
19. िॉ मिमोहि ससिंह 2009- 2014
20. िरेंर मोदी 2014 से अभी तक
10. भारत पर विदेशी ऋर्: 495.7 सर्सलयि अमेररकी िॉलर (सदसिंर्र 2017)
11. भारत में स्िर्व भिंिार: 557.79 टि (सदसिंर्र 2017)
12. भारत में प्रवत व्यवि आय: 1.03 लाख रुपये (2016-17)
13. ितवमान कीमतों पर जीिीपी: 152.54 लाख करोड रुपये
14. भारत में पयवटक आर्गमन: 10.66 लाख / िषब (जििरी 2018)
15. एफिीआई आकवषवत करने िाले प्रमख ु क्षेत्रः (अप्रैल 2000 - जूि 2017)
a. सेिा क्षेत्र :(17%)
b. दूरसिंचार :(8%)
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c. किं प्यूटर सॉफ्टिेयर और हािब िेयर (8%)
d. सिमाब ण क्षेत्र :(7%)
e. ऑटोमोर्ाइल :(5%)
f. िग्स एिंि फामाब स्यूसटककस (4%)
g. रसायि :(4%)
h. रेसििंग :(4%)
i. सर्जली :(3%)
16. ििाई अि् िे:- (भारतीय सिमािपत्ति प्रासधकरण द्वारा मैिेज सकये जाते हैं)
भारत में कुल ििाई अि् िे: 125
अिंतरावष्ट्रीय ििाई अि् िे: 27
घरेलू ििाई अि् िे: 78
सैवनक उपयोर्ग के वलए ििाई अि् िे: 26
17. रेलिे:-
रेलिे नेटिकव : 108,706 सकमी.
यात्री रेनें : 12,617
मालर्गावडयाँ: 7,421
कुल रेलिे स्टेशन: 7,172
दैवनक यात्री: 23 समसलयि
18. सडक मार्गव:-
कुल सडक नेटिकव : 4.87 समसलयि सकमी (दसु िया में दस ू रा सर्से र्डा सडक िेटिकब)
भारतीय सडकों में 65% माल ढुलाई और 85% यात्री ढ़ोिे में इस्तेमाल सकया जाते हैं.
19. जलमार्गव:- 14,500 सकमी.
20. प्रमख ु बिंदरर्गाि:-
मर्िंु ई, चेन्द्िई, कोलकाता, हसकदया, कािंिला, एन्द्िोर, पारादीप, तूतीकोररि, सिशाखापत्तिम, जिाहरलाल िेहरू पोटब रस्ट,
कोसच्च, और िया मिंगलोर
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