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श्री राम नवमी पूजा

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श्री राम नवमी पूजा

Check List

1. Altar, Deity (statue/photo),


2. Two big brass lamps (with wicks, oil/ghee)
3. Matchbox, Agarbatti
4. Karpoor, Gandha Powder, Kumkum, gopichandan, haldi
5. Sri Mudra (for Sandhyaavandan), Vessel for Tirtha, Yajnopaviita
6. Puujaa Conch, Bell, One aaratii (for Karpoor), Two Aaratiis with wicks
7. Flowers, Akshata (in a container), tulsi leaves, tulsi garland
8. Decorated Copper or Silver Kalasha, Two pieces of cloth (new),
9. Coconut, 1/2 kg. Rice, gold coin, gold chain
10. Extra Kalasha, 3 trays, 3 vessels for Abhisheka
11. Betel nuts 6, Betel nut Leaves 12, Bananas 6, Banana Leaves 2, Mango Leaves 5-25
12. Dry Fruits, 5 bananas, 1 coconut - all for naivedya
13. Panchaamrita - Milk, Curd, Honey, Ghee, Sugar, Tender Coconut Water
14. Puja Books

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१ At the regular altar ॐ अच्युताय नमः . ॐ जनादिनाय नमः .
ॐ उपेंद्राय नमः . ॐ िरये नमः .
ॐ सवेभ्यो गुरुभ्यो नमः | श्री कृ ष्णाय नमः ||
ॐ सवेभ्यो देवेभ्यो नमः | --------------------------------------------------------------------------
३ प्राणायामः
ॐ सवेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः ||
(Due to pranayam, the rajas component decreases
प्रारं भ कायं ननर्विघ्नमस्तु | शुभं शोभनमस्तु | and the sattva component increases.)
इष्ट देवता कु लदेवता सुप्रसन्ना वरदा भवतु ||
अनुज्ां देनि || ॐ प्रणवस्य परब्रह्म ऋनषः . परमात्मा देवता .
दैवी गायिी छन्दः . प्राणायामे नवननयोगः ||
At the श्री राम altar
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ॐ भूः . ॐ भुवः . ॐ स्वः . ॐ मिः .
२ आचमनः
(Sip one spoon of water after each mantra. ॐ जनः . ॐ तपः . ॐ सत्यं .
Take a little water from the vessel for worship with an ॐ भूभुिवः स्वः |
offering spoon onto the palm and sip it. This is called ॐ तत्सनवतुविरेण्यं भगो देवस्य धीमिी
achaman.. Just as bathing causes external purification,
नधयो यो नः प्रचोदयात् ||
partaking water in this way is responsible for internal
purification. This act is repeated thrice. Thus physical,
psychological and spiritual, internal purification is brought पुनराचमन
about.) (Repeat Achamana 2 - given above)
ॐ आपोज्योनत रसोमृतं ब्रह्म भूभुिवस्सुवरोम् ||
निराचम्य
(Apply water to eyes and understand that you are of
the nature of Brahman)
ॐ के शवाय स्वािाः. ॐ नारायणाय स्वािाः.
ॐ माधवाय स्वािाः. --------------------------------------------------------------------------
४ सङ्कल्पः
ॐ गोववंदाय नमः . ॐ नवष्णवे नमः .
(Holding unbroken consecrated rice (akshata) and an
ॐ मधुसूदनाय नमः . ॐ निनवक्रमाय नमः . offering spoon (pali) with water in the cup of one’s hand
ॐ वामनाय नमः . ॐ श्रीधराय नमः . one should chant the mantra with the resolve, ‘I of the

ॐ हृषीके शाय नमः . ॐ पद्मनाभाय नमः . .....lineage (gotra), ..... am performing the .... ritual to
obtain the benefit according to the Shrutis, Smrutis and
ॐ दामोदराय नमः . ॐ सङ्कषिणाय नमः .
Puranas in order to acquire .... result and then should
ॐ वासुदव
े ाय नमः . ॐ प्रद्युम्नाय नमः .
offer the water from the hand into the circular, shelving
ॐ अननरुद्धाय नमः . ॐ पुरुषोत्तमाय नमः . metal dish (tamhan). Offering the water into the circular,
ॐ अधोक्षजाय नमः . ॐ नारवसंिाय नमः . shelving dish signifies the completion of an act.)

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(Prostrations to Lord Rama, the main deity of this puja)

सवि देवता प्रार्िना || अनवघ्नमस्तु ||


(Stand and hold a fruit in hand during sankalpa)
सुमुखश्च एकदंतश्च कनपलो गजकणिकः .
लंबोदरश्च नवकटो नवघ्ननाशो गणानधपः ||
ॐ श्रीमान् मिागणानधपतये नमः .
धूम्रके तुगिणाध्यक्षो बालचन्द्रो गजाननः .
श्री गुरुभ्यो नमः . श्री सरस्वत्यै नमः .
िादशैतानन नामानन यः पठे त् श्रुणुयादनप ||
श्री वेदाय नमः . श्री वेदपुरुषाय नमः .
नवद्यारं भे नववािे च प्रवेशे ननगिमे तर्ा .
इष्टदेवताभ्यो नमः |
संग्रामे संकटेचैव नवघ्नः तस्य न जायते ||
(Prostrations to your favorite deity)
(Whoever chants or hears these 12 names of Lord
कु लदेवताभ्यो नमः |
Ganesha will not have any obstacles in any of their
(Prostrations to your family deity)
endeavours)
स्र्ान देवताभ्यो नमः |
(Prostrations to the deity of this house)
शुकलांबरधरं देवं शनशवणं चतुभुिजम् |
ग्रामदेवताभ्यो नमः |
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सवि नवघ्नोपशांतये ||
(Prostrations to the deity of this place)
वास्तुदव
े ताभ्यो नमः | सविमङ्गल माङ्गल्ये नशवे सवािर्ि सानधके |
(Prostrations to the deity of all the materials we have
शरण्ये त्र्यंबके देवी नारायणी नमोऽस्तुते ||
collected)

शचीपुरंदराभ्यां नमः | (We completely surrender ourselves to that Goddess

(Prostrations to the Indra and shachii) who embodies auspiciousness, who is full of
auspicious-ness and who brings auspicousness to us)
उमामिेश्वराभ्यां नमः |
(Prostrations to Shiva and pArvati)
लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः | सविदा सवि कायेषु नानस्त तेषां अमङ्गलम् |
(Prostrations to the Lords who protect us - LakShmi and येषां हृददस्र्ो भगवान् मङ्गलायतनो िररः ||
NArAyaNa)
(When Lord Hari, who brings auspiciousness is
मातानपतृभ्यां नमः |
situated in our hearts, then there will be no more
(Prostrations to our parents)
inauspiciousness in any of our undertakings)
सवेभ्यो देवेभ्यो नमो नमः |
(Prostrations to all the Gods)
तदेव लग्नं सुददनं तदेव ताराबलं चंद्रबलं तदेव .
सवेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः |
(Prostrations to all Brahamanas - those who are in the नवद्याबलं दैवबलं तदेव लक्ष्मीपतेः तेंनिऽयुगं स्मरानम ||
religious path) (What is the best time to worship the Lord? When our
hearts are at the feet of Lord Narayana, then the
एतद्कमि प्रधान देवताभ्यो नमो नमः |
strength of the stars, the moon, the strength of

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knowledge and all the Gods will combine and make it कररष्ये ||
the most auspicious time and day to worship the Lord)
इदं फलं मया देव स्र्ानपतं पुरतस्तव |
लाभस्तेषां जयस्तेषां कु तस्तेषां पराजयः .
तेन मे सुफलावानिर् भवेत् जन्मनन जन्मनन ||
येषां इनन्दवरश्यामो हृदयस्र्ो जनादिनः || (keep fruits in front of the Lord)
(When the Lord is situated in a person's heart, he
will always have profit in his work and victory in all --------------------------------------------------------------------------
that he takes up and there is no question of defeat ५. षडङ्ग न्यास
(Purifying the body)
for such a person)

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नवनायकं गुरुं भानुं ब्रह्मानवष्णुमिेश्वरान् | ५.(१) षडङ्ग न्यास
(Purifying hands and various parts of the body )
सरस्वतीं प्रणम्यादौ सवि कायािर्ि नसद्धये ||

(To achieve success in our work and to find ॐ यत्पुरुषं व्यदधुः कनतधा व्यकल्पयन् ।
fulfillment we should first offer our prayers मुखं दकमस्य कौ बाहू कावूरू पादावुच्येते ||
to Lord Vinayaka and then to our teacher, then
ॐ ह्ां रामाय नमः | अंगुष्ठाभ्यायां नमः | हृदयाय नमः ||
to the Sun God and to the holy trinity of Brahma,
(touch the thumbs)
ViShNu and Shiva)

ॐ ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत् बाहू राजन्यः कृ तः ।


श्रीमद् भगवतो मिापुरुषस्य नवष्णोराज्या प्रवतिमानस्य उरू तदस्य यिैश्यः पद्भ्ां शूद्रो अजायत ||
अद्य ब्रह्मणो नितीय पराधे नवष्णुपदे श्री श्वेतवराि कल्पे ॐ ह्ीं रामभद्राय नमः | तजिनीभ्यां नमः | नशरसे स्वािाः ||
वैवस्वत मन्वन्तरे --------------- देशे, शानलवािन शके (touch both fore fingers)
वतिमाने व्यविाररके ------------ नाम संवत्सरे --------------
-- आयणे --------------ऋतौ ------------------ मासे -------- ॐ चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।

------ पक्षे ----- नतर्ौ ----- नक्षिे ----- वासरे सवि ग्रिेषु मुखाददन्द्रश्चानग्नश्च प्राणािायुरजायत ||

यर्ा रानश स्र्ान नस्र्तेषु सत्सु एवं गुणनवशेषेण नवनशष्टायां ॐ ह्ुं रामचन्द्राय नमः | मध्यमाभ्यां नमः | नशखायै वषट्||
(touch middle fingers)
शुभपुण्यनतर्ौ मम आत्मन श्रुनतस्मृनत पुराणोक्त
फलप्राप्यर्ं मम सकु टुम्बस्य क्षेम स्र्ैयि आयुरारोग्य
ॐ नाभ्या आसीदन्तररक्षम् शीष्णो द्यौः समवतित ।
चतुर्विध पुरुषार्ि नसध्यर्ं अंगीकृ त श्री रामचन्द्र व्रतांगत्वेन
पदभ्यां भूनमर्दिशः श्रोिात् तर्ा लोकााँ अकल्पयन्||
संपाददत सामग्रव्या गणेश वरुण ब्रह्मा सूयािदद नवग्रि इंद्रादद
अष्टलोकपाल गणपनत चतुष्ट देवता पूजनपूविकं श्री रामचन्द्र ॐ ह्ैं राघवाय नमः
प्रीत्यर्ं यर्ा शकत्या यर्ा नमनलता उपचार द्रव्यैः पुरुषसूक्त, | अनानमकाभ्यां नमः | कवचाय हुम् ||
श्री सूक्त पुराणोक्त मन्िैश्च ध्यान आवािनादद षोडशोपचारे (touch ring fingers)
श्री रामचन्द्र प्रीत्यत्र्ं पूजनं तर्ा व्रतोक्त कर्ा श्रवणं च

