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आज स्कूल की छु ट्टी थी.

विकास, आयुष, विविधा, अंकुर और रजत जो वक पड़ौसी थे पास ही के एक पाकक में


पकड़म–पकड़ाई खेल रहे थे. पाकक का गेट खुला हुआ था और गाय का एक छोटा सा बछड़ा पाकक के अन्दर आ
गया. बच्चे बड़े शैतान थे . सभी उस बछड़े को सताने लगे. कोई उसकी पूूँछ खींचने लगा, तो कोई उसके पैर, कोई
उसे पास पड़ा डं डा उठाकर मारने लगा.

बच्चों के ग्रुप में से विविधा वजसे यह सब बहुत बुरा लग रहा था, बार-बार अपने सावथयों को यह सब करने से रोक
रही थी. िह बोली, ‘वकसी वनर्दोष जानिर को इस तरह परे शान करना अच्छी बात नहीं है . अगर कोई हमारे साथ
ऐसा करे तो हमें कैसा लगेगा ? वकतना प्यारा बछड़ा है और वकतना छोटा भी. इसे परे शान करके तुम सबको क्या
वमलेगा? प्लीज, इसे जाने र्दो.’

तभी विकास बोला, ‘तू अपना ज्ञान अपने पास रख. डरपोक कहीं की. आई बड़ी हमें अच्छा-बुरा वसखाने .’

यह कहकर विकास बछड़े को मारते हुए उसके पीछे र्दौड़ने लगा. बाकी बच्चे भी शोर मचाते हुए उसके पीछे हो
वलए. विविधा उर्दास मन से घर आ गयी.

बच्चे र्दौड़ते -र्दौड़ते एक सुनसान रास्ते पे आ गए. बछड़ा झावड़यों की ओट में वछपकर जाने कहाूँ वनकल गया. शाम
हो गयी थी और अूँधेरा होने लगा था. चारों बच्चे िापस घर की ओर लौटने लगे. अचानक बहुत सारे कुत्ों का
समूह िहां आ गया. बच्चों को र्दे खकर सब कुत्े भौंकने लगे. बच्चे बहुत ज्यार्दा डर गए. िे सहम-सहम कर चलने
लगे. कुत्ों ने िापस जाने िाले रास्ते को घेर वलया था. बच्चों के पसीने छूटने लगे.

उन्ीं में से आयुष डरते -डरते बोला, ‘हमने आज उस छोटे से बछड़े को बहुत सताया. हमने विविधा र्दीर्दी की बात
भी नहीं मानी. इसवलए हमारे साथ यह सब हो रहा है . अब हम क्या करें गे ? ये कुत्े तो हमें काट खायेंगे.’ और
यह कहते -कहते िह जोर-जोर से रोने लगा.

उसे रोता र्दे ख सभी का रोना छूट गया. सभी को अपने मम्मी, पापा और घर की यार्द सताने लगी. कुत्े भौंकते जा
रहे थे और बच्चे डर के मारे एक र्दूसरे से वचपक कर खड़े हो गए.

तभी सामने से स्कूटर पर विविधा के पापा आते वर्दखाई वर्दए. बच्चों की जान में जान आ गयी. रोते-वबलखते बच्चों
और कुत्ों को र्दे ख उन्ोंने स्कूटर रोका और सब कुत्ों को डराकर भगा वर्दया. जब सब कुत्े भाग गए तो बच्चों ने
राहत की सां स ली और र्दौड़कर िे विविधा के पापा से वलपट गए.

‘अंकल आपका बहुत-बहुत शुविया. आज आप ना होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.’ रजत ने अपने आं सू पौंछते
हुए कहा.

‘कुछ नहीं होता. हाथों में पत्थर लेकर तुम उन्ें भगा सकते थे . सामान्यतया िे हम इं सानों को नहीं काटते . हाूँ
कभी-कभी खतरा होता है . खैर! अब वचंता की कोई बात नहीं है . अब सब ठीक हो गया है , लेवकन तुम सब यहाूँ
इस सुनसान रास्ते पर क्या कर रहे हो?’ विविधा के पापा ने पूछा.

बच्चों ने सारी बात अंकल को बताई और अपनी गलती पर बहुत पछतािा भी जताया.

अंकल ने कहा, ‘बच्चों! यह जरुरी नहीं वक तुमने बछड़े को परे शान वकया इसवलए तुम्हारे साथ ऐसा हुआ. यह कभी
भी हो सकता है . लेवकन हाूँ , यह बात समझना बहुत जरुरी है वक जैसा तुम अपने साथ नहीं चाहते , िैसा तुम्हें र्दूसरों
के साथ भी नहीं करना चावहए. उस बछड़े को भी तुम लोगों से ऐसा ही डर लगा होगा जैसा अभी तुम्हें इन जानिरों
से लग रहा था. अपने से वनबकल की हमें हमेशा रक्षा करनी चावहए. हम मनुष्य सबसे समझर्दार और बुद्धिमान प्राणी
माने जाते हैं तो कम से कम हम से तो यही अपेवक्षत है . आज जो हुआ उसे एक सबक की तरह यार्द रखो और
अब आगे से वकसी भी मासूम को परे शान मत करना, और कोई तुम्हें परे शान करे तो भी इतना घबराने की जरुरत
नहीं. वहम्मत और समझर्दारी से पररस्थवत का सामना करो. बाकी हमेशा कोई ना कोई रास्ता वनकल ही आता है .’

सभी बच्चों ने अंकल से िार्दा वकया वक िे आगे से ऐसा कभी नहीं करें गे.

‘चलो अब सब घर चलते हैं .’ अंकल ने कहा.

‘हाूँ -हाूँ अंकल जल्दी चवलए. हमें विविधा र्दीर्दी से माफ़ी भी मां गनी है .’ अंकुर बोला.

और सभी ख़ुशी-ख़ुशी घर के वलए रिाना हो गए.

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