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गुरुत्व कामाारम द्वारा प्रस्तुत... 11 नलम्फय वे 17 नलम्फय 2018

Nonprofit Publications .

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E CIRCULAR
गुरुत्व ज्मोततष
साप्ताहहक ई-ऩत्रिका
गरु
ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक
11 नवम्फय से
ई-ऩत्रिका भें रेखन हे तु
17 नवम्फय 2018
सॊऩादक फ्रीराॊस (स्वतॊि) रेखकों का
ध त
ॊ न जोशी
सॊऩका
गुरुत्व ज्मोततष ववबाग
स्वागत हैं... 
गुरुत्व कामाारम
92/3. BANK COLONY,
BRAHMESHWAR PATNA, गरु
ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक
BHUBNESWAR-751018,
(ODISHA) INDIA
ई-ऩत्रिका भें आऩके द्वारा लरखे
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91+9338213418,
गमे भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोततष, अॊक
91+9238328785, ज्मोततष, वास्तु, पेंगशुई, टै यों, ये की
ईभेर
gurutva.karyalay@gmail.com, एवॊ अन्म आध्मात्त्भक ऻान वधाक
रेख को प्रकालशत कयने हे तु बेज
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ऩत्रिका प्रस्तुतत BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA
ध त
ॊ न जोशी, Call Us: 91 + 9338213418,
गरु
ु त्व कामाारम 91 + 9238328785
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ॊ न जोशी, gurutva.karyalay@gmail.com
गरु
ु त्व कामाारम
अनुक्रभ
सम
ू ा उऩासना का अद्भत
ु ऩवा सम
ू ा षष्ठी 6 यत्नों का अद्भत
ु यहस्म ऩन्ना 18

हय कष्ट दयू होते हैं हनभ


ु ान ारीसा औय प्रकृतत की अरौफकक दे न रुद्राऺ धायण
10 20
फजयॊ ग फाण के ऩाठ से कयने से राब (तीन भख
ु ी - ाय भख
ु ी)

वास्तु: भानलसक अशाॊतत तनवायण उऩाम 12 वणाभारा के अनस


ु ाय स्वप्न पर वव ाय 22

अॊक ज्मोततष का यहस्म- भर


ू ाॊक 4
जऩ भारा का भहत्व 13 24
स्वाभी याहु

अॊग पड़कने से शक
ु न अऩशक
ु न 17

स्थामी औय अन्म रेख


सॊऩादकीम 4 दै तनक शब
ु एवॊ अशब
ु सभम ऻान तालरका 46

11 नवम्फय-17 नवम्फय 2018 साप्ताहहक ऩॊ ाॊग 40 हदन के ौघडडमे 46

11 - 17 नवम्फय 2018 साप्ताहहक व्रत-ऩवा.. 40 हदन फक होया - सम


ू ोदम से सम
ू ाास्त तक 48

कामा लसवि मोग 78

ई- जन्भ ऩत्रिका E HOROSCOPE


अत्माधुतनक ज्मोततष ऩितत द्वाया Create By Advanced
उत्कृष्ट बववष्मवाणी के साथ Astrology
Excellent Prediction
१००+ ऩेज भें प्रस्तत
ु 100+ Pages
हहॊदी/ English भें भूल्म भाि 910/- Limited time offer 450 Only
GURUTVA KARYALAY
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वप्रम आत्त्भम,

फॊध/ु फहहन

जम गुरुदे व
हहन्द ू सॊस्कृतत भें कातताक शुक्र षष्ठी की ततधथ को छठ ऩवा, सूमा षष्ठी ऩूजा के रुऩ भें भनामा
जाता है । बायत के ववलबन्न प्राॊत भें भें ऩुयातन कार से ही सूमा उऩासना का मह अद्भत
ु ऩवा अत्मॊत रोकवप्रम
यहा हैं। क्मोफक हभाये ववद्वान ऋवष-भुतनमों ने हजायों वषा ऩहरे मह ऻात कय लरमा था की, सूमा जड़- ेतन
सबी जीव-जॊतु, ऩेड़-ऩौधे के लरए जीवन मा उजाा का प्रभुख स्िोत है । बायतीम के अरावा ववश्व की अन्म
ऩुयातन ववकलसत सॊस्कृततमाॊ बी ववलबन्न भाध्मभ से सूमा की ऩूजा-अ न
ा ा मा अन्म उऩामों से सूमा के प्रतत
अऩनी कृतऻता ववलबन्न भाध्मभ से प्रकट कयते आमे हैं।
ऩौयाणणक भान्मता है फक सूमा की उजाा का भुख्म स्रोत उनकी ऩत्नीमाॊ उषा औय प्रत्मूषा हैं। इस लरए
छठ ऩूजा भें सूमा के साथ उनकी दोनों ऩत्त्नमों की बी आयाधना होती है । इस लरए प्रात: कार भें सूमोदम
कार भें सूमा के साथ उषा का औय सॊध्माकार भें सूमाास्त के सभम भें प्रत्मूषा को अर्घमा दे कय दो ऩत्नीमों का
बी ऩूजन फकमा जाता है । सूमा को सभवऩात इस छठ ऩवा के ऩूजन हे तु साऺात बगवान सूमन
ा ायामण की
उऩासना से व्रतकताा को सुख-शॊतत, सभवृ ि एवॊ भनोवाॊतछत काभनाओॊ की ऩूतता हे तु काभना की जाती हैं। सूमा
षष्ठी के हदन सॊध्मा भें श्रिारु फकसी ऩववि नदी-ताराफ के फकनाये नदी भें स्नान कय बीगे वस्िों भें डूफते
सयू ज को अर्घमा दे ते हैं। फपय अगरे हदन उगते सम
ू ा को अर्घमा दे ने के साथ ही छठ की ऩज
ू ा सॊऩन्न भानी जाती
है । सूमा षष्ठी व्रत से सॊफॊधधत ववलबन्न कथाएॊ प्र लरत हैं, ऩाठको की जानकायी हे तु इस अॊक भें हभनें कुछ
ववशेष कथाओॊ को सॊकलरत कयने का प्रमास फकमा है ।
ऩौयाणणक कथा के अनस ु ाय, बगवान के ऩि
ु साम्फ(शाम्फ) हुए । वह कुष्ठ योगी हो गमा था।
साम्फ(शाम्फ) ने कुष्ठ से भुत्क्त के लरए बगवान सूमा की जगहों ऩय 12 सम ू ा उऩासना के तीथों औय उसके
तनकट ताराफ का तनभााण कयामा था। साम्फ(शाम्फ) इन्हीॊ तीथों भें ऩूजा अ न
ा ा कय व उससे रगे ताराफ भें
स्नान कय कुष्ठ योग से भुक्त हुआ था। आज बी छठ भहाऩवा स्नान कय कुष्ठ योग दयू होता है । ाय हदनों
का भहाऩवा ाय हदनों तक रने वारा मह भहाऩवा फेहद आस्था, तनष्ठा व ऩवविता के साथ भनामा जाता है ।
इस साप्ताहहक ई-ऩत्रिका भें सॊफॊधधत जानकायीमों के ववषम भें साधक एवॊ ववद्वान ऩाठको से अनयु ोध हैं,
महद दशाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, साधना एवॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाव इत्मादी के सॊकरन,
प्रभाण ऩढ़ने, सॊऩादन भें , डडजाईन भें , टाईऩीॊग भें , वप्रॊहटॊग भें , प्रकाशन भें कोई िुहट यह गई हो, तो उसे स्वमॊ
सुधाय रें मा फकसी मोग्म ज्मोततषी, गुरु मा ववद्वान से सराह ववभशा कय रे । क्मोफक ववद्वान ज्मोततषी, गुरुजनो
एवॊ साधको के तनजी अनुबव ववलबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, साधना, उऩाम के प्रबावों का वणान कयने भें बेद होने ऩय
काभना लसवि हे तु फक जाने वारी वारी ऩूजन ववधध एवॊ उसके प्रबावों भें लबन्नता सॊबव हैं।