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ॐ गणानां त्वा शौनको गृत्समदो गणपनतजिगती
ॐ धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार गणपत्यावािने नवननयोगः ||
शक्रः प्रनविान्प्रददशश्चतस्रः । (pour water)
तमेवं नवद्यानमृत इि भवनत
नान्यः पन्र्ा अयनाय नवद्यते || ॐ गणानां त्वा गणपवतं िवामिे
ॐ ह्ौं रघुपुङ्गवाय नमः| कनननष्ठकाभ्यां नमः | नेिियाय कववं कवीनामुपम श्रवस्तमं |
वौषट् || ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत
(touch little fingers)
आ नः शृण्वन्नूनतनभः सीदसादनं ||
भूः गणपवतं आवाियानम .
यज्ेन यज्मयजन्त देवाः
भुवः गणपवतं आवाियानम .
तानन धमािनण प्रर्मान्यासन् ।
स्वः गणपवतं आवाियानम .
ते ि नाकं मनिमानः सचन्ते
ॐ भूभुिवस्वः सांगं सपररवारं सायुधं सशनक्तकं मिागणपवतं
यि पूवे साध्याः सनन्त देवाः ||
आवाियानम |
ॐ ह्ः जानकी वल्लभाय नमः| करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |
(O great Ganapati come along with Riddhi, Buddhi,
अस्त्राय फट् || your entire family, all your weapons and might’)
(touch palms and over sleeve of hands)
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५.(२) दिग्बन्धन ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः ध्यायानम. ध्यानम्
( show mudras) समपियानम |
ॐ मिागणपतये नमः. आवािनं समपियानम |
ॐ राम भद्रे इनत ददग्बन्धः | ॐ मिागणपतये नमः. आसनं समपियानम |
(snap fingers, circle head clockwise and clap hands)
ॐ मिागणपतये नमः. पाद्यं समपियानम |
ददशो बद्नानम ||
ॐ मिागणपतये नमः. अर्घ्यं समपियानम |
(shut off all directions i.e. distractions so that we can
concentrate on the Lord)
ॐ मिागणपतये नमः. आचमनीयं समपियानम |
ॐ मिागणपतये नमः. स्नानं समपियानम |
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ॐ मिागणपतये नमः. वस्त्रं समपियानम |
६ गणपदि पूजा ॐ मिागणपतये नमः. यज्ोपवीतं समपियानम |
(To prevent any obstacle from disrupting an auspicious
ॐ मिागणपतये नमः. चंदनं समपियानम |
occasion, it is begun with the worship of Lord Ganapati.)
ॐ मिागणपतये नमः. पररमल द्रव्यं समपियानम |
आदौ ननर्विघ्नता नसध्यर्ं मिा गणपनत पूजनं कररष्ये .
ॐ मिागणपतये नमः. पुष्पानण समपियानम |
ॐ मिागणपतये नमः. धूपं समपियानम |
ॐ मिागणपतये नमः. दीपं समपियानम |

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ॐ मिागणपतये नमः. नैवेद्यं समपियानम | अर् देवस्य वाम भागे दीप स्र्ापनं कररष्ये |
ॐ मिागणपतये नमः. ताम्बूलं समपियानम | अनग्ननािनग्नः सनमध्यते कनवग्रििपनतयुिवा िव्यवात् जुवास्यः ||
ॐ मिागणपतये नमः. फलं समपियानम | (light the lamps)
ॐ मिागणपतये नमः. दनक्षणां समपियानम |
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ॐ मिागणपतये नमः. आर्तिकयं समपियानम | ८ भूदम प्राथथना
ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः. (open palms and touch the ground.

मन्िपुष्पं समपियानम | first the earth (ground) on the right hand side (since the
host performing the religious ceremony is facing the
ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः |
east, the hand touching the ground is in the southern
प्रदनक्षणा नमस्कारान् समपियानम |
direction) and then the earth on the left hand side, in
ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः. छिं समपियानम | front of oneself (that is the northern direction) should be
ॐ मिागणपतये नमः. चामरं समपियानम | touched. Energies from the south are distressing. To

ॐ मिागणपतये नमः. गीतं समपियानम | prevent them from causing distress, one offers
obeisance to them by touching the earth. The energies
ॐ मिागणपतये नमः. नृत्यं समपियानम |
from the north are however saluted as they are
ॐ मिागणपतये नमः. वाद्यं समपियानम |
pleasant.)
ॐ मिागणपतये नमः. सवि राजोपचारान् समपियानम|| मिीध्यौः पृनर्वीचन इमं यज्ं नमनमक्षतां

|| अर् प्रार्िना || नपप्रतान्नो भरीमनभः ||


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ॐ वक्रतुण्ड मिाकाय कोरटसूयि समप्रभ . ९ धान्य रादि

ननर्विघ्नं कु रु मे देव सवि कायेषु सविदा ||


ॐ औषधाय संवदंते सोमेन सिराज् .
ॐ भूभुिवस्वः मिागणपतये नमः. प्रार्िनां समपियानम| यस्मै कृ णेनत ब्राह्मणस्र्ं राजन् पारयामनस ||
(Touch the grains/rice/wheat)
अनया पूजया नवघ्निताि मिागणपनतः प्रीयताम् ||
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(Offering of flowers - May Shri Mahaganapati, the १० कलि स्थापना
vanquisher (Two small heaps of rice should be made on the ground
of all obstacles be appeased with this worship of mine’, amidst chanting mantras. Later, chanting the mantra two
chanting thus water should be released.) pots
of either gold, silver, copper or unbroken earthen pots
-------------------------------------------------------------------------- should be placed on these two heaps.)
७ िीप स्थापना
ॐ आ कलशेषु धावनत पनविे पररवसंच्यते
उक्तै यिज्ेषु वधिते ||
(keep kalasha on top of rice pile)

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ॐ इमं मे गङ्गे यमुने सरस्वती शुतुदद्र स्तोमं सचता (decorate copper plate and ashhTadala with kuMkuM)

परुष्ण्या . इनत कलशं प्रनतष्ठापयानम ||

अनसकन्य मरुद्वृधे नवतस्तयाजीकीये श्रुणुया सुषोमया || सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||


(fill kalasha with water)
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ॐ गंधिारां दुराधषां ननत्यपुष्टां करीनषणीं . ११ वरुण पूजन
ईश्वरीं सविभूतानां तानमिोपह्वयेनश्रयं || (On the second kalasha)

(sprinkle in/apply ga.ndha to kalasha) तत्वायानम शुनः शेपोः वरुण निष्टु प् कलशे
ॐ या फनलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुनष्पणीः . वरुणावािने नवननयोगः ||
बृिस्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्वं ि सः ||
(put betel nut in kalasha) ॐ तत्वायानम ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो
ॐ सनिरत्नानन दाशुषुसुवानत सनवता भगः . िनवर्भिः .
तम्भागं नचिमीमिे || आिेलमानो वरुणः बोध्युरुशं समान आयुः प्रमोनषः
(put jewels / washed coin in kalasha) ॐ भूभुिवःस्वः वरुणाय नमः .चंदनं समपियानम ||
ॐ निरण्यरूपः निरण्य सनन्द्रग्पान्न पात्स्येद ु निरण्य वणिः . (add to kalasha)

निरण्ययात् पररयोनेर्निषद्या निरण्यदा ददत््यन् नमस्मै || ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः . अक्षतान् समपियानम||
(put gold / daxina in kalasha) (add to kalasha)

ॐ काण्डात् काण्डात् प्ररोिंती परुषः परुषः परर ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः . िररद्रा कुं कु मं समपियानम ||
एवानो दूवे प्रतनु सिस्रेण शतेन च || ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः. धूपं समपियानम ||
(put duurva / karika ) ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः. दीपं समपियानम ||
ॐ अश्वत्र्ेवो ननशदनं पर्णिवो वसनतश्कृ त . ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः. नैवेद्यं समपियानम ||
गो भाज इनत्कला सर्यत्स नवर् पूरुषं || ॐ भूभुिवःस्वः . वरुणाय नमः .
(put five leaves in kalasha) सकल राजोपचारार्े अक्षतान् समपियानम ||
ॐ या फनलनीयाि अफला अपुष्पायाश्च पुनष्पणीः .
बृिस्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्वं ि सः || अवते िेळो वरुण नमोनभररव यज्ेनभरीमिे िनवर्भिः .
(put coconut in kalasha) क्षयं नमस्मभ्यं सुरप्रचेता राजन् नेनांनस नशश्रर्ः कृ तानन ||
ॐ युवासुवासः परीवीतागात् स उश्रेयान् भवनत जायमानः वरुणाय नमः . मन्ि पुष्पं समपियानम ||
तं धीरासः कावयः उन्नयंनत स्वाद्ध्यो स्वाद्ध्यो मनसा प्रदनक्षणा नमस्कारान् समपियानम ||
देवयंतः||
(tie cloth for kalasha) अनया पूजया भगवान् श्री मिा वरुण प्रीयताम् ||
ॐ पूणािदर्वि प रापत सुपूणाि पुनरापत . सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||
वस्ने व नवक्रीणावः इषमूजं शतक्रतो ||
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१२ कलि पूजन || मुद्रा ||
(continue with second kalasha)
कलशस्य मुखे नवष्णुः कण्ठे रुद्रः समानश्रतः . (Show mudras as you chant )

मूले ति नस्र्तो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः ||


कु क्षौतु सागराः सवे सि िीपा वसुंधराः . ननवीषी करणार्े ताक्षि मुद्रा . (to remove poison)

ऋग्वेदोर् यजुवेदः सामवेदोयर्विणः || अमृती करणार्े धेनु मुद्रा . (to provide nectar - amrit)

अंगैश्च सनिताः सवे कलशंतु समानश्रताः . पनविी करणार्े शङ्ख मुद्रा . (to make auspicious)

अि गायिी सानविी शांनत पुनष्टकरी तर्ा || संरक्षणार्े चक्र मुद्रा . (to protect)
नवपुलमाया करणार्े मेरु मुद्रा . (to remove mAyA)
आयान्तु देव पूजार्ं अनभषेकार्ि नसद्धये ||
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ॐ नसतानसते सररते यि संगर्े तिाप्लुतासो ददवमुत्पतंनत . १३ िङ् ख पूजन
(pour water from kalasha to sha~Nkha
ये वैतन्वं नवस्रजनन्त धीरास्ते जनासो अमृतत्त्वं भजनन्त ||
add ga.ndha flower)
(Those who want to attain immortality take a
dip in the confluence of the Ganges, yamuna and
sarasvati rivers at the prayag. Let the water शङ्खं चंद्राकि दैवतं मध्ये वरुण देवताम् |
in this kalasha become like the water from the पृष्ठे प्रजापवतं ववंद्याद् अग्रे गंगा सरस्वतीम् ||
holy rivers)
त्वं पुरा सागरोत्पन्नो नवष्णुना नवधृतः करे |
ननमतः सवि देवश्च
ै पाञ्चजन्य नमोऽस्तुते ||
|| कलशः प्रार्िनाः ||
(This shaNkha has now become like the pAnchajanya,
कलशः कीर्तिमायुष्यं प्रज्ां मेधां नश्रयं बलम् | which has come out of the ocean and which is the
योग्यतां पापिावनं च पुण्यं वृवद्धं च साधयेत् || hands of Lord MahaviShNu. Our prostrations to the
pAnchajanya)
(Let this kalasha increase our life span, presence
of mind, intellect,wealth, strength and status, destroy
पाञ्चजन्याय नवद्मिे . पावमानाय धीमनि .
our sins and increase our merits or puNya)
तन्नो शङ्खः प्रचोदयात् ||

सवि तीर्िमयो यस्मात् सवि देवमयो यतः . शङ्खाय नमः .


