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विषय सचू ी
1. वसिंधु घाटी सभ्यता के परु ातावविक स्थलों की सचू ी
2. भारतीय राष्ट्रीय आिंदोलन का सारािंश
3. विश्व में प्रथम व्यवि, िस्तु और स्थानों की सूची
4. भारत में पायी जाने िाली मदृ ाएिं
5. विश्व के प्रमखु रेल मार्गों की सचू ी
6. विमालय पिवत श्ख ृिं ला के मिविपूर्व ग्लेवशयरों की सचू ी
7. भारत की खवनज पेवटयों या बेल्टो की सूची
8. एवशया से सिंबविं धत मिविपूर्व भौर्गोवलक तथ्य
9. जीि विज्ञान की विवभन्न शाखाओिं के जनक की सूची
10. स्टीफन िॉवकिं र्ग की 6 मिविपूर्व खोजें
11. सिंविधान के मिविपूर्व अनच्ु छे दों की सूची
12. भारतीय सिंविधान के स्रोतः
13. भारत के प्रधानमिंत्री
14. भारतीय अथवव्यिस्था के बारे में 20 जरूरी तथ्य - 2018
15. नोबेल पुरूस्कार - 2017
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वसिंधु घाटी सभ्यता के पुरातावविक स्थलों की सूची
ससिंधु घाटी सभ्यता दसु िया के चार प्राचीितम सभ्यताओिं में से एक है । रेसियो कार्ब ि िेसटिंग के अिस
ु ार सभ्यता 2500-1750 ई.पू. के
आसपास में सभ्यता का सिकाश हुआ था । हम , यहााँ ससिंधु घाटी सभ्यता के परु ातासविक स्थलों की सूची है दे रहे हैं जो यूपीएससी ,
एसएससी, राज्य सेिाओिं, एििीए, सीिीएस, और रेलिे आसद जैसी प्रसतयोगी परीक्षाओिं के सलए र्हुत उपयोगी है। इस सभ्यता का क्षेत्र
सिंसार की सभी प्राचीि सभ्यताओिं के क्षेत्र से अिेक गिु ा र्डा और सिशाल था। इस पररपक्ि सभ्यता के के न्द्र-स्थल पिंजार् तथा ससन्द्ध
में था। तवपश्चात इसका सिस्तार दसक्षण और पूिब की सदशा में हुआ। इस प्रकार हडप्पा सिंस्कृसत के अन्द्तगब त पिंजार्, ससन्द्ध और
र्लूसचस्ताि के भाग ही िहीं, र्सकक गज ु रात, राजस्थाि, हररयाणा और पसश्चमी उत्तर प्रदेश के सीमान्द्त भाग भी थे।

वसिंधु घाटी सभ्यता के परु ातावविक स्थलों की सचू ी


वसिंधु घाटी सभ्यता वििरर् / विस्किरी / वनष्ट्कषों के पुरातविीय स्थल
(पुरातावविक स्थल)
हडप्पा 1. दया राम साहिी द्वारा 1921-1923 में खुदाई की गयी थी।
2. पिंजार् (पासकस्ताि) मोंटगोमरी सजले में रिी िदी के तट पर सस्थत है।
3. पवथर की नटराज की मूवतव औरकविस्तान-37 यहािं खुदाई के दौराि समली।
मोहिजो-दडो (मतृ के टीले) 1. आर िी बनजी िे 1922 द्वारा खुदाई की गयी थी।
2. पिंजाब (पावकस्तान) के लरकाना वजलेमें ससिंधु िदी के तट पर सस्थत है।
3. ग्रेट बाथ, मिंिल भिन वनमावर् औरविधानसभा िॉल इस स्थल की सिशेषताए हैं।
4. पशुपवत मिादेि (आद्य वशि) की मिु रऔर बनु ा कपास के टुकिे खदु ाई के दौराि समली है।
चाहुदारो (ससिंध , 1. 1931 में एन.जी मजूमदार द्वारा खुदाई की गयी थी।
पासकस्ताि) 2. वसिंध, पावकस्तान में वसिंधु नदी के तट पर सस्थत है।
3. यह ससन्द्धु घटी की ऐसी स्थल जहा वसटािेल (Citadel) िहीं है।
4. र्ैलगाडी , इक्कास और एक छोटे र्तब ि जो की आग में पकाए हुये तथा कािंस्य मूसतब यों खुदाई
के दौराि समली है।
लोथल (गज ु रात) 1. 1954 में एस.आर राि द्वारा खुदाई की गयी थी।
िदी भोगिा के तट पर सस्थत है।
2. शहर का सर्भाजि - गढ़ और सिचले शहर और गोदी (जहाज़ र्िािे का स्थाि) में सकया गया
था।
3. चािल के साक्ष्य यहााँ पाये गए हैं।
कालीर्िंगा (काला चूसडयााँ ), 1. 1961 में बी. बी लाल द्वारा खुदाई की गयी थी।
राजस्थाि 2. िदी घग्गर के तट पर सस्थत है।
3. जोता क्षेत्र, लकडी के कुिंि के साक्ष्य,सात आर्ग िेवदयों, ऊिंट की िि् वियों औरअिंवयेवि के दो
प्रकार (पररपत्र गिंभीर और आयताकार कब्र) पाया गया है।
धोलािीरा 1. 1967-68 में जे.पी जोशी द्वारा खुदाई की गयी थी।
2. गज ु रात में कच्छ सजले के लूिी िदी के तट पर सस्थत है।
3. असद्वतीय जल प्रर्िंधि प्रणाली के साक्ष्य, हरपण सशलालेख और स्टेसियम समले हैं।
1. 1961 में बी.बी लाल द्वारा खुदाई की गयी है।
सरु कोतडा (गज ु रात) 2. िदी घग्गर के तट पर सस्थत।
र्िािली (हररयाणा) 1. 1973 में आर.एस वबि द्वारा खुदाई की गयी थी।
2. सरस्िती िदी के तट पर सस्थत हैं।
3. दोिों पूिब हडप्पा और हडप्पा सिंस्कृसत और अच्छी गणु ित्ता के साथ जौ के साक्ष्य यहााँ समले हैं।

ससन्द्धु घाटी सभ्यता का क्षेत्र अवयन्द्त व्यापक था। हडप्पा और मोहिजोदडो की खुदाई से इस सभ्यता के प्रमाण समले हैं। अतः सिद्वािों
िे इसे ससन्द्धु घाटी की सभ्यता का िाम सदया, क्योंसक यह क्षेत्र ससन्द्धु और उसकी सहायक िसदयों के क्षेत्र में आते हैं, पर र्ाद में रोपड,
लोथल, कालीर्िंगा, ििमाली, रिंगापरु आसद क्षेत्रों में भी इस सभ्यता के अिशेष समले जो ससन्द्धु और उसकी सहायक िसदयों के क्षेत्र से
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र्ाहर थे। इसका सिकास ससिंधु और घघ्घर/हकडा (प्राचीि सरस्िती) के सकिारे हुआ। मोहिजोदडो, कालीर्िंगा, लोथल, धोलािीरा,
राखीगढ़ी और हडप्पा इसके प्रमख
ु के न्द्र थे।

भारतीय राष्ट्रीय आिंदोलन का सारािंश


यह देखा गया है सक भारत में स्ितिंत्रता सिंघषब कई राजिीसतक, सामासजक– सािंस्कृसतक और आसथब क कारकों के श्िंख
ृ ला का मेल था
सजसिे राष्ट्रिाद को र्ढ़ािे का काम सकया।

