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2/9/2018 गु जी के टोटके | Dr.R.B.

Dhawan(गु जी) Astrologer

Dr.R.B.Dhawan(गु जी) Astrologer

म◌ेरे वचार…

ट◌ैग परु ालेख: गु जी के टोटके

नव बर 29 2017

र◌ोग और यो तष शा

र◌ोग और यो तष शा का अ ययन :-

(h ps://rbdhawan.files.wordpress.com/2016/01/images-
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Dr.R.B.Dhawan

ज◌्यो तष शा हन पर आधा रत एक ऐसा व ान है , जो अपने आप म प रपण ू शा है , यह एक ऐसी व या है , िजसका कथन


शत तशत सह हो सकता है , इसम संभावनाओं का कोई थान नह ं है , इस व या का वा त वक जानकार बलकुल सट क भ व यवाणी
कर सकता है । इस शा क सहायता से जीवन के हर अंग, हर रं ग, हर भाग म घटने वाल घटना, और हर मानवीय आव यकता, तथा
मनु य के हर क ट का नवारण तथा घटना के घटने का समय पता लगाया जा सकता है । आयव ु द और यो तष शा , तं और यो तष
शा इन सब का पर पर स ब ध है , बि क यह कहना ठ क होगा क इन का चोल -दामन का स बंध है । आज से 50-60 वष पहले तक
भारत म 90 तीशत लोग आयव ु द च क सा प त पर ह नभर थे, उस समय के सभी आयव ु दाचाय यो तष शा का समु चत ान
रखते थे। दरअसल आयव ु द म औष ध नमाण और औष ध सेवन के लये स बं धत मं और स बं धत न क जानकार होना आव यक
था। यो तषाचाय तो जातक क कंु डल दे खकर भ व य म होने वाले रोग क जानकार भी ा त कर लेते थे। वे जानते थे क जातक म
कस त व क कमी या कस त व क अ धकता रहे गी। दरअसल मानव जीवन के साथ ह रोग का इ तहास भी आर भ हो जाता है , रोग से
र ा हे तु मानव ने ार भ से ह यास आर भ कर दया था। तथा आज तक इसके नदान एवं उपचार हे तु य न कर रहा है । जब है जा,
लेग, ट . बी. आ द सं ामक रोग से त होकर इनसे छुटकारा पाने के लये व वध कार का अ वेषण हुआ तो कालांतर म पन ु ः कसर
ए स, डगू, वाईन ल,ू ओर फर ईबोला जैसे अनेक नये रोग पैदा हो गये ह, िजनके समाधान एवं उपचार हे तु आज सम त व व
य नशील है । वडंबना है क मनु य िजतना ह ाकृ तक रह य को खोजने का य न करता है , कृ त उतना ह अपना व तार यापक
करती चल जाती है । िजससे समाधान के सम त यास व व के लये नग य पड़ जाते ह, इसका एक कारण मनु य म सदाचार का आभाव
भी तीत होता है । हमारे ऋ षय ने जहां अणव ु ाद, माणव ु ाद को याखया यत कया, अ या म क गहराइय म गोता लगाया, सां य के
कृ त एवं पु ष से सिृ ट या को जोड़ा, वह ं आकाशीय ह न को अपनी समा ध से कोस दरू धरती पर बैठकर वे धत कया, तथा
उनके धरती पर पड़ने वाले शभ ु ाशभु भाव को मानव जीवन तथा रोग के साथ जोड़कर याखया यत भी कया। व व के सव ाचीन थ
ऋ वेद से रोग का प र ान आर भ हो जाता है । िजसम पा डूरोग, दय रोग, उदररोग, एवं ने रोग आ द क चचा ा त होती है । पौरा णक
कथाओं म तो व वध रोग क चचा एवं उपचार के लये औष ध, मं एवं तं आ द का योग ा त होता है । आष पर परा म तो रोग के