अतः िररनप्रयोऽनस त्वं पूणिकुंभं नमोऽस्तुते || सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||
(All the holy waters, and all the Gods are now
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present in this kalasha. Our prostrations to this
१४ घं टाचथना
puurNakumbha which is hence dear to Lord Hari)
(Pour drops of water from sha~Nkha on top of the bell
कलशदेवताभ्यो नमः . apply ga.ndha, flower)
सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||

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आगमार्िन्तु देवानां गमनार्िन्तु राक्षसाम् | १७ पञ्चामृ ि पूजा
( put tulasi leaves or axataas in vessels|
कु वे घंटारवं ति देवताह्वा लक्षणम् ||
Panchamrit is nectar of five ingredients -
ज्ानर्ोऽज्ानतोवानप कांस्य घंटान् नवादयेत् | a mixture of milk, curds, clarified butter (ghee), honey
राक्षसानां नपशाचनां तद्देशे वसनतभिवेत् | and sugar|)

तस्मात् सवि प्रयत्नेन घंटानादं प्रकारयेत् ||


(When the bell is rung, knowingly or unknowingly, क्षीरे सोमाय नमः | (keep milk in the centre)
all the good spirits are summoned and all the evil दनधनन वायवे नमः | (curd facing east )
spirits are driven away) घृते रवये नमः | (Ghee to the south)
घंट देवताभ्यो नमः | मधुनन सनविे नमः | ( Honey to west )
सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम || शकि रायां नवश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः | ( Sugar to north)
--------------------------------------------------------------------------
(Ring the gha.nTA)
१८ द्वारपालक पूजा

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पूवििारे िारनश्रयै नमः | िनुमते नमः |
१५ आत्मिुद्धि
दनक्षणिारे िारनश्रयै नमः | लक्ष्मणाय नमः |
( Sprinkle water from sha~Nkha on puja items
पनश्चमिारे िारनश्रयै नमः | भरताय नमः |
and devotees)
उत्तरिारे िारनश्रयै नमः | शिुघ्ने नमः ||

अपनविः पनविो वा सवािवस्र्ांगतोऽनप वा |


मध्ये नव रत्नखनचत ददव्य वसंिासनस्योपरर
यः स्मरे त् पुंडरीकाक्षं सः बायाभ्यंतरः शुनचः||
श्री जानकी पतये नमः नमः ||
-------------------------------------------------------------------------- िारपालक पूजां समपियानम ||
१६ षट् पात्र पूजा --------------------------------------------------------------------------
( put tulasi leaves or axatAs in empty vessels)
१९ पीठ पूजा

वायव्ये अर्घ्यं |
पीठस्य अधोभागे आधार शकत्यै नमः || कू मािय नमः ||
नैऋत्ये पाद्यं |
दनक्षणे क्षीरोदनधये नमः | वसंिाय नमः ||
ईशान्ये आचमनीयं |
वसंिासनस्य आग्नेय कोणे वरािाय नमः ||
आग्नेये मधुपकं |
नैऋत्य कोणे ज्ानाय नमः ||
पूवे स्नानीयं |
वायव्य कोणे वैराग्याय नमः ||
पनश्चमे पुनराचमनं |
ईशान्य कोणे ऐश्वयािय नमः ||
-------------------------------------------------------------------------- पूवि ददशे धमािय नमः ||

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दनक्षण ददशे ज्ानाय नमः ||
पनश्चम ददशे वैराग्याय नमः || इनत ददग्पालक पूजां समपियानम
उत्तर ददशे अनैश्चराय नमः || --------------------------------------------------------------------------
२१ प्राण प्रदिष्ठा
पीठ मध्ये मूलाय नमः ||
(hold flowers/axata in hand)
नालाय नमः ||
ध्यायेत् सत्यम् गुणातीतं गुणिय समनन्वतं
पिेभ्यो नमः ||
लोकनार्ं निलोके शं कौस्तुभाभरणं िररम् |
के सरे भ्यो नमः ||
नीलवणं पीतवासं श्रीवत्सपदभूनषतं
कर्णिकायै नमः ||
गोकु लानन्दं ब्रह्माध्यैरनप पूनजतम् ||
कर्णिका मध्ये सं सत्त्वाय नमः ||
रं रजसे नमः || तं तमसे नमः ||
ॐ अस्य श्री प्राण प्रनतष्ठाप न मिा मन्िस्य
ब्रह्मा नवष्णु मिेश्वरा ऋषयः |
सूयिमण्डलाय नमः ||
ऋग्यजुः सामार्वािनण छन्दांनस |
सूयिमण्डलानधपतये ब्रह्मणे नमः ||
सकलजगत्सृनष्टनस्र्नत संिारकाररणी
सोममण्डलाय नमः ||
प्राणशनक्तः परा देवता |
सोममण्डलानधपतये नवष्णवे नमः ||
आं बीजम् | ह्ीं शनक्तः | क्रौम् कीलकम् |
वनह्नमण्डलाय नमः ||
अस्यां मूतौ प्राण प्रनतष्ठापने नवननयोगः ||
वनह्नमण्डलानधपतये ईश्वराय नमः ||

|| करन्यासः ||
श्री रामचन्द्राय नमः | पीठ पूजां समपियानम ||
--------------------------------------------------------------------------
आं अंगुष्ठाभ्यां नमः ||
२० दिग्पालक पूजा (start from east of kalasha or
ह्ीं तजिनीभ्यां नमः ||
deity)
क्रौं मध्यमाभ्यां नमः ||
आं अनानमकाभ्यां नमः ||
इंद्राय नमः,
ह्ीं कनननष्ठकाभ्यां नमः ||
अग्नये नमः,
क्रौं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ||
यमाय नमः,
नैऋतये नमः,
|| अङ्ग न्यासः ||
वरुणाय नमः,
वायवे नमः,
आं हृदयाय नमः ||
कु बेराय नमः,
ह्ीं नशरसे स्वािाः ||
ईशानाय नमः,

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क्रौं नशखायै वषट् || दनक्षणाङ्गे दशरतं पुिाप्येक्षेण तत्परम् ||
आं कवचाय हुं || प्रष्टतो लक्ष्मणं देवं सछिं कनक प्रभम् ।
ह्ीं नेिियाय वौषट् || पाश्वे भरत शिुघ्नौ, चामर व्यजनानन्वतौ ।
क्रौं अस्त्राय फट् || अ ग्रेत्यग्रौ िनूमन्तं रामानुग्रि कानङ्क्षणम् ||
भूभुिवस्वरोम् इनत ददग्बन्धः || (you can add more related shlokas)
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः ।
आं ह्ीं क्रौम् क्रौम् ह्ीं आं | ध्यानात् ध्यानं समपियानम
य र ल व श ष स ि | --------------------------------------------------------------------------
२३ आवाहनं
ॐ अिं सः सोऽिं सोऽिं अिं सः ||
( hold flowers in hand)

अस्यां मूते प्राणः नतष्ठंतुः | अस्यां मूते जीवः नतष्ठन्तु |


ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात् ।
अस्यां मूते सवेनन्द्रयानण मनस्त्वत् चक्षुः
स भूवमं नवश्वतो वृत्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम् ||
श्रोि नजह्वा िाणैः वाक्वानण पादपायोपस्र्ानन
नवश्वेशं जानकी वल्लभ प्रभु
प्राण अपान व्यान उदान समान अिागत्य
कौसल्या तनयं नवष्णुं रामं प्रक्रतेः परं
सुखेन नचरं नतष्ठन्तु स्वािाः |
आगच्छ देवदेवेश तेजोराशे जगत्पते ।
दक्रयमाणां मया पूजां गृिाण सुरसत्तमे ||
असुनीते पुनरस्मासु चक्षुवः पुनः प्राणनमिीनो
ॐ निरण्यवणां िररणीं सुवणिरजतस्रजाम् ।
देनिभोगं ज्योक्ष क्षेम सूयिमुच्चरन्तम् अनुमते
चन्द्रां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो ममावि ||
मृडयान स्वनस्त अमृतं वै प्राणा अमृतमापः
श्री रामागच्छ भगवन् रघुवीर नृपोत्तम
प्राणानेव यर्ा स्र्ानं उपह्वयेत् ||
जानकी सि राजेन्द्र सुनस्तरो भव सविदा
रामचन्द्र मिेश्वास रावणान्तक राघव
स्वानमन् सवि जगन्नार् यावत्पूजावसानकं यावत् पूजां समासेिं तावत्वां सनन्नदा भव
तावत्वम् प्रीनतभावेन नबम्बेनस्मन् कलशेनस्मन् रघुनायक राजशे नमो राजीवलोचन
प्रनतमायां सनन्नवधं कु रु || रघुनन्दन मे देव, श्री रामानभमुखो भव
इनत प्राणं प्रनतष्ठापयानम || श्री सीता सनित, श्री रामचन्द्राय
सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम || सांगाय सपररवाराय सायुधाय
-------------------------------------------------------------------------- सशनक्तकाय नमः ।
२२ ध्यानं
श्री सीता सनित श्री रामचन्द्रम् सांगं
सपररवारं सायुधं सशनक्तकं आवाियानम ||
ॐ ॐ (repeat 15 times)
(offer flowers to Lord)
ॐ कोमलाङ्गं नवशालाक्षं इन्द्रनील समप्रभम् ।

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आवानितो भव । स्र्ानपतो भव । सनन्ननितो भव । अश्वपूवां रर्मध्यां िनस्तनादप्रमोददनीम् ।
सनन्नरुद्धो भव । अवकु नण्ठतो भव । सुप्रीतो भव । नश्रयं देवीमुपह्वये श्रीमाि देवी जुषताम् ||
सुप्रसन्नो भव । सुमुखो भव । वरदो भव । पादोयो पाद्यं समपियानम ||
प्रसीद प्रसीद || --------------------------------------------------------------------------
२६ अर्घ्यं
(show mudras to Lord)
(offer water)
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२४ आसनं
निपादूध्वि उदैत्पुरुषः पादोऽस्येिाभवात्पुनः ।
ततो नवश्वङ्व्यक्रामत् साशनानशने अनभ ||
पुरुष एवेदगं सविम् यद्भूतं यच्छ भव्यम् ।
उतामृतत्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ||
पररपूणि परानन्द नमो रामाय वेधसे ।
ग्रुिाणार्घ्यिम् मया दत्तम् कृ ष्ण नवष्णो जनादिन ||
राजानधराज राजेन्द्र रामचन्द्र मिीपते ।
रत्न वसंिासनं तुभ्यं दास्यानम स्वीकु रु प्रभो ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । अर्घ्यिम् समपियानम||

ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । आसनं समपियानम ||


कांसोनस्म तां निरण्यप्राकारामाद्रां ज्वलन्तीं तृिां
(offer flowers/axathaas)
तपियन्तीम्।
पद्मेनस्र्तां पद्मवणां तानमिोपह्वये नश्रयम् ||
तां म आवि जातवेदो लक्ष्मीमनपगानमनीम् ।
अर्घ्यं समपियानम ||
यस्यां निरण्यं नवन्देयं गामश्वं पुरुषानिम् ||
--------------------------------------------------------------------------
आसनं समपियानम ||
२७ आचमनीयं
--------------------------------------------------------------------------
(offer water or axathaa/ leave/flower)
२५ पाद्यं

(offer water)
तस्मानिराडजायत नवराजो अनध पूरुषः ।
एतावानस्य मनिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः ।
स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूनममर्ो पुरः ||
पादोऽस्य नवश्वा भूतानन निपादस्यामृतं ददनव ||

नमः सत्याय शुद्धाय ननत्याय ज्ान रूनपणे।


िैलोकय पावनानन्त नमस्ते रघुनायक।
ग्रुिाणाचमनं राम सवि लोकै क नायक||
पाद्यं ग्रुिाण राजशे नमो राजीव लोचन||

ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । आचमनीयं समपियानम ||


ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पादोयो पाद्यं समपियानम||

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पयो दधानम देवेश स्नानार्ं प्रनतगृयताम् ||
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलंतीं नश्रयं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पनद्मनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्वां वृणे । ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पयः स्नानं समपियानम ||
आचमनीयं समपियानम || पयः स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||
-------------------------------------------------------------------------- सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||
२८ मधुपकथम्
--------------------------------------------------------------------------

नमः श्री वासुदव


े ाय तत्वज्ान स्वरूनपणे ।
२९. १. २ िदध स्नानं (curd bath)
मधुपकं ग्रुिाणेदं जानकीपतये नमः ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः . मधुपकं समपियानम
ॐ दनधक्राव्णो अकाररषं नजष्णोरश्वस्यवानजनः ।
--------------------------------------------------------------------------
२९ स्नानं
सुरनभनो मुखाकरत् प्राण आयुंनष ताररषत् ||
यत्पुरुषेण िनवषा देवा यज्मतन्वत ।
वसन्तो अस्यासीदाज्यम् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धनवः || चन्द्र मन्डल सम्काशं सवि देव नप्रयं नि यत् ।
दनध ददानम देवेश स्नानार्ं प्रनतगृयताम् ||
ब्रह्माण्डोदर मध्यस्तै नस्ततैस्च रघुनन्दन। ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । दनध स्नानं समपियानम ||
स्नापनयश्याम्यिं भकत्या त्वं ग्रुह्ण जनादिन || दनध स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||
सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । मलापकशि स्नानं समपियानम । --------------------------------------------------------------------------
२९. १. ३ घृ ि स्नानं (ghee bath)

आददत्यवणे तपसोऽनधजातो वनस्पनतस्तव वृक्षोऽर् ॐ घृतं नमनमक्षे घृतमस्य योननघृिते नश्रतो घृतंवस्यधाम

नबल्वः। अनुष्ठधमावि मादयस्व स्वािाकृ तं वृषभ वनक्षिव्यं||

तस्य फलानन तपसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाया आज्यं सुरानां आिारं आज्यं यज्े प्रनतनष्ठतम् ।

अलक्ष्मीः। स्नानम् समपियानम || आज्यं पनविं परमं स्नानार्ं प्रनतगृयताम् ||


--------------------------------------------------------------------------
२९. १ पञ्चामृ ि स्नानं ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । घृत स्नानं समपियानम ||
२९.१. १ पय स्नानं (milk bath) घृत स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||
सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||
ॐ आप्याय स्व स्वसमेतुते --------------------------------------------------------------------------
नवश्वतः सोमवृष्ण्यं भवावाजस्य संगर्े || २९. १. ४ मधु स्नानं (Honey bath)

सुरभेस्तु समुत्पन्नं देवानां अनप दुलिभम् । ॐ मधुवात ऋतायते मधुक्षरं नत नसन्धवः मानध्वनः

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संतोष्वधीः सुरनभ नप्रय गोनवन्द गंध स्नानाय गृयतां ||
मधुनक्ता मुतोषसो मधुमत् पार्र्िवं रजः मधुद्यौ रस्तुनः ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । गंधोदक स्नानं समपियानम ||
नपता सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||
मधुमान्नो वनस्पनतर् मधुमााँ अस्तु सूयिः --------------------------------------------------------------------------

माध्वीगािवो भवंतु नः || २९. ३ अभ्यंग स्नानं (Perfumed Oil bath)

सवौषनध समुत्पन्नं पीयुष सदृशं मधु । ॐ कननक्रदज्वनुशं प्रभ्रुवान। इयनर्वािचमररतेव नावं।

स्नानार्ं मया दत्तं गृिाण परमेश्वर || सुमंगलश्च शकु ने भवानस मात्वा कानचदनभभानवश्व्या नवदत
||

ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । मधु स्नानं समपियानम || अभ्यंगार्ं मिीपाल तैलं पुष्पादद संभवं ।

मधु स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम || सुगंध द्रव्य संनमश्रं संगृिाण जगत्पते ||

सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम || ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । अभ्यंग स्नानं समपियानम।
-------------------------------------------------------------------------- सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||
२९. १. ५ िकथरा स्नानं (sugar bath) --------------------------------------------------------------------------

२९. ४ अंगोद्विथनकं (To clean the body)

ॐ स्वाधुः पवस्य ददव्याय जन्मने


स्वादुररन्द्राय सुिवीतु नाम्ने अंगोितिनकं देव कस्तूयािदद नवनमनश्रतं ।

स्वादुर्मििाय वरुणाय वायवे लेपनार्ं गृिाणेदं िररद्रा कुं कु मैयुितं ||

बृिस्पतये मधुमााँ अदाभ्यः || ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । अंगोितिनं समपियानम ||

इक्षु दण्डात् समुत्पन्ना, रसनस्नग्धतरा शुभा सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||


--------------------------------------------------------------------------
शकि रे यं मया दत्ता, स्नानातं प्रनतगृयताम्
२९. ५ उष्णोिक स्नानं (Hot water bath)

ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। शकि रा स्नानं समपियानम||


नाना तीर्ािदाहृतं च तोयमुष्णं मयाकृ तं ।
शकि रा स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं समपियानम ||
स्नानार्ं च प्रयच्छानम स्वीकु रुश्व दयाननधे ||
सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||
-------------------------------------------------------------------------- ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । उष्णोदक स्नानं समपियानम||

२ ९ . २ गंधोदक स्नानं (Sandalwood water bath) सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम ||


--------------------------------------------------------------------------
२९. ६ िुिोिक स्नानं (Pure water bath)
ॐ गंधिारां दुराधषां ननत्यपुष्टां करीनषणीं |
sprinkle water all around
ईश्वरीं सवि भूतानां तानम िोप व्ियेनश्रयं ||
ॐ आपोनिष्टा मयो भुवः । ता न ऊजे दधातन ।

िरर चंदन संभूतं िरर प्रीतेश्च गौरवात् ।

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मिेरणाय चक्षसे । यो वः नशवतमो रसः तस्यभाजयते ि तस्माद्यज्ात्सविहुतः संभृतं पृषदाज्यम् ।
नः । पशूगाँस्तागंश्चक्रे वायव्यान् आरण्यान् ग्राम्याश्चये||८ ||
उशतीररव मातरः । तस्मा अरं गमामवो । यस्य क्षयाय तस्माद्यज्ात्सविहुतः ऋचः सामानन जनज्रे ।
नजन्वर् । आपो जनयर्ा च नः || छन्दााँनस जनज्रे तस्मात् यजुस्तस्मादजायत ||९ ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । शुद्धोदक स्नानं समपियानम || तस्मादश्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।
सकल पूजार्े अक्षतान् समपियानम || गावो ि जनज्रे तस्मात् तस्माज्जाता अजावयः||१ ० ||
(after sprinkling water around throw one tulasi यत्पुरुषं व्यदधुः कनतधा व्यकल्पयन् ।
leaf to the north) मुखं दकमस्य कौ बाहू कावूरू पादावुच्येते || १ १ ||
-------------------------------------------------------------------------- ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत् बाहू राजन्यः कृ तः ।
उरू तदस्य यिैश्यः पद्भ्ां शूद्रो अजायत || १ २ ||
३० महा अदभषे कः
चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।
(Sound the bell pour water from kalasha)
मुखाददन्द्रश्चानग्नश्च प्राणािायुरजायत || १ ३ ||

३०.१ पुरुष सूक्त


नाभ्या आसीदन्तररक्षम् शीष्णो द्यौः समवतित ।
पदभ्यां भूनमर्दिशः श्रोिात् तर्ा लोकााँ अकल्पयन्||१ ४ ||
ॐ सिस्रशीषाि पुरुषः सिस्राक्षः सिस्रपात् । वेदािमेतं पुरुषं मिान्तम्
स भूवमं नवश्वतो वृत्वा अत्यनतष्ठद्दशाङ्गुलम् || १ || आददत्यवणं तमसस्तु पारे ।
पुरुष एवेदगं सविम् यद्भूतं यच्छ भव्यम् । सवािनण रूपानण नवनचत्य धीरः
उतामृतत्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत || २ || नामानन कृ त्वाऽनभवदन् यदास्ते || १ ५ ||
एतावानस्य मनिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः । धाता पुरस्ताद्यमुदाजिार
पादोऽस्य नवश्वा भूतानन निपादस्यामृतं ददनव || ३ || शक्रः प्रनविान्प्रददशश्चतस्रः ।
निपादूध्वि उदैत्पुरुषः पादोऽस्येिाभवात्पुनः । तमेवं नवद्यानमृत इि भवनत
ततो नवश्वङ्व्यक्रामत् साशनानशने अनभ || ४ || नान्यः पन्र्ा अयनाय नवद्यते || १ ६ ||
तस्मानिराडजायत नवराजो अनध पूरुषः । यज्ेन यज्मयजन्त देवाः
स जातो अत्यररच्यत पश्चाद्भूनममर्ो पुरः || ५ || तानन धमािनण प्रर्मान्यासन् ।
यत्पुरुषेण िनवषा देवा यज्मतन्वत । ते ि नाकं मनिमानः सचन्ते
वसन्तो अस्यासीदाज्यम् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धनवः||६ || यि पूवे साध्याः सनन्त देवाः || १ ७ ||
सिास्यासन् पररधयः निस्सि सनमधः कृ ताः । ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पुरुषसूक्त स्नानं समपियानम। ||
देवा यद्यज्ं तन्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम् । --------------------------------------------------------------------------

३०.२ श्री सूक्त


तं यज्ं बर्ििनष प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रतः ।
तेन देवा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये || ७ ||
निरण्यवणां िररणीं सुवणिरजतस्रजाम् |

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चन्द्रां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो ममावि || १ || १ ५ ||
तां म आवि जातवेदो लक्ष्मीमनपगानमनीम् | यः शुनचः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्विम् |
यस्यां निरण्यं नवन्देयं गामश्वं पुरुषानिम् || २ || सूक्तं पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत् || १ ६ ||
अश्वपूवां रर्मध्यां िनस्तनादप्रमोददनीम् | पद्मानने पद्म ऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे |
नश्रयं देवीमुपह्वये श्रीमाि देवी जुषताम् || ३ || तन्मेभजनस पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यिम् || १ ७ ||
कांसोनस्म तां निरण्यप्राकारामाद्रां ज्वलन्तीं तृिां तपियन्तीम्| अश्वदायी गोदायी धनदायी मिाधने |
पद्मेनस्र्तां पद्मवणां तानमिोपह्वये नश्रयम् || ४ || धनं मे जुषतां देनव सविकामांश्च देनि मे || १ ८ ||
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलंतीं नश्रयं लोके देवजुष्टामुदाराम् | पद्मानने पद्मनवपद्मपिे पद्मनप्रये पद्मदलायतानक्ष|
तां पनद्मनीमीं शरणमिं प्रपद्येऽलक्ष्मीमे नश्यतां त्वां वृणे नवश्वनप्रये नवश्वमनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मनय संननधत्स्व ||
||५ || १ ९ ||
आददत्यवणे तपसोऽनधजातो वनस्पनतस्तव वृक्षोऽर् नबल्वः | पुिपौिं धनं धान्यं िस्त्यश्वाददगवेरर्म् |
तस्य फलानन त पसानुदन्तुमायान्तरायाश्च बाया अलक्ष्मीः प्रजानां भवनस माता आयुष्मन्तं करोतु मे || २ ० ||
|| ६ || धनमनग्नधिनं वायुधिनं सूयो धनं वसुः |
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मनणना सि | धननमन्द्रो बृिस्पनतविरुणं धनमस्तु ते || २ १ ||
प्रादुभूितोऽनस्म राष्ट्रेनस्मन्कीर्तिमृवद्धं ददातु मे || ७ || वैनतेय सोमं नपब सोमं नपबतु वृििा |
क्षुनत्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम् | सोमं धनस्य सोनमनो मयं ददातु सोनमनः || २ ३ ||
अभूनतमसमृवद्धं च सवां ननणुिदमे गृिात् || ८ || न क्रोधो न च मात्सयं न लोभो नाशुभा मनतः । ।
गन्धिारां दुराधषां ननत्यपुष्टां करीनषणीम् | भवनन्त कृ तपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत्||२ ४ ||
ईश्वरीं सविभूतानां तानमिोपह्वये नश्रयम् || ९ || सरनसजननलये सरोजिस्ते धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे ।
मनसः काममाकू वतं वाचः सत्यमशीमनि | भगवनत िररवल्लभे मनोज्े निभुवनभूनतकरर प्रसीद मयम् ||
पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः || १ ० || २ ५ ||
कदिमेन प्रजाभूतामनय सम्भवकदिम | नवष्णुपत्नीं क्षमादेवीं माधवीं माधवनप्रयाम् ।
नश्रयं वासय मे कु ले मातरं पद्ममानलनीम् || १ १ || लक्ष्मीं नप्रयसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ||२ ६ ||
आपः सृजन्तु नस्नग्धानन नचकलीतवसमे गृिे | मिालक्ष्मी च नवद्मिे नवष्णुपत्नी च धीमनि ।
ननचदेवीं मातरं नश्रयं वासय मे कु ले || १ २ || तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् || २ ७ ||
आद्रां पुष्कररणीं पुवष्टं सुवणां िेममानलनीम् | श्रीवचिस्वमायुष्यमारोग्यमानवधाच्छोभमानं मिीयते ।
सूयां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवि || १ ३ || धान्यं धनं पशुं बहुपुिलाभं शत संवत्सरं दीघिमायुः||२ ८ ||
आद्रां यःकररणीं यवष्टं नपङ्गलां पद्ममानलनीम् |
चन्द्रां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवि || १ ४ || ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | श्री सूक्त स्नानं समपियानम ||
तां म आवि जातवेदो लक्ष्मीमनपगानमनीम् | --------------------------------------------------------------------------

यस्यां निरण्यं प्रभूतं गावोदास्योश्वानन्वन्देयं पुरुषानिम् ||

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३०. ३ दवष्णु सूक्त ग्रिानेवै नानानजगनमशनत गृिानि पशूनां प्रनतष्ठा प्रनतष्ठा ||

अतो देवा अवन्तु नो यतो नवष्णुर्विचक्रमे ।


ॐ श्री रामचन्द्राय सांगाय सपररवाराय सायुधाय
पर्र्िव्याः सि धामनभः ||
सशनक्तकाय नमः । श्री रामचन्द्रम् सांगं सपररवारं सायुधं
इदं नवष्णुर्विचक्रमे िेधा ननदधे पदं ।
सशनक्तकं आवाियानम ||
समूढमस्यपााँसुरे ||
श्री सीता सनित श्री रामचन्द्राय नमः ||
िीनण पदा नवचक्रमे नवष्णुगोपा अदाभ्यः ।
सुप्रनतष्ठमस्तु ||
ततो धमािनण धारयन् || --------------------------------------------------------------------------
नवष्णोः कमािनण पश्यत यतो व्रतानन पस्पशे ।
इन्द्रस्य युज्यः सखा || ३२ वस्त्र

तद् नवष्णोः परमं पदं सदा पश्यनन्त सूरयः । (offer two pieces of cloth for the Lord)

ददवीव चक्षुराततम् || ॐ तं यज्ं बर्ििनष प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रतः ।

तद् नवप्रासो नवपन्यवो जागृवााँसस्सममन्धते । तेन देवा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ||

नवष्णोर् यत् परमं पदं ||


देवस्य त्वा सनवतुः प्रसवेऽनश्वनोबािहुभ्यां पूष्णो ॐ उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मनणना सि |

िस्ताभ्याम्। प्रादुभूितोऽनस्म राष्ट्रेनस्मन्कीर्तिमृवद्धं ददातु मे ||

अग्नेस्तेजसा सूयिश्च अचिसेन्द्रस्यं इनन्द्रयेनानभनशञ्चानम ||


बलाय नश्रयै यशसेन्नाध्याय अम्रुतानभषेको अस्तु । ति कान्चन संकाशं पीताम्बरं इदं िरे

शानन्तः पुनष्टः तुनष्टः च अस्तु || संगृिाण जगन्नार् नारायण नमोऽस्तुते

ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । मिा अनभषेक स्नानं ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | वस्त्रयुग्मं समपियानम ||
--------------------------------------------------------------------------
समपियानम||
३३ यज्ञोपवीि
--------------------------------------------------------------------------
३१ प्रदिष्ठापना
तस्माद्यज्ात्सविहुतः संभृतं पृषदाज्यम् ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | (repeat 12 times)
पशूगाँस्तागंश्चक्रे वायव्यान् आरण्यान् ग्राम्याश्चये||
क्षुनत्पपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यिम् |
ॐ तदुस्तु नमिा वरुणा तदग्ने शंयोरस्मभ्यनमदम स्तुशस्तम् |
अभूनतमसमृवद्धं च सवां ननणुिदमे गृिात् ||
अशीमनि गाधमुत प्रनतष्ठां नमो ददवे बृिते साधनाय||
श्री रामच्युत देवेश धरानन्त राघव |
ॐ गृिावै प्रनतष्ठासूक्तं तत् प्रनतनष्टत तमया वाचा |
ब्रह्मसूिम्चोत्तरीयम् ग्रुिाण रघुनन्दन ||
शं स्तव्यं तस्माद्यद्यनपदूर इव पशून् लभते |

ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | यज्ोपवीतम् समपियानम||

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--------------------------------------------------------------------------
३४ आभरणं हस्तभूषण
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः| अक्षतान् समपियानम||
--------------------------------------------------------------------------
गृिाण नानाभरणानन रामचन्द्रे ननर्मितानन ।
ललाट कं ठोत्तम कणि िस्त ननतम्ब िस्तांगुनल भूषणानन|| ३८ पुष्प
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । आभरणानन समपियानम ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | िस्तभूषणं समपियानम|| माल्यादीनन सुगन्धीनन माल्यतादीनन वैप्रभो ।
-------------------------------------------------------------------------- मया नह्तानन पूजार्ं पुष्पानण प्रनतगृयताम् ||
३५ गंध
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पुष्पानण समपियानम||
तस्माद्यज्ात्सविहुतः ऋचः सामानन जनज्रे ।
छन्दााँनस जनज्रे तस्मात् यजुस्तस्मादजायत ||
तुलसी कु न्दमन्दार पाररजाताम्बुजैयुितां
गन्धिारां दुराधषां ननत्यपुष्टां करीनषणीम् |
वनमालां प्रदास्यानम गृिाण जगदीश्वर ||
ईश्वरीं सविभूतानां तानमिोपह्वये नश्रयम् ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पि पुष्पानण वनमालां च
कुं कु मागरु कस्तूरर कपूिरं चन्दनं तर्ा |
समपियानम||
तुभ्यं दास्यानम राजेन्द्र राम स्वीकु रु प्रभो ||
--------------------------------------------------------------------------

ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | गंधं समपियानम || ३९ नाना अलं कार


--------------------------------------------------------------------------
३६ नाना पररमल द्रव्य
करट सूताङ्गुली येच कु ण्डले मुकुठं तर्ा ।
वनमालां कौस्तुभं च गृिाण पुरुषोत्तम ||
अनिररव भोगैः पयेनत बाहुं जयाया िेवतं पररबाधमानः|
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | नाना अलंकारान् समपियानम ||
िस्तघ्नो नवश्वा वयुनानन नविान्पुमान्पुमांसं परर पातु
--------------------------------------------------------------------------
नवश्वतः|| ४० अथ अङ्गपूजा
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | नाना पररमल द्रव्यं समपियानम ||
-------------------------------------------------------------------------- ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पादौ पूजयानम ||
३७ अक्षि
ॐ राजीवलोचनाय नमः । गुल्फ़ौ पूजयानम ||
ॐ रावणान्तकाय नमः । जानुनी पूजयानम ||
तस्मादश्वा अजायन्त ये के चोभयादतः ।
ॐ वाचस्पतये नमः । जंघै पूजयानम ||
गावो ि जनज्रे तस्मात् तस्माज्जाता अजावयः||
ॐ नवश्वरूपाय नमः । ऊरून् पूजयानम ||
मनसः काममाकू वतं वाचः सत्यमशीमनि |
पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः ||
ॐ लक्ष्मणाग्रजाय नमः । गुयं पूजयानम ||
श्वेत तण्डु ल संयुक्तान् कु ङ्कु मेन नवरानजतान् |
ॐ नवश्वमूतिये नमः । जघनं पूजयानम ||
अक्षतान् गृयताम् देव नारायण नमोऽस्तुते ||