 28 वदसिंबर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कािंग्रेस (आईएनसी) का गठि गोकुलदास तेजपाल सिंस्कृत स्कूल, र्ॉम्र्े में सकया गया।
इसकी अध्यक्षता िब्लकयू.सी. र्ैिजी िे की थी और इसमें 72 प्रसतसिसधयों िे भाग सलया था। ए.ओ. ह्यूम िे आईएिसी के गठि में अहम
भूसमका सिभाई थी और इिका उद्देश्य था सब्रसटश सरकार को सेफ्टी िॉकि प्रदाि करिा।
 ए.ओ. ह्यूम िे आईएिसी के पहले महाससचि के तौर पर काम सकया।
 कािंग्रेस का मख्ु य उद्देश्य भारतीय यिु ाओिं को राजिीसतक आिंदोलि में प्रसशसक्षत करिा और देश में जिता की राय र्िािा था। इसके
सलए इन्द्होंिे िासषब क सत्र पद्धसत को अपिाया जहािं िे समस्याओिं पर चचाब करते थे और सिंककप पाररत करते थे।
 भारतीय राष्ट्रिाद का पहला या आरिंसभक चरण मध्यम दजे (िरमदल) का चरण (1885-1905) भी कहलाता है। िरमदल के िेता थे,
िब्लकयू.सी. र्िजी, गोपाल कृष्ट्ण गोखले, आर.सी. दत्ता, फीरोजशाह मेहता, जॉजब यूल आसद
 नरमपिंथी िेताओिं को सब्रसटश सरकार में पूणब सिश्वास था और उन्द्होंिे पीपीपी मागब यासि सिरोध, प्राथब िा और यासचका, को अपिाया था।
 काम के िरमपिंथी तरीकों से मोहभिंग होिे के कारण, 1892 के र्ाद कािंग्रेस में चरमपिंथ सिकससत होिे लगा। चरमपिंथी िेता थे– लाला
लाजपत राय, र्ाल गिंगाधर सतलक, सर्सपिचिंर पाल और अरसर्िंदो घोष। पीपीपी मागब के र्जाए इन्द्होंिे आवम– सिभब रता, रचिावमक कायब
और स्िदेशी पर जोर सदया।
 प्रशाससिक ससु िधा के सलए लॉिब कजब ि द्वारा र्िंगाल सिभाजि (1905) की घोषणा के र्ाद, 1905 में स्िदेशी और र्सहष्ट्कार सिंककप
पाररत सकया गया था।
स्िदेशी आिंदोलन के दौरान कािंग्रेस के सत्रः
1. 1905 – र्िारस में कािंग्रेस सत्र। गोपाल कृष्ट्ण गोखले िे अध्यक्षता की।
2. 1906– कलकत्ता में कािंग्रेस सत्र। दादाभाई िैरोजी िे अध्यक्षता की।
3. 1907– ताप्ती िदी के सकिारे सूरत में कािंग्रेस का सत्र। सफरोजशाह मेहता िे अध्यक्षता की सजसमें िरमपिंथी और चरमपिंसथयों के र्ीच
मतभेदों की िजह से कािंग्रेस में सिभाजि हो गया।
 आगा खाि III और मोहससि मक ु क द्वारा 1906 में मुवस्लम लीर्ग का गठि सकया गया।
 1909 के मॉले– वमिंटो सुधार अवधवनयम द्वारा अलग सििाब चि मिंिल प्रस्तुत सकया गया था।
 लाला हरदयाल िे 1913 में र्गदर आिंदोलन शरु ु सकया था और कोटलैंि में 1 िििंर्र 1913 को गदर पाटी की स्थापिा की थी। इसका
मख्ु यालय सैि फ्ािंससस्को के यगु ािंतर आश्म में था और गदर पसत्रका का प्रकाशि शरुु सकया गया था।
 कोमार्गाटा मारू घटना ससतिंर्र 1914 में हुई थी और इसके सलए भारतीयों िे शोर कसमसट िाम से एक ससमसत र्िाई थी जो यासत्रयों
की कािूिी लडाई लडती थी।
 1914 में पहला सिश्व यद्ध ु आरिंभ हुआ था।
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 अप्रैल 1916 में सतलक िे िोम रूल आिंदोलन की शरुु आत की थी। इसका मख्ु यालय पूिा में था और इसमें स्िराज की मािंग की गई
थी।
 ससतिंर्र 1916 में एिीर्ेसेंट िे होम रूल आिंदोलि शरुु सकया और इसका मख्ु यालय मरास के करीर् असियार में था।
 िषब 1916 में हुए कािंग्रस
े के लखिउ असधिेशि की अध्यक्षता असम्र्का चरण मौजूमदार (िरमपिंथी िेता) िे की थी जहािं चरमपिंथी और
िरमपिंथी दोिों प्रकार के िेता एक जटु हुए थे।
 भारत सरकार अवधवनयम 1919 या मोंटार्ग–ू चेम्सफोिव ररफॉमव एक्ट को भारत में सजम्मेदार सरकार की स्थापिा के सलए पाररत
सकया गया था।
 9 जििरी 1915 को गािंधी जी 46 िषब की उम्र में दसक्षण अफ्ीका से भारत िापस आए थे।
 1916 में गािंधी जी िे सवय और असहिंसा के सिचार के प्रचार के सलए अहमदार्ाद (गज ु रात) में साबरमती आश्म की स्थापिा की।
 चिंपारर् सवयाग्रि– 1917
 खेडा सवयाग्रि– 1917
 अिमदाबाद वमल िडताल– 1918
 रॉलेक्ट एक्ट सवयाग्रि– फरिरी, 1919
 गािंधी जी िे फरिरी, 1919 में सवयाग्रह सभा की स्थापिा की। इस आिंदोलि में छात्र, मध्यम िगब , मजदरू और पूज िं ीपसतयों िे सहस्सा
सलया और सिंगठि के तौर पर कािंग्रेस कहीं िहीं थी। यह गािंधी जी का पहला जि आिंदोलि था।
 जवलयािंिाला बार्ग नरसिंिार – 13 अप्रैल 1919। 13 अप्रैल 1919 को लोग अमतृ सर के जसलयािंिाला र्ाग में सैफुद्दीि सकचलू और
सवयपाल की सगरफ्तारी का सिरोध करिे के सलए इक्ठा हुए थे।
 1 अगस्त 1920 को सखलाफत ससमसत िे तीि मुद्दों– पिंजार् में हुई र्ेइिंसाफी, सखलाफत का मुद्दा और स्िराज की मािंग, पर असहयोग
आिंदोलि की शरुु आत की।
 इसके र्ाद 1920 में असियोर्ग – आिंदोलन की शरुु आत हुई।
 अक्टूर्र 1920 में एि.एम. जोशी, राय चौधरी िे र्ॉम्र्े में असखल भारतीय व्यापार सिंघ कािंग्रेस की स्थापिा की। अध्यक्षता लाला
लाजपत राय िे की थी।
 अकाली आिंदोलन 1920 में शरुु हुआ था।
 िषब 1925 में एसजीपीसी (सशरोमसण गरुु द्वारा प्रर्िंधक कसमसट) का गठि हुआ था।
 सी.आर दास और मोसतलाल िेहरू िे कािंग्रेस सखलाफत स्िराज पाटी का गठि सकया था। यह कािंग्रेस में दूसरे सिभाजि के िाम से भी
जािा जाता है।
 िषब 1927 में, श्समक और सकसाि पाटी (िब्लकयूपीपी) का गठि एस.एस. समराजकर, के . एि. जगु लेकर और एस. िी. घाटे िे र्ॉम्र्े में
सकया था।
 िषब 1924 में, एच.आर.ए. (सहन्द्दस्ु ताि ररपसब्ललकि एसोससएशि) का कािपरु में गठि हुआ था। सी.एस आजाद, ससचि सान्द्याल और
रामप्रसाद सर्सस्मल इसके सदस्य थे।
 िषब 1929 में, एचएसआरए ( सहन्द्दस्ु ताि सोशसलस्ट ररपसब्ललकि एसोससएशि) का सफरोजशाह कोटला सदकली में गठि हुआ। भगत ससिंह
एचएसआरए में शासमल हुए।
 9 अगस्त 1925 को, काकोरी रेल िकै ती हुई, इस षडयिंत्र में राम प्रसाद सर्सस्मल, राजेन्द्र लासहडी, रौशि लाल और अशफाकुकलाह
खाि को फािंसी की सजा दी गई।
 23 माचब 1931 को भगत ससिंह, राजगरुु और सख ु देि को लाहौर षडयिंत्र मामले में फािंसी की सजा दी गई।
 8 िििंर्र 1927 को स्टेिली र्ाकिसिि के तहत सब्रसटश किं जिेसटि सरकार द्वारा साइमि कसमशि र्िाया गया था।
कसमशि का गठि 1919 के सधु ार असधसियम के र्ाद देश में सरकार की कायब प्रणाली की जािंच करिे के सलए सकया गया था।
 नेिरू ररपोटव – 1928, राष्ट्र का दजाब , सािब भौसमक व्यस्क मतासधकार आसद के सलए।
 सजन्द्िा का 14 सूत्री कायब क्रम– 31 माचब 1929
 आईएिसी का 1929 में हुआ लाहौर असधिेशि, अध्यक्षता जिाहरलाल िेहरू िे की। इसमें पूणब स्िराज का सिंककप कािंग्रेस द्वारा पाररत
सकया गया और गािंधी जी के िेतृवि में ससििय अिज्ञा आिंदोलि करिे का फै सला सकया गया।
 26 जििरी 1930 को पहली र्ार स्ितिंत्रता सदिस मिाया गया।
 दािंिी माचब के साथ सविनय अिज्ञा आिंदोलन शरुु सकया गया था। 12 माचब से 6 अप्रैल 1930 तक गािंधी जी िे अपिे 78 अियु ासययों
के साथ सार्रमती आश्म से दािंिी तक की यात्रा की और 6 अप्रैल 1930 को िमक र्िाकर िमक कािूि को तोडा।
 12 नििंबर 1930 को पिला र्गोलमेज सम्मेलन आयोवजत वकया र्गया था।
 5 माचव 1931 को र्गािंधी – इरविन समझौते पर िस्ताक्षर।
 23 माचव 1931 को भर्गत वसिंि, राजर्गुरु और सुखदेि का रायल।
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 29 माचव 1931, आईएनसी का कराची अवधिेशन, िकलभ भाई पटेल िे अध्यक्षता की। इस असधिेशि में पहली र्ार मौसलक
असधकारों और आसथब क िीसत का सिंककप पाररत सकया गया।
 7 वसतिंबर 1931 को दूसरा र्गोलमेज सम्मेलन हुआ सजसमें कािंग्रेस की तरफ से गािंधी जी िे सहस्सा सलया।
 16 अर्गस्त 1932 को सािंप्रदावयक या रामसे मैकिोनाल्ि परु स्कार की घोषणा हुई।
 26 वसतिंबर 1932, पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर सकए गए।
 नििंबर 1932 में तीसरा र्गोलमेज सम्मेलन आयोसजत सकया गया था।
 1935 में, भारत सरकार अवधवनयम को असखल भारतीय सिंघ, प्रािंतीय स्िायत्तता और कें र में द्वैध शासि पसद्धत होिी चासहए, को
र्िािे के सलए पाररत सकया गया था।
भारत छोडो आिंदोलन की ओर
महत्वपूर्ण क ांग्रेस सत्रः
1. 1936 – लखनउ (उ.प्र.)– अध्यक्षता – जे.एल.नेिरू
2. 1937 – फैजपुर (मिाराष्ट्र)– अध्यक्षता– जे.एल.नेिरू (र्गािंि में आयोवजत पिला अवधिेशन)
3. 1938 –िरीपरु ा (र्गज ु रात)– एस.सी.बोस ने अध्यक्षता की
4. 1939 –वत्रपुरी (एम.पी.)– एस.सी. बोस ने अध्यक्षता की
 वसतिंबर 1939 में वितीय विश्व युद्ध सछडा और भारत की सहमसत के सर्िा उसका सहयोगी घोसषत कर सदया गया ।
 1939 में एस. सी. र्ोस िे फॉिावि ब्लॉक की स्थापिा की। यह एक िाम पाटी (left party) थी।
 10 अगस्त 1940– सद्वतीय सिश्व यद्ध ु में भारतीयों के समथब ि पािे के सलए लॉिब सलिसलथगो िायसराय िे अर्गस्त प्रस्ताि की घोषणा
की थी।
 11 माचब 1942 को प्रधािमिंत्री सििंस्टि चसचब ल िे भारतीयों के सिंिधै ासिक गसतरोध और समस्याओिं का समाधाि ढूिंढ़िे के सलए सर
स्टाफोिब सक्रप्स की अध्यक्षता में समशि भेजिे की घोषणा की।
 सक्रप्स समशि की असफलता के साथ 1942 में भारतीय िेताओिं द्वारा भारत छोडो आिंदोलि की शरुु आत हुई और भारत छोडों का
सिंककप गािंधी जी िे तैयार सकया। गािंधी जी िे करो या मरो का िारा सदया था।
 1942 में कै प्टि मोहि ससिंह और सिरिंजि सगल द्वारा ससिंगापरु में इिंवियन नेशनल आमी की स्थापिा की गई। एस.सी. र्ोस िे ससिंगापरु
और रिंगूिि के दस ू रे मख्ु यालय का पदभार सिंभाला।
 21 अक्टूर्र 1943 को– एस.सी. र्ोस के अधीि ससिंगापरु में आजाद सहिंद सरकार र्िी। इसमें एक मसहला रेसजमेंट भी थी सजसका िाम
रािी झािंसी रखा गया था।
 1945 में, सद्वतीय सिश्व यद्ध ु समाप्त हुआ।
 1945 में, राजिीसतक गसतरोध को दरू करिे के सलए लॉिब िािेल द्वारा िािेल योजना या वशमला सम्मेलन का प्रस्ताि सकया गया था।
 1946 में, पीएम सक्लमेंट एट्टली द्वारा कै वबनेट वमशन प्लान की घोषणा।
 2 वसतिंबर 1946 को, जे.एल. िेहरू के िेतृवि में अिंतररम सरकार का गठि हुआ।
 माचव 1947 – लॉिव माउिंटबेटन को सत्ता के हस्तािंतरण के सलए रास्ता ढूिंढ़िे के उद्देश्य के साथ भारत भेजा गया। इसे र्ालकि योजिा
के िाम से भी जािा जाता है।
 3 जून को इिंविपेंिेस ऑफ इिंविया एक्ट 1947 पाररत सकया गया सजसके द्वारा सत्ता को दो प्रभवु ि राष्ट्रों – भारत और पासकस्ताि,
को सौंपा गया।