आऩका जीवन सुखभम, भॊगरभम हो ऩयभात्भा की कृऩा


आऩके ऩरयवाय ऩय फनी यहे । ऩयभात्भा से मही प्राथना हैं…

ध त
ॊ न जोशी
5 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

***** साप्ताहहक ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत सू ना *****


 ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत सबी रेख गुरुत्व कामाारम के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।
 ई-ऩत्रिका भें वणणात रेखों को नात्स्तक/अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।
 ई-ऩत्रिका के रेख आध्मात्भ से सॊफॊधधत होने के कायण बायततम धभा शास्िों से प्रेरयत होकय प्रस्तुत
फकमा गमा हैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत रेख से सॊफॊधधत फकसी बी ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभाणणकता ऩय फकसी
बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।
 ई-ऩत्रिका भें प्रकालशत जानकायीकी प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की
नहीॊ हैं औय ना हीॊ प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम
मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।
 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत रेखो भें ऩाठक का अऩना ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त
ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का
होगा।
 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत फकसी बी प्रकाय की आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।
 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत रेख हभाये वषो के अनब
ु व एवॊ अनश
ु ध
ॊ ान के आधाय ऩय हदए गमे हैं। हभ
फकसी बी व्मत्क्त ववशेष द्वाया प्रमोग फकमे जाने वारे धालभाक, एवॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा
उऩामोकी त्जन्भेदायी नहहॊ रेते हैं। मह त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त
फक स्वमॊ फक होगी।
 क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊ डों, साभात्जक, कानूनी तनमभों के णखराप कोई व्मत्क्त महद
नीजी स्वाथा ऩूतता हे तु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िुहट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ
सॊबव हैं।
 ई-ऩत्रिका से सॊफॊधधत जानकायी को भाननने से प्राप्त होने वारे राब, राब की हानी मा हानी की
त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक की नहीॊ हैं।
 हभाये द्वाया ऩोस्ट फकमे गमे सबी जानकायी एवॊ भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ
अन्म हभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग फकमे हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा कव , भॊि-मॊि मा उऩामो द्वाया
तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।
 ई-ऩत्रिका भें गरु
ु त्व कामाारम द्वाया प्रकालशत सबी उत्ऩादों को केवर ऩाठको की जानकायी हे तु हदमा
गमा हैं, कामाारम फकसी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयने हे तु फकसी बी प्रकाय से फाध्म
नहीॊ कयता हैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कहीॊ से बी क्रम कयने हे तु ऩूणत
ा ् स्वतॊि हैं।

अधधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं।


(सबी वववादो केलरमे केवर बुवनेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
6 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सूमा उऩासना का अद्भत


ु ऩवा सूमा षष्ठी
 सॊकरन गरुु त्व कामाारम
बायतीम सॊस्कृतत भें कातताक शुक्र षष्ठी की सूमा को सभवऩात इस छठ ऩवा के ऩूजन हे तु
ततधथ को छठ ऩवा, सूमा षष्ठी ऩूजा के रुऩ भें भनामा साऺात बगवान सूमन
ा ायामण की उऩासना से व्रतकताा को
जाता है । बायत के ववलबन्न प्राॊत भें भें ऩुयातन कार से सुख-शॊतत, सभवृ ि एवॊ भनोवाॊतछत काभनाओॊ की ऩूतता
ही सूमा उऩासना का मह अद्भत
ु ऩवा अत्मॊत रोकवप्रम यहा हे तु काभना की जाती हैं।
हैं। क्मोफक हभाये ववद्वान ऋवष-भुतनमों ने हजायों वषा सूमा षष्ठी के हदन सॊध्मा भें श्रिारु फकसी ऩववि
ऩहरे मह ऻात कय लरमा था की, सूमा जड़- त
े न सबी नदी-ताराफ के फकनाये नदी भें स्नान कय बीगे वस्िों भें
जीव-जॊत,ु ऩेड़-ऩौधे के लरए जीवन मा उजाा का प्रभुख डूफते सूयज को अर्घमा दे ते हैं। फपय अगरे हदन उगते सूमा
स्िोत है । बायतीम के अरावा ववश्व की अन्म ऩुयातन को अर्घमा दे ने के साथ ही छठ की ऩूजा सॊऩन्न भानी
ववकलसत सॊस्कृततमाॊ बी ववलबन्न भाध्मभ से सूमा की जाती है ।
ऩूजा-अ न
ा ा मा अन्म उऩामों से सूमा के प्रतत अऩनी
कृतऻता ववलबन्न भाध्मभ से प्रकट कयते आमे हैं। बगवान याभ से जुड़ी ऩौयाणणक कथा
ऩौयाणणक भान्मता है फक सूमा की उजाा का भुख्म एसी भान्मता है फक ौदह वषों के वनवास के
स्रोत उनकी ऩत्नीमाॊ उषा औय प्रत्मष
ू ा हैं। इस लरए छठ ऩश् ात बगवान याभ, सीता औय रक्ष्भण के साथ
ऩज
ू ा भें सम
ू ा के साथ उनकी दोनों ऩत्त्नमों की बी कातताक अभावस्मा के हदन अमोध्मा रौटे थे इस लरए
आयाधना होती है । इस लरए प्रात: कार भें सम
ू ोदम कार इस हदन दीऩावरी भनाई जाती है । बगवान याभ के
भें सम
ू ा के साथ उषा का औय सॊध्माकार भें सम
ू ाास्त के वाऩस आने की खस
ु ी भें उनके याज्म भें घी के हदमे
सभम भें प्रत्मष
ू ा को अर्घमा दे कय दो ऩत्नीमों का बी जराए गए थे। बगवान याभ के याज्मालबषेक के फाद,
ऩज
ू न फकमा जाता है । याभ याज्म की कल्ऩना कयके याभजी औय सीताजी ने

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ई- जन्भ ऩत्रिका (एडवाॊस्ड)
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ऩेज भें प्रस्तुत
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7 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