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ॐ नवश्वानमि नप्रयाय नमः । कटटं पूजयानम ||
ॐ परमात्मने नमः । उदरं पूजयानम || ॐ राजेन्द्राय नमः । कल्िार पुष्पं समपियानम ||
ॐ श्रीकण्टाय नमः । हृदयं पूजयानम || ॐ रघुपुङ्गवाय नमः । सेवनन्तका पुष्पं समपियानम||
ॐ जानकीवल्लभाय नमः । मनल्लका पुष्पं समपियानम||
ॐ यनज्ने नमः । पाश्वौ पूजयानम || ॐ जैिाय नमः । इरुवंनतका पुष्पं समपियानम||
ॐ निनवक्रमाय नमः । पृष्ठदेिं पूजयानम || ॐ नजतानमिाय नमः । नगररकर्णिका पुष्पं समपियानम||
ॐ पद्मनाभाय नमः । स्कन्धौ पूजयानम ||
ॐ सवािस्त्रधाररणे नमः । बाहून् पूजयानम || ॐ जनादिनाय नमः । आर्सी पुष्पं समपियानम ||
ॐ रघूििाय नमः । िस्तान् पूजयानम || ॐ नवश्वानमि नप्रयाय नमः । पाररजात पुष्पं समपियानम ||
ॐ दान्ताय नमः । पुन्नाग पुष्पं समपियानम||
ॐ आदद पुरुषाय नमः । कं ठं पूजयानम || ॐ वानग्मने नमः । कु न्द पुष्पं समपियानम ||
ॐ नवभीशण पररिािे नमः । वदनं पूजयानम || ॐ सत्य वाचे नमः । मालनत पुष्पं समपियानम ||
ॐ दया सागराय नमः । नानसकां पूजयानम ||
ॐ सेतुकृते नमः । श्रोिे पूजयानम || ॐ सत्य नवक्रमाय नमः । के तकी पुष्पं समपियानम ||
ॐ मिायोनगने नमः । नेिानण पूजयानम || ॐ सत्य व्रताय नमः । मन्दार पुष्पं समपियानम ||
ॐ व्रतधराय नमः । पातली पुष्पं समपियानम ||
ॐ धनुधिराय नमः । भ्रवौ पूजयानम || ॐ कौसलेयाय नमः । अशोक पुष्पं समपियानम ||
ॐ नजतवाराशये नमः । भ्रूमध्यं पूजयानम || ॐ खरध्वंनसने नमः । पूग पुष्पं समपियानम ||
ॐ सीतापतये नमः । ललाटं पूजयानम ||
ॐ ज्ान गम्याय नमः । नशरः पूजयानम || ॐ नवराध वधपनण्डताय नमः । दानडमा पुष्पं समपियानम
ॐ च न्द्रमौलये नमः । मौवलं पूजयानम || ||
ॐ सितालप्रभेिे नमः।देव दारु पुष्पं समपियानम ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः सवािङ्गानण पूजयानम|| ॐ ताटकान्तकाय नमः । सुगन्ध राज पुष्पं समपियानम||
-------------------------------------------------------------------------- ॐ वेदान्तसाराय नमः । कमल पुष्पं समपियानम ||
४१ अथ पुष्प पूजा
श्री रामचन्द्र स्वानमने नमः । पुष्पपूजां समपियानम||
--------------------------------------------------------------------------
ॐ रामाय नमः । करवीर पुष्पं समपियानम ||
४२ अथ पत्र पूजा
ॐ रामभद्राय नमः । जाजी पुष्पं समपियानम ||
ॐ शाश्वताय नमः । चम्पका पुष्पं समपियानम ||
ॐ रामाय नमः । तुलसी पिं समपियानम ||
ॐ राजीवलोचनाय नमः । वकु ल पुष्पं समपियानम ||
ॐ आददपुरुषाय नमः । जाजी पिं समपियानम ||
ॐ सेतुक्रते नमः । शतपि पुष्पं समपियानम ||
ॐ धनन्वने नमः । चम्पका पिं समपियानम ||

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ॐ नपिुभक्ताय नमः । नबल्व पिं समपियानम || ॐ श्री रामचन्द्राय नमः |
ॐ वरप्रदाय नमः । दूवाियुग्मं समपियानम || ॐ श्री रामचन्द्राय नमः |
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः |
ॐ नजतक्रोधाय नमः। सेवनन्तका पिं समपियानम ||
ॐ जगद्गुरवे नमः । मरुग पिं समपियानम || The putrakama yaga was almost drawing to a
ॐ मिादेवाय नमः । दवन पिं समपियानम || close. Everyone was watching, all of a sudden,
ॐ मिाभुजाय नमः । करवीर पिं समपियानम || the fire seemed to burn with unearthly glow.
ॐ सौम्याय नमः । नवष्णु क्रानन्त पिं समपियानम|| Out of the fire rose a divine form. He was dark
and he was clad in crimson silk. The entire
ॐ ब्रह्मण्याय नमः । मानच पिं समपियानम || yajnasala was illuminated by his presence. The
ॐ मुननसंस्तुताय नमः। मनल्लका पिं समपियानम || king saw the divine being held in his hands a
ॐ मिायोनगने नमः। इरुवनन्तका पिं समपियानम || golden bowl with a silver covering. The
ॐ मिोदराय नमः । अपामागि पिं समपियानम || celestial form spoke to the king in the midst of
ॐ परमपुरुषाय नमः । पाररजात पिं समपियानम || everyone. He said : “ I am a messenger from
the creator Brahma. I have been commanded
ॐ पुण्योदयाय नमः । दानडमा पिं समपियानम|| by the gods to hand you this vessel filled with
ॐ दयासागराय नमः । बदरी पिं समपियानम || payasa. Give it to your queens and they will
ॐ नस्मतवकिाय नमः । देवदारु पिं समपियानम || bear you the sons for whom you have been
ॐ नमतभानषणे नमः । शामी पिं समपियानम || aching since so many
ॐ पूविभानषणे नमः । आम्र पिं समपियानम || years.”
ॐ राघवाय नमः । मन्दार पिं स मपियानम ||
ॐ सेतुक्रते नमः । वट पिं समपियानम || The king prostrated before the divine being
ॐ नजतवाराशये नमः । कमल पिं समपियानम || and accepted the bowl of payasa with great
ॐ िरये नमः । वेणु पिं समपियानम || reverence. The divine being blessed him and
vanished from his presence.
ॐ रामचन्द्र स्वानमने नमः । पिपूजां समपियानम ||
-------------------------------------------------------------------------- The yaga had come to a glorious conclusion
४३ Katha
and rishis blessed the king and asked him to
distribute the payasa to the queens.
THE BIRTH OF SRI RAMA

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Kausalya , Sumitra and Kaikeyi the three The four sons of king Dasaratha were all the
queens shared the payasa. There was great amshas of narayana and Kausalya’s son was
joy in the hearts of the queens. The king Narayana himself.
Dasaratha was happy in the anticipation of the
births of the children. There was joy and nothing but joy in the hearts
of all the people in Ayodhya.
The month of Chaitra was once again
heralding its approach. Vasanta made its When the children were born divine
appearance felt by the pleasant breeze which instruments made music in the heavens and
was wafted across the ponds filled with lotuses the gandharvas sang and danced out of
and by the trees which were clad in soft fresh happiness. They danced and sang because
green. soon their woes would be at an end since
Ravana would be killed. Flowers rained on the
The month was Chaitra. It was the fortnight divine children.
when the moon was waxing—Shuklapaksha—
and it was the ninth day after the new moon. The king gave away gold and gifts of cows to
Five planets were in very auspicious position. Brahmins and others. Eleven days passed
The lagna was Karkataka and the planet Guru after the sons were born to the king. The
was rising with the moon. The star was preceptor Vasistha named Kausalya’s son as
Punarvasu. The lord of lords had assumed the Rama. The son of Kaikeyi was named as
form of human being for the good of mankind Bharata and Sumitra’s two sons were named
and was born as the son of Kausalya. Lakshamana and Shatrughana.
Kausalya glowed with radiance like Aditi did, The king Dasaratha’s four sons were
when Indra was born to her. handsome, strong, powerful, righteous and
respectful to their father and mothers and to
When the next star Pushya appeared, under their kulaguru who taught them the sacred
the meena lagna was born a son to Kaikeyi. lore, sage Vasistha.
The gentle Sumitra gave birth to twins when
the next star Ashlesha appeared. All the four were well versed in the art of
fighting, riding and were very good archers like
kshatriya princes. They were very humble and

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very soft-spoken. Dasaratha was the happiest ॐ दान्ताय नमः ।
man on the earth, surrounded as he was, by ॐ शरणिाणतत्पराय नमः ।
these four sons. ॐ वाली प्रमर्नाय नमः ।
ॐ वानग्मने नमः ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | ॐ सत्यवाचे नमः ।
ॐ श्री रामचन्द्राय न मः | ॐ सत्यनवक्रमाय नमः ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | ॐ सत्यव्रताय नमः ।
-------------------------------------------------------------------------- २०
४४ अष्टोत्तर पूजा (chant dhyAna shloka ) ॐ व्रतधराय नमः ।
ॐ सदा िनुमदानश्रताय नमः ।
ॐ रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे । ॐ कौसलेयाय नमः ।
रघुनार्ाय नार्ाय सीतायाः पतये नमः || ॐ खरध्वंनसने नमः ।
श्री रामं लक्ष्मणपूविजं रघुवरं सीतापवतं सुंदरम् | काकु त्स्र्ं ॐ नवराध वध पनण्डताय नमः ।
करुणाणिवं गुणननवधं नवप्रनप्रयं धार्मिकम्|| ॐ नवभीषण पररिािे नमः ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरर्तनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ॐ िरकोदण्ड खण्डनाय नमः ।
वन्दे लोकानभरामं रघुकुल नतलकं राघवं रावणाटरं ॐ सिताल प्रभेिे नमः ।
ॐ दशग्रीव नशरोिराय नमः ।
ॐ श्री रामाय नमः । ॐ जामदग्न्यमिादपिदलनाय नमः ।
ॐ रामभद्राय नमः । ३०
ॐ रामचन्द्राय नमः । ॐ ताटकान्तकाय नमः ।
ॐ शाश्वताय नमः । ॐ वेदान्तसाराय नमः ।
ॐ राजीवलोचनाय नमः । ॐ वेदात्मने नमः ।
ॐ श्रीमते नमः । ॐ भवरोगस्य भेषजाय नमः ।
ॐ राजेन्द्राय नमः । ॐ दूषणनिनशरोिन्िे नमः ।
ॐ रघुपुङ्गवाय नमः । ॐ निमूतिये नमः ।
ॐ जानकीवल्लभाय नमः । ॐ निगुणात्मकाय नमः ।
ॐ जैिाय नमः । ॐ निनवक्रमाय नमः ।
१० ॐ निलोकात्मने नमः ।
ॐ नजतानमिाय नमः । ॐ पुण्यचाररिकीतिनाय नमः ।
ॐ जनादिनाय नमः । ४०
ॐ नवश्वानमिनप्रयाय नमः । ॐ निलोकरक्षकाय नमः ।

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ॐ धनन्वने नमः । ७०
ॐ दण्डकारण्यव त्तिनाय नमः । ॐ मिापुरुषाय नमः ।
ॐ अिल्या शाप नवमोचनाय नमः । ॐ पुण्योदयाय नमः ।
ॐ नपतृ भक्ताय नमः । ॐ दयासागराय नमः ।
ॐ वरप्रदाय नमः । ॐ पुराणपुरुषोत्तमाय नमः ।
ॐ नजतेनन्द्रयाय नमः । ॐ नस्मत वकिाय नमः ।
ॐ नजतक्रोधाय नमः । ॐ नमत भानषणे नमः ।
ॐ नजतानमिाय नमः । ॐ पूवि भानषणे नमः ।
ॐ जगद्गुरवे नमः । ॐ राघवाय नमः ।
५० ॐ अनन्तगुणगम्भीराय नमः ।
ॐ ऋक्ष वानर सङ्घानतने नमः । ॐ धीरोदात्त गुणोत्तमाय नमः ।
ॐ नचिकू टसमाश्रयाय नमः । ८०
ॐ जयन्त िाण वरदाय नमः । ॐ मायामानुष चाररिाय नमः ।
ॐ सुनमिापुिसेनवताय नमः । ॐ मिादेवाददपूनजताय नमः ।
ॐ सविदव
े ादददेवाय नमः । ॐ सेतुकृते नमः ।
ॐ मृतवानर जीनवताय नमः । ॐ नजतवाराशये नमः ।
ॐ मायामारीचिन्िे नमः । ॐ सवि तीर्िमयाय नमः ।
ॐ मिादेवाय नमः । ॐ िरये नमः ।
ॐ मिा भुजाय नमः । ॐ श्यामाङ्गाय नमः ।
ॐ सविदव
े स्तुताय नमः । ॐ सुन्दराय नमः ।
६० ॐ शूराय नमः ।
ॐ सौम्याय नमः । ॐ पीत वाससे नमः ।
ॐ ब्रह्मण्याय नमः । ९०
ॐ मुनन सम्स्तुताय नमः । ॐ धनुधिराय नमः ।
ॐ मिा योनगने नमः । ॐ सवि यज्ानधपाय नमः ।
ॐ मिोदराय नमः । ॐ यनज्वने नमः ।
ॐ सुग्रीवेनप्सत राज्यदाय नमः । ॐ जरामरण वर्जिताय नमः ।
ॐ सविपुण्यानधक फलाय नमः । ॐ नशवनलङ्गप्रनतष्ठािे नमः ।
ॐ स्मृतसवौघ नाशनाय नमः । ॐ सवािपगुणवर्जिताय नमः ।
ॐ आददपुरुषाय नमः । ॐ परमात्मने नमः ।
ॐ परमपुरुषाय नमः । ॐ परब्रह्मणे नमः ।

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ॐ सनच्चदानन्द नवग्रिाय नमः । and 'shrii' mark inside the square. Place
ॐ परम्ज्योनतषे नमः । naivedya on 'shrii'| remove lid and sprinkle
१०० water around the vessel; place in each food
ॐ परं धाम्ने नमः । item one washed tulsi leaf or flower or akshata)
ॐ पराकाशाय नमः ।
ॐ परात्पराय नमः । ॐ नारायणाय नवद्मिे । वासुदव
े ाय धीमनि ।
ॐ परे शाय नमः । तन्नो नवष्णु प्रचोदयात् ||
ॐ पारगाय नमः ।
ॐ पाराय न मः । ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | (show mudras) ;
ॐ सवि देवात्मकाय नमः ।
ॐ परस्मै नमः । ननवीषी करणार्े ताक्षि मुद्रा |
इनत अष्टोत्तर पूजां समपियानम || अमृती करणार्े धेनु मुद्रा |
-------------------------------------------------------------------------- पनविी करणार्े शंख मुद्रा |
४५ धूपं
संरक्षणार्े चक्र मुद्रा |
वनस्पत्युद्भवो ददव्यो गन्धद्यो गन्ध उत्तमः |
नवपुलमाय करणार्े मेरु मुद्रा |
रामचन्द्र म िीपालो धूपोयं प्रनतगृयतां ||
यत्पुरुषं व्यदधुः कनतधा व्यकल्पयन् ।
(Touch naivedya and chant 9 times)'ॐ '
मुखं दकमस्य कौ बाहू कावूरू पादावुच्येते ||
ॐ सत्यंतवतेन पररवषंचानम
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | धूपं आिापयानम ||
(sprinkle water around the naivedya)
--------------------------------------------------------------------------
४६ िीपं भोः! स्वानमन् भोजनार्ं आगच्छादद नवज्ाप्य |
साज्यं निवर्ति सम्युक्तं वनह्नना योनजतुम् मया | (request Lord to come for dinner)
गृिाण मङ्गलं दीपं िैलोकय नतनमरापिम् ||
भकत्या दीपं प्रयश्चानम देवाय परमात्मने । सौवणे स्र्ानलवैये मनणगण खनचते गोघृतां
िानि मां नरकात् घोरात् दीपं ज्योनतनिमोस्तुते || सुपक्वां भक्ष्यां भोज्यां च लेयाननप
सकलमिं जोष्यम्न नीधाय नाना शाकै रूपेतं
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीत् बाहू राजन्यः कृ तः । समधु दनध घृतं क्षीर पानीय युक्तं
उरू तदस्य यिैश्यः पद्भ्ां शूद्रो अजायत || तांबूलं चानप नवष्णु प्रनतददवसमिं मनसा वचंतयानम ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | दीपं दशियानम || अद्य नतष्ठनत यनत्कनञ्चत् कनल्पतश्चापरं नग्रिे
------------------------------------------------------------- पक्वान्नं च पानीयं यर्ोपस्कर संयुतं
४७ नैवेद्यं
यर्ाकालं मनुष्यार्े मोक्ष्यमानं शरीररनभः
(dip finger in water and write a square
तत्सवं नवष्णुपूजास्तु प्रयतां मे जनादिन

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सुधारसं सुनवपुलं आपोषणनमदं (cover face with cloth and chant gayatri mantra
तव गृिाण कलशानीतं यर्ेष्टमुपभुज्ज्यताम् || five times or repeat 12 times श्री रामचन्द्राय नमः)

ॐ नमो रामचन्द्राय । श्री रामचन्द्राय नमः|| सविि अमृतोनपधान्यमनस स्वािाः ||


अमृतोपस्तरणमनस स्वािाः | ॐ श्री जानकीसनित रामचन्द्राय नमः ।
(drop water from shankha) उत्तरापोषणं समपियानम ||

ॐ प्राणात्मने रामाय स्वािा । (let flow water from shankha)


ॐ अपानात्मने लक्षमणाय स्वािा । --------------------------------------------------------------------------
४८ महा फलं
ॐ व्यानात्मने भरताय स्वािा ।
(put tulsi / axathaa on a big fruit)
ॐ उदानात्मने शिुघ्नाय स्वािा ।
इदं फलं मयादेव स्र्ानपतं पुरतस्तव |
ॐ समानात्मने आञ्जनेयाय स्वािा ।
तेन मे सफलावानिभिवेत् जन्मनन जन्मनन ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | मिाफलं समपियानम |
ॐ नमः रामचन्द्राय ।
--------------------------------------------------------------------------
४९ फलाष्टक (put tulsi/akshata on fruits)
नैवेद्यं गृयतां देव भनक्त मे अचलां कु रुः ।
ईनप्सतं मे वरं देनि इिि च परां गनतम् ||
कू ष्माण्ड मातुनलङ्गं च ककि ठी दानडमी फलम् |
रम्भा फलं जम्बीरं बदरं तर्ा ||
श्री रामचन्द्र न मस्तुभ्यम् मिा नैवेद्यं उत्तमम्|
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | फलाष्टकं समपियानम ||
संगृिाण सुरश्रेनष्ठन् भनक्त मुनक्त प्रदायकम् || --------------------------------------------------------------------------

५० करोद्विथन
ॐ चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।
मुखाददन्द्रश्चानग्नश्च प्राणािायुरजायत || करोितिनकं देव मया दत्तं नि भनक्ततः |
चारु चंद्र प्रभां ददव्यं गृिाण जगदीश्वर ||
ॐ आद्रां पुष्कररणीं पुवष्टं सुवणां िेममानलनीम् | ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | करोितिनार्े चंदनं समपियानम ||
सूयां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवि || --------------------------------------------------------------------------
५१ िां बूलं
पूगीफलं सतांबूलं नागवनल्ल दलैयुितम् |
ॐ नमो रामचन्द्राय ।
ताम्बूलं गृयतां देव येल लव ङ्ग सम्युक्तम् ||
श्री जानदकसनित सत्य रामचन्द्राय नमः ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | पूगीफल ताम्बूलं समपियानम ||
नैवेद्यं समपियानम ||
--------------------------------------------------------------------------

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५२ िदक्षणा नवकञ्ज लोचन, कञ्जमुख कर , कञ्जपद कञ्जारुणम्
निरण्य गभि गभिस्र् िेमबीज नवभावसोः | ॥१॥
अनन्त पुण्य फलदा अर्ः शावन्तं प्रयच्छ मे || कं दपि अगनणत अनमत छनब नव नील नीरज सुन्दरम् ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | सुवणि पुष्प दनक्षणां पटपीत मानहुं तऩित रूनच-शुची नौनम जनक सुतावरम्
समपियानम || ॥२॥
-------------------------------------------------------------------------- भजु दीन बन्धु ददनेश दानव दैत्यवंशननकन्दनम् ।
५३ महा नीराजन रघुनन्द आनंदकं द कोशल चन्द दशरर् नन्दनम्॥३॥
नसर मुकुट कु ण्डल नतलक चारु उदारु अङ्ग नवभूषणम् ।
ॐ नश्रयै जातः नश्रय अननररयाय नश्रयं वयो जररतृभ्यो आजानुभुज शर चापधर सङ्ग्राम-नजत-खर
ददानत दूषणम्॥४॥
नश्रयं वसाना अमृतत्वमायन् भवंनत सत्य स नमर्ानमतद्रौ इनत वदनत तुलसीदास शङ्कर शेष मुनन मनरञ्जनम्।
नश्रय एवैनं तत् नश्रयामादधानत संततमृचा वषट्कृ त्यं मम हृदयकञ्ज ननवास कु रु कामादद खलदलगञ्जनम्
संतत्यै संधीयते प्रजया पशुनभः य एवं वेद || ॥५॥
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | मिानीराजनं दीपं समपियानम
|| --------------------------------------------------------------------------
५६ प्रिदक्षणा
--------------------------------------------------------------------------
५४ कपूथर िीप
ॐ नाभ्या आसीदन्तररक्षम् शीष्णो द्यौः समवतित ।
अचित प्राचित नप्रयमेधासो अचित | पदभ्यां भूनमर्दिशः श्रोिात् तर्ा लोकााँ अकल्पयन्||
अचिन्तु पुिका उत पुरं धृष्णवचित ||
आद्रां यःकररणीं यवष्टं नपङ्गलां पद्ममानलनीम् |
चन्द्रां निरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवि ||
कपूिरकं मिाराज रं भोद्भूतं च दीपकम् |
मङ्गलार्ं मिीपाल सङ्गृिाण जगत्पते || यानन कानन च पापानन जन्मांतर कृ तानन च |
तानन तानन नवनश्यनन्त प्रदनक्षण पदे पदे ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | कपूिर दीपं समपियानम|| अन्यर्ा शरणं नानस्त त्वमेव शरणं मम |
-------------------------------------------------------------------------- तस्मात् कारुण्य भावेन रक्ष रक्ष रमापते ||
५५ आरिी ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | प्रदनक्षणान् समपियानम ||
॥ श्री रामचन्द्र कृ पालु ॥ --------------------------------------------------------------------------
५७ नमस्कार
श्रीरामचन्द्र कृ पालु भजु मन िरण भवभय सिास्यासन् पररधयः निस्सि सनमधः कृ ताः ।
दारुणम् । देवा यद्यज्ं तन्वानाः अबध्नन्पुरुषं पशुम् ।

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तां म आवि जातवेदो लक्ष्मीमनपगानमनीम् | यि पूवे साध्याः सनन्त देवाः ||
यस्यां निरण्यं नवन्देयं गामश्वं पुरुषानिम् ||
नमः सवि नितार्ािय जगदाधार िेतवे | यः शुनचः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्विम् |
साष्टाङ्गोयं प्रणामस्ते प्रयत्नेन मया कृ तः | सूक्तं पञ्चदशचं च श्रीकामः सततं जपेत् ||
ऊरूसा नशरसा दृष्ट्वा मनसा वाचसा तर्ा |
पद्भ्ां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोष्टाङ्गं उच्यते || नवद्या बुनद्ध धनेश्वयि पुि पौिादद संपदः |
शात्येनानप नमस्कारान् कु वितः शाङ्गिपाणये | पुष्पांजनल प्रदानेन देनिमे ईनप्सतं वरम् ||
शत जन्मार्चितम् पापम् तत्क्षणमेव नश्यनत ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | नमस्कारान् समपियानम || नमो (अ )स्तु अनंताय सिस्र मूतिये सिस्र पादानक्ष नशरोरु
-------------------------------------------------------------------------- बािवे ।
५८ राजोपचार
सिस्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते सिस्र कोटी युगधाररणे नम : ||
गृिाण परमेशान सरत्ने छि चामरे |
दपिणं व्यजनं चैव राजभोगाय यत्नतः ||
ॐ नमो मिद्भ्ो नमो अभिकेभ्यो नमो युवभ्यो नम
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | छिं समपियानम ||
आनशनेभ्यः ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | चामरं समपियानम ||
यजां देवान्यदद शक्नवाम मा ज्यायसः शंसमावृनक्ष देवाः ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | गीतं समपियानम ||
ॐ ममत्तु नः पररज्मा वसिाि ममत्तु वातो अपां वृषण्वान् ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | नृत्यं समपियानम ||
नशशीतनमन्द्रापविता युवं नस्तन्नो नवश्वे वररवस्यन्तु देवाः ॥
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | वाद्यं समपियानम ||
ॐ कर्ा तेअग्ने शुचयन्त आयोदिदाशुवािजेनभराशुषाणाः।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | दपिणं समपियानम ||
उभे यत्तोके तनये दधाना ऋतस्य सामन्रणयन्त देवाः ॥
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | व्यजनं समपियानम||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | आन्दोलनं समपियानम||
ॐ राजानध राजाय प्रसय सानिने
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | राजोपचारान् समपियानम ||
नमो वयं वैश्रवणाय कू मििे
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | सवोपचारान् समपियानम ||
समे कामान् काम कामाय मयं
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | समस्त राजोपचारार्े अक्षतान्
कामेश्वरो वैश्रवणो दधातु
समपियानम ||
कु बेराय वैश्रवणाय मिाराजाय नमः ||
--------------------------------------------------------------------------
५९ मं त्र पुष्प
ॐ स्वनस्त साम्राज्यं भोज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं
पारमेष्ठां राज्यं मिाराज्यमानधपत्यमयं समंत
यज्ेन यज्मयजन्त देवाः
पयाियी स्यात् साविभौमः सावाियुष आंतादा
तानन धमािनण प्रर्मान्यासन् ।
पराधाित् पृनर्व्यै समुद्रपयंताया एकरानळनत तदप्येषः
ते ि नाकं मनिमानः सचन्ते

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श्लोकोऽ नभगीतो मरूतः पररवेष्टारो मरुतस्या वसन्
ग्रिे आवीनक्षतस्य कामप्रेर्विश्वेदव
े ा सभासद इनत || इष्ट काम्यार्ि प्रयुक्त सम्यग् आचररत श्री राम नवमी पूजा
सम्पूणि फल वाप्यर्ं
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | मंिपुष्पं समपियानम || श्री रामचन्द्र स्वरूपाय ब्राह्मणाय वायन दानं कररष्ये||

-------------------------------------------------------------------------- श्री रामचन्द्र स्वरूपाय ब्राह्मणाय आवािन पूविक आसनं


६० िङ् ख ब्रमण (make three rounds of shankha गन्ध अक्षत धूप दीपादद सकलाराधनै स्वर्चितम्
with water like arati and pour down; chant ॐ 9
times and show mudras) नारायण प्रनतगृह्णातु नारायणो वै ददानत च
नारायणो तारकोभ्यां नारायणाय नमो नमः ।
इमां आपनशवतम इमं सविस्य भेषजे |
इमां राष्ट्रस्य वर्धिनन इमां राष्ट्र भ्रतोमत || देवस्य त्वा सनवतुः प्रसवेऽनश्वनोबािहुभ्यां पूष्णो िस्ताभ्याम्
--------------------------------------------------------------------------

६१ िीथथ प्रािन
अग्नेस्तेजसा सूयिश्च अचिसेन्द्रस्यं इनन्द्रयेनानभनशञ्चानम ||
ॐ नश्रयः कान्ताय कल्याण ननधये ननधयेऽर्र्िनां ।
श्रीवेङ्कटननवासाय श्रीननवासाय मङ्गलम्॥
बलाय नश्रयै यश सेन्नद्याय श्री रामचन्द्र स्वानमने नमः |
वायनदानं प्रनतगृह्णातु (प्रनतगृह्णा नवलानत प्रनतवचनं )
सविदा सवि कायेषु नानस्त तेषां अ मङ्गलम् ।
--------------------------------------------------------------------------
येषां हृददस्र्ो भगवान् मङ्गलायतनो िररः ||
६३ दवसजथन पूजा

लाभस्तेषां जयस्तेषां कु तस्तेषां पराजयः ।


आरानधतानां देवतानां पुनः पूजां कररष्ये ||
येषां इन्दीवर श्यामो हृदयस्तो जनादिनः ||
श्री रामचन्द्र स्वानम देवताभ्यो नमः ||

अकाल मृत्यु िरणं सवि व्यानध ननवारणम् |


पुनः पूजा
सवि पाप उपशमनम् श्री राम पादोदकं शुभम् ||
--------------------------------------------------------------------------
६२ उपायन िानं ॐ रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनार्ाय नार्ाय सीतायाः पतये नमः ||
ब्राह्मण सुिानसनन पूजा ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । ध्यायानम, ध्यानं समपियानम ।
(wash feet wipe offer gandha, kumkum, ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । आवाियानम ।
flowers, ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । आसनं समपियानम ।
fruits and gifts and make obeisances) ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पाद्यं समपियानम ।

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ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । अर्घ्यं समपियानम । ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । मन्िपुष्पं समपियानम।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। आचमनीयं समपियानम।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पञ्चामृत स्नानं समपियानम । पूजांते छिं समपियानम | चामरं समपियानम |
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । मिा अनभषेकं समपियानम नृत्यं समपियानम | गीतं समपियानम |
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। वस्त्रयुग्मं समपियानम। वाद्यं समपियानम | आंदोनलक आरोिणं समपियानम|
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। यज्ोपवीतं समपियानम। अश्वारोिणं समपियानम | गजारोिणं समपियानम |
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । गन्धं समपियानम । ॐ श्री रामचन्द्राय नमः | समस्त राजोपचार
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । नाना पररमल द्रव्यं समपियानम देवोपचार शकत्युपचार भकत्युपचार पूजां समपियानम||
। --------------------------------------------------------------------------
६४ आत्म समपथण
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । िस्तभूषणं समपियानम।
यस्य स्मृत्या च नाम्नोकत्या तपः पूजा दक्रयाददषु |
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः ।अक्षतान् समपियानम ।
न्यूनं सम्पूणितां यानत सद्यो वन्दे तं अच्युतम् ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पुष्पं समपियानम ।
अनेन मया कृ तेन, श्रीरामचन्द्र देवता सुप्रीता सुप्रसन्ना वरदा
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । नाना अलंकारं समपियानम
भवतु ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । अंग पूजां समपियानम।
मध्ये मन्ि तन्ि स्वर वणि न्यूनानतररक्त लोप
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। पुष्प पूजां समपियानम।
दोष प्रायनश्चत्तार्ं राम नाम मिामन्ि जपं कररष्ये ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । पि पूजां समपियानम।
ॐ रामाय नमः । ॐ रामभद्राय नमः । ॐ रामचन्द्राय
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । आवरण पूजां समपियानम।
नमः ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । अष्टोत्तर पूजां समपियानम
ॐ रामाय नमः । ॐ रामभद्राय नमः । ॐ रामचन्द्राय
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । धूपं आिापयानम
नमः ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । दीपं द शियानम
ॐ रामाय नमः । ॐ रामभद्राय नमः । ॐ रामचन्द्राय
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । नैवेद्यं समपियानम ।
नमः ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। मिा फलं समपियानम।
ॐ राम रामभद्र रामचन्द्रेभ्यो नमः ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। फलाष्टकं समपियानम।
मन्ििीनम्, दक्रयािीनम्, भनक्तिीनम् जनादिन |
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । करोिर्िनकं समपियानम
यत् पूनजतम् मयादेव पररपूणिम् तदस्तु मे ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । ताम्बूलं समपियानम ।
कायेन वाचा मनसेनन्द्रयैवाि बुद्ध्यात्मना वा प्रकृ नत
ॐ श्री रामचन्द्राय न मः । दनक्षणां समपियानम ।
स्वभावात् |
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । मिा नीराजनं समपियानम।
करोनम यद्यत् सकलं परस्मै नारायणायेनत समपियानम ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। कपूिर दीपं समपियानम।
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। प्रदनक्षणां समपियानम ।
नमस्करोनम | श्री रामचन्द्र स्वामी देवता प्रसादं नशरसा
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः । नमस्कारान् समपियानम ।
गृह्णानम ||
ॐ श्री रामचन्द्राय नमः। राजोपचारं समपियानम।

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६५ क्षमापनं

अपराध सिस्रानण दक्रयन्ते अिर्निशं मया |


तानन सवािनण मे देव क्षमस्व पुरुषोत्तम ||

यान्तु देव गणाः सवे पूजां आदाय पार्र्िवीम् |


इष्ट काम्यार्ि नसद्ध्यर्ं पुनरागमनाय च ||
(shake the kalasha)
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Puja Text – Sri S.A.Bhandarkar
Transliterated by Sowmya Ramkumar
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