व न चयाथ यो तषीय, शा ीय हयोग स हत आयव ु द य पर परा का योग दशनीय है । वषय को अ धक न बढाते हुए आगे क
पंि तय म प ाघात और प ाघात के यो तषीय योग लख रहा हूं, जो मेर ह लखी एक पु तक “रोग एवं यो तष” के अंश ह :-
प ाघात, लकवा या फा लज़ एक ऐसा रोग है िजस म शर र के दा हने या बाय या फर कसी पाशव के कुछ या सब अंग याह न या
चेतनाह न हो जाते ह। आयव ु द के अनसु ार यह रोग वायु के कू पत हो जाने के कारण होता है । अं ेजी भाषा म इसे paralysis कहा जाता है ,
इसम तं का-तं सं थान nerves system के काय म बाधा या काय मता क ीणता हो जाती है । फ लत यो तष क ि ट म तं का-
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तं सं थान nerves system से स बं धत रोग का सच ू क बधु ह है । इस बध
ु ह के कारक व म तं का-तं तथा नायु दे श के लये
कारक ह श न है , इस नायु सं थान तथा तं का-तं के बा धत होने के पीछे कु डल म बध ु ह पर श न ह का भाव होता है । श न ह
जब कु डल के बध ु ह पर अपना द ू षत भाव डाल रहा हो, तब शर र के कसी अंग का सं ाह न होना या अंगह नता होती है । श न ह
वंय लंगडा ह माना गया है । इस के साथ-साथ कु डल म रोग का वचार छटे भाव या या उस भाव के कारक श न एवं मंगल से कया
जाता है । इसी कार रा श वग क छट रा श क या भी इस रोग के नधारण म वचारणीय मानी जाती है । कु डल के आठव और बारहव
भाव का वचार भी आव यक है , यो क इनसे यह जानने म सहायता मलती है क रोग द घकाल तक चलेगा या अ प काल तक? प ाघात
paralysis या लकवा मु यतः एक ज टल रोग है , जातक क कंु डल मे इस रोग क कतनी संभावना है ? यह जानने के लये कुछ यो तष के
थ म हयोग व णत ह- य द कु डल का ल न क या है , और ल न व ल नेश बध ु अशभ ु ह से पी ड़त है तो, तं का-तं nerves
system पर अव य इस रोग का आ मण सं भव है । धनु या कु भ के मामले म भी इस रोग का आ मण हो सकता है । यह रा शयां अशभ ु
ह वारा पी ड़त होने पर ह इस रोग क सच ू ना दे ती ह। अशभ ु श न छटे भाव म पैर के रोग क ओर संकेत करता है , जातक लचक कर या
लंगडाकर चलता है । यह प ाघात के अलावा ज म से या फर पैर म कोई गंभीर चोट लगने से भी हो सकता है । आयव ु द के मतानस
ु ार इस
रोग क गणना वात रोग म क जाती है , आयव ु द म वात रोग लगभग 80 कार के बताये गये ह। यहां इस स ब ध म अ धक न लखकर
यह कहना चाहूंगा क मेर एक पु तक “रोग एवं यो तष” (medical astrology) का अ ययन अव य कर, िजसम अ धकांश रोग के
यो तषीय कारण या कह ल िजये रोग के हयोग जो ाचीन तथा नवीन खोज पर आधा रत ह दये गये ह, साथ ह इन रोग क शा ीय
मं ा द वारा उपचार भी यथास भव दया गया है , यह पु तक इस वषय क खोज करनेवाले व या थय क बहुत सहायता कर सकती है ।
मेरे वचार से यह पु तक यो तष का रोगा मक अ ययन करने वाले व वान तथा खोज करने, अनस ु ंधान करने वालो के लये बहुत
उपयोगी स होगी।

श◌ु ाचाय सं थान वारा यो त व ान के साथ साथ सरल उपाय क कुछ पु तक भी का शत क गई ह, िजन म मख
ु ह–