विश्व में प्रथम व्यवि, िस्तु और स्थानों की सूची


मािि जासत के इसतहास पर एक िजदीकी दृसि िालिे पर यह पता चलता है सक इिंसािों में उवपादि, खोज और रोमािंच की एक
सहज प्रिसृ त्त होती हैl र्हुत से लोगों िे इस सहज माििीय प्रिसृ त्त को र्िाए रखा है जो इस सिचार की सच्चाई को भी
सवयासपत करता है। इस लेख में हम “सिश्व में प्रथम” व्यसि, िस्तु और स्थािों की एक परू ी सूची दे रहे हैं, सजसमें उि सभी
माििीय अन्द्िेषण, रोमािंच, असभयािों, खोजों और आसिष्ट्कारों को शासमल सकया गया है जो मािि जासत के इसतहास में पहली
र्ार सकये गए थेl

विश्व में प्रथम व्यवि, िस्तु और स्थानों की सूची


प्रथम व्यवि, देश, स्थान शिर, िस्तुए िं आवद प्रथम व्यवि, देश, स्थान शिर, िस्तुए िं
आवदके नाम
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माउिंट एिरेस्ट पर पहुचिं िे िाले प्रथम व्यसि शेरपा तेिसजिंग और एिमिंि सहलेरी
उत्तरी ध्रिु पर पहुचिं िे िाला पहला व्यसि रॉर्टब सपएरी
दसक्षणी ध्रिु पर पहुचिं िे िाला पहला व्यसि एमिंिसि
दसु िया का पहला धमब सहन्द्दू
सकतार् छपाई करिे िाला पहला देश चीि
कागजी मरु ा का प्रचलि शरू ु करिे िाला पहला देश चीि
सससिल सेिा में चयि के सलए प्रसतयोसगता परीक्षा लागू चीि
करिे िाला पहला देश
सिंयि ु राज्य अमेररका के पहले राष्ट्रपसत जॉजब िासशिंगटि
इिंग्लैंि के पहले प्रधािमिंत्री रॉर्टब िाकपोल
सिंयि ु राष्ट्र सिंघ के पहले महाससचि सत्रग्िेली (िािे)
फुटर्ॉल सिश्व कप जीतिे िाला पहला देश उरूग्िे
सिंसिधाि तैयार करिे िाला पहला देश सिंयिु राज्य अमेररका
पासकस्ताि के पहले गििब र जेिरल मोहम्मद अली सजन्द्िा
“िाम” सम्मलेि की मेजर्ािी करिे िाला पहला देश यगु ोस्लासिया (र्ेलग्रेि)
भारत पर आक्रमण करिे िाला पहला यूरोपीय ससकन्द्दर
चीि की यात्रा करिे िाला पहला यूरोपीय माकोपोलो
हिाई जहाज उडािे िाला पहला व्यसि राइट ब्रदसब
समरु ी रास्ते से दसु िया का चक्कर लगािे िाला पहला मैगलेि
व्यसि
चन्द्रमा पर मिष्ट्ु य भेजिे िाला पहला देश सिंयि ु राज्य अमेररका
अिंतररक्ष में कृसत्रम उपग्रह भेजिे िाला पहला देश रूस
आधसु िक ओलसम्पक खेलों का पहला मेजर्ाि देश ग्रीस
पहला शहर सजस पर परमाणु र्म सगराया गया थाl हीरोसशमा (जापाि)
चन्द्रमा पर कदम रखिे िाला पहला व्यसि िील आमब स्रोंग, उिके र्ाद एिसिि एसकिि
अिंतररक्ष में जािे िाला पहला अिंतररक्ष शटल कोलसम्र्या
मिंगल पर उतरिे िाला पहला अिंतररक्षयाि िाइसकिं ग – 1
इिंग्लैंि की पहली मसहला प्रधािमिंत्री मागेट थैचर
सकसी देश की पहली मसु स्लम मसहला प्रधािमिंत्री र्ेिजीर भट्टु ो (पासकस्ताि)
सकसी देश की पहली मसहला प्रधािमिंत्री श्ीमती एस. भिंिारिायके (श्ीलिंका)
एिरेस्ट की चोटी पर चढ़िे िाली पहली मसहला जन्द्ु को तार्ेई (जापाि)
दसु िया की पहली मसहला अिंतररक्ष यात्री िेलेंटीिा टेरस्े कोिा (रूस)
सिंयि
ु राष्ट्र सिंघ महासभा की पहली मसहला अध्यक्ष सिजया लक्ष्मी पिंसित
अिंतररक्ष में जािे िाला प्रथम व्यसि यूरी गागररि (रूस)
अपिे पदापब ण के र्ाद पहले तीि टेस्टों में तीि शतक मोहम्मद अजहरूद्दीि
लगािे िाला पहला र्कलेर्ाज
एिरेस्ट की चोटी पर दो र्ार चढ़िे िाले पहले परू ु ष ििािंग गोम्र्ू
अपिे पद से इस्तीफा देिे िाले अमेररका के पहले ररचिब सिक्सि
राष्ट्रपसत
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मदृ ा शब्लद की उवपसत्त लैसटि भाषा के शब्लद सोलम (Solum) से हुई है | वजसका अथव िै फशव (floor) | मदृ ा, पथ्ृ िी को एक पतले
आिरण में ढके रहती है तथा जल और िायु की उपयि ु मात्रा के साथ समलकर पौधों को जीिि प्रदाि करती है | भारत में सर्से
असधक (43.4%) भूभाग पर जलोढ़ समट्टी पायी जाती है और अन्द्य समरट्टयों में काली समट्टी, लाल समट्टी और लैटराइट समट्टी पायी जाती
है |
मृदा के सम्बन्ध में दो मिविपूर्व धारर्ाएिं िै :
1. पेिालोजी (Pedology): इसके अिंतगब त मदृ ा की उवपसत्त और िगीकरण तथा मदृ ा का सिस्तृत अध्ययि सकया जाता है | मदृ ा का
शीघ्र प्रायोसगक उपयोग करिा इसका प्रमख ु सिषय िही है | एक pedalogist मदृ ा के प्राकृसतक िातािरण में ही उसका अध्ययि, जााँच
तथा िगीकरण करता है |
2. एिेफोलोजी (Edaphology): इसके अिस ु ार मदृ ा, पेड पौधों के सलए एक प्राकृसतक आिास है| पौधों के उवपादि
सम्र्न्द्धी मदृ ा के गुणों का अध्ययि ही एिेफोलोजी कहलाता है | इस का मख्ु य लक्ष्य आहार एििं फाइर्र का उवपादि करिा
होता है |

भारत में पायी जाने िाली मदृ ाएिं


भारत में पायी जाने िाली प्रमख ु मदृ ाएँ इस प्रकार िैं :
1. जलोढ़ वमट्टी (Alluvial Soil): इस समट्टी का सिस्तार लगभग 15 लाख िगब सकमी. है| भारत में सर्से असधक (43.4%) भूभाग पर
जलोढ़ समट्टी पायी जाती है | यह उत्तर भारत के मैदािों तथा दसक्षण भारत के तटीय मैदािों की समट्टी है जो मख्ु यतः िसदयों द्वारा िासहत
होती है | इस मदृ ा में पोटाश ि चूिा प्रचरु मात्रा में पाया जाता है तथा फास्फोरस, िाइरोजि एििं जीिािंश की कमी होती है | यह समट्टी
गन्द्िा, गेहिं, धाि, सतलहि, दलहि आसद की खेती के सलए र्हुत ही उपजाऊ होती है |
2. लाल वमट्टी (Red Soil): इस समट्टी का सिस्तार मख्ु य तौर से तवमलनािु, किाब टक, दसक्षण पूिी महाराष्ट्र, ओसिशा, पूिी मध्य
प्रदेश, र्न्द्ु दल
े खिंि के कुछ भागों में तथा छोटा िागपरु में है | इस मदृ ा का सिस्तार देश के 18.6% भूभाग पर है | इस प्रकार यह देश में
पायी जािे िाली दूसरी सर्से असधक सिस्तृत क्षेत्र िाली मृदा है | इसका सिमाब ण ग्रेिाइट, िीस और ससस्ट जैसे खसिजों से होता है |
इसमें लोहे का अिंश सर्से असधक होता है | इसमें पैदा की जािे िाली फसलें तम्र्ाकू, र्ाजरा, सतलहि और गेहिं हैं |
3. काली वमट्टी (Black Soil) : इस समट्टी का सिस्तार मख्ु यतः गज ु रात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और तसमलिािु के लािा क्षेत्रों में पाया
जाता है | यह भारत के 15% भूभाग में पायी जाती है | उत्तर प्रदेश में इसे करेल तथा कपास मदृ ा भी कहा जाता है | इसमें लोहा चूिा,
पोटैसशयम, मैग्िेसशयम, तथा एकयसु मसियम की मात्रा र्हुत होती है | इसमें पैदा की जािे िाली मख्ु य फसलें कपास, मूिंगफली, सोयार्ीि,
सतलहि एििं गेहिं इवयासद हैं|
4. लैटराइट वमट्टी (Laterite Soil): यह स्थाि र्द्ध समट्टी है जो देश के लगभग 7% भूभाग पर पायी जाती है | इसमें लोहा,
एकयसु मसियम, असधक मात्रा में पाये जाते हैं तथा इसमें िाइरोजि, पोटाश, फास्फोरस, चूिा आसद की कमी होती है | इसमें पैदा होिे
िाली मख्ु य फसलें हैं :चाय, कहर्ा, रर्र, काजू और ससिकोिा आसद |
5. मरुस्थलीय वमट्टी (Desert Soil): ये मदृ ाएाँ शष्ट्ु क तथा आरब शष्ट्ु क प्रदेशों में पायी जाती हैं इस प्रकार की मदृ ाएाँ मख्ु य रूप
से राजस्थान, िररयार्ा, पसश्चमी उत्तर प्रदेश, दसक्षणी पिंजार् के भागों में पायीं जातीं हैं | इस प्रकार यह समट्टी 2.85 लाख सकमी2 भूभाग
में फै ली है| पािी की कमी और असधक तापमाि के कारण ये मदृ ाएाँ टूटकर र्ालू के कणों में सिखिंसित हो जातीं हैं | इसमें फास्फोरस
असधक मात्रा में पाया जाता है लेसकि इिमे जीिािंश ईधि और िाइरोजि की कमी होती है |
6. पिवतीय मृदाएँ (Hill Soil): इसका सिस्तार भारत में लगभग 3 लाख िगब सकमी में पाया जाता है | इसे ििीय मदृ ा भी कहते हैं | इस
प्रकार की समरट्टयााँ कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फै ली हई है | इसमें जीिािंश असधक मात्रा में पाये जाते हैं लेसकि फास्फोरस,
पोटाश, चूिा की कमी होती है | यह मदृ ा सेि, िाशपाती और अलूचा आसद के सलए अच्छी मािी जाती है |