कातताक शुक्र षष्ठी के हदन व्रत-उऩवास यखकय सूमा की ऩाॊडव से जुड़ी ऩौयाणणक कथा
आयाधना कयके सप्तभी के हदन व्रत ऩूणा फकमा था। एक अन्म भान्मता है फक जुए भें ऩाॊडव अऩना
सयमू तट ऩय याभ-सीता के इस अनुष्ठान से प्रसन्न याजम हाय कय जॊगर भें बटक यहे थे, इस सॊकट से
होकय बगवान सूमद
ा े व ने उन्हें आशीवााद हदमा था। भुत्क्त ऩाने के लरए स्वमॊ द्रौऩदी ने सूमद
ा े व की आयाधना
भान्मता हैं तफ से छठ ऩवा भनामा जा यहा है । कयते हुए छठ का व्रत फकमा था। सूमद
ा े व की प्रसन्नता
से ऩाॊडवों को आना खोमा याजम, भान-सम्भान, ऩद-
श्रीकृष्ण के ऩि
ु से जड़
ु ी ऩौयाणणक कथा
प्रततष्ठा सफ ऩुन् प्राप्त हुआ।
ऩौयाणणक कथा के अनुसाय, बगवान श्रीकृष्ण की आठवीॊ
ऩत्नी जाम्फवॊती से ऩुि साम्फ(शाम्फ) हुए । एक फाय भहवषा भनु के ऩि
ु से जुड़ी ऩौयाणणक कथा
साम्फ(शाम्फ) सफु ह की फेरा भें स्नान कय यहे थे, तबी एक अन्म कथा के अनुसाय भहवषा भनु के ऩुि
गॊगा ामा ऋवष की नजय साम्फ(शाम्फ) ऩय ऩड़ गई। मह
याजा वप्रमव्रत को वववाह के ऩश््मात अधधक सभम फीत
दे ख ऋवष गॊगा ामा आगफफर
ू ा हो गए औय शाम्फ को
जाने के फाद बी कोई सॊतान नहीॊ हुई, तो भहवषा कश्मऩ
कुष्ठ से ऩीडड़त होने का श्राऩ दे हदमा। त्जससे वह कुष्ठ
योगी हो गमा था। तफ नायद जी ने श्राऩ से भत्ु क्त के ने ऩुित्े ष्ट मऻ का आमोजन कयाकय उनकी ऩत्नी को

लरए उन्हें 12 स्थानों ऩय सम


ू ा भॊहदय की स्थाऩना कय प्रसाद हदमा। मऻ के प्रबाव व ऋवष के प्रसाद से यानी
सम
ू ा की उऩासना का उऩाम फतामा। दे ववषा नायद जी के को गबा ठहय गमा, रेफकन यानी ने एक भत
ृ ऩुि को
कथन से साम्फ(शाम्फ) ने कुष्ठ से भुत्क्त के लरए जन्भ हदमा, त्जसे दे खकय यानी उस ऺण ही भत्ू ्छा त हो
बगवान सूमा की उऩासना का सॊकर कय, 12 भाह भें
गईं। वप्रमव्रत ने बी प्राण त्मागने का तनश् म फकमा औय
12 जगहों ऩय 12 सूमा उऩासना के तीथों औय उसके
भत
ृ लशशु को रेकय श्भशान की हदशा भें तनकर गए।
तनकट ताराफ का तनभााण कयामा था। जो इस प्रकाय हैं
उसी सभम षष्ठी दे वी वहाॊ प्रकट हुईं। याजा ने भत

दे वाका, रोराका, उराका, कोणाका, ऩुवमाका, अॊजाका,
ऩॊडाका, वेदाका, भाकंडेमाका, दशानाका, फाराका व ाणका। लशशु को जभीन ऩय यखकय, दे वी को प्रणाभ फकमा। दे वी

साम्फ(शाम्फ) इन्हीॊ सूमा उऩासना केंद्रों भें ऩूजा अ न


ा ा ने याजा को षष्ठी व्रत कयने का उऩाम फतामा औय भत

कय व उससे रगे ताराफ भें स्नान कय कुष्ठ योग से लशशु को ऩुन् जीववत कय हदमा। याजा लशशु ऩुि को
भुक्त हुआ था। आज बी छठ भहाऩवा कयने वारों की रेकय घय वाऩस रौट गमे औय ववधध-ववधान से षष्ठी
आस्था है फक छठ भइमा के प्रताऩ से कुष्ठ योगी तनयोग
दे वी का ऩूजन फकमा।
हो जाता है । ाय हदनों का भहाऩवा ाय हदनों तक रने
वारा मह भहाऩवा फेहद आस्था, तनष्ठा व ऩवविता के स्कॊध से जुड़ी ऩौयाणणक कथा
साथ भनामा जाता है । एक अन्म कथा के अनस
ु ाय दे वी गॊगा ने एक स्कॊध

ववश्वालभि से जुड़ी ऩौयाणणक कथा फारक को जन्भ हदमा औय उसे सयकॊडे के वन भें यख

अन्म भान्मता के अनस हदमा। उसी वन भें छह कातताकाएॊ तनवास कयती थीॊ। उन
ु ाय कातताक शक्
ु र षष्ठी
के हदन सम
ू ाास्त एवॊ सप्तभी के हदन सम
ू ोदम के भध्म सफ छह कातताकाओॊ ने उस स्कॊध फारक का रारन-
बगवान सम ू ा की आयाधना कयते हुए ववश्वालभि के भख
ु ऩारन फकमा। मह स्कॊध फारक को छह कातताकाओॊ ने
से आकत्स्भक रुऩ से वेदभाता गामिी प्रकट हो गई थीॊ फड़ा फकमा मा मह फारक उन्हें कातताक के भाह भें लभरा
तबी से कातताक शुक्र षष्ठी की ततधथ को छठ ऩवा
था इस कायण उस स्कॊध फारक का नाभ आगे
भनामा जा यहा है ।
कातताकेम ऩड़ गमा। इसी कायण मे छह कातताकाएॊ,
8 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

कातताकेम की षष्ठ भाताएॊ (छठ भाता मा छठी भईमा ) नववववाहहत वधू ने वहाॊ अऩने ऩतत को ऩारकी भें भत

कही गईं। ऩौयाणणक ग्रॊथों भें मह व्रत स्कॊध षष्ठी के अवस्था भें ऩामा। उसे दे ख नववधू ववराऩ कयने रगी,
त्जसे सुनकय एक वि
ृ ा स्िी उसके ऩास आकय फोरी, भैं
नाभ से वणणात है ।
छठ भाता हूॊ। तुम्हायी सास सदै व भुझसे अऩनी काभना
कातताकेम से जुड़ी ऩौयाणणक कथा ऩूतता कयवाती यहीॊ है , रेफकन तुम्हायी सास ने सॊकल्ऩ
कयके बी कबी बी भेया ऩूजन-व्रत नहीॊ फकमा। रेफकन
एक अन्म कथा के अनस
ु ाय, असयु ों के ववनाश के लरए
तुम्हाया, ववराऩ दे खकय भें तम्हाये ऩतत को जीववत कय
दे वाताओॊ ने दे वी ऩावातीजी व बगवान शॊकयजी के ऩुि
दे ती हूॊ। तुभ घय जाकय अऩनी सास से इस ववषम भें
कातताकेमजी को अऩना सेनाऩतत तनधाारयत फकमा था।
फात कयना, उससे मह व्रत ववधध-ववधान से सॊऩन्न
दे वी ऩावाती ने अऩने ऩुि के ववजम प्रात्प्त की काभना कयाना। छठ भाता ने उसके ऩतत को जीववत कय हदमा।
हे तु डूफते हुए सूमा को अध्मा दे कय ऩूजन कय औय घय जाकय वधू ने अऩनी सास को सॊऩूणा घटना फताई,
तनजारा व्रत फकमा। कातताकेमजी के ववजमी होकय रौटने तो सास को अऩनी गरती का अहसास हुआ औय उसने

ऩय दे वी ऩावाती ने उदम होते सूमा को ववधध-ववधान से आगे से ववधध-ववधान से सूमा षष्ठी का व्रत कयने का
ऩुन् सॊकल्ऩ लरमा था।
अध्मा दे कय अऩना व्रत तोड़ा था।

सम
ू ा षष्ठी ऩवा का वैऻातनक भहत्व
वि
ृ ा के ऩि
ु से जुड़ी ऩौयाणणक कथा
ववद्वानों का कथन हैं की सूमा षष्ठी ऩवा की
सूमा षष्ठी व्रत की अन्म कथा एक वि
ृ ा की कोई
ऩयॊ ऩया भें फहुत ही गहया वैऻातनक भहत्व तछऩा है । एसा
सॊतान नहीॊ थी। कातताक शुक्र सप्तभी के हदन उसने
दे खा गमा है की षष्ठी ततधथ के आसऩास के हदनों भें
सॊकल्ऩ फकमा फक महद उसके महाॊ ऩुि होगा तो वह मह
एक ववशेष खगोरीम फदराव दे खे जाते है , इस दौयान
सूमा षष्ठी का व्रत कये गी। सूमा बगवान की कृऩा से उसे
सूयज की अल्रावाइरेट फकयणों की भािा साभान्म से
ऩुि की हो गमी, रेफकन वि
ृ ाने सूमा षष्ठी का व्रत नहीॊ
अधधक होती है । सूयज की अल्रावाइरेट फकयणों के
फकमा। रड़का फड़ा होगमा, उसकी वववाह मोग्म उम्र हो
कुप्रबावों से यऺण कयने का साभर्थमा इस सूमा षष्ठी ऩवा
गामी। वि
ृ ा ने रड़के का वववाह कयवा हदमा। एक फाय
की ऩयॊ ऩया भें है ।
वि
ृ ा रड़का ओय उसकी ऩत्नी घय रौटते सभम वय-वधू
ने एक जॊगर भें ववश्राभ के लरए रुक गमे । रेफकन ***

नवयत्न जडड़त श्री मॊि शास्ि व न के अनुसाय शुि सव


ु णा मा यजत भें तनलभात श्री मॊि के ायों औय महद
नवयत्न जड़वा ने ऩय मह नवयत्न जडड़त श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को उसके तनत्श् त स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट
के रूऩ भें धायण कयने से व्मत्क्त को अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रात्प्त होती हैं। व्मत्क्त को एसा आबास होता हैं
जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशब
ु दशा का धायण कयने वारे व्मत्क्त
ऩय प्रबाव नहीॊ होता हैं। गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो
जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस लरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदातम
कहजाता हैं। जैसे अभत
ृ से उत्तभ कोई औषधध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रात्प्त के लरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि
सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं। इस प्रकाय के नवयत्न जडड़त श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्वाया शुब भुहूता भें
प्राण प्रततत्ष्ठत कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 4600, 5500, 6400 से 10,900 से अधधक >> Order Now
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9 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सवा कामा लसवि कव


त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के
फादबी उसे भनोवाॊतछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें
लसवि (राब) प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा
लसवि कव अवश्म धायण कयना ाहहमे।
कलच के प्रभुख राब: सवा कामा लसवि कव के द्वारा
सख
ु सभवृ ि औय नल ग्रशों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय
धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र
का नाश हो कय सख
ु -सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय
जीवन भे सलब प्रकाय के शब
ु कामा लसि होते हैं। त्जसे धायण
कयने से व्मत्क्त महद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे ववृ ि
होतत हैं औय महद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं।

 सवा कामा लसवि कव के साथ भें वलवजन लळीकयण कव


के लभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस
ू ये
व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं।

 सवा कामा लसवि कव के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव के


लभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी
की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रक्ष्भी
के अष्ट रुऩ (१)-आहद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-
ववजम रक्ष्भी, (७)-ववद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं।

 सवा कामा लसवि कव के साथ भें तंत्र यषा कव के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,
साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव के प्रबाव
से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं।

 सवा कामा लसवि कव के साथ भें ळत्रु वलजम कव के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त
ऩये शातनओ से स्वत् ही छुटकाया लभर जाता हैं। कव के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का ाहकय
कुछ नही त्रफगाड़ सकते।

अन्म कव के फाये भे अधधक जानकायी के लरमे कामाारम भें सॊऩका कये :


फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा लसवि कव दे ने नही दे ना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सयु क्षऺत हैं।
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10 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

हय कष्ट दयू होते हैं हनभ


ु ान ारीसा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ से

 सॊकरन गरुु त्व कामाारम


आज हय व्मत्क्त अऩने जीवन भे सबी बौततक सुख
साधनो की प्रात्प्त के लरमे बौततकता की दौड भे बागते हुए
फकसी न फकसी सभस्मा से ग्रस्त है । एवॊ व्मत्क्त उस सभस्मा
से ग्रस्त होकय जीवन भें हताशा औय तनयाशा भें फॊध जाता है ।
व्मत्क्त उस सभस्मा से अतत सयरता एवॊ सहजता से भत्ु क्त
तो ाहता है ऩय मह सफ केसे होगा? उस की उध त जानकायी
के अबाव भें भक्
ु त हो नहीॊ ऩाते। औय उसे अऩने जीवन भें
आगे गततशीर होने के लरए भागा प्राप्त नहीॊ होता। एसे भे
सबी प्रकाय के दख
ु एवॊ कष्टों को दयू कयने के लरमे अ क
ु औय
उत्तभ उऩाम है हनुभान ारीसा औय फजयॊ ग फाण का ऩाठ।

शनभ
ु ान चारीवा औय फजयं ग फाण शी क्मु ? उऩमोगी जानकायी

क्मोफक वताभान मुग भें श्री हनुभानजी लशवजी के एक  हनभ


ु ान ारीसा औय फजयॊ ग फाण के तनमलभत ऩाठ से

एसे अवताय है जो अतत शीघ्र प्रसन्न होते है जो अऩने बक्तो हनभ


ु ान जी की कृऩा प्राप्त कयना ाहते हैं उनके लरए

के सभस्त दख
ु ो को हयने भे सभथा है । श्री हनुभानजी का नाभ प्रस्तत
ु हैं कुछ उऩमोगी जानकायी ..
स्भयण कयने भाि से ही बक्तो के साये सॊकट दयू हो जाते हैं।  तनमलभत योज सुबह स्नान आहदसे तनवत
ृ होकय स्व्छ
क्मोफक इनकी ऩूजा-अ न
ा ा अतत सयर है, इसी कायण श्री कऩडे ऩहन कय ही ऩाठ का प्रायम्ब कये ।
हनुभानजी जन साधायण भे अत्मॊत रोकवप्रम है । इनके भॊहदय  तनमलभत ऩाठ भें शुिता एवॊ ऩवविता अतनवामा है ।
दे श-ववदे श सवि त्स्थत हैं। अत् बक्तों को ऩहुॊ ने भें
 हनभ
ु ान ारीसा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ कयते सभम
अत्माधधक कहठनाई बी नहीॊ आती है । हनुभानजी को प्रसन्न
धऩ
ू -दीऩ अवश्म रगामे इस्से भत्कायी एवॊ शीघ्र प्रबाव
कयना अतत सयर है
प्राप्त होता है ।
हनुभान ारीसा औय फजयॊ ग फाण के ऩाठ के भाध्मभ
 दीऩ सॊबव न होतो केवर ३ अगयफत्ती जराकय ही ऩाठ
से साधायण व्मत्क्त बी त्रफना फकसी ववशेष ऩज
ू ा अ न
ा ा से
कये ।
अऩनी दै तनक हदन माा से थोडा सा सभम तनकार रे तो
उसकी सभस्त ऩये शानी से भत्ु क्त लभर जाती है ।  कुछ ववद्वानो के भत से त्रफना धऩ
ू से हनुभान ारीसा औय
फजयॊ ग फाण के ऩाठ प्रबाव हहन होता है ।

 महद सॊबव हो तो प्रसाद केवर शि


ु घी का ढाए अन्म था
“मश नातो वनु न वन
ु ाइ फात शै ना ककवी ककताफ भे
न ढाए
लरखी फात शै , मश स्लमं शभाया ननजी एलं शभाये वाथ
 जहा तक सॊबव हो हनुभान जी का लसर्ा ध ि (पोटो) यखे।
जुडे रोगो के अनब
ु त शै ।”
11 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

 महद घय भे अरग से ऩूजा घय की व्मवस्था हो तो प्रत्मऺ दे खा है ।


वास्तुशास्ि के हहसाफ से भूतता यखना शुब होगा। नही तो  एसा प्रमोग कयने वारो से हभाय ववनम्र अनुयोध है कृप्मा
हनुभान जी का लसर्ा ध ि (पोटो) यखे। मह ऩाठ नकये ।
 महद भूतता हो तो ज्मद फडी न हो एवॊ लभट्टी फक फनी नही  सभस्त दे व शत्क्त मा इश्वयीम शत्क्त का प्रमोग केवर
यखे। शब
ु कामा उद्देश्म की ऩतू ता के लरमे मा जन कल्माण हे तु
 भतू ता यखना ाहे तो फेहतय है लसर्ा फकसी धातु मा ऩत्थय कये ।

की फनी भतू ता यखे।  ज्मादातय दे खा गमा है की १ से अधधक फाय ऩाठ कयने के

 हनुभान जी का पोटो/ भूतता ऩय सुखा लसॊदयू रगाना उद्देश्म से सभम के अबाव भे जल्द से जल्द ऩाठ कने भे

ाहहए। रोग गरत उ् ायण कयते है । जो अन उध त है ।

 तनमलभत ऩाठ ऩूणा आस्था, श्रिा औय सेवा बाव से की  सभम के अबाव हो तो ज्मादा ऩाठ कयने फक अऩेऺा एक

जानी ाहहए। उसभे फकसी बी तयह की सॊका मा सॊदेह न ही ऩठ कये ऩय ऩूणा तनष्ठा औय श्रिा से कये ।

यखे।  ऩाठ से ग्रहों का अशब


ु त्व ऩण
ू ा रूऩ से शाॊत हो जाता है ।
 लसर्ा दे व शत्क्त की आजभाइस के लरमे मह ऩाठ न कये । महद जीवन भे ऩये शानीमाॊ औय शिु घेये हुए है एवॊ आगे कोइ

 मा फकसी को हातन, नुक्सान मा कष्ट दे ने के उद्देश्म से यास्ता मा उऩाम नहीॊ सुझ यहा तो डये नही तनमलभत ऩाठ कये

कोइ ऩूजा ऩाठ नकये । आऩके साये दख


ु -ऩये शानीमाॊ दयू होजामेगी अऩनी आस्था एवॊ
ववश्वास फनामे यखे।
 एसा कयने ऩय दे व शत्क्त मा इश्वयीम शत्क्त फुया प्रबाव
डारती है मा अऩना कोइ प्रबाग नहह हदखाती! एसा हभने ***

भॊि लसि स्पहटक श्री मॊि


"श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त शुब
र्रदमी मॊि है । जो न केवर दस
ू ये मन्िो से अधधक से अधधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय व्मत्क्त के लरए
पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩूणा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त के घय भे होता है उसके
लरमे "श्री मॊि" अत्मन्त र्रदामी लसि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब एवॊ सख
ु की प्रात्प्त होतत है । "श्री
मॊि" भे सभाई अद्ववतीम एवॊ अद्रश्म शत्क्त भनुष्म की सभस्त शुब इ्छाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होतत है । त्जस्से
उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनष्ु म असर्रता से सर्रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता
है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सुखो फक प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-
फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा
व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩये शातन भे न्मुनता आतत है व सुख-सभवृ ि,
शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त होती है ।
गुरुत्ल कामावरम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उप्रब्ध है
.

भल्
ू म:- प्रनत ग्राभ Rs. 28 वे Rs.100 >>Order Now
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12 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

वास्तु: भानलसक अशाॊतत तनवायण उऩाम


 सॊकरन गरुु त्व कामाारम
आज की बागदौड़ से बयी त्जॊदगी भैं हय व्मत्क्त अऩने काभ भें व्मस्त हैं। त्जस कायण से अधधकतय रोग
भानलसक शाॊतत से ग्रस्त होते है । व्मस्ता एवॊ बौततकता से बयी हदन ामाा भें व्मत्क्त के ऩास अऩने स्वमॊ के लरए
बी वक्त ही नहीॊ होता है। महद आऩ इस तयह की ऩये शानी से ग्रस्त हैं औय आऩ भानलसक कष्ट तनाव इत्मादी से
भुत्क्त ाहते हैं, तो इस वास्तु सुझावो को जीवन भें अवश्म आजभाकय दे ख रे आऩको तनत्श् त राब प्राप्त होगा।
* अऩने शमन कऺ भें यात भें झूठे फतान न यखें। सोने से ऩूवा फतानो को साप कयरे। इससे स्िी वगा का स्वास्र्थम
प्रबाववत होता हैं व धन का अबाव फना यहता हैं।
* भानलसक तनाव हो, जाए तो कभये भें शि
ु घी का दीऩक जरा कय
यखें।
* शमन कऺ भें झाड़ू इत्माहद सपाई की साभग्री न यखें। इससे व्मथा
की ध त
ॊ ा यहे गी।
* महद भानलसक तनाव अधधक हो जाएॊ तो, तफकए के नी े रार द
ॊ न
यखकय सोएॊ राब प्राप्त होगा।
* सफ
ु ह-सॊध्मा ऩज
ू न भें घी औय कऩयू का हदऩ अवश्म जरामे। त्जससे
तनवास स्थान मा व्मवसातमक स्थानो से नकायात्भक उजाा दयू होती हैं।
* शास्िोक्त तनमभो के अनुशाय सॊध्मा सभम अथाात धऩ
ू -हदऩ के सभम
सोना, खाना, स्नान कयना वत्जात भाना गमा हैं। अत् इन कामो को
कयने से त्मागदे ।
* सॊध्मा सभम अथाात धऩ
ू -हदऩ के सभम हाथ-ऩैय धो सकते हैं।
* धऩ
ू -हदऩ के सभम अऩने तनवास स्थान मा व्मवसातमक स्थानो ऩय सुगॊधधत व ऩववि अगयफत्त्त, धऩ
ु इत्माहद
अवश्म कयें ।
* अऩने शमन कऺ भें यात भें झूठे फतान न यखें। सोने से ऩूवा फतानो को साप कयरे। इससे स्िी वगा का स्वास्र्थम
प्रबाववत होता हैं व धन का अबाव फना यहता हैं।
* भानलसक तनाव हो, जाए तो कभये भें शुि घी का दीऩक जरा कय यखें ।
* शमन कऺ भें झाड़ू इत्माहद सपाई की साभग्री न यखें। इससे व्मथा की ध त
ॊ ा यहे गी।
* महद भानलसक तनाव अधधक हो जाएॊ तो, तफकए के नी े रार ॊदन यखकय सोएॊ राब प्राप्त होगा।
* सुफह-सॊध्मा ऩूजन भें घी औय कऩूयका हदऩ अवश्म जरामे। त्जससे तनवास स्थान मा व्मवसातमक स्थानो से
नकायात्भक उजाा दयू होती हैं।
* शास्िोक्त तनमभो के अनुशाय सॊध्मा सभम अथाात धऩ
ू -हदऩ के सभम सोना, खाना, स्नान कयना वत्जात भाना
गमा हैं। अत् इन कामो को कयने से त्मागदे ।
* सॊध्मा सभम अथाात धऩ
ू -हदऩ के सभम हाथ-ऩैय धो सकते हैं।
* धऩ
ू -हदऩ के सभम अऩने तनवास स्थान मा व्मवसातमक स्थानो ऩय सुगॊधधत व ऩववि अगयफत्त्त, धऩ
ु इत्माहद
अवश्म कयें ।
13 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

जऩ भारा का भहत्व

 सॊकरन गुरुत्व कामाारम


धभा शास्िों भें भारा को ववशेष भहत्व हदमा गमा राखों की सॊख्मा भें कयने हो तो कय भारा ऩय कयना
हैं। दे वी-दे वता को प्रसन्न कयने हे तु शास्िों भें भारा का कष्ट प्रद होता हैं। कय भारा का
ववशेष भहत्व फतामा गमा हैं। भन्ि साधना भें बी भारा
प्रमोग दै तनक जऩ भें मा छोटी
का ववशेष भहत्व फतामा गमा हैं। क्मोफक भन्ि साधना
सॊख्मा के जऩ भें फकमा जाता
की ऩूणा फक्रमा एवॊ सपरता भारा ऩय तनबाय होती हैं।
हैं। कय भारा से भन्ि जऩ
भन्ि के जऩ के सभम भन्िो् ायण की गणना भारा
ऩय कयना सुववधाजनक औय सयर होता हैं। कयने के कुछ शास्िोक्त तनमभ

ववद्वानो का कथन हैं की भन्ि जऩ एवॊ इष्ट फताए गए हैं।


लसवि के लरए महद तनत्श् त भारा का प्रमोग फकमा जाए अनालभका के भध्म
तो वह अधधक कायगय होता हैं। क्मोफक सॊफॊधधत दे वी- बाग से नी े की ओय धगने,
दे वता की वप्रम वस्तु मा ऩदाथा से फनी होने के कायण फपय कतनष्ठा के भर
ू से
एवॊ उस भें कुछ ववशेष गुण होने से भारा शीघ्र पर अग्रबाग तक। इसके फाद
प्रदान कयने वारी होती हैं। अनालभका औय भध्मभा के
भारा का भूर राब होता हैं की भन्िों की गणना अग्रबाग होकय तजानी के भर
ू तक धगनती कयें । इस
आसानी से हो सके औय दस
ू या राब होता हैं शास्िों भें प्रकाय से अनालभका के दो, कतनष्ठा के तीन, ऩन
ु ्
वणणात हैं की फकसी भारा ववशेष से भन्ि जाऩ कयने से अनालभका का एक, भध्मभा का एक, औय तजानी के
भन्ि जाऩ का प्रबाव कई गुना फढ जाता हैं। आऩके तीन ऩवा कुर लभराकय दस सॊख्मा होती हैं।
भागादशान के लरए शास्िोक्त भत बी सॊरग्न फकए गए इव वलऴम भें ळास्त्रोक्त भत शैं:-
हैं।
आयम््मानालभका भध्मभ ् ऩलावनमुक्तान्मनुक्रभात ्।
तजवनीभूरऩमवन्तं जऩेददळवु ऩलववु॥
प्रभख
ु ग्रंथकायो ने भारा के तीन प्रकाय फतामे शैं। भध्मभांगुलरभूरे तु मतऩलव दवलतमं बलेत ्।
1) कय भारा
तं लैं भेरुं वलजानीमज्जाप्ऩेतं नानतरंघमेत ्॥
अथावत: उॉ गुरी के भध्म ऩवा (ऩोय) से आयम्ब कय के
2) वणा भारा
क्रभ से 10 ऩवों ऩय फयाफय जऩे। रेफकन भध्मभ अॊगुरी
3) भणण भारा के जड़ के दो ऩवों को छोड़ दे , क्मोंफक वे अॊगुरी के भेरु
हैं औय जऩ भें भेरु का रॊघन नहीॊ फकमा जाता हैं।
कय भारा:
कय भारा के इस क्रभ से प्राम् सबी ववद्वान
कय भारा जऩ उसे कहते हैं त्जस भें भन्ि का जऩ सहभत हैं। रेफकन ववलबन्न अनष्ु ठानो एवॊ साधनाओॊ के
उॉ गलरमों के ऩोयों ऩय तनत्श् त क्रभ भें फकमा जाता हैं, अन्तय होने ऩय क्रभ भें फदराव सॊबव हैं।
इस जऩ भें ऩवा के क्रभ ऩय ववशेष ध्मान यखना ऩड़ता दे ली अनुष्ठान:

हैं। इस लरमे रम्फी अवधध की साधना मा भन्ि जऩ के कुछ ववशेष दे वी अनुष्ठानो भें अनालभका के दो ऩवा,
कतनष्ठा के तीन, ऩुन् अनालभका के अग्रबाग का एक,
लरमे मह उऩमुक्त नहीॊ हैं। जफ भन्ि जऩ हजायों -
14 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

भध्मभा के तीन, औय तजानी के भूर का एक ऩवा कुर  अऺत, उॊ गरी, ऩुष्ऩ, न्दन, लभट्टी, कॊकड़ आहद का
लभराकय दस सॊख्मा होती हैं। प्रमोग दशकों की गणना हे तु कयना वत्जात हैं।

रक्ष्भी अनुष्ठान: लणवभारा:


भन्ि साधना के जानकाय एवॊ ववद्वानो के भत से कुछ वणाभारा का प्रमोग अन्तय जऩ औय फहहय जऩ दोनो
ववशेष रक्ष्भी अनुष्ठा भें भध्मभा के भूर भें एक, प्रकाय के जऩ भें सभान रुऩ से फकमा जाता हैं।
अनालभका के भर
ू भें एक, कतनष्ठा के तीन, अनालभका वणाभारा जऩ अथाात अऺयों के अऺयों के द्वाया
औय भध्मभा के एक-एक अग्रबाग औय तजानी के तीन अॊख्मा की गणना कयना। इसके जऩ कयने का ववधान
इय अप्रकाय कुर लभराकय दस सॊख्मा ऩण
ू ा होती हैं। मह हैं फक ऩहरे वणाभारा का एक अऺय त्रफन्द ु रगाकय
उ् ायण कयें , फपय भन्ि का, त्जसके कायण भन्ि जऩ
कय भारा ऩय भन्त्र जऩ के ननमभ:
की कूर सॊख्मा 50 होगी।
 कय भारा ऩय जऩ कयते सभम उॊ गलरमाॊ ऩयस्ऩय एक
अ वगा के = 16
दस
ू ये से जुड़ी हुई यखे, अरग-अरग न यखें।
क से ऩ तक के = 25
 हथेरी को थोड़ी अॊदय की तयप भुड़ी हुई यखे।
म से ह तक के = 8
 कय भारा कयते सभम भेरु का उल्रॊघन न कयें ।
ऩुन् एक रकाय = 1
भध्मभा के दो ऩवा को भेरु कहा जाता हैं।
________
 कय भारा कयते सभम ऩवों की सॊधध का स्ऩशा कुर 50
तनवषि भाना गमा हैं।
 हाथो को रृदम के साभने उॊ गलरमों को थोड़ी झुकाकय अ लगव के वोरश लणव इव प्रकाय शैं:-
औय वस्ि से ढककय ही जऩ कयना ाहहए। अ आ इ ई उ ऊ ऋ क रृ ख ए ऐ ओ औ अं अ्
 दस की सॊख्मा भें फकए जाने वारे जऩ की धगनती
कयने के लरए राख अथाात रऺ, लसन्दयू औय गौ के क लगव वे ऩ लगव तक के ऩच्चीव लणव इव प्रकाय शैं:-
सख
ू े कॊडे (उऩरे) का ण
ू ा कय के इन सफके लभश्रण की क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध
गोलरमाॊ फनाकय उन्से गणना कयनी ाहहए। न ऩ प फ ब भ

रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि


श्रीमॊि को सभस्त प्रकाय के श्रीमॊिों भें सवाश्रेष्ठ भाना गमा है औय कुफेय मॊि को दे वताओॊ भें धन के दे वता कुफेय जी
का सफसे प्रबावशारी मॊि भाना जाता हैं इस मॊि के ऩूजन से अऺम धन कोष की प्रात्प्त होती हैं औय भनुष्म के
लरए नवीन आम के स्रोत फनते हैं। प्रततहदन रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि का ऩूजन एवॊ दशान कयने से व्मत्क्त को
जीवन भें धन औय ऐश्वमा की कबी बी कभी नहीॊ होती है । ववद्वानों ने अऩने अनुबवों भें ऩामा हैं की जो भनुष्म
अऩने गह
ृ स्थ जीवन भें धन, वैबव, ऐश्वमा, सुख-सभवृ ि, व्माऩाय भें सपरता, ववदे श राब, याजनीतत भें सपरता,
नौकयी भें ऩदौत्न्न्त आहद की काभना यखता हैं तो उसके लरए श्री रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि सवाश्रेष मॊि हैं।
भनुष्म को रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि के ऩूजन से जीवन के सबी ऺेि भें सुख-सभवृ ि एवॊ सौबाग्म की प्राप्त
होने रगती है । महद फकसी व्मत्क्त को व्माऩाय भें महद व्माऩाय भें ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ रगने से कामा कयने ऩय बी
अधधक राब की प्रात्प्त नहीॊ हो यही हो, व्माऩाय भॊदा र यहा हो मा फाय-फाय राब के स्थान ऩय हातन हो यही हो
तो उसे रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि को अवश्म अऩने व्मवसामीक स्थान ऩय स्थावऩत कयना ाहहए। त्जससे
व्माऩाय भें फाय-फाय होने वारे घाटे मा नुकसान से शीघ्र ही राब प्राप्त होने के मोग फनने रगते हैं। >> Order Now
15 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

म लगव वे श काय तक आठ लणव इव प्रकाय शैं:- साभान्मत् वैष्णवों के लरए तुरसे तथा शैवों,
म य र ल ळ ऴ व श शाक्तों के लरए रुद्राऺ की भारा सवोत्तभ भानी गई हैं।
रेफकन इस फात का ध्मान यहें की एक ऩदाथा की भारा
रकाय (ऱकाय) का एल लणव शैं:- भें दस
ू ये ऩदाथा का प्रमोग न फकमा गमा हों।
ऱ  भन्ि जऩ के लरए सॊफॊधधत दे वी-दे वता से सॊफॊधधत
ऩदाथा की भारा का प्रमोग कयना शीघ्र पर प्रदान
इस प्रकाय ऩ ाय की सॊख्मा हो जाने ऩय फपय कयने वारा होता हैं।
रकाय से रौटकय अकाय तक आने ऩय ऩ ास औय हो  अरग-अरग काभनाऩूतता, भन्ि साधना मा अनुष्ठा
जामेंगे, इस प्रकाय कुर लभराकय सौ की सॊख्मा ऩूणा हो भें शीघ्र सपरता प्राप्त हो इस लरए बी अरग-अरग
जाती हैं। ऩदाथों की भारा का प्रमोग कयना ाहहए।
 वणा भारा भें "ष" को सुभेरु भाना जाता हैं अत्अ  भारा के भनके(दाने) एक सभान आकाय के हो, छोटे
इसका उल्रॊघन तनवषि हैं। फड़े न हों।
 सॊस्कृत भें "त्र" औय "स" को स्वतॊि अऺय नहीॊ भाने  भारा भें कुर 108 भनको के साथ 1 सुभेरु अरग
जाते समुक्त अऺय भाने जाते हैं। इस लरए इन से होना ाहहए।
अऺयों की गणना नहीॊ की जाती।  शास्िोक्त ववधान के अनुसाय भारा भें प्रमोग होने
इस कायण गणना भें सात वगा की जगह आठ वगा वारा धागा कॊु वायी ब्राह्भण कन्मा द्वाया सूत
होते हैं। आठवाॊ वगा "शकाय" से प्रायॊ ब होता हैं। इसके कातकय फनामा फनागा गमा हों, तो शीघ्र परदे ने
द्वाया " अॊ कॊ ॊ टॊ तॊ ऩॊ मॊ शॊ" मह गणना कयके आठ वारा होता है ।
फाय औय जऩ कयना ाहहए।  रुद्राऺ के दानों की भारा फनाते सभम भनके वऩयोते
इस प्रकाय जऩ की सॊख्मा 108 हो जाती हैं। सभम रुद्राऺ के भह
ु ॊ औय ऩ्
ु छ का ववशेष ध्मान
इसे अऺय भारा के भणण भाना जाता हैं। इनका यखना ाहहए। रुद्राऺ भें भह
ु ॊ का बाग कुछ ऊॉ ा
भूर सूि कुण्डलरनी शत्क्त हैं, जो भूराधाय क्र से होता है औय ऩ्
ु छ का बाग नी ा होता हैं। रुद्राऺ के
आऻा क्र तक सूि रुऩ भें ववद्मभान हैं। इस प्रकाय मह भनके वऩयोते सभम यखना ाहहमे की दो रुद्राऺ के
जऩ आयोह-अवयोह अथाात उऩय से नी े तथा ऩन
ु ् नी े दानों के भह
ु ॊ से भह
ु ॊ ऩयस्ऩय लभरते हों, औय ऩ्
ु छ
से ऊऩय होता हैं। इस प्रकाय फकमा हुआ जऩ ऩण
ू ा एवॊ से ऩु्छ ऩयस्ऩय लभरते हों।
शीघ्र लसवि प्रदान कयने वारा होता हैं।  वशीकयण भें यक्त वणा के सूत की भारा का प्रमोग

भणणभारा: कयें , शाॊतत कभा भें सपेद(श्वेत) वणा के सूत की


भारा, अलब ाय कभा भें कृष्ण वणा अथाात कारे वणा
त्जन साधकों को अधधक सॊख्मा भें जऩ कयने हो, उन्हें
के सूत की भारा का प्रमोग कयना राबदामक होता
भणणभारा का प्रमोग कयना ाहहए। इस भारा को
हैं। ऐश्वमा एवॊ सॊऩत्त्त की प्रात्प्त के लरमे ये शभी सूत
भणणमों से अथाात भतनमा मा भनकों से वऩयोई होने के
से फनी भारा का प्रमोग कयना ाहहए।
कायण ही इसे भणणभारा कहा जाता हैं। मह भारा कई
 कुछ ववद्वानो का भत हैं की ब्राह्भण वगा के रोगो
ऩदाथों से फनी हुई होती हैं। भणणभारा यत्न, रुद्राऺ,
कों श्वेत वणा के सूत की भारा, ऺत्रिम वगा के रोगो
तर
ु सी, द
ॊ न, शॊख, कभरगट्टा (कभर फीज), सव ु णा,
कों यक्त वणा के सत
ू की भारा, वैश्म वगा के रोगो
ाॊदी, कुशभर
ू , स्पहटक, भोती, हल्दी, ऩि
ु जीवा की फीज
कों ऩीत वणा के सूत की भारा औय शूद्रों वगा के
इत्माहद ऩदाथों की भाराएॊ साभान्मत् प्रमोग की जाती
रोगो कों कृष्ण वणा के सूत की भारा का प्रमोग
हैं।
कयना श्रेष्ठ होती हैं।
16 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

 यक्त वणा के सूत से फनी भारा का प्रमोग सफ वणों भारा का ववधधवत तनभााण कामा सॊऩन्न हो जानेके
के रोग प्राम् सबी प्रकाय के अनुष्ठान भें कय सकते ऩश् मात भाराका सॊस्काय अवश्म कयना मा कयवा रेना
हैं। ाहहमे।
 दों भनको के फी भें गाॊठ रगाई हुई भारा प्रमोग
औय त्रफना गाॊठ रगी भारा का प्रमोग सभान रुऩ से
भॊि कारी हल्दी
फकमा जा सकता हैं।
11 नॊग साफत
ू कारी हल्दी वजन 18 ग्राभ भाि रु.730/-
 भारा को सोने- ाॊदी के ताय भें बी गूॊथ कय फनामा
11 नॊग साफत
ू कारी हल्दी वजन 27 ग्राभ भाि रु.910/-
जा सकता हैं।
 सुभेरु के ऩाय गाॊठ तीन पेये की मा ढाई पेये के हभायें महाॊ कारी हल्दी की गाॊठ एवॊ टुकड़े प्रतत नॊग

रगानी ाहहए। वज़न 3 ग्राभ से 21 ग्राभ तक उऩरब्ध रु. 370, 460,

 भारा का प्रत्मेक भनका वऩयोते सभम इष्ट भन्ि का 550, 730, 910, 1050, 1250, 1450,

जऩ मा "ॐ" का उ् ायण कयते यहना ाहहए। GURUTVA KARYALAY


ववशुि दोषयहीत उऩमुक्त भारा की प्रात्प्त के फाद मा Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785,

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17 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

अॊग पड़कने से शक
ु न अऩशक
ु न
 सॊकरन गुरुत्व कामाारम
 भानव शयीय के ववलबन्न अॊगों भें कबी कबी पड़क  महद महद भस्तक पड़के तो बूलभ राब लभरने का
होती हैं। सॊकेत हैं।
 अॊग पड़क्ने का कायण भानव शयीय भें उतऩन्न होने  महद महद कॊधा पड़के तो बोग-ववरास भें ववृ ि होने
वारे वामु-ववकाय आहद के कायण शयीय फक भाशऩेशी का सॊकेत हैं।
भें यह यहकय थोडा उबयना औय दफना फतामा जाता  महद दोनों बौंहों के भध्म बाग भें पड़कन होतो सख

हैं। प्रात्प्त का सॊकेत हैं।
 हभाये बायत भें