1. ग◌ु जी के टोटके
2. ग◌ु जी क साधनाएँ
3. व◌ा तु सू
4. क◌ैसे बदल भा य
5. द◌ुलभ सम ृ दायक व तय ु
6. भ◌ृगु सं हता योग एंव फलादे श
7. ल◌ाल कताब योग एंव उपाय
8. ज◌्यो तष के योग एवं फलादे श
9. र◌ोग एवं यो तष
10. वि◌वाह एवं दा प य सख ु

म◌ेरे और लेख दे ख :- astroguruji.in तथा aapkabhavishya.in पर।

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Dr.R.B.Dhawan वारा • Astrology, Ayurveda, Others, Totke, Uncategorized म का शत कया गया • टै ग क ग आयव ु द,
आयवु दाचाय, ईबोला, उदररोग, औष ध, कंु डल , कसर ए स, कैसे बदल भा य, गु जी क साधनाएँ, गु जी के टोटके, यो तष, यो तष के
योग फलादे श, ट . बी., डगू, तं , तं का-तं , दल
ु भ सम ृ दायक व तय
ु , ने रोग, प ाघात, पा डूरोग, लेग, फा लज़, बध
ु ह,

https://rbdhawan.wordpress.com/tag/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87… 2/3
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भ व यवाणी, भगृ ु सं हता योग एंव फलादे श, मं एवं तंत ्, रोग, रोग एवं यो तष, लकवा, लाल कताब योग एंव उपाय, वाय,ु वा तु सू ,
ववाह एवं दा प य सख ु , श न, सं ामक रोग, सं ाह न, नायु सं थान, वाईन ल,ू है जा, दय रोग, Dr.R.BDhawan

अ टूबर 9 2017

ग◌ु जी के टोटके (5)

इस दवाल धन ाि त के टोटके : –

(1) सोमवार को शव-मं दर म जाकर दध


ू म त जल शव लंग पर चढ़ाएं तथा ा क माला से ‘ऊँ सोमे वराय नम:’ का 108 बार जप
कर। साथ ह पू णमा को जल म दधू मला कर च मा को अ य दे कर यवसाय म उ न त क ाथना कर, तरु त ह असर दखाई दे गा।

(2) य द बहुत यास के बाद भी घर म पैसा नह ं कता है , तो एक छोटा सा उपाय कर। सोमवार या श नवार को थोड़े से गेहूं म 11 प ते
तलु सी तथा 2 दाने केसर के डाल कर पसवा ल। बाद म इस आटे को परू े आटे म मला ल। घर म बरकत रहे गी और ल मी दन दन ू ा रात
चौगुना बढऩे लगेगी।

(3) घर म ल मी के थाई वास के लए एक लोहे के बतन म जल, चीनी, दध


ू व घी मला ल। इसे पीपल के पेड़ क छाया के नीचे खड़े होकर
पीपल क जड़ म डाले। इससे घर म ल मी का थाई वास होता है ।

(4) घर म सख ु -सम ृ लाने के लए एक म ी के संदु र से बतन म कुछ सोने-चांद के स के लाल कपड़े म बांधकर रख। इसके बाद बतन को
गेहूं या चावल के भर कर घर के वाय य (उ तर-पि चम) कोने म रख द। ऐसा करने से घर म धन का कभी कोई अभाव नह ं रहे गा।

“ग◌ु जी के टोटके” पु तक से (गु जी वारा ल खत इस पु तक म लगभग 1500 totke ह)। यह पु तक shukracharya karyalaya से
अथवा shukracharya.com पर आडर करके मंगवा सकते ह।

Dr.R.B.Dhawan वारा • Others, Sadhna, spiritual, Totke, Uncategorized म का शत कया गया • टै ग क ग 1500 totke,
गु जी के टोटके, टोटके, Dr. R. B. Dhawan, Guruji ke totke, shukracharya, Totke

वड ेस (WordPress.com) पर एक वतं वेबसाइट या लॉग बनाएँ . थीम: Themify वारा iTheme2।

https://rbdhawan.wordpress.com/tag/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87… 3/3

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