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ऩत्रिका प्रस्तुतत BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA
ध त
ॊ न जोशी, Call Us: 91 + 9338213418,
गरु
ु त्व कामाारम 91 + 9238328785
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ध त
ॊ न जोशी, gurutva.karyalay@gmail.com
गरु
ु त्व कामाारम
अनुक्रभ
सम
ू ा उऩासना का अद्भत
ु ऩवा सम
ू ा षष्ठी 6 यत्नों का अद्भत
ु यहस्म ऩन्ना 18
अॊग पड़कने से शक
ु न अऩशक
ु न 17
फॊध/ु फहहन
जम गुरुदे व
हहन्द ू सॊस्कृतत भें कातताक शुक्र षष्ठी की ततधथ को छठ ऩवा, सूमा षष्ठी ऩूजा के रुऩ भें भनामा
जाता है । बायत के ववलबन्न प्राॊत भें भें ऩुयातन कार से ही सूमा उऩासना का मह अद्भत
ु ऩवा अत्मॊत रोकवप्रम
यहा हैं। क्मोफक हभाये ववद्वान ऋवष-भुतनमों ने हजायों वषा ऩहरे मह ऻात कय लरमा था की, सूमा जड़- ेतन
सबी जीव-जॊतु, ऩेड़-ऩौधे के लरए जीवन मा उजाा का प्रभुख स्िोत है । बायतीम के अरावा ववश्व की अन्म
ऩुयातन ववकलसत सॊस्कृततमाॊ बी ववलबन्न भाध्मभ से सूमा की ऩूजा-अ न
ा ा मा अन्म उऩामों से सूमा के प्रतत
अऩनी कृतऻता ववलबन्न भाध्मभ से प्रकट कयते आमे हैं।
ऩौयाणणक भान्मता है फक सूमा की उजाा का भुख्म स्रोत उनकी ऩत्नीमाॊ उषा औय प्रत्मूषा हैं। इस लरए
छठ ऩूजा भें सूमा के साथ उनकी दोनों ऩत्त्नमों की बी आयाधना होती है । इस लरए प्रात: कार भें सूमोदम
कार भें सूमा के साथ उषा का औय सॊध्माकार भें सूमाास्त के सभम भें प्रत्मूषा को अर्घमा दे कय दो ऩत्नीमों का
बी ऩूजन फकमा जाता है । सूमा को सभवऩात इस छठ ऩवा के ऩूजन हे तु साऺात बगवान सूमन
ा ायामण की
उऩासना से व्रतकताा को सुख-शॊतत, सभवृ ि एवॊ भनोवाॊतछत काभनाओॊ की ऩूतता हे तु काभना की जाती हैं। सूमा
षष्ठी के हदन सॊध्मा भें श्रिारु फकसी ऩववि नदी-ताराफ के फकनाये नदी भें स्नान कय बीगे वस्िों भें डूफते
सयू ज को अर्घमा दे ते हैं। फपय अगरे हदन उगते सम
ू ा को अर्घमा दे ने के साथ ही छठ की ऩज
ू ा सॊऩन्न भानी जाती
है । सूमा षष्ठी व्रत से सॊफॊधधत ववलबन्न कथाएॊ प्र लरत हैं, ऩाठको की जानकायी हे तु इस अॊक भें हभनें कुछ
ववशेष कथाओॊ को सॊकलरत कयने का प्रमास फकमा है ।
ऩौयाणणक कथा के अनस ु ाय, बगवान के ऩि
ु साम्फ(शाम्फ) हुए । वह कुष्ठ योगी हो गमा था।
साम्फ(शाम्फ) ने कुष्ठ से भुत्क्त के लरए बगवान सूमा की जगहों ऩय 12 सम ू ा उऩासना के तीथों औय उसके
तनकट ताराफ का तनभााण कयामा था। साम्फ(शाम्फ) इन्हीॊ तीथों भें ऩूजा अ न
ा ा कय व उससे रगे ताराफ भें
स्नान कय कुष्ठ योग से भुक्त हुआ था। आज बी छठ भहाऩवा स्नान कय कुष्ठ योग दयू होता है । ाय हदनों
का भहाऩवा ाय हदनों तक रने वारा मह भहाऩवा फेहद आस्था, तनष्ठा व ऩवविता के साथ भनामा जाता है ।
इस साप्ताहहक ई-ऩत्रिका भें सॊफॊधधत जानकायीमों के ववषम भें साधक एवॊ ववद्वान ऩाठको से अनयु ोध हैं,
महद दशाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, साधना एवॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाव इत्मादी के सॊकरन,
प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भें , डडजाईन भें , टाईऩीॊग भें , वप्रॊहटॊग भें , प्रकाशन भें कोई िुहट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ
सुधाय रें मा फकसी मोग्म ज्मोततषी, गुरु मा ववद्वान से सराह ववभशा कय रे । क्मोफक ववद्वान ज्मोततषी, गुरुजनो
एवॊ साधको के तनजी अनुबव ववलबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, साधना, उऩाम के प्रबावों का वणान कयने भें बेद होने ऩय
काभना लसवि हे तु फक जाने वारी वारी ऩूजन ववधध एवॊ उसके प्रबावों भें लबन्नता सॊबव हैं।
ध त
ॊ न जोशी
5 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
E- HOROSCOPE
ई- जन्भ ऩत्रिका (एडवाॊस्ड)
(Advanced)
अत्माधतु नक ज्मोततष ऩितत द्वाया Create By Advanced
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GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
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7 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
कातताक शुक्र षष्ठी के हदन व्रत-उऩवास यखकय सूमा की ऩाॊडव से जुड़ी ऩौयाणणक कथा
आयाधना कयके सप्तभी के हदन व्रत ऩूणा फकमा था। एक अन्म भान्मता है फक जुए भें ऩाॊडव अऩना
सयमू तट ऩय याभ-सीता के इस अनुष्ठान से प्रसन्न याजम हाय कय जॊगर भें बटक यहे थे, इस सॊकट से
होकय बगवान सूमद
ा े व ने उन्हें आशीवााद हदमा था। भुत्क्त ऩाने के लरए स्वमॊ द्रौऩदी ने सूमद
ा े व की आयाधना
भान्मता हैं तफ से छठ ऩवा भनामा जा यहा है । कयते हुए छठ का व्रत फकमा था। सूमद
ा े व की प्रसन्नता
से ऩाॊडवों को आना खोमा याजम, भान-सम्भान, ऩद-
श्रीकृष्ण के ऩि
ु से जड़