विश्व के प्रमख
ु रेल मार्गों की सचू ी
रेलिे महविपूणब और सिश्वसिीय पररिहि में से एक है क्यक ु ी सकसी भी अथब व्यस्था में अिंतदेशीय पररिहि का रेल मख्ु य माध्यम होता है।
यह ि के िल सकसी भी देश की मूल सिंरचिावमक आिश्यकताओिं को पूरा करिे में महविपूणब भूसमका सिभाता है असपतु सर्खरे हुए क्षेत्रों
को एक साथ जोडिे में और राष्ट्रीय अखिंिता को भी र्ढ़ािा देता है। रािंस-महाद्वीपीय रेलिे ऐसे रेल मागब को कहा जाता है जो महाद्वीप
के एक सहस्से को दूसरे सहस्से से जोडता है। सिश्व के प्रमख
ु रेल मागगों के र्ारे में िीचे चचाब की गई है:
1. रािंस-साइबेररयन रेलिे
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इस रेलिे मागब का सिमाब ण 1891 ईसिी में शरू ु सकया गया था और यह 1905 ईसिी में सिमाब ण कायब सिंपन्द्ि हो गया था। यह एक प्रससद्ध
रेलमागब है जो सेंट पीटसब र्गब से गज़ ु रते हुए सूदूर-पूिी शहर व्लासदिोस्तोक से जोडता है। मागब के मुख्य जिंक्शि हैं: यारोस्लािस्की
िोक्झल, चेकयासर्िंस्क, ओम्स्क, िोिोसससर्स्कब, इकब ु वस्क, क्रास्िोयास्कब, उलाि-उिे, सचता, खार्रोिस्क, और व्लासदिोस्तोक।
2. कनािाई प्रशािंत रेलिे
यह रेल मागब किािा के पसश्चमी तट पर सेंट जोि से पूिी तट पर िैंकूिर तक चलता है। यह क्यूर्ेक और मॉसन्द्रयल के औद्योसगक क्षेत्रों
को जोडता है।
3. कनािा के राष्ट्रीय रेलिे
यह हैसलफै क्स शहर िोिा स्कॉसशया और सब्रसटश कोलिंसर्या के सप्रिंस रूपटब के र्ीच चलती है।
4. काविरा-के प टाउन रािंस-कॉवन्टनेंटल रेलिे
यह प्रस्तासित है सक वमस्र की राजधानी कै रो और दवक्षर् अफ्रीका की सिंिैधावनक राजधानी, के प टाउन, आसिान,अदीस
अबाबा होते हुए मोम्बासा तक जाएगी।
5. रािंस-ऑस्रेवलया रेलिे
यह ऑस्रेसलया का सर्से लिंर्ी रेल मागब है, जो पूिी ससििी को पसश्चमी पथब तक चलती है। ब्रोकि सहल, कलगोरी और कूलगािी इस
मागब का मख्ु य जिंक्शि है। यह उकलेखिीय है सक कलगोरी और कूलगािी दसु िया के र्हुत महविपूणब सोिे की खदाि हैं।
6. रािंस कोके वशयान रेलिे
यह सोसियत सिंघ के र्ातुम शहर से फरगिा और कुस्क शहर तक चलती है।
7. ओररएिंट-एक्सप्रेस रेलिे
यह यूरोप का सर्से महविपूणब रेल मागब है, जो फ्रािंस के पेररस शिर और तुकी के कॉन्सवटनवटनोप शिर के र्ीच चलती है।
8. उत्तरी रािंस-मिािीपीय रेलिे
यह रेल मागब वसएटल को न्यू यॉकव से जोडता है।
9. वमि रािंस-मिािीपीय रेलिे
यह रेल मागब सैि फ्ािंससस्को और न्द्यूयॉकब के र्ीच चलती है।
10. दवक्षर्ी रािंस-मिािीपीय रेलिे
यह रेल मागब लॉस एिंजेकस को न्द्यूयॉकब और न्द्यू ऑरसलयन्द्स को जोडती है
11. एवशया-यूरोप रेल नेटिकव
एसशया और यूरोप के देशों को 80,000 सकलोमीटर लम्र्े िहृ द् रेल िेटिकब से जोडिे की 'यूिाइटेि िेशि इकिोसमक एिंि सोशल
कमीशि फॉर एसशया एिंि पैसससफक' की महविकािंक्षी योजिा 'एसशया-यूरोप रेल िेटिकब' पररयोजिा 2006 में हस्ताक्षररत हुआ था। यह
िेटिकब एसशया और यूरोप के र्ीच सियाब त-आयात को र्ढ़ािा देगा। यह रेल लाइि भारत में म्यािंमार की सीमा से लगे तामू क्षेत्र से प्रिेश
करेगी , जहााँ से यह र्ािंग्लादेश होते हुए पिु ः भारतीय क्षेत्र में आएगी। पसश्चम में यह रेल लाइि अटारी र्ॉिब र होते हुए पासकस्ताि में प्रिेश
करेगी।

विमालय पिवत श्ख


ृिं ला के मिविपूर्व ग्लेवशयरों की सचू ी
ग्लेवशयर या विमानी या विमनद (Glacier) पथ्ृ िी की सतह पर सिशाल आकार की गसतशील र्फबरासश को कहते है जो अपिे भार के
कारण पिब तीय ढालों का अिस ु रण करते हुए िीचे की ओर प्रिाहमाि होती है। यह पथ्ृ िी पर ताजे पािी का सर्से र्डा जलाशय है
(दसु िया के ताजा पािी का 75 प्रसतशत)। सहमालय के ग्लेसशयर से तावपयब उि ग्लेसशयरों या ग्लेसशयरों से है जो सहमालय पिब त श्ेणी पर
पाए जाते हैं। सहमालय पिब त श्िंख ृ ला के महविपूणब ग्लेसशयरों तथा उिके स्थाि के िाम िीचे सदए गए हैं:
विमालय पिवत श्ख ृिं ला के मिविपूर्व ग्लेवशयरों की सूची
ग्लेवशयर के नाम स्थान
ससयासचि सहमालय के पूिी काराकोरम रेंज
फे दच् ेंको (यह ध्रिु ीय क्षेत्रों के काराकोरम
र्ाहर दसु िया का सर्से लिंर्ा
ग्लेसशयर है)
सहस्पार काराकोरम
सर्अफो काराकोरम
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र्कतोरो काराकोरम
रोंग्र्क ु किं चिजिंगा एिरेस्ट
चोंगो-लुन्द्गमा काराकोरम
खुदाब प्लो काराकोरम
लोलोफोंद काराकोरम
यारकिं द ररमो काराकोरम
गिंगोत्री कुमाऊिं-गढ़िाल
गॉिसिि ऑस्टेि काराकोरम
पसु काराकोरम
जेमू किं चिजिंगा एिरेस्ट
चोंग कुमदाि काराकोरम
किं चिजिंगा किं चिजिंगा एिरेस्ट
समलाम कुमाऊिं-गढ़िाल
चन्द्ु ग्परु पीर पिंजाल
तो लाम र्ाउ किं चिजिंगा एिरेस्ट
भगीरथ खराक कुमाऊिं-गढ़िाल
सोिापािी पीर पिंजाल
र्ारा सशघी पीर पिंजाल
रखीओत पीर पिंजाल
गिंग्री पीर पिंजाल
राम्र्िंग किं चिजिंगा एिरेस्ट
कफिी ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
कलर्ालैंि ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
के दार र्ामक ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
मेला ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
िासमक ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
पिंचचल ु ी ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
सपिंिारी ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
रलेम ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
सोिा ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
सातोपिंथ ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
सिंदु रदघा ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
िोसक्रयि ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
चोरर्ारी ग्लेसशयर कुमाऊिं-गढ़िाल
लोिक उत्तर-पूिब सहमालय
छोटा सशगरु ी पीर पिंजाल
रािंगो काराकोरम
सहमासियों या ग्लेसशयरो या सहमिद द्वारा कई प्रकार के स्थलरूप भी सिसमब त सकये जाते हैं सजिमें प्लेस्टोसीि काल के व्यापक
सहमाच्छादि (Glaciation) के दौराि र्िे स्थलरूप प्रमख ु हैं। इस काल में ग्लेसशयरो का सिस्तार काफी र्डे क्षेत्र में हुआ था और इस
सिस्तार के दौराि और र्ाद में इि सहमासियों या ग्लेसशयरो के सिितब ि से र्िे स्थलरूप उि जगहों पर भी पाए जाते हैं जहााँ आज उष्ट्ण
या शीतोष्ट्ण जलिायु पायी जाती है।

भारत की खवनज पेवटयों या बेल्टो की सूची


खसिज ऐसा भौसतक पदाथब हैं जो खाि से खोद कर सिकाले जाते हैं। जैसे- लोहा, अभ्रक, कोयला, र्ॉक्साइट, िमक, जस्ता, चूिा
पवथर इवयासद। भारत सिश्व के खसिज सम्पन्द्ि देशों में से एक है, लेसकि भारत के सभी क्षेत्रों में खसिज िहीं पाये जाते हैं। भारत के
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खसिज कुछ खास क्षेत्रों में ही पाये जाते हैं और खसिज सम्पन्द्ि इि क्षेत्रों को ‘भारत की खसिज पेसटयााँ’ कहा जाता है। भारत की खसिज
पेटी या र्ेकट के र्ारे में िीचे व्याख्या की गयी है:
1. विमालय की खवनज पट्टी या बेल्ट
भौर्गोवलक वस्थवत: सहमालय क्षेत्र
खवनज: कोयला उप-सहमालय पूिी क्षेत्र में पाया जाता है तथा असम और मेघालय में हाइिोकार्ब ि पाए जाते हैं। प्राकृसतक गैस सहमाचल
प्रदेश की तलहटी में पाए जाते हैं। इसके इलािा सिकल, सोिा, रजत, कोर्ाकट, लीि आसद भी इस क्षेत्र में पाए जाते हैं।
2. उत्तर पूिी प्रायिीपीय खवनज पट्टी या बेल्ट
भौर्गोवलक वस्थवत: छोटा िागपुर पठार और ओसिशा का पठार है, सजसमें झारखिंि, पसश्चम र्िंगाल और ओसिशा राज्य शासमल हैं।
खवनज: मैग्िीज, र्ॉक्साइट, तािंर्े, कोयला, लौह अयस्क, अभ्रक, कयािी, क्रोमाइट, र्ेररल और एपेटाइट। भारत का 93% लौह
अयस्क उवपादि और 84% कोयला उवपादि इसी क्षेत्र में होता है।
3. उत्तर पविमी खवनज पट्टी या बेल्ट
भौर्गोवलक वस्थवत: राजस्थाि और अरािली पिब त सश्िंखला से सटा गज ु रात।
खवनज: असधकतर अलौह खसिज, यूरसे ियम, िीलम, पेरोसलयम, अभ्रक, र्ेररसलयम, सजप्सम और पन्द्िा।
4. दवक्षर् पविमी खवनज पट्टी या बेल्ट
भौर्गोवलक वस्थवत: किाब टक, के रल और गोिा।
खवनज: इस र्ेकट में लौह अयस्क, समट्टी और मोिोजीट रेत प्रचरु मात्र में समलती है।
5. कें द्रीय खवनज पट्टी या बेल्ट
भौर्गोवलक वस्थवत: आिंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र।
खवनज: र्ॉक्साइट, यूरसे ियम, मैंगिीज, चूिा पवथर, अभ्रक, ग्रेफाइट, सिंगमरमर, कोयला और रवि पवथर।
6. दवक्षर्ी खवनज पट्टी या बेल्ट
भौर्गोवलक वस्थवत: किाब टक का पठार क्षेत्र और तसमलिािु।
खवनज: इस क्षेत्र में र्ॉक्साइट और लौह खसिज प्रचरु मात्र में समलती हैं।
आसथब क भूगोल के अिस ु ार, खसिज का मतलर् ऐसा प्राकृसतक भौसतक पदाथब जो खिि से समलता है और सजसका आसथब क मूकय हो।

एवशया से सिंबविं धत मिविपूर्व भौर्गोवलक तथ्य


एसशया शब्लद की उवपसत सहब्रू भाषा के आसु से हुई है, सजसका शासब्लदक अथब उसदत सूयब से है। यह सिश्व का सर्से र्डा महाद्वीप है
(सम्पूणब सिश्व का 30%) । यहााँ सिश्व की 60% जिसिंख्या सििास करती है। एसशया को 48 देशों में सिभासजत सकया गया है, उिमें से तीि
(रूस, कजासकस्ताि और तुकी) का भाग यूरोप में भी है।
एवशया से सिंबविं धत मिविपर् ू व भौर्गोवलक तथ्य
1. यह मख्ु य रूप से पूिी और उत्तरी र्गोलाधों में सस्थत है।
2. भूमध्य रेखा, ककव रेखा और उत्तरी ध्रुििृत्त इसके माध्यम से गज ु रती है।
3. यह पूिव में प्रशािंत मिासार्गर, दवक्षर् में विन्द मिासार्गर और उत्तर में आकव वटक मिासार्गर से सघरा है।
4. इसे लाल सार्गर और स्िेज़ निर अफ्ीका महाद्वीप से अलग करती है।
5. इसे बवलिंर्ग जलसिंवध उत्तर अमेररका से अलग करती है।
6. मिविपूर्व प्रायिीप: अरर् प्रायद्वीप, भारत-चीिी प्रायद्वीप और दक्कि प्रायद्वीप
7. अरर् प्रायद्वीप सिश्व का सर्से र्डा प्रायद्वीप है।
8. मिविपूर्व िीप समूिों: अिंिमाि सिकोर्ार, इिंिोिेसशया, सफलीपींस और जापाि।
9. यहााँ सफलीपींस द्वीप समूह के पास सिश्व का सर्से गहरा सागरीय गतब प्रशािंत महासागर में मेररयाना र्गतव है।
10. यहााँ सिश्व का सर्से ऊाँचा पठार है, सजसकी ऊाँचाई 4,875 मीटर है। इसी कारण से पामीर को ‘विश्व की छत’ (Roof of the
World) कहते हैं।
11. सिश्व का सर्से ऊाँचा पिब त सशखर सहमालय पिब तमाला श्ेणी का माउिंट एिेरस्े ट (8850 मीटर) है, जो िेपाल में सस्थत है, जहााँ इसे
सागरमाला के िाम से जािते हैं।
12. यह सिश्व की सर्से परु ािी सभ्यताओिं का जन्द्मस्थाि है, अथाब त ससिंधु घाटी सभ्यता, मेसोपोटासमया और चीिी सभ्यता।
13. पिवत श्ख ृिं लाएिं: सहिंदक
ु ु श, ज़ग्रोस, सहमालय, काराकोरम, कुिलुि और टीएि शाि
14. पठार: र्ागआ ु पठार, र्ाशिंग पठार, र्ोलिेि पठार, सेंरल साइर्ेररयि पठार, छोटा िागपरु पठार, दादू पठार, दक्कि पठार, पूिी
पठार, गोलाि हाइट् स, हेटो पठार, ईरािी प्लेटो, करर्ी-मेघालय पठार, खोरात पठार, लद्दाख पठार, सलिंकौ पठार, लूस पठार, मालिा
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पठार, मिंगोसलयि पठार, मैसूर पठार, िाकाई पठार, गोंग सपिंग पठार, फौएिे पठार, सशलािंग पठार, ताओयआ ु ि पठार, सतब्लर्ती पठार,
ऊफा पठार, उक्के पठार, उसस्तरट पठार, सज़यािंगखोआिंग पठार और यन्द्ु िाि-गइु ज़्ह्हो पठार।
15. सिश्व का सिाब सधक िषाब िाला क्षेत्र मािवसनरम मेघालय, भारत में है। (इससे पहले चेरापूिंजी सिाब सधक िषाब िाला क्षेत्र था।)
16: एसशयाई िसदयों को 'सभ्यता का पालिा' कहा जाता है और ‘सभी धमो का जन्द्मस्थाि' कहा जाता है।
17. नवदयाँ: ओर् िदी, इरसतश िदी, यिेसी िदी, अिंगारा िदी, लेिा िदी, यिा िदी, इिंसिगीका िदी, कोलीमा िसदयों, अिासदर िदी,
अमूर िदी, हुआिंग ही (पीली िदी) िदी, यािंग्वज़ी (चािंग) िदी, शी िदी, लाल िदी , मेकािंग िदी, चाओ फ्ाया िदी, सैसकिि िदी, इराब र्िी
िदी, ब्रह्मपत्रु िदी, गिंगा िदी, गिंगा िदी, कृष्ट्णा िदी, ससिंधु िदी, कुआ िदी, अरास िदी, अमु दररया (प्राचीि ओक्सस िदी), ससर दररया
(प्राचीि जैक्सटब िदी), इली (सयसल), ताररम िदी, हेलमिंि िदी, और हरररुद िदी।
18. खाद्य फसल: धाि, गेह,िं मक्का, ज्िार-र्ाजरा और रागी
19. नकद फसल: चाय, गन्द्िा, जूट, कपास, रर्र और तिंर्ाकू
20. चीि में विश्व की सबसे ऊिंची रेलिे लाइन का सिमाब ण सकया गया है सजसकी ऊाँचाई समुन्द्र तल से 4500 मीटर है। यह चीि के
स िं गहाई प्रािंतों से सतब्लर्त के कहासा तक जायेगी।
21. विश्व की सबसे लिंबे रेलिे प्लेटफामव एवशया में वस्थत िै: र्गोरखपुर रेलिे स्टेशन, उत्तर प्रदेश, भारत (1,366.33 मीटर)
(4,483 फीट); कोल्लम जिंक्शन, के रल, भारत (1,180.5 मीटर) (3,873 फीट); खडर्गपरु , पविम बिंर्गाल, भारत: 1,072.5 मीटर
(3,519 फीट) ।
22. सिश्व की सर्से लिंर्ी रेल मागब रािंस-साइबेररयन रेल है। यह लेसििग्राि से ब्ललािीिोस्टक तक जाती है इसकी लम्र्ाई 9438
सकलोमीटर है।
23. भूमध्य सार्गरीय जलिायु के एवशयाई देश- साई िंप्रास, जॉिब ि, टकी, इजराइल और लेर्िाि।
24. जलसिंवध: मलक्का जलसिंसध, पाकक जलसिंसध, सन्द्ु िा जलसिंसध, र्ेररिंग जलसिंसध, र्ोि-फै ससओ जलसिंसध, र्ोस्पोर जलसिंसध,
होमब जु जलसिंसध, मक्कासर जलसिंसध, वसिंगारू जलसिंसध और फॉमोसा जलसिंसध।
25. समय क्षेत्र: एसशया में ग्यारह अलग-अलग समय क्षेत्र हैं जो यूटीसी (जीएमटी) +4 से यूटीसी (जीएमटी) +10 के आस-पास है।
एसशया की अथब व्यिस्था यूरोप के र्ाद सिश्व की, क्रय शसि के आधार पर, दूसरी सर्से र्डी अथब व्यिस्था है। ितब माि में एसशया सिश्व का
सर्से तेे़ज़ी उन्द्िसत करता हुआ क्षेत्र है और चीि इस समय एसशया की सर्से र्डी और सिश्व की दस ू री सर्से र्डी अथब व्यिस्था है जो
कई पूिाब िमु ािों के अिस ु ार अगले कुछ िषगों में सिश्व की भी सर्से र्डी अथब व्यिस्था होगी। यहााँ की जलिायु में र्हुत सिसभन्द्िता है।
दसक्षण पूिब में यह आरब है, सकन्द्तु असधकािंश आन्द्तररक भाग शष्ट्ु क हैं। एसशया के कुछ पसश्चमी भागों के दैसिक तापमाि तो इतिे असधक हैं
सक पूरी पथ्ृ िी पर असधकतम तापमाि होंगे।

जीि विज्ञान की विवभन्न शाखाओिं के जनक की सूची


जीि सिज्ञाि यािी र्ायोलॉजी सिज्ञाि की िह शाखा है सजसके अिंतगब त जीिधाररयों का अध्ययि सकया जाता है. र्ायोलॉजी शब्लद का
प्रयोग सर्से पहले लैमाकब तथा रेसिरेिस िामक िैज्ञासिकों िे सि 1801 में सकया था. क्या आप जािते हैं सक सिज्ञाि की अन्द्य
शाखाओिं की भािंसत जीि सिज्ञाि की उवपसत्त एििं सिकास के पीछे मािि की दो मूलभूत प्रिासतब यााँ रहीं हैं:
(a) प्रक्रसत एििं प्राक्रसतक सिंसाधिों सजिमें जीिधारी शासमल हैं को अपिे सियिंत्रण में करके उिका उपयोग करिा.
(b) जीिधाररयों के सिषय में ज्ञाि प्राप्त करिे की सजज्ञासा.
के िल सजज्ञासा की शािंसत के सलए जीिधाररयों के अध्ययि को सैद्धािंसतक जीि सिज्ञाि (Pure Biology) कहते हैं. जर्सक मािि के सहत
के सलए जीिधाररयों के अध्ययि को व्यािहाररक जीि सिज्ञाि (Applied Biology) कहते हैं. उपयोगी जिंतओ ु िं को पालिे ि पौधों को
उगािे की प्रसक्रया मािि िे जर् अपिाई तो पशु-पालि ि क्रसष का प्रारम्भ हुआ और इसके फलस्िरूप जीिधाररयों के सिषय में काफी
ज्ञाि मािि को प्राप्त हुआ है.
जीि सिज्ञाि का एक क्रमर्द्ध ज्ञाि के रूप में सिकास प्रससद्ध ग्रीक दाशब सिक अरस्तु (Aristotle 384- 322 B.C.) के काल में हुआ था.
उन्द्होंिे पौधों ि जिंतुओ िं के जीिि के सिसभन्द्ि पक्षों के सिषय में अपिे सिचार प्रकट सकए. इससलए अरस्तु को जीि सिज्ञाि का जिक
(Father of Biology) कहते है.
जीि विज्ञान की विवभन्न शाखाओिं के जनक की सूची
शाखा जनक
1. जीि विज्ञान (Biology) अरस्तु
2. ििस्पसत सिज्ञाि (Botany) सथयोफ्े स्टस
3. सजिसशमकी (Palaeontology) सलयोिािो िी सिन्द्सी
Notes for CSS Entrance
4. सजु िसिकी (Eugenics) एफ. गाकटि
5. आधसु िक ििस्पसत सिज्ञाि (Modern सलसियस
Botany)
6. प्रसतरक्षा सिज्ञाि (Immunology) एिििब जैिर
7. आनिु विं शकी (Genetics) ग्रेगर जॉहि मेंिेल

8. आधसु िक आििु िंसशकी (Modern टी.एच मॉगब ि


Genetics)
9. कोवशका विज्ञान (Cytology) रोर्टब हुक
10. ििस्पसत सचत्रण (Botanical क्रीसटयस
Illustrations)
11. पादप शारीररकी (Plant Anatomy) एि. सग्रऊ
12. जन्द्तु सिज्ञाि (Zoology) अरस्तु
13. िसगब की (Taxonomy) सलसियस
14. सचसकवसा शास्त्र (Medicine) सहप्पोक्रेटस
15. औसतकी (Histology) मासेलो मैलपीजी
16. उवपररितब ि ससद्धािंत के जिक ह्यूगो िी. व्रीज
(Mutation Theory)
17. तुलिावमक शारीररकी (Comparative जी. क्यूसियर
Anatomy)
18. किक सिज्ञाि (Mycology) माइके ली
19. पादप कायब की (Plant Physiology) स्टीफि हेकस
20. जीिाणु सिज्ञाि (Bacteriology) कयूिेिहॉक
21. सूक्ष्म जीि सिज्ञाि (Microbiology) लुई पाश्चर
22. भारतीय किक सिज्ञाि (Indian ई. जे. र्टलर
Mycology)
23. भारतीय ब्रायोलॉजी (Indian एस. आर. कश्यप
Bryology)
24. भारतीय पाररसस्थसतकी (Indian आर. समश्ा
Ecology)
25. भारतीय शैिाल सिज्ञाि (Indian एम. ओ. ए. आयिंगर
Phycology)
26. आधसु िक भ्रूण सिज्ञाि (Modern िाि र्ेयर
Embryology)

स्टीफन िॉवकिं र्ग की 6 मिविपूर्व खोजें


स्टीफि हॉसकिं ग का जन्द्म 8 जनिरी 1942 ईस्िी में इिंग्लैंि में हुआ था. िह एक िैज्ञासिक और प्रससद्ध खगोल भौसतकसिद थे. उन्द्होंिे
अपिे ररसचब का ज्यादातर समय ब्ललैक होल और स्पेस-टाइम के ससद्धान्द्तों पर शोध में सर्ताया. इस सिंर्िंध में उन्द्होंिे कई पत्र भी
प्रकासशत सकए सजससे िैज्ञासिक दसु िया में उिका एक र्डा िाम हुआ. उिकी सर्से प्रससद्ध खोज थी जर् उन्द्होंिे सासर्त सकया था सक
ब्ललैक होल से भी कुछ मात्रा में रेसिएशि सिकलती है सजसे उन्द्होंिे हॉसकिं ग रेसिएशि कहा. साल 1998 में उिकी सकतार् A brief
History of Time प्रकासशत हुई. इस सकतार् में उन्द्होंिे महासिस्फोट का ससद्धािंत (Big Bang Theory) और ब्ललैक होल के र्ारे में
सलखा है. हॉसकिं ग भौसतक सिज्ञाि के कई अलग-अलग लेसकि समाि रूप से मूलभूत क्षेत्र जैसे गरुु विाकषब ण, ब्रह्मािंि सिज्ञाि, क्िािंटम
थ्योरी, सूचिा ससद्धािंत और थमोिायिसमक्स को एक साथ ले आए थे. क्या आप जािते हैं सक 2014 में स्टीफि हॉसकिं ग की प्रेरक
सजिंदगी पर आधाररत सफकम 'द थिअरी ऑफ एवरीथििंग' ररलीज हुई थी.
स्टीफन िॉवकिं र्ग की 6 मिविपूर्व खोजें
Notes for CSS Entrance
1. वसिंर्गुलैररटी का वसद्धािंत (Theory of Singularity) – 1970
आइिंस्टीि के गरुु विाकषब ण के ससद्धािंत भी ससिंगल ु ैररटी के र्ारे में र्ताते हैं. उिका ससद्धािंत यह है सक काल और अिंतररक्ष यािी टाइम एिंि
स्पेस में सकसी भी भारी सपिंि की िजह से जो झोल पड जाता है, िही गरुु विाकषब ण है. आइिंस्टीि के अिस ु ार ससिंगल
ु ैररटी िह सर्िंदु है जहािं
से टस्पेस-टाइम एक असीम रूप से िसक्रत हुआ. लेसकि उस समय यह स्पि िहीं था सक क्या ससिंगल ु ैररटी िास्तसिक भी है या िहीं.
सफर हॉसकिं ग को शोध के दौराि पता चला सक सर्ग-र्ैंग दरअसल ब्ललैक होल का उलटा पति ही है. उन्द्होंिे पेिरोज़ के साथ
समलकर 1970 में एक शोधपत्र प्रकासशत सकया और दशाब या सक सामान्द्य सापेक्षता का अथब ये है सक ब्रह्मािंि ब्ललैक होल के कें र
(ससिंगल ु ैररटी) से ही शरुु हुआ होगा. इस ससद्धािंत को परु े ब्रह्मािंि के सलए इस्तेमाल सकया गया और र्ताया की गरुु विाकषब ण ससिंगल ु ैररटी
पैदा करता है. उन्द्होंिे यह भी र्ताया सक आइिंस्टीि के ससद्धािंत िे ससिंगल ु ैररटी की जो भसिष्ट्यिाणी की थी िह महासिस्फोट का ससद्धािंत
(Big Bang Theory) ही था.
2. ब्लैक िोल का वसद्धािंत (Laws of Black hole mechanics ) - 1971-74
स्टीफि हॉसकिं ग िे ब्ललैक होल के ससधान्द्तों को सदया.
- उिका पहला ससद्धािंत के अिस ु ार, ब्ललैक होल का कुल सतह क्षेत्र कभी भी छोटा िहीं होगा. इसे Hawking area theorem के रूप
में भी जािा जाता है.
- एक अन्द्य ससद्धािंत के अिस ु ार ब्ललैक होल गमब होता है. लेसकि यह शास्त्रीय भौसतकी का एक सिरोधाभास है सजसमें कहा गया है सक
ब्ललैक होल से गमी का सिकीणब िहीं होता हैं.
- एक और ब्ललैक होल का ससद्धािंत है "no hair" theorem. सजसमें कहा गया है सक ब्ललैक होल में सिशेषताएिं हो सकती है; उिका
रव्यमाि (mass), कोणीय गसत (angular momentum) और चाजब (charge).
- ब्ललैक होल सिसकरण का उवसजब ि करता है, जो तर् तक जारी रख सकते हैं जर् तक सक िे अपिी ऊजाब को समाप्त िहीं करते और
िाष्ट्पि करते हैं. इसे हॉसकिं ग सिसकरण भी कहा जाता है.
- जििरी 1971 में, उन्द्होंिे "ब्ललैक होकस" िामक अपिे सिर्िंध के सलए प्रसतसित ग्रेसिटी ररसचब फाउिंिेशि परु स्कार जीता था.
3. कॉवस्मक इन््लेशन थ्योरी (Cosmic Inflation Theory) - 1982
यह ससद्धािंत साल 1980 में एलि गथु (Alan Guth) द्वारा सदया गया था और िह था सक भौसतक कोस्मोलोजी में, कॉसस्मक इन्द्फ्लेशि
िह ससद्धािंत है सजसमें ब्रह्मािंि महासिस्फोट के र्ाद शीघ्र ही फै ल जाता है. इसके अलािा, हॉसकिं ग पहले िैज्ञासिक है सजन्द्होंिे क्िािंटम में
उतार-चढ़ाि (quantum fluctuations) की गणिा की है और र्ताया सक पदाथब के सितरण में कम र्दलाि होता है अथाब त इन्द्फ्लेशि
के दौराि यह ब्रह्मािंि में आकाशगिंगाओिं के प्रसार को जन्द्म दे सकता है.
4. यूवनिसव का िेि फिं क्शन पर मॉिल (Model on the wave function of the Universe) - 1983
स्टीफि हॉसकिं ग गरुु विाकषब ण के एक क्िािंटम थ्योरी की स्थापिा में रुसच रखते थे लेसकि जेम्स हाटब ले (James Hartle) के साथ
उन्द्होंिे 1983 में हार्ट ले-हॉथ िं ग स्र्ेर् (Hartle-Hawking state) मॉिल प्रकासशत सकया था. यह ससद्धािंत कहता है सक समय
महासिस्फोट (Big Bang) से पहले मौजूद िहीं था और इससलए ब्रह्मािंि की शरुु आत की अिधारणा अथब हीि है. ब्रह्मािंि में समय या
स्थाि मिंंिं कोई प्रारिंसभक सीमा िहीं होती है.
5.‘ए िीफ विस्री ऑफ टाइम’ ‘A Brief History of Time’ उनकी प्रवसद्ध वकताब 1988 में प्रकावशत िुई थी
इस सकतार् में उन्द्होंिे ब्रह्माण्ि कोस्मोलोजी जैसे सक महासिस्फोट का ससद्धािंत (Big Bang Theory) और ब्ललैक होल के र्ारे में सलखा
है. पस्ु तक का पहला सिंस्करण 1988 में प्रकासशत हुआ और लगातार 237 सप्ताह तक सिंिे टाइम्स का र्ेस्ट सेलर रहिे के कारण इसे
सगिीज र्क ु ऑफ िकिब ररकॉिब स में शासमल सकया गया. इस पस्ु तक की एक करोड प्रसत सर्की और 40 अलग-अलग भाषाओिं में इसका
अििु ाद हुआ.
6. स्टीफन िॉवकिं र्ग की िह्ािंि विज्ञान पर आधाररत टॉप-िाउन थ्योरी (Top-Down Theory on Cosmology ) - 2006
थॉमस हटोग (Thomas Hertog) के साथ उन्द्होंिे 2006 में एक ससद्धािंत "top-down cosmology" को प्रस्तासित सकया सजसमें
कहा गया है सक ब्रह्मािंि में एक अिूठी प्रारिंसभक अिस्था िहीं थी, लेसकि कई सिंभासित प्रारिंसभक सस्थसतयों की असतपसित्रता शासमल थी.
हॉसकिं ग का कहिा है सक ब्रह्मािंि में गरुु विाकषब ण जैसी शसि है इससलए िह िई रचिाएाँ कर सकता है उसके सलए उसे ईश्वर जैसी सकसी
शसि की सहायता की आिश्यकता िहीं है. उिकी अन्द्य सकतार्ें थी The Universe in a Nutshell (2001), God Created the
Integers: The Mathematical Breakthroughs That Changed History (2005) आसद.

सिंविधान के मिविपूर्व अनच्ु छेदों की सचू ी


भारत िे अपिा सिंसिधाि 26 ििम्र्र 1949 में अपिाया था । जर् यह सिंसिधाि अपिाया गया था उस समय इसमें 395
अिच्ु छे द 22 भाग और 8 अिस
ु ूसचयािं थीं। ितब माि में भारत के सिंसिधाि में 465 अिच्ु छे द 25 भाग और 12 अिस
ु ूसचयािं हैं ।
Notes for CSS Entrance
सिंसिधाि के कुल अिच्ु छे दों में से 15 अथाब त 5,6,7,8, 9, 60, 324, 366, 367, 372, 380, 388, 391, 392 तथा 393
को 26 ििम्र्र 1949 को ही लागू कर सदया था , जर्सक शेष अिच्ु छे दों को 26 जििरी 1950 को लागू सकया गया था ।
सिंविधान के मिविपूर्व अनुच्छे दों की सूची इस प्रकार िै:
अनुच्छे द 1- 4: भारत के भूभाग, िए राज्यों के गठि, मौजूदा राज्यों के िामों के पररितब ि से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 5- 11: िागररकता के सिसभन्द्ि असधकारों से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 12- 35: अस्पश्ृ यता और पदिी के भारतीय िागररक उन्द्मूलि के मौसलक असधकारों से सिंर्िंसधत है।
अनुच्छे द 36- 51: राज्य के िीसत सिदेशक ससद्धािंतों से सिंर्िंसधत है।
अनुच्छे द 51 A: इस भाग को 42 िें सिंसिधाि सिंशोधि द्वारा 1976 में जोडा गया था सजसमें िागररकों के मौसलक कतब व्य
शासमल हैं।
अनुच्छे द 52- 151: कें र स्तर पर सरकार से सिंर्सिं धत है।
अनच्ु छे द 152- 237: राज्य स्तर पर सरकार से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 238: राज्यों से साथ सिंर्सिं धत है।
अनच्ु छे द 239-241: सिंघ शाससत प्रदेशों से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 242- 243: इसके दो सहस्से हैं: (i) इसमें एक िई सूची शासमल है सजसे 1992 में 73िें सिंशोधि द्वारा जोडा गया।
इसमें पिंचायती राज सजसिे प्रशाससिक असधकार प्रदाि सकये, से सिंर्सिं धत सिंर्सिं धत 29 सिषयों को शासमल सकया गया है।
(ii)1992 में 74 िें सिंशोधि द्वारा एक ियी अिस ु ूची इसमें जोिी गयी। इसमें िगर पासलकाओिं से सिंर्सिं धत 18 सिषय शासमल हैं
जो प्रशाससिक असधकार प्रदाि करते हैं।
अनुच्छे द 244- 244 A: अिुसूसचत और जिजातीय क्षेत्रों से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 245- 263: सिंघ और राज्यों के र्ीच सिंर्धिं ों से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 264- 300 A: सिंघ और राज्यों के र्ीच राजस्ि के सितरण और सित्त आयोग आसद की सियसु ि से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 301- 307: भारत के भूभाग के भीतर व्यापार, िासणज्य और समागम से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 308- 323: सिंघ लोक सेिा आयोग और लोक सेिा आयोगों से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 323 A, 323 B: 1976 में 42 िें सिंशोधि द्वारा इसे जोडा गया था। राज्यों या स्थािीय सरकार के कमब चाररयों के
र्ारे में सििादों और सशकायतों को सिु िे के सलए सिंसद द्वारा प्रशाससिक असधकरण सिंघ की स्थापिा से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 324- 329: चिु ािों से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 330- 342: अिस ु ूसचत जासत, जिजासत और आिंगल- भारतीय प्रसतसिसधयों के सलए सिशेष प्रािधािों से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 343- 351: सिंघ और राज्यों की आसधकाररक भाषा से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 352- 360: आपातकालीि प्रािधािों, राष्ट्रपसत शासि से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 361- 367: आपरासधक कायब िाही की छूट में राष्ट्रपसत और राज्यपालों को उिके आसधकाररक दासयविों से सिंर्सिं धत
है।
अनुच्छे द 368 : सिंसिधाि के सिंशोधि से सिंर्सिं धत है।
अनच्ु छे द 369- 392 : अिच्ु छे द 370 जम्मू-कश्मीर को सिशेष दजाब देिे से सिंर्सिं धत है।
अनुच्छे द 371 A: िागालैंि राज्य के सिंदभब में सिशेष प्रािधाि प्रदाि करता है।
अनच्ु छे द 393- 395: सिंसिधाि का सिंसक्षप्त िाम, प्रारिंभ और रद्द सकये जािे से सिंर्सिं धत है।

भारतीय सिंविधान के स्रोतः


सिसभन्द्ि देशों के सिंसिधाि से उधार ली गई िंसिशेषताएिं इस प्रकार हैं–
सब्रटेि से  िाममात्र का प्रमख ु – राष्ट्रपसत ( जैसे सब्रटेि की
महारािी )
 मिंसत्रयों की कै सर्िेट प्रणाली
 प्रधािमिंत्री का पद
 सरकार का सिंसदीय प्रकार
Notes for CSS Entrance
 दो सदि िाली सिंसद
 असधक शसिशाली सिचला सदि
 मिंसत्र पररषद का सिचले सदि के प्रसत सजम्मेदार होिा
 लोकसभा में अध्यक्ष
अमेररका से  सलसखत सिंसिधाि
 देश का कायब कारी प्रमख ु सजसे राष्ट्रपसत कहा जाता है
और िह सैन्द्य र्लों का सिोच्च कमािंिर होगा
 राज्य सभा के पदेि अध्यक्ष के तौर पर उप–राष्ट्रपसत
 मौसलक असधकार
 सप्र ु ीम कोटब
 राज्यों का प्रािधाि
 न्द्यायपासलका और न्द्यासयक समीक्षा की स्ितिंत्रता
 प्रस्ताििा
 सप्र ु ीम कोटब और उच्च न्द्यायालय के जजों को हटािा
यूएसएसआर से मौसलक कतब व्य
 पिंचिषीय योजिा
ऑस्रेसलया से समिती सूची
 प्रस्ताििा की भाषा
 व्यापार, िासणज्य और मेल–जोल के सिंदभब में प्रािधाि
जापाि से  कािूि सजस पर सुप्रीम कोटब काम करता है
जमब िी  के आपातकाल के दौराि मौसलक असधकारों का सिलिंर्ि
सिंसिधाि से
किािा से  सशि कें र के साथ सिंघ की योजिा
 कें र और राज्यों एििं स्थािों के र्ीच सत्ता का सितरण।
कें र के पास र्ाकी के असधकार
आयरलैंि से राज्य िीसत के सिदेशक ससद्धािंतों की अिधारणा
(आयरलैंि िे इसे स्पेि से उधार सलया था)
 राष्ट्रपसत के सििाब चि की पद्धसत
 राष्ट्रपसत द्वारा राज्य सभा में सदस्यों का िामािंकि

भारत के प्रधानमिंत्री
सिंसिधाि की अिच्ु छे द 74 (1) में यह व्यिस्था की गई है सक राष्ट्रपसत की सहायता करिे तथा उसे सलाह देिे के सलए एक
मिंसत्रपररषद होगा सजसका प्रमख ु प्रधािमिंत्री होगा, राष्ट्रपसत इस मिंसत्रपररषद की सलाह के अिसु ार अपिे कायगों का सिष्ट्पादि
करेगा। इस प्रकार िास्तसिक कायब कारी शसि मिंसत्रपररषद् में सिसहत होती है सजसका प्रमख ु प्रधािमिंत्री होता है।
प्रधानमिंत्री की वनयुवि
सिंसिधाि में प्रधािमिंत्री का कायब काल तय िहीं है। प्रधािमिंत्री के सिंिैधासिक प्रािधािों का िणब ि इस प्रकार हैं:
 कें र सरकार के पास एक मिंत्री पररषद होगी सजसके मसु खया प्रधािमिंत्री होंगे।
 प्रधािमिंत्री की सियसु ि राष्ट्रपसत द्वारा की जाएगी
 अन्द्य मिंसत्रयों की सियसु ि प्रधािमिंत्री की ससफाररश पर राष्ट्रपसत द्वारा की जाएगी।
 राष्ट्रपसत के मजी से मिंत्री अपिे पद पर र्िे रहेंगे।
 कोई एक मिंत्री जो 6 माह तक सकसी लगातार सिंसद का सदस्य िहीं है तो िह मिंत्री पद पर र्िे रहिे के सलए अयोग्य होगा।
शवियािं और कायव
Notes for CSS Entrance
भारतीय राजिीसतक व्यिस्था में प्रधािमिंत्री के कई महविपूणब कायब होते हैं और प्रधािमिंत्री अपिे लाभ के सलए व्यापक शसियों
का उपयोग करते हैं। िह देश का मख्ु य कायब कारी या सिेसिाब होता है और कें र सरकार के मसु खया के रूप में कायब करता है।
1) सरकार का मवु खया - राष्ट्रपसत देश के मसु खया होते है, जर्सक प्रधािमिंत्री सरकार के मसु खया होते हैं। सभी सिणब य मिंत्री
पररषद और प्रधािमिंत्री की सलाह ि सहायता के र्ाद राष्ट्रपसत के िाम पर सलये जाते हैं। यहािं तक सक िह (राष्ट्रपसत)
प्रधािमिंत्री की ससफाररश के अिस ु ार ही अन्द्य मिंसत्रयों की सियि
ु करते हैं।
2) कै वबनेट अथिा मिंवत्रमिंिल का नेता - अपिी सियसु ियों के र्ारे में िही राष्ट्रपसत को ससफाररश करता है सक कौि क्या है,
िह मिंसत्रयों के र्ीच सिसभन्द्ि सिभागों का आििंटि और फे रर्दल करता है। िह मिंत्री पररषद की र्ैठक की अध्यक्षता करता है और
उिके सिणब य को प्रभासित करता है। प्रधािमिंत्री मिंत्री मिंिल सकसी भी सदस्य को इस्तीफा देिे के सलए कह सकता है या
राष्ट्रपसत को सकसी भी मिंत्री को हटािे की ससफाररश कर सकता है। यसद प्रधािमिंत्री की मवृ यु या इस्तीफा हो जाता है तो पूरा
मिंत्री मिंिल भिंग हो जाता है।
3) राष्ट्रपवत और मिंत्री मिंिल के बीच सिंबिंध अथिा कडी - सिंसिधाि के अिच्ु छे द 78 में प्रधािमिंत्री के कतब व्य सिसदब ि हैं और
उिके सििब हि के सलए िह राष्ट्रपसत और कै सर्िेट के र्ीच एक कडी के रूप में कायब करता है। सिम्िसलसखत ऐसे मामले हैं जहािं
िह ऐसे कायब करता है:
 कें रीय मामलों के प्रशासि और कािूि के सलए प्रस्तािों से सिंर्सिं धत मिंत्री पररषद के सभी सिणब यों पर सिंिाद करते समय,
 जर् मिंत्री पररषद द्वारा सकसी भी सिणब य पर सिचार करिे के सलए सिंसिधाि की सकसी भी धारा या पररषद की राय िहीं ली जाती
है तो तर् राष्ट्रपसत इस तरह के मद्दु ों पर सिचार करिे के सलए प्रधािमिंत्री से प्रश्न कर सकते हैं।
 जर् राष्ट्रपसत सिंघ के मामलों या सकसी ऐसी र्ातों के प्रशासि के र्ारे में कोई भी जािकारी मािंगते हैं।
4) सिंसद का नेता - एक िेता के रूप में िह िह सत्र के सलए अपिी र्ैठकों और कायब क्रमों की सतसथयों का सिधाब रण करता है।
िह यह फै सला भी करता है सक कर् सदि का सत्रािसाि सकया जाय या उसे भिंग सकया जाए। एक मख्ु य प्रििा के रूप में िह
सरकार की प्रमख ु िीसतयों की घोषणा करता है और तवपश्चात् सिालों के जिार् देता है।
5) विदेशी सिंबधिं ों में मख्ु य प्रििा - अिंतरराष्ट्रीय सम्मेलिों में िह राष्ट्र का प्रििा होता है।
6) पाटी का नेता - िह अपिी पाटी के सदस्यों का िेता होता है ।
7) विवभन्न आयोर्गों का अध्यक्ष- प्रधािमिंत्री होिे के िाते िह िह कुछ आयोगों का िास्तसिक अध्यक्ष होता है जैसे- योजिा
आयोग, राष्ट्रीय सिकास पररषद, राष्ट्रीय एकता पररषद, अिंतर-राज्यीय पररषद, राष्ट्रीय जल सिंसाधि पररषद।
र्गठबिंधन सरकार में कायव
राज्य की गसतसिसधयों के एक सिशेष उद्देश्य को हल करिे के सलए एक अस्थायी अिसध के सलए दो या दो से असधक अलग-
अलग दलों के व्यसियों के एक साथ आिे या एक गठर्िंधि में प्रिेश करिे को गठर्िंधि कहते हैं।
एकल पाटी सरकार में शवियािं
जर् चिु ािों में एक दल परू ा र्हुमत हाससल कर लेता है तो तर् राष्ट्रपसत उस दल के िेता को प्रधािमिंत्री के रूप में सरकार
र्िािे और कायब करिे के सलए आमिंसत्रत करते हैं। सिंसिधाि में यह उकलेख है सक इस तरह के मामलों में प्रधािमिंत्री के पास
सर्िा प्रसतर्िंधों के साथ सभी असधकार होगें। इस प्रकार, इस तरह की सरकार असधक सस्थर होती है।
अल्पसिंख्यक सरकार में भूवमका
सिंसदीय प्रणाली में अकपमत सरकार का गठि तर् होता है जर् एक राजिीसतक पाटी या पासटब यों के गठर्िंधि के पास सिंसद में
कुल सीटों का र्हुमत िहीं होता है, लेसकि एक सत्रशिंकु लोकसभा चिु ाि पररणामों को तोडिे के सलए अन्द्य दलों के र्ाहरी
समथब ि द्वारा एक सरकार शपथ लेती है। ऐसी पररसस्थसत में अन्द्य दलों के समथब ि के से ही कािूि पाररत सकया जा सकता है।
यह सरकार र्हुमत िाली सरकार की अपेक्षा में कम सस्थर होती है। राजिीसतक इसतहास में इसका एक र्ेहतरीि उदाहरण
िरससिंहा राि की सरकार रही है। ऐसी सस्थसत में यह जरूरी िहीं है सक सर्से र्िी पाटी का िेता ही प्रधािमिंत्री होगा र्सकक िह
सभी सदस्यों द्वारा तय सकया गया कोई भी व्यसि हो सकता है। ऐसी सस्थसत में सरकार कािूि पाररत करािे के सलए अन्द्य दलों
पर सिभब र रहती है। गठर्िंधि और अकपमत सरकार के र्ीच प्रमख ु अिंतर यह है सक गठर्िंधि सरकार में अकपमत सरकार में
सिपक्षी दल एक समझौते का सिमाब ण कर सकते हैं सजसके द्वारा उन्द्हें सरकार पर सियिंत्रण करिे की अिमु सत प्राप्त हो जाती है।
भारत के प्रधानमिंवत्रयों की सूची (अभी तक)
क्र.सिं. िाम कायब काल अिसध
1. जिाहरलाल िेहरू 1947- 1964
2. गलु जारी लाल ििंदा 1964- 1964
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3. लाल र्हादरु शास्त्री 1964- 1966
4. गल ु जारी लाल ििंदा 1966- 1966
5. इिंसदरा गािंधी 1966- 1977
6. मोरारजी देसाई 1977- 1979
7. चरण ससिंह 1979- 1980
8. इिंसदरा गािंधी 1980- 1984
9. राजीि गािंधी 1984- 1989
10. सिश्विाथ प्रताप ससिंह 1989- 1990
11. चिंरशेखर 1990- 1991
12. पी िी िरससिंह राि 1991- 1996
13. अटल सर्हारी िाजपेयी 1996- 1996 (16
सदि)
14. एच िी देिगौडा 1996- 1997
15. आई के . गज ु राल 1997- 1998
16. अटल सर्हारी िाजपेयी 1998- 1999
17. अटल सर्हारी िाजपेयी 1999- 2004
18. िॉ मिमोहि ससिंह 2004- 2009
19. िॉ मिमोहि ससिंह 2009- 2014
20. िरेंर मोदी 2014 से अभी तक

भारतीय अथवव्यिस्था के बारे में 20 जरूरी तथ्य - 2018


अिंतराब ष्ट्रीय मरु ा कोष िे भसिष्ट्यिाणी की है सक भारतीय अथब व्यिस्था दसु िया में सर्से तेजी से र्ढ़ती अथब व्यिस्था होगी.
अिंतराब ष्ट्रीय मरु ा कोष िे कहा सक भारत सित्त िषब 2018 में 7.4% की िसृ द्ध दर हाससल करके चीि को पीछे पछाड देगा.
िकिब इकिॉसमक लीग (िब्ललूईएल) द्वारा जारी एक ररपोटब में कहा गया है सक 2018 में िॉसमिल जीिीपी के मामले में भारत की
अथब व्यिस्था दसु िया में पािंचिीं सर्से र्डी अथब व्यिस्था र्ििे के सलए सब्रटेि और फ्ािंस की अथब व्यिस्था से आगे सिकल जाएगी
और 2032 में सिश्व की तीसरी सर्से र्डी अथब व्यिस्था होगी.
विश्व की प्रमख ु अथवव्यिस्थाओिं का आकार इस प्रकार िै; (नॉवमनल जीिीपी के सिंदभव में)
1. अमेररका - 19 .4 खरर् िॉलर
2. चीन - 11.9 खरर् िॉलर
3. जापान - 4.9 खरर् िॉलर
4. जमवनी - 3.7 खरर् िॉलर
5. फ्रािंस - 2.575 खरर् िॉलर
6. यू.के . - 2.565 खरर् िॉलर
7. भारत - 2.4 खरर् िॉलर
इस लेख में भारतीय अथवव्यिस्था से सिंबविं धत सभी निीनतम मिविपूर्व आिंकडे वदए र्गए िैं, आइये इन पर नजर िालते
िैं;
1. भारत की जनसािंवख्यकीय वस्थवत;
कुल जनसिंख्या: 1.35 सर्सलयि
जनसिंख्या िवृ द्ध दर: 1.2% (2015)
साक्षरता दर : 74.04% (2011 की जिगणिा से)
पुरुष साक्षरता: 82.14%
मविला साक्षरता: 65.46%
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जीिन प्रवयाशा: 66.9 िषब (परुु ष), 69.9 िषब (मसहला) (2015 - िब्लकयूएचओ 2016 ररपोटब )
भाषाएँ: सहिंदी, अिंग्रेजी और कम से कम 16 अन्द्य आसधकाररक भाषाएाँ
धमव:
a. सहिंदू धमब : (79.8%))
b. इस्लाम : (14.2%)
c. ईसाई धमब : (2.3%)
d. ससख धमब : (1.7%)
e. र्ौद्ध धमब : (0.7%)
f. जैि धमब : (0.4%)
क्षेत्रफल:
कुल क्षेत्रफल: 3,287,263 िगब सकमी (3,214 सकमी उत्तर से दसक्षण और 2,933 सकमी पूरर् से पसश्चम में)
भूवम का क्षेत्रफल: 2,973,1 9 0 िगब सकमी
जल सीमा का क्षेत्रफल: 314,070 िगब सकमी
3. प्राकृवतक सिंसाधन: कोयला (दसु िया में चौथा सर्से र्डा भिंिार), पेरोसलयम, प्राकृसतक गैस, र्ॉक्साइट, लौह अयस्क,
अभ्रक, मैंगिीज, हीरे, सोिा और चूिा पवथर.
4. सकल घरेलू उवपाद में विवभन्न क्षेत्रों का योर्गदान;
a. सेिा क्षेत्र : 53.7 प्रसतशत
b. उद्योर्ग क्षेत्र : 31.2 प्रसतशत
c. कृवष क्षेत्र :15.2 प्रसतशत
5. वित्तीय िषव की अिवध: 1 अप्रैल - 31 माचब
6. विदेशी मद्रु ा भिंिार: 421.922 सर्सलयि अमेररकी िॉलर (जििरी 2018)
7. भारत के वनयावत का मल्ू य: 26.20 सर्सलयि अमेररकी िॉलर (जििरी 2018)
8. भारत के सबसे बडे वनयावत भार्गीदार देश: सिंयि ु राज्य अमेररका, जमब िी, सिंयुि अरर् अमीरात, चीि, जापाि, थाईलैंि,
इिंिोिेसशया और यूरोपीय सिंघ
9. एफिीआई इवक्िटी में वनिेश करने िाले सबसे बडे भार्गीदार (अप्रैल 2000 - वसतिंबर 2017)
a. मॉरीशस : (34%)
b. ससिंगापरु : (17%)
c. सब्रटेि : (7%)
d. जापाि : (7%)
e. सिंयि ु राज्य अमेररका :(6%)
f. िीदरलैंि :(6%)
g. जमब िी :(3%)
h. साइप्रस :(3%)
i. फ्ािंस :(2%)
j. सिंयिु अरर् अमीरात :(1%)

10. भारत पर विदेशी ऋर्: 495.7 सर्सलयि अमेररकी िॉलर (सदसिंर्र 2017)
11. भारत में स्िर्व भिंिार: 557.79 टि (सदसिंर्र 2017)
12. भारत में प्रवत व्यवि आय: 1.03 लाख रुपये (2016-17)
13. ितवमान कीमतों पर जीिीपी: 152.54 लाख करोड रुपये
14. भारत में पयवटक आर्गमन: 10.66 लाख / िषब (जििरी 2018)
15. एफिीआई आकवषवत करने िाले प्रमख ु क्षेत्रः (अप्रैल 2000 - जूि 2017)
a. सेिा क्षेत्र :(17%)
b. दूरसिंचार :(8%)
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c. किं प्यूटर सॉफ्टिेयर और हािब िेयर (8%)
d. सिमाब ण क्षेत्र :(7%)
e. ऑटोमोर्ाइल :(5%)
f. िग्स एिंि फामाब स्यूसटककस (4%)
g. रसायि :(4%)
h. रेसििंग :(4%)
i. सर्जली :(3%)
16. ििाई अि् िे:- (भारतीय सिमािपत्ति प्रासधकरण द्वारा मैिेज सकये जाते हैं)
भारत में कुल ििाई अि् िे: 125
अिंतरावष्ट्रीय ििाई अि् िे: 27
घरेलू ििाई अि् िे: 78
सैवनक उपयोर्ग के वलए ििाई अि् िे: 26
17. रेलिे:-
रेलिे नेटिकव : 108,706 सकमी.
यात्री रेनें : 12,617
मालर्गावडयाँ: 7,421
कुल रेलिे स्टेशन: 7,172
दैवनक यात्री: 23 समसलयि
18. सडक मार्गव:-
कुल सडक नेटिकव : 4.87 समसलयि सकमी (दसु िया में दस ू रा सर्से र्डा सडक िेटिकब)
भारतीय सडकों में 65% माल ढुलाई और 85% यात्री ढ़ोिे में इस्तेमाल सकया जाते हैं.
19. जलमार्गव:- 14,500 सकमी.
20. प्रमख ु बिंदरर्गाि:-
मर्िंु ई, चेन्द्िई, कोलकाता, हसकदया, कािंिला, एन्द्िोर, पारादीप, तूतीकोररि, सिशाखापत्तिम, जिाहरलाल िेहरू पोटब रस्ट,
कोसच्च, और िया मिंगलोर
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