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: िेिक :
िाग्नि िर्ाम
भूग्नर्का
। िरदे र्ातरर्् ।
िाग्नि िर्ाम
२२ एग्नप्रि २०१६, राजस्थान
ग्निषय सूची
भूग्नर्का
फू ि नहीं धधकता अंगार हँ ..................................................... १
आयों को सरदेि ................................................................... २
अग्नि संकल्प........................................................................ ४
धधक धधक हे सत्य की अग्नि ................................................... ६
प्रयार् ............................................................................... ८
र्ातृभूग्नर् ......................................................................... १०
र्ादर ए ितन ................................................................... १२
ध्िजा ओर् की .................................................................. १४
हकीकत राय का अर्र िग्निदान ............................................. १६
र्हारार्ा प्रताप ................................................................ २०
िचपन और जिानी ............................................................ २५
दुग्ननया और र्ैं ................................................................... २७
भाई तू क्ट्यों नहीं आया ? ..................................................... २८
र्ाँ ................................................................................. ३०
िेिक पररचय ................................................................... ३३
अग्नििीर - संग्नक्षप्त पररचय .................................................... ३४
फू ि नहीं धधकता अंगार हँ
फू ि नहीं धधकता अंगार हँ र्ैं ।
थके स्िाग्नभर्ान को झकझोरती ििकार हँ र्ैं ।।
१
आयों को सरदेि
देिभि आयों को अग्नििीर का सरदेि
२
आयों को सरदेि
- पंग्नडत चर्ूपग्नत
३
अग्नि संकल्प
कह गया अभी र्न र्ें कोई, सरदेि तुम्हे हर् देते हैं ।
इस घोर युद्ध की िेिा र्ें उदघोष तुम्हे हर् देते हैं ।।
४
अग्नि संकल्प
५
धधक धधक हे सत्य की अग्नि
धधक धधक हे सत्य की अग्नि, पापाचार स्िाहा कर दे ।
िजी रर्भेरी धर्मयुद्ध की, नस-नस र्ें चचंगारी भर दे ।।
६
धधक धधक हे सत्य की अग्नि
- आयमिीर िैकदक
७
प्रयार्
अग्नििीर का सोते चसंहों को प्रयार् सरदेि
८
प्रयार्
९
र्ातृभग्नू र्
िन िून दौडे तन र्ें ग्नजस देि की ग्नर्ट्टी ।
उसके ग्निए प्रार्ों से ज्यादा प्यार पैदा कर ।।
१०
र्ातृभूग्नर्
११
र्ादर ए ितन
र्ादर ए ितन से हर्को र्ोहब्ित है िेपनाह ।
िनाम चिती तेग पर सीना अडा देता है कौन ?
१२
र्ादर ए ितन
१३
ध्िजा ओर् की
पूरे संसार को श्रेष्ठ िनाने का संकल्प । व्यथम के जाग्नत िंधन तोड कर
र्ानि र्ाि को एक करने का संकल्प ।
जय जय जय पािण्ड िंडनी
जय जय जय दुश्चररत दंडनी
जय जय जय सद्धर्म र्ंडनी
दुिहर सुिदा ध्िजा ओर् की !
१४
ध्िजा ओर् की
- पंग्नडत चर्ूपग्नत
१५
हकीकत राय का अर्र िग्निदान
हजारों आिाजें एक साथ उठ रही थीं- अपना धर्म छोड दे । पर िेर
अकम्प िडा था । र्ाता की आँि र्ें आंसू थे । उसने र्ाँ के आंसू पोंछे ।
जल्िाद के आगे सर तान ग्निया, अगिे ही पि िो पािन सर र्ातृभूग्नर्
की गोद र्ें था । िािक र्र चुका था पर धर्म जी उठा था । ये था
हकीकत राय का अर्र िग्निदान ।
१६
हकीकत राय का अर्र िग्निदान
१७
हकीकत राय का अर्र िग्निदान
१८
हकीकत राय का अर्र िग्निदान
१९
र्हारार्ा प्रताप
भारत र्ाँ के कु छ दर्दार पुि ऐसे हैं ग्नजरहोंने ग्निपग्नि के सर्य र्ें भी
दुग्ननया र्ें इस देि का नार् गुज
ं ाये रिा । र्हारार्ा प्रताप ऐसा ही एक
नार् है ।
र्हारार्ा प्रताप के जीिन की कु छ घटनाएं इस कग्निता र्ें हैं ।
२०
र्हारार्ा प्रताप
२१
र्हारार्ा प्रताप
२२
र्हारार्ा प्रताप
२३
र्हारार्ा प्रताप
२४
िचपन और जिानी
जिानी आयी और िचपन ग्निदा हो गया ! पर जाते जाते िचपन कु छ
कह गया ! िचपन की जिानी को सीि, इस कग्निता र्ें ।
२५
िचपन और जिानी
२६
दुग्ननया और र्ैं
दुग्ननया को प्यार करना ।
है िुद को प्यार करना ।।
हो चोट गैर पर तो ।
कदि र्ेरा भी दुिाना ।।
हर होंठ पे हंसी हो ।
िि र्ेरे ग्नििग्नििाना ।।
कर्जोर िाजुओं की ।
ताकत र्ुझे िनाना ।।
नीिार् हो जो इज्जत ।
आँचि र्ुझे िनाना ।।
२७
भाई तू क्ट्यों नहीं आया ?
उसने भाई को पुकारा होगा, पर कोई नहीं आया । सर्ाज र्ें दुिासन तो
सि हैं, कृ ष्र् कौन िनेगा?
२८
भाई तू क्ट्यों नहीं आया ?
२९
र्ाँ
िचपन र्ें िोई कहीं गुग्नडया सी कभी िडी हो जाती र्ाँ ।
कफर छोड एक कदन र्ात ग्नपता दुल्हन सी ग्निदा हो जाती र्ाँ ।।
३०
र्ाँ
िग्नियों के ििों र्ें रर्ती र्ाँ िूरों के िून र्ें िहती र्ाँ ।
अग्नि की धधक र्ें रहती र्ाँ िीरों की जीत र्ें िसती र्ाँ ।।
३१
र्ाँ
३२
िेिक पररचय
३३
अग्नििीर - संग्नक्षप्त पररचय
३४
िािे अग्नििीर ने एक से ज़्यादा िीग्नियों की ररिायत, तीन तिाक़,
हिािा, और जिरदस्ती र्जहिी िेश्यािृग्नि और िि ग्नजहाद के ग्नखिाफ
आिाज िुिंद की। इसके फिस्िरूप कट्टरपंथी ग्ननिाने पर आने के
िािजूद अग्नििीर ने सैंकडों र्ग्नहिाओं को र्जहिी दहितगदी से ग्ननजात
कदिाई। अग्नििीर की ऑनिाइन तत्काि सहायता सेिा ने ककतनी ही
ऐसी चजंदग्नगयों र्ें कफर से र्ुस्कु राहट ग्नििेरी।
देि र्ें िढ़ते आतंकिाद, कट्टरता और असुरक्षा के र्ाहौि के िीच
अग्नििीर ने ग्ननुःिस्त्र आत्र्रक्षा की कायमिािा की नींि डािी। देि के कई
संिेदनिीि िहरों और स्थानों र्ें ग्ननयग्नर्त अग्नििीर कायमिािाएँ
असुरग्नक्षत िगम र्ें आत्र्रक्षा की भािना पैदा करती हैं। सैंकडों युिा जो
भटक कर आतंकिाद और र्जहिी कट्टरपंथ के रास्ते पर चि पडे थे ,
उनको िापस र्ानिता र्ें िाने का श्रेय अग्नििीर को जाता है। भारत के
इग्नतहास की ककतािों र्ें आक्ांतों और हर्िािरों के िर्मनाक हर्िों को
इग्नतहास का सुनहरा दौर िताने की िर्मनाक ररिायत को अग्नििीर ने
ही पहिी िार अकाट्य प्रर्ार्ों, तथ्यों और तकों के साथ इतने संिेग के
साथ ध्िस्त ककया है कक सरकारें भूि सुधार को ग्नििि हैं।
सार्ाग्नजक एकता, र्ग्नहिा अग्नधकार, र्ानि अग्नधकार, र्जहिी
कट्टरता, इग्नतहास और धर्ों के तुिनात्र्क अध्ययन पर कई प्रार्ाग्नर्क
पुस्तकों के प्रकािन से जहाँ अग्नििीर ने दीघमकाग्निक सुधार की एक ठोस
नींि रिी है िहीं योग, आध्यात्र्, सनातन चहंद ू धर्म और जीत ि जोि
की प्रेरर्ा देने िािी अतुल्य पुस्तकों से र्ानि र्ाि को प्रेर्, एकता और
िीरता के िैकदक पथ पर चिने के ग्निए प्रेररत ककया है।
अग्नििीर से जुग्नडए और साथमक जीिन का आनंद िीग्नजए।
३५
अग्नधक जानकारी के ग्निए, नीचे कदए गए ग्निनक्ट्स की सहायता िें
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AGNIVEER
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