ु ी ऩौयाणणक कथा
प्रततष्ठा सफ ऩुन् प्राप्त हुआ।
ऩौयाणणक कथा के अनुसाय, बगवान श्रीकृष्ण की आठवीॊ
ऩत्नी जाम्फवॊती से ऩुि साम्फ(शाम्फ) हुए । एक फाय भहवषा भनु के ऩि
ु से जुड़ी ऩौयाणणक कथा
साम्फ(शाम्फ) सफु ह की फेरा भें स्नान कय यहे थे, तबी एक अन्म कथा के अनुसाय भहवषा भनु के ऩुि
गॊगा ामा ऋवष की नजय साम्फ(शाम्फ) ऩय ऩड़ गई। मह
याजा वप्रमव्रत को वववाह के ऩश््मात अधधक सभम फीत
दे ख ऋवष गॊगा ामा आगफफर
ू ा हो गए औय शाम्फ को
जाने के फाद बी कोई सॊतान नहीॊ हुई, तो भहवषा कश्मऩ
कुष्ठ से ऩीडड़त होने का श्राऩ दे हदमा। त्जससे वह कुष्ठ
योगी हो गमा था। तफ नायद जी ने श्राऩ से भत्ु क्त के ने ऩुित्े ष्ट मऻ का आमोजन कयाकय उनकी ऩत्नी को
ववश्वालभि से जुड़ी ऩौयाणणक कथा फारक को जन्भ हदमा औय उसे सयकॊडे के वन भें यख
अन्म भान्मता के अनस हदमा। उसी वन भें छह कातताकाएॊ तनवास कयती थीॊ। उन
ु ाय कातताक शक्
ु र षष्ठी
के हदन सम
ू ाास्त एवॊ सप्तभी के हदन सम
ू ोदम के भध्म सफ छह कातताकाओॊ ने उस स्कॊध फारक का रारन-
बगवान सम ू ा की आयाधना कयते हुए ववश्वालभि के भख
ु ऩारन फकमा। मह स्कॊध फारक को छह कातताकाओॊ ने
से आकत्स्भक रुऩ से वेदभाता गामिी प्रकट हो गई थीॊ फड़ा फकमा मा मह फारक उन्हें कातताक के भाह भें लभरा
तबी से कातताक शुक्र षष्ठी की ततधथ को छठ ऩवा
था इस कायण उस स्कॊध फारक का नाभ आगे
भनामा जा यहा है ।
कातताकेम ऩड़ गमा। इसी कायण मे छह कातताकाएॊ,
8 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
कातताकेम की षष्ठ भाताएॊ (छठ भाता मा छठी भईमा ) नववववाहहत वधू ने वहाॊ अऩने ऩतत को ऩारकी भें भत
ृ
कही गईं। ऩौयाणणक ग्रॊथों भें मह व्रत स्कॊध षष्ठी के अवस्था भें ऩामा। उसे दे ख नववधू ववराऩ कयने रगी,
त्जसे सुनकय एक वि
ृ ा स्िी उसके ऩास आकय फोरी, भैं
नाभ से वणणात है ।
छठ भाता हूॊ। तुम्हायी सास सदै व भुझसे अऩनी काभना
कातताकेम से जुड़ी ऩौयाणणक कथा ऩूतता कयवाती यहीॊ है , रेफकन तुम्हायी सास ने सॊकल्ऩ
कयके बी कबी बी भेया ऩूजन-व्रत नहीॊ फकमा। रेफकन
एक अन्म कथा के अनस
ु ाय, असयु ों के ववनाश के लरए
तुम्हाया, ववराऩ दे खकय भें तम्हाये ऩतत को जीववत कय
दे वाताओॊ ने दे वी ऩावातीजी व बगवान शॊकयजी के ऩुि
दे ती हूॊ। तुभ घय जाकय अऩनी सास से इस ववषम भें
कातताकेमजी को अऩना सेनाऩतत तनधाारयत फकमा था।
फात कयना, उससे मह व्रत ववधध-ववधान से सॊऩन्न
दे वी ऩावाती ने अऩने ऩुि के ववजम प्रात्प्त की काभना कयाना। छठ भाता ने उसके ऩतत को जीववत कय हदमा।
हे तु डूफते हुए सूमा को अध्मा दे कय ऩूजन कय औय घय जाकय वधू ने अऩनी सास को सॊऩूणा घटना फताई,
तनजारा व्रत फकमा। कातताकेमजी के ववजमी होकय रौटने तो सास को अऩनी गरती का अहसास हुआ औय उसने
ऩय दे वी ऩावाती ने उदम होते सूमा को ववधध-ववधान से आगे से ववधध-ववधान से सूमा षष्ठी का व्रत कयने का
ऩुन् सॊकल्ऩ लरमा था।
अध्मा दे कय अऩना व्रत तोड़ा था।
सम
ू ा षष्ठी ऩवा का वैऻातनक भहत्व
वि
ृ ा के ऩि
ु से जुड़ी ऩौयाणणक कथा
ववद्वानों का कथन हैं की सूमा षष्ठी ऩवा की
सूमा षष्ठी व्रत की अन्म कथा एक वि
ृ ा की कोई
ऩयॊ ऩया भें फहुत ही गहया वैऻातनक भहत्व तछऩा है । एसा
सॊतान नहीॊ थी। कातताक शुक्र सप्तभी के हदन उसने
दे खा गमा है की षष्ठी ततधथ के आसऩास के हदनों भें
सॊकल्ऩ फकमा फक महद उसके महाॊ ऩुि होगा तो वह मह
एक ववशेष खगोरीम फदराव दे खे जाते है , इस दौयान
सूमा षष्ठी का व्रत कये गी। सूमा बगवान की कृऩा से उसे
सूयज की अल्रावाइरेट फकयणों की भािा साभान्म से
ऩुि की हो गमी, रेफकन वि
ृ ाने सूमा षष्ठी का व्रत नहीॊ
अधधक होती है । सूयज की अल्रावाइरेट फकयणों के
फकमा। रड़का फड़ा होगमा, उसकी वववाह मोग्म उम्र हो
कुप्रबावों से यऺण कयने का साभर्थमा इस सूमा षष्ठी ऩवा
गामी। वि
ृ ा ने रड़के का वववाह कयवा हदमा। एक फाय
की ऩयॊ ऩया भें है ।
वि
ृ ा रड़का ओय उसकी ऩत्नी घय रौटते सभम वय-वधू
ने एक जॊगर भें ववश्राभ के लरए रुक गमे । रेफकन ***
सवा कामा लसवि कव के साथ भें तंत्र यषा कव के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,
साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव के प्रबाव
से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं।
सवा कामा लसवि कव के साथ भें ळत्रु वलजम कव के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त
ऩये शातनओ से स्वत् ही छुटकाया लभर जाता हैं। कव के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का ाहकय
कुछ नही त्रफगाड़ सकते।
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शनभ
ु ान चारीवा औय फजयं ग फाण शी क्मु ? उऩमोगी जानकायी
के सभस्त दख
ु ो को हयने भे सभथा है । श्री हनुभानजी का नाभ प्रस्तत
ु हैं कुछ उऩमोगी जानकायी ..
स्भयण कयने भाि से ही बक्तो के साये सॊकट दयू हो जाते हैं। तनमलभत योज सुबह स्नान आहदसे तनवत
ृ होकय स्व्छ
क्मोफक इनकी ऩूजा-अ न
ा ा अतत सयर है, इसी कायण श्री कऩडे ऩहन कय ही ऩाठ का प्रायम्ब कये ।
हनुभानजी जन साधायण भे अत्मॊत रोकवप्रम है । इनके भॊहदय तनमलभत ऩाठ भें शुिता एवॊ ऩवविता अतनवामा है ।
दे श-ववदे श सवि त्स्थत हैं। अत् बक्तों को ऩहुॊ ने भें
हनभ
ु ान ारीसा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ कयते सभम
अत्माधधक कहठनाई बी नहीॊ आती है । हनुभानजी को प्रसन्न
धऩ
ू -दीऩ अवश्म रगामे इस्से भत्कायी एवॊ शीघ्र प्रबाव
कयना अतत सयर है
प्राप्त होता है ।
हनुभान ारीसा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ के भाध्मभ
दीऩ सॊबव न होतो केवर ३ अगयफत्ती जराकय ही ऩाठ
से साधायण व्मत्क्त बी त्रफना फकसी ववशेष ऩज
ू ा अ न
ा ा से
कये ।
अऩनी दै तनक हदन माा से थोडा सा सभम तनकार रे तो
उसकी सभस्त ऩये शानी से भत्ु क्त लभर जाती है । कुछ ववद्वानो के भत से त्रफना धऩ
ू से हनुभान ारीसा औय
फजयॊ ग फाण के ऩाठ प्रबाव हहन होता है ।
हनुभान जी का पोटो/ भूतता ऩय सुखा लसॊदयू रगाना उद्देश्म से सभम के अबाव भे जल्द से जल्द ऩाठ कने भे
तनमलभत ऩाठ ऩूणा आस्था, श्रिा औय सेवा बाव से की सभम के अबाव हो तो ज्मादा ऩाठ कयने फक अऩेऺा एक
जानी ाहहए। उसभे फकसी बी तयह की सॊका मा सॊदेह न ही ऩठ कये ऩय ऩूणा तनष्ठा औय श्रिा से कये ।
मा फकसी को हातन, नुक्सान मा कष्ट दे ने के उद्देश्म से यास्ता मा उऩाम नहीॊ सुझ यहा तो डये नही तनमलभत ऩाठ कये
भल्
ू म:- प्रनत ग्राभ Rs. 28 वे Rs.100 >>Order Now
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12 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
जऩ भारा का भहत्व
हैं। इस लरमे रम्फी अवधध की साधना मा भन्ि जऩ के कुछ ववशेष दे वी अनुष्ठानो भें अनालभका के दो ऩवा,
कतनष्ठा के तीन, ऩुन् अनालभका के अग्रबाग का एक,
लरमे मह उऩमुक्त नहीॊ हैं। जफ भन्ि जऩ हजायों -
14 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
भध्मभा के तीन, औय तजानी के भूर का एक ऩवा कुर अऺत, उॊ गरी, ऩुष्ऩ, न्दन, लभट्टी, कॊकड़ आहद का
लभराकय दस सॊख्मा होती हैं। प्रमोग दशकों की गणना हे तु कयना वत्जात हैं।
म लगव वे श काय तक आठ लणव इव प्रकाय शैं:- साभान्मत् वैष्णवों के लरए तुरसे तथा शैवों,
म य र ल ळ ऴ व श शाक्तों के लरए रुद्राऺ की भारा सवोत्तभ भानी गई हैं।
रेफकन इस फात का ध्मान यहें की एक ऩदाथा की भारा
रकाय (ऱकाय) का एल लणव शैं:- भें दस
ू ये ऩदाथा का प्रमोग न फकमा गमा हों।
ऱ भन्ि जऩ के लरए सॊफॊधधत दे वी-दे वता से सॊफॊधधत
ऩदाथा की भारा का प्रमोग कयना शीघ्र पर प्रदान
इस प्रकाय ऩ ाय की सॊख्मा हो जाने ऩय फपय कयने वारा होता हैं।
रकाय से रौटकय अकाय तक आने ऩय ऩ ास औय हो अरग-अरग काभनाऩूतता, भन्ि साधना मा अनुष्ठा
जामेंगे, इस प्रकाय कुर लभराकय सौ की सॊख्मा ऩूणा हो भें शीघ्र सपरता प्राप्त हो इस लरए बी अरग-अरग
जाती हैं। ऩदाथों की भारा का प्रमोग कयना ाहहए।
वणा भारा भें "ष" को सुभेरु भाना जाता हैं अत्अ भारा के भनके(दाने) एक सभान आकाय के हो, छोटे
इसका उल्रॊघन तनवषि हैं। फड़े न हों।
सॊस्कृत भें "त्र" औय "स" को स्वतॊि अऺय नहीॊ भाने भारा भें कुर 108 भनको के साथ 1 सुभेरु अरग
जाते समुक्त अऺय भाने जाते हैं। इस लरए इन से होना ाहहए।
अऺयों की गणना नहीॊ की जाती। शास्िोक्त ववधान के अनुसाय भारा भें प्रमोग होने
इस कायण गणना भें सात वगा की जगह आठ वगा वारा धागा कॊु वायी ब्राह्भण कन्मा द्वाया सूत
होते हैं। आठवाॊ वगा "शकाय" से प्रायॊ ब होता हैं। इसके कातकय फनामा फनागा गमा हों, तो शीघ्र परदे ने
द्वाया " अॊ कॊ ॊ टॊ तॊ ऩॊ मॊ शॊ" मह गणना कयके आठ वारा होता है ।
फाय औय जऩ कयना ाहहए। रुद्राऺ के दानों की भारा फनाते सभम भनके वऩयोते
इस प्रकाय जऩ की सॊख्मा 108 हो जाती हैं। सभम रुद्राऺ के भह
ु ॊ औय ऩ्
ु छ का ववशेष ध्मान
इसे अऺय भारा के भणण भाना जाता हैं। इनका यखना ाहहए। रुद्राऺ भें भह
ु ॊ का बाग कुछ ऊॉ ा
भूर सूि कुण्डलरनी शत्क्त हैं, जो भूराधाय क्र से होता है औय ऩ्
ु छ का बाग नी ा होता हैं। रुद्राऺ के
आऻा क्र तक सूि रुऩ भें ववद्मभान हैं। इस प्रकाय मह भनके वऩयोते सभम यखना ाहहमे की दो रुद्राऺ के
जऩ आयोह-अवयोह अथाात उऩय से नी े तथा ऩन
ु ् नी े दानों के भह
ु ॊ से भह
ु ॊ ऩयस्ऩय लभरते हों, औय ऩ्
ु छ
से ऊऩय होता हैं। इस प्रकाय फकमा हुआ जऩ ऩण
ू ा एवॊ से ऩु्छ ऩयस्ऩय लभरते हों।
शीघ्र लसवि प्रदान कयने वारा होता हैं। वशीकयण भें यक्त वणा के सूत की भारा का प्रमोग
यक्त वणा के सूत से फनी भारा का प्रमोग सफ वणों भारा का ववधधवत तनभााण कामा सॊऩन्न हो जानेके
के रोग प्राम् सबी प्रकाय के अनुष्ठान भें कय सकते ऩश् मात भाराका सॊस्काय अवश्म कयना मा कयवा रेना
हैं। ाहहमे।
दों भनको के फी भें गाॊठ रगाई हुई भारा प्रमोग
औय त्रफना गाॊठ रगी भारा का प्रमोग सभान रुऩ से
भॊि कारी हल्दी
फकमा जा सकता हैं।
11 नॊग साफत
ू कारी हल्दी वजन 18 ग्राभ भाि रु.730/-
भारा को सोने- ाॊदी के ताय भें बी गूॊथ कय फनामा
11 नॊग साफत
ू कारी हल्दी वजन 27 ग्राभ भाि रु.910/-
जा सकता हैं।
सुभेरु के ऩाय गाॊठ तीन पेये की मा ढाई पेये के हभायें महाॊ कारी हल्दी की गाॊठ एवॊ टुकड़े प्रतत नॊग
भारा का प्रत्मेक भनका वऩयोते सभम इष्ट भन्ि का 550, 730, 910, 1050, 1250, 1450,
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17 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
अॊग पड़कने से शक
ु न अऩशक
ु न
सॊकरन गुरुत्व कामाारम
भानव शयीय के ववलबन्न अॊगों भें कबी कबी पड़क महद महद भस्तक पड़के तो बूलभ राब लभरने का
होती हैं। सॊकेत हैं।
अॊग पड़क्ने का कायण भानव शयीय भें उतऩन्न होने महद महद कॊधा पड़के तो बोग-ववरास भें ववृ ि होने
वारे वामु-ववकाय आहद के कायण शयीय फक भाशऩेशी का सॊकेत हैं।
भें यह यहकय थोडा उबयना औय दफना फतामा जाता महद दोनों बौंहों के भध्म बाग भें पड़कन होतो सख
ु
हैं। प्रात्प्त का सॊकेत हैं।
हभाये बायत भें अॊगो के पड़कने के आधाय ऩय शब
ु - महद कऩार पड़के तो शुब कामा होने का सॊकेत हैं।
अशब
ु ऻात कयने की धायणा सारो से प्र लरत यही महद आॉख का पड़कना धन प्रात्प्त का सॊकेत हैं।
हैं। महद आॉख के कोने पड़के तो आधथाक उन्नतत होने
प्राम् ऩुरुष का दाहहना (Right) अॊग औय स्री का का सॊकेत हैं।
फाॊमा (Left) अॊग पड़कना शब
ु भाना जाता हैं। महद आॉखों के ऩास का हहस्सा पड़के तो वप्रम
महद फाएॊ ऩैय की ऩहरी औय आणखयी उॊ गरी पड़के, व्मत्क्त से लभरन होने का सॊकेत हैं।
तो राब होता हैं। महद हाथों का पड़कना उत्तभ कामा द्वाया धन
महद दाएॊ ऩैय की ऩहरी औय आणखयी उॊ गरी पड़के प्रात्प्त का सॊकेत हैं।
तो अशुब होता हैं। महद वऺ्स्थर का पड़कना ववजम प्रात्प्त का सॊकेत
महद ऩाॊव की वऩॊडरीमाॊ पड़कने से काभ भें फाधा हैं।
उतऩन्न होती हैं एवॊ मह शिु द्वाया ऩये शानी का महद रृदम पड़के तो इष्ट लसिी प्राप्त होने का
सॊकेत हैं। दामाॊ घुटना पड़के, तो अशुब पर फक सॊकेत हैं।
प्रात्प्त औय फामाॊ पड़के, तो शब
ु पर फक प्रात्प्त महद नालब के पड़क्ने से स्िी वगा को हातन होने का
होती हैं। सॊकेत हैं।
महद फामाॊ ऩैय पड़कना शुब होता हैं, दामाॊ ऩैय महद ऩेट का पड़कना कोष ववृ ि होने का सॊकेत हैं।
पड़कने से भस
ु ीफतों का अॊत होने का सॊकेत हैं। महद गद
ु ा का पड़कना वाहन सख
ु फक प्रात्प्त का
महद फाईं जाॊघ के पड़कने से दोस्त से सहामता सॊकेत हैं।
लभरने का सॊकेत हैं। महद कण्ठ के पड़कने से ऐश्वमा राब फक प्रात्प्त का
महद दाईं जाॊघ पड़कने से शिु शाॊत होने का सॊकेत सॊकेत हैं।
हैं। महद भुख के पड़कने से लभि द्वाया राब होने का
महद दाएॊ हाथ का अॊगूठा पड़कने से शुब सभा ाय सॊकेत हैं।
लभरने का सॊकेत हैं। महद होठों का पड़कना वप्रम वस्तु की प्रात्प्त का
महद फाएॊ हाथ का अॊगूठा पड़कने से हानी होने का सॊकेत हैं।
सॊकेत हैं।
18 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
यत्नों का अद्भत
ु यहस्म
सॊकरन गरुु त्व कामाारम
गताॊक से आगे... ऩन्ना भुख्मत् ऩांच यं गों भें ऩामा जाता शै
ऩन्ना की औय दे खने से आॉखों को शीतरता भहसूस धायण कयने से व्मत्क्त के फर, वीमा औय फवु ि का
असरी ऩन्ने को रकड़ी ऩय यगड़ने से इसकी भक त्जस ऩन्ने भें जार जैसी ये खाओॊ का सभूह हो ऎसा
भें ववृ ि होती है । ऩन्ना धायण कयना स्वास्र्थम के लरए हातन होता हैं।
असरी ऩन्ने ऩय ऩानी की फूॊद यखने से फूॊद ऩन्ना जो ऩन्ना दे खने भें भकहीन हो, उल्टा दे खने से
ऩय फनी यहती है, पैरती नहीॊ हैं। सुन्न सा उदास मा भकहीन हदखाई दे ता हों, ऎसा
इसभें बॊगुयता होने के कायण मह जोय से ठोकय ऩन्ना धायण कयने से धनहातन होती हैं।
रगने ऩय मा धगयने से टूट सकता है । त्जस ऩन्ने भें छोटी-छोटी टूटी हुई धारयमों हदखे,
ऩन्ना को सूमा की योशनी भे दे खने से हये यॊ ग की ऎसा ऩन्ना धायण कयने से वॊशववृ ि हे तु हातन कयता
काॊ के धगरास भें ऩानी बय कय ऩन्ना को इस त्जस ऩन्ने भें गड्ढा हो, ऎसा ऩन्ना धायण कयने से
स्पूयीत होती हैं। त्जस ऩन्ने भें कारे धब्फे हदखाई दे ते हों, ऎसा ऩन्ना
धायण कयना स्िी के लरए हातनकायक होता हैं।
योग औय ऩन्ना:
त्जस ऩन्ने सीधी ये खा हदखाई दे ते हों, ऎसा ऩन्ना
ऩन्ना धायण कयने से शायीरयक फर एवॊ सौदमा भें
धायण कयना धन का कयने वारा होता हैं।
ववृ ि होती हैं।
त्जस ऩन्ने को दे ख ने से वह खयु दया हदखाई दे ता हो मा
ऩन्ना फुखाय, उल्टी, ववष, फवासीय इत्माहद योगो भें
उसका यॊ ग पटा-पटा सा हदखाई दे ता हो, ऎसा ऩना
अतत राबदामक हैं।
धायण कयने से हातन होती हैं।
ऩथयी, भूि योग आहद भें ऩन्ना की बस्भ राबदामक
>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
होती हैं।
ऩन्ना के दोऴ ***
ववद्वानो के भत से ऩन्ना भें ववशेष कय तनम्न दोष
ऩाए जाते हैं, अत् दोष-मुक्त ऩन्ना कबी बी धायण भॊि लसि ऩन्ना गणेश
नहीॊ कयना ाहहए। दोष मुक्त ऩन्ना धायण कयने से बगवान श्री गणेश फवु ि औय लशऺा के कायक
राब के स्थान ऩय हातन हो सकती हैं। ग्रह फध
ु के अधधऩतत दे वता हैं। ऩन्ना गणेश
त्जस ऩन्ने का यॊ ग सोने के सभान हो मा उसका फध
ु के सकायात्भक प्रबाव को फठाता हैं एवॊ
भख
ु ऩीरे यॊ ग का हो, तो इस प्रकाय के ऩन्ना को नकायात्भक प्रबाव को कभ कयता हैं।. ऩन्न
धायण कयने से सबी प्रकाय से हातनकायक लसि होता गणेश के प्रबाव से व्माऩाय औय धन भें ववृ ि भें ववृ ि होती हैं।
फ् ो फक ऩढाई हे तु बी ववशेष पर प्रद हैं ऩन्ना गणेश इस
हैं।
के प्रबाव से फ् े फक फवु ि कूशाग्र होकय उसके आत्भववश्वास
त्जस ऩन्ने भें यक्त वणा के रार छीॊटे हो ऎसा ऩन्ना
भें बी ववशेष ववृ ि होती हैं। भानलसक अशाॊतत को कभ कयने भें
धायण कयने से सख
ु -सम्ऩतत को नष्ट हो जाती हैं।
भदद कयता हैं, व्मत्क्त द्वाया अवशोवषत हयी ववफकयण शाॊती
शहद के यॊ ग के सभान यॊ ग वारा ऩन्ना धायण कयना
प्रदान कयती हैं, व्मत्क्त के शायीय के तॊि को तनमॊत्रित कयती
भाता-वऩता के लरए हातनकायक होता हैं। हैं। त्जगय, पेपड़े, जीब, भत्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्माहद योग
त्जस ऩन्ने भें ऩीरे यॊ ग के छीॊटे हो ऎसा ऩन्ना धायण भें सहामक होते हैं। कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हैं।
कयने से सॊतान ऩऺ के लरए हातनकायक होता हैं। Rs.550 वे Rs.8200 तक
20 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
चाय भख
ु ी रुद्राष: ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से वाणी भें लभठास
आती हैं।
ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भानलसक ववकाय
दयू होते हैं।
ववद्वानो का कथन है की ाय भुखी रुद्राऺ के दशान
एवॊ स्ऩशा से धभा, अथा, काभ औय भोऺ इन ायों
ऩुरुषाथो की शीघ्र प्रात्प्त होती हैं।
ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से जीव हत्मा के ऩाऩों
का नाश होता हैं।
ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से हदव्म ऻान की
प्रात्प्त होती हैं।
ाय भुखी रुद्राऺ को अबीष्ट लसविमों को प्राप्त कयने
ाय भुखी रुद्राऺ साऺात ब्रह्भा का स्वरुऩ हैं। भें सहामक व कल्माणकायी हैं।
ाय भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से फौधधक शत्क्त चाय भुखी रुद्राष को धायण कयने का भन्त्र:-
का ववकास होता हैं। ॐ व्राॊ क्राॊ ताॊ हाॊ ई॥
ववद्याध्ममन कयने वारे फ् ो के फौधधक ववकास एवॊ
>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
स्भयण शत्क्त के ववकास के लरए ाय भुखी रुद्राऺ
उत्तभ परदातम लसि होता हैं। ***
धन-वैबव प्राप्त कयना ाहते हैं। रेफकन व्मत्क्त को धन व्मत्क्त को ऩाऩा ाय, अनैततक इत्मादी कामा कयने वारे
सॊग्रह कयने भें कहठनाई होती हैं। व्मत्क्त की सो एवॊ रोगों से दयू यहना ाहहए औय स्वमॊ बी दयू यहना
नजरयमा सभाज से लबन्न होता हैं इस कायण व्मत्क्त ाहहए, अन्मथा व्मत्क्त फकसी औय के फकमे गमे षड़मॊि
को सभाज भें रोक तनॊदा, आरो ना एवॊ ववयोध का भें शीघ्र पॊस सकते हैं मा फकसी फड़े सॊकट भें त्रफना
साभना कयना ऩड़ता हैं। वज़ह पॊस सकते हैं। व्मत्क्त को त्रफना कायण जेर की
भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त की साभात्जक कामा भें ववशेष हवा खानी ऩड़ सकती हैं, इस लरए फकसी एसे कामा जो
रुध होती हैं इस कायण व्मत्क्त को सभाज भें अ्छा सभाज औय कानून की नज़यों भें अनुध त औय अनैततक
भान-सम्भान एवॊ ख्मातत प्राप्त होती है । व्मत्क्त के हो उससे दयू यहना ाहहए।
लबतय अद्भत
ु कामा दऺता होने के कायण मह दस
ू यों के व्मत्क्त को प्राम् प्रेभ प्रसॊगों भें असपरता,
लरए एक प्रेयणा स्िोत फन सकते हैं। व्मत्क्त के जीवन फदनाभी, धोखा आहद लभरते हैं, इस लरए व्मत्क्त को
भें सपरता एवॊ असपरता प्राम् सभान रुऩ से रने के प्रेभ ऩसॊगों भें ववशेष सावधानी फयतनी ाहहए। अऩना
कायण भर
ू ाॊक 4 वारे व्मत्क्त अधधकतय ध तॊ तत एवॊ व्मवहाय औय रयि साप-सथ
ु या यखें अन्मथा व्मत्क्त को
तनाव ग्रस्त होते दे खे जाते हैं। व्मत्क्त को सभाज भें अऩने प्रेभी के साथ-साथ स्वजनों एवॊ सभाज से ववयोध
अऩना ऩद-प्रततष्ठा फनाएॊ यखने के लरए तनयॊ तय प्रमास एवॊ अऩभान सहना ऩड़ सकता हैं।
यत यहना ऩड़ता हैं। व्मत्क्त हय सभम कुछ नमा कय भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त कबी-कबी इतने स्वाथॉ
हदखाने की ाह यखता हैं , त्जसके लरए वह तनयॊ तय नमे- हो जाते हैं की वहॊ अऩने कामा-उद्देश्म की ऩूतता के लरए
नमे शोध एवॊ आववष्काय कयने भें रगे यहते हैं। उध त-अनुध त, नैततक-अनैततक सबी भूल्मों को ताक
भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त बौततक सुख साधन एवॊ ऩय यख दे ते हैं, औय केवर अऩने स्वाथा की ऩूतता भें ही
ऐशोआयाभ के ऩीछे अधधक धन व्मम कयते हैं त्जस रगे यहते हैं, त्जस कायण व्मत्क्त को प्राम् सभम कामा
कायण उनके लरए धन सॊग्रह कयना कहठन हो जाता हैं। ऺेि भें असपरता का साभना कयना ऩडाता
ा़ हैं। इस लरए
इस लरए व्मत्क्त को मथा सॊबव अऩनें व्ममों ऩय भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त महद अऩने स्वबाव तथा
तनमॊिण कयके धन सॊम कयने ऩय अधधक ध्मान यखना वव ायधाया भें सुधाय कयते हैं तो व्मत्क्त हय ऺेि भें
ाहहए। व्मत्क्त को धन सॊफॊधधत कामों भें हहसाफ साप- सपरता प्राप्त कय सकते हैं।
सुथया यखना ाहहए अन्मथा दस
ू यों को हदमा गमा ऩैसा व्मत्क्त गस्
ु सेर मा तन
ु कलभजाज ककाश स्वबाव
मा उधायी वाऩस नहीॊ लभरेगी औय फकसी से उधाय लरमे के होने के कायण व्मत्क्त फात-फात भें ध ड़ जाते हैं।
धन मा साभान भें हेया-पेयी इत्माहद कयने से फ े व्मत्क्त के भन से अरग कामा हो जाने ऩय मे अऩने
अन्मथा त्जतने भूल्म की हे यापेयी होगी, आऩको उस्से आऩे से फाहय हो जाते हैं। रेफकन त्जतनी गतत से क्रोध
कई गुना अधधक का नुकसान उठाना ऩड़ सकता हैं। ढ़ता हैं , उतनी ही तीव्र गतत से वह उतय बी जाता हैं।
भर
ू ाॊक 4 वारे व्मत्क्त को फकसी बी प्रकाय के गस्
ु से भें व्मत्क्त अऩना आऩा खों फेठते हैं औय फकसे
व्मसन औय नशे आहद से दयू यहना ाहहए, महद व्मत्क्त क्मा फोरना मा कहना ाहहए इस का होश नहीॊ होता
को एक फाय फकसी व्मसन की रत रग जाती हैं तो वह त्जस कायण व्मत्क्त हय फकसी से शित
ु ा एवॊ ववयोध कय
जल्द नहीॊ छुटती व्मत्क्त नशे का गुराभ हो जाता हैं, रेता हैं। व्मत्क्त के जीवन भें शिओ
ु ॊ की कभी नहीॊ
औय अऩनी सॊध त जभा ऩूॊत्ज को नशे के ऩीछे ही ख ा होती, एक शिु को ऩयास्त कयने ऩय दस नए शिु ऩैदा
कय दे ता हैं। इसके अरावा व्मत्क्त को जुआ, धत
ृ क्रीड़ा, हो जामेंगे हैं। व्मत्क्त के शिु ऩीठ ऩीछे कु क्र य ें गे,
सट्टा, रॉटयी इत्माहद कामों से बी दयू यहना ाहहए नहीॊ षड़मॊि कयते यहें गे रेफकन भुॊह के साभने कुछ बी नहीॊ
तो व्मत्क्त इस कामों भें अऩना सफ कुछ खो फैठता हैं। कय ऩाएॊगे।
26 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
शब वषा 22,31,40,49,58,67,76 वाॊ वषा हैं, आऩका भूरांक के स्वाभी ग्रह याहु के शुब प्रबावो
ु
ततधथ 4,13,22,31 वषा दामक होती हैं , फकसी कामा भें की ववृ ि हे तु आऩ अऩनी भध्मभा उॊ गरी भें गोभेद
सपरता प्राप्त कयने के लरमे इन्हीॊ ततधथ का प्रमोग धायण कय सकते हैं। अऩने ऩूजा स्थान भें प्राण-
कयना ाहहमे, इन ततधथमों भें शतनवाय का हदन ऩड़े तो प्रततत्ष्ठत याहु मॊि को स्थावऩत कय सकते हैं।
अस्वस्थ एवॊ तनावग्रस्त यहता हैं। लसय ददा बी ऩामा ग्रश ळांनत के लरए उऩमुक्त रुद्राष:
जाता हैं। आऩका भर ू ांक स्वाभी याहु हैं अत् याहु ग्रह के अशब ु
प्रबाव को दयू कयने औय शब ु परों की प्रात्प्त के लरए 8
उऩमुक्त आहाय्
भख
ु ी रुद्राऺ धायण कयना आऩके लरए उऩमक्
ु त यहे गा।
रौकी, ककड़ी, खीया, अॊगूय, सेफ, अनानस,
आऩ 8 भख
ु ी रुद्राऺ के साथ भें 7 भख
ु ी मा 14 भख
ु ी
तुरसी, कारीलभ ा एवॊ हल्दी उऩमोंगी हैं। नषीरी ीजों
औय 9 भख
ु ी रुद्राऺ धायण कयने से बी आऩको ववशेष
से ऩयहे ज कयें तेज भसारेदाय बोजन से फ ें , षाकाहाय
शुब ऩरयणाभो की प्रात्प्त होगी।
ऩय अधधक ध्मान दें ।
ळांनत के लरए दान
अनुकूर व्मवसाम: ग्रश:- याशु लाय:- ळननलाय
व्मत्क्त इॊजीतनमय, सेल्सभैन, भुतनभ ;ब्ण ्। ि, याहु ग्रह फक शाॊतत हेतु कारी वस्तु एवॊ गोभेद, नीरा
दारू, त्स्प्रट, तेर, केयोसीन, अका, ईि, वामु सेना, जर- कऩड़ा, कॊफर, साफूत सयसों (याई), ऊनी कऩड़ा, कारे
जहाज, यॊ ग कामा, टे लरपोन, ओऩये टय, करा, दजॉ, ततर व तेर का दान कयने से शुबपर फक प्रात्प्त होती हैं
स्टे नो, वषल्ऩ काय, ववघुत, ठे केदाय, खदान, वकारत, ग्रश ळांनत के अन्म वयर उऩाम:
ा़
ये रवे, टे रीग्रापी, ऩिकारयता, तम्फाकू, रेखन, सॊऩादन, भाता-वऩता एवॊ फडे-फुजुगों का सम्भान कयें ।
राॊसऩोटा , याजनीतत, ज्मोततष, फीभा, दरारी, ऩुयातत्व सत्कभा कयते यहें आऩके सबी कामा स्वत् लसवि
ववऻान आहद सॊफॊधधत कामो भें अधधक सपर होते हैं। होते जामेगें।
बगवान लशव, ववष्णु मा भाॉ दग
ु ाा का स्भयण कयते
शब
ु हदशा:
हुवे हदन की शुरुवात कयें ।
व्मत्क्त के लरए नौकत्म कोण एवॊ ऩत्श् तभ हदशा
बोजन कयते सभम लसय ढक कय न यखें औय
अनुकूर होती हैं। व्मत्क्त के लरए क्रीभयॊ ग, नीरा,
दक्षऺण हदशा की ओय भुॊह कयके बोजन न कयें ।
लभधश्रत, खाकी, भकदाय, नीरेयॊग के वस्ि अनुकूर एवॊ
फकसी से दव्ु मावहाय न कयें ।
बाग्मशारी होते हैं।
>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
27 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
भॊि लसि दर
ु ब
ा साभग्री
कारी हल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751 हल्दी भारा - Rs- 280
धन ववृ ि हकीक सेट Rs-280 (कारी हल्दी के साथ Rs-550) तुरसी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
हकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नवयॊ गी हकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 हकीक भारा (सात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग केशय: 11 ग्राभ, Rs-145 भॊग
ू े की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पहटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
सपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 वैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुद्राऺ भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above ववधुत भारा - Rs- 190, 280
कालभमा लसॊदयू - Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भल्
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28 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
सवा कामा लसवि कव के साथ भें तंत्र यषा कव के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,
साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव के प्रबाव
से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं।
सवा कामा लसवि कव के साथ भें ळत्रु वलजम कव के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त
ऩये शातनओ से स्वत् ही छुटकाया लभर जाता हैं। कव के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का ाहकय
कुछ नही त्रफगाड़ सकते।
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31 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सहहत) रक्ष्भी दामक लसि फीसा मॊि श्री श्री मॊि (रलरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमैं श्री भहामॊि)
श्री मॊि (फीसा मॊि) रक्ष्भी दाता फीसा मॊि अॊकात्भक फीसा मॊि
श्री मॊि श्री सूक्त मॊि रक्ष्भी फीसा मॊि ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) रक्ष्भी गणेश मॊि धनदा मॊि > Shop Online | Order Now
उऩयोक्त सबी मॊिो को द्वादश भहा मॊि के रुऩ भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि ऩूणा
प्राणप्रततत्ष्ठत एवॊ ैतन्म मक्
ु त फकमे जाते हैं। त्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩज
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36 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो
जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस लरमे इसे सफसे
तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत
ृ से उत्तभ कोई औषधध नहीॊ, उसी प्रकाय
रक्ष्भी प्रात्प्त के लरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं।
इस प्रकाय के नवयत्न जडड़त श्री मॊि गरू
ु त्व कामाारम द्वाया शब
ु भह
ु ू ता भें प्राण प्रततत्ष्ठत
कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 4600, 5500, 6400 से 10,900 से अधधक
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अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।
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37 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
श्री हनुभान मॊि शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमद
ा े व ने ब्रह्भा जी के आदे श ऩय
हनुभान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि
का ऩूणा ऻान दॉ ग
ू ा। त्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि ववद्या भें इन्हें भहायत हालसर होगी
औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुसाय हनुभान मॊि की आयाधना से ऩुरुषों की
ववलबन्न फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत
ु शत्क्त सभाहहत होने के कायण व्मत्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग,
यक्त दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माहद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें अत्मन्त राबकायी हैं। अथाात
मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हैं। श्री हनुभान मॊि व्मत्क्त को सॊकट, वाद-वववाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, ववषबम, ोय
बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माहद से सॊकटो से यऺा कयता हैं औय लसवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं।
श्री हनुभान मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।
भूल्म Rs- 910 वे 12700 तक
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38 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
ऻान दाता भहा मॊि रग्न ववर्घन तनवायक मॊि कुदृत्ष्ट नाशक मॊि
कामा कल्ऩ मॊि रग्न मोग मॊि श्री शिु ऩयाबव मॊि
दीधाामु अभत
ृ तत्व सॊजीवनी मॊि दरयद्रता ववनाशक मॊि शिु दभनाणाव ऩज
ू न मॊि
मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें । >> Shop Online | Order Now
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40 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
14 फध
ु कातताक शक्
ु र सप्तभी - श्रवण .... गॊड 16:21 गय 18:03 भकय -
7 ततधथ
सप्तभी-
15 गरु
ु कातताक शक्
ु र ववृ ि श्रवण 08:44 ववृ ि 17:21 वणणज 07:24 भकय 22:18
अष्टभी
07:24
16 शक्र
ु कातताक शक्
ु र अष्टभी 10:00 धतनष्ठा 11:45 ध्रुव 18:11 फव 10:00 कॊु ब -
वयदववनामक तथ
ु ॉ व्रत ( ॊद्र.अस्त 19:43 फजे), सूमष
ा ष्ठी व्रत
11 यवव कातताक शक्
ु र तथ
ु ॉ 23:58
प्रायम्ब, छठऩूजा शुरू-नहाम खाम (त्रफहा., झाय,)
16 शक्र
ु कातताक शक्
ु र अष्टभी 10:00 सूमा वत्ृ श् क सॊक्राॊतत 18:38 फजे से,
यालश यत्न
भेष यालश: वष
ृ ब यालश: लभथन
ु यालश: कका यालश: लसॊह यालश: कन्मा यालश:
भग
ॊू ा हीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना
तुरा यालश: वत्ृ श् क यालश: धनु यालश: भकय यालश: कॊु ब यालश: भीन यालश:
हीया भग
ूॊ ा ऩख
ु याज नीरभ नीरभ ऩख
ु याज
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श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के साथ व्मत्क्तको दृढ़ इ्छा शत्क्त एवॊ उजाा प्रततत्ष्ठत ऩूणा त
ै न्म मुक्त कयके
प्राप्त होती हैं, त्जस्से व्मत्क्त हभेशा एक बीड भें हभेशा आकषाण का केंद्र तनभााण फकमा जाता हैं। त्जस के
पर स्वरुऩ धायण कयता व्मत्क्त
यहता हैं।
को शीघ्र ऩूणा राब प्राप्त होता हैं।
महद फकसी व्मत्क्त को अऩनी प्रततबा व आत्भववश्वास के स्तय भें
कव को गरे भें धायण कयने से
ववृ ि, अऩने लभिो व ऩरयवायजनो के त्रफ भें रयश्तो भें सुधाय कयने की
वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता हैं।
ई्छा होती हैं उनके लरमे श्रीकृष्ण फीवा मंत्र का ऩूजन एक सयर व सुरब
गरे भें धायण कयने से कव
भाध्मभ सात्रफत हो सकता हैं।
हभेशा रृदम के ऩास यहता हैं त्जस्से
श्रीकृष्ण फीवा मंत्र ऩय अॊफकत शत्क्तशारी ववशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ
व्मत्क्त ऩय उसका राब अतत तीव्र
अॊको से व्मत्क्त को अद्द्भत
ु आॊतरयक शत्क्तमाॊ प्राप्त होती हैं जो व्मत्क्त एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हैं।
को सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भें अग्रणणम फनाने भें सहामक लसि होती हैं।
भर
ू म भात्र: 2350 >>Order Now
श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के ऩूजन व तनमलभत दशान के भाध्मभ से बगवान
श्रीकृष्ण का आशीवााद प्राप्त कय सभाज भें स्वमॊ का अद्ववतीम स्थान स्थावऩत कयें ।
श्रीकृष्ण फीवा मंत्र अरौफकक ब्रह्भाॊडीम उजाा का सॊ ाय कयता हैं, जो एक प्राकृत्त्त भाध्मभ से व्मत्क्त के बीतय
सद्दबावना, सभवृ ि, सपरता, उत्तभ स्वास्र्थम, मोग औय ध्मान के लरमे एक शत्क्तशारी भाध्मभ हैं!
श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के ऩूजन से व्मत्क्त के साभात्जक भान-सम्भान व ऩद-प्रततष्ठा भें ववृ ि होती हैं।
ववद्वानो के भतानुसाय श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग केंहद्रत कयने से व्मत्क्त फक ेतना शत्क्त जाग्रत
होकय शीघ्र उ् स्तय को प्राप्तहोती हैं।
जो ऩुरुषों औय भहहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना ाहते हैं औय उन्हें अऩनी औय आकवषात कयना ाहते
हैं। उनके लरमे श्रीकृष्ण फीवा मंत्र उत्तभ उऩाम लसि हो सकता हैं।
ऩतत-ऩत्नी भें आऩसी प्रभ की ववृ ि औय सख
ु ी दाम्ऩत्म जीवन के लरमे श्रीकृष्ण फीवा मंत्र राबदामी होता हैं।
भल्
ू म:- Rs. 910 से Rs. 12700 तक उप्रब्ि >> Shop Online
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43 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
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44 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
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46 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
वलघ्नकायक बद्रा
प्रात् 10:54 से यात 11:44 तक प्रात् 07:04 से यात 08:24 तक
11 15
(ऩातार) (ऩर्थ
ृ वी)
मोग पर :
कामा लसवि मोग भे फकमे गमे शब
ु कामा भे तनत्श् त सपरता प्राप्त होती हैं, एसा शास्िोक्त व न हैं।
त्रिऩष्ु कय मोग भें फकमे गमे शब
ु कामो का राब तीन गन
ु ा होता हैं। एसा शास्िोक्त व न हैं।
शास्िोंक्त भत से ववर्घनकायक बद्रा मोग भें शब
ु कामा कयना वत्जात हैं।
दै तनक शब
ु एवॊ अशब
ु सभम ऻान तालरका
गुलरक कार (शुब) मभ कार (अशुब) याहु कार (अशुब)
वाय सभम अवधध सभम अवधध सभम अवधध
यवववाय 03:00 से 04:30 12:00 से 01:30 04:30 से 06:00
सोभवाय 01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00
भॊगरवाय 12:00 से 01:30 09:00 से 10:30 03:00 से 04:30
फुधवाय 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
गरु
ु वाय 09:00 से 10:30 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00
शक्र
ु वाय 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30 10:30 से 12:00
शतनवाय 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00 09:00 से 10:30
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47 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
हदन के ौघडडमे
सभम यवववाय सोभवाय भॊगरवाय फध
ु वाय गरु
ु वाय शक्र
ु वाय शतनवाय
यात के ौघडडमे
सभम यवववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शतनवाय
शास्िोक्त भत के अनस
ु ाय महद फकसी बी कामा का प्रायॊ ब शब
ु भह
ु ू ता मा शब
ु सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भें
सपरता प्राप्त होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हैं। इस लरमे दै तनक शब
ु सभम ौघडड़मा दे खकय प्राप्त फकमा जा
सकता हैं।
नोट: प्राम् हदन औय यात्रि के ौघडड़मे फक धगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हैं। प्रत्मेक ौघडड़मे फक अवधध
1 घॊटा 30 लभतनट अथाात डेढ़ घॊटा होती हैं। सभम के अनुसाय ौघडड़मे को शुबाशुब तीन बागों भें फाॊटा जाता हैं, जो क्रभश्
शुब, भध्मभ औय अशुब हैं।
यवववाय सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन
सोभवाय ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा
भॊगरवाय भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र
फध
ु वाय फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर
गरु
ु वाय गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु
शक्र
ु वाय शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु
ु
शतनवाय शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु
यात फक होया – सम
ू ाास्त से सम
ू ोदम तक
यवववाय गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु
सोभवाय शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु
भॊगरवाय शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु
फध
ु वाय सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन
गरु
ु वाय ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा
शक्र
ु वाय भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र
शतनवाय फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर
होया भह
ु ू ता को कामा लसवि के लरए ऩण
ू ा परदामक एवॊ अ क
ू भाना जाता हैं, हदन-यात के २४ घॊटों भें शब
ु -अशब
ु
सभम को सभम से ऩव
ू ा ऻात कय अऩने कामा लसवि के लरए प्रमोग कयना ाहहमे।
द्र
ॊ भा फक होया सबी कामों के लरमे उत्तभ होती हैं।
गुरु फक होया धालभाक कामा एवॊ वववाह के लरमे उत्तभ होती हैं।
कलच के राब :
एसा शास्िोक्त व न हैं त्जस घय भें भहाभत्ृ मॊुजम मॊि स्थावऩत होता हैं वहा तनवास कताा हो नाना
प्रकाय फक आधध-व्माधध-उऩाधध से यऺा होती हैं।
ऩण
ू ा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण
ू ा ैतन्म मक्
ु त सवा योग तनवायण कव फकसी बी उम्र एवॊ जातत धभा के
रोग ाहे स्िी हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हैं।
जन्भाॊगभें अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रततकूरता से योग उतऩन्न होते हैं।
कुछ योग सॊक्रभण से होते हैं एवॊ कुछ योग खान-ऩान फक अतनमलभतता औय अशुितासे उत्ऩन्न होते हैं।
कव एवॊ मॊि द्वाया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्वास्र्थम राब औय शायीरयक यऺण
प्राप्त कयने हे तु सवा योगनाशक कव एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हैं।
आज के बौततकता वादी आधुतनक मुगभे अनेक एसे योग होते हैं, त्जसका उऩ ाय ओऩये शन औय दवासे
बी कहठन हो जाता हैं। कुछ योग एसे होते हैं त्जसे फताने भें रोग हह फक ाते हैं शयभ अनुबव कयते हैं
एसे योगो को योकने हे तु एवॊ उसके उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव एवॊ मॊि राबादातम लसि होता हैं।
प्रत्मेक व्मत्क्त फक जेसे-जेसे आमु फढती हैं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हैं। त्जसके
साथ अनेक प्रकाय के ववकाय ऩैदा होने रगते हैं एसी त्स्थती भें उऩ ाय हे तु सवायोगनाशक कव एवॊ
मॊि परप्रद होता हैं।
त्जस घय भें वऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक हह नऺिभे जन्भ रेते हैं, तफ उसकी
भाता के लरमे अधधक कष्टदामक त्स्थती होती हैं। उऩ ाय हे तु भहाभत्ृ मॊुजम मॊि परप्रद होता हैं।
त्जस व्मत्क्त का जन्भ ऩरयधध मोगभे होता हैं उन्हे होने वारे भत्ृ मु तुल्म कष्ट एवॊ होने वारे योग,
ध त
ॊ ा भें उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हैं।
नोट:- ऩूणा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त सवा योग तनवायण कव एवॊ मॊि के फाये भें अधधक
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Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
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types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your
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51 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
उऩयोक्त कव के अरावा अन्म सभस्मा ववशेष के सभाधान हे तु एवॊ उद्देश्म ऩतू ता हे तु कव का तनभााण फकमा जाता हैं। कव के ववषम भें
अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें । *कव भाि शब
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YANTRA LIST EFFECTS
Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -
Shastrokt Yantra
सू ना
ऩत्रिका भें प्रकालशत सबी रेख ऩत्रिका के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।
रेख प्रकालशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन वव ायो से सहभत हों।
ऩत्रिका भें प्रकालशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मत्क्त ववशेष मा फकसी बी स्थान मा
घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हैं।
प्रकालशत रेख ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण
महद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तववक जीवन से भेर होता हैं तो मह भाि
एक सॊमोग हैं।
प्रकालशत सबी रेख बायततम आध्मात्त्भक शास्िों से प्रेरयत होकय लरमे जाते हैं। इस कायण इन ववषमो फक
सत्मता अथवा प्राभाणणकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।
अन्म रेखको द्वाया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव फक त्जन्भेदायी कामाारम मा
सॊऩादक फक नहीॊ हैं। औय नाहीॊ रेखक के ऩते हठकाने के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक
फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।
ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्त,ु भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भें ऩाठक का अऩना
ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना
कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।
हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय लरखे होते हैं। हभ फकसी बी
व्मत्क्त ववशेष द्वारा प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नहहॊ रेते हैं।
मह त्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन ववषमो भें
नैततक भानदॊ डों, साभात्जक, कानन
ू ी तनमभों के णखराप कोई व्मत्क्त महद नीजी स्वाथा ऩतू ता हे तु प्रमोग कताा हैं
अथवा प्रमोग के कयने भे िहु ट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं।
हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग फकमे
हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्वारा तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।
ऩाठकों फक भाॊग ऩय एक हह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का अधधकाय यखता हैं। ऩाठकों को एक रेख के
ऩून् प्रकाशन से राब प्राप्त हो सकता हैं।
FREE
E CIRCULAR
गरु
ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक ई-ऩत्रिका
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सॊऩादक
ध त
ॊ न जोशी
सॊऩका
गरु
ु त्व ज्मोततष ववबाग
गरु
ु त्व कामाारम
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59 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018
हभाया उद्देश्म
वप्रम आत्त्भम
फॊधु/ फहहन
जम गरु
ु दे व
जहाॉ आधतु नक ववऻान सभाप्त हो जाता हैं। वहाॊ आध्मात्त्भक ऻान प्रायॊ ब
हो जाता हैं, बौततकता का आवयण ओढे व्मत्क्त जीवन भें हताशा औय तनयाशा भें
फॊध जाता हैं, औय उसे अऩने जीवन भें गततशीर होने के लरए भागा प्राप्त नहीॊ हो
ऩाता क्मोफक बावनाए हह बवसागय हैं, त्जसभे भनुष्म की सपरता औय
असपरता तनहहत हैं। उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेष्ठकय
सपरता हैं। सपरता को प्राप्त कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ अधधकाय हैं। ईसी
लरमे हभायी शब
ु काभना सदै व आऩ के साथ हैं। आऩ अऩने कामा-उद्देश्म एवॊ
अनक
ु ू रता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर
ु ब
ा भॊि शत्क्त से ऩण
ू ा प्राण-
प्रततत्ष्ठत ध ज वस्तु का हभें शा प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी लरमे
हभाया उद्देश्म महीॊ हे की शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वाया
लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण
ू ा ैतन्म मक्
ु त सबी प्रकाय के मन्ि- कव एवॊ शब
ु
परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहो ाने का हैं।
सूमा की फकयणे उस घय भें प्रवेश कयाऩाती हैं।
जीस घय के णखड़की दयवाजे खुरे हों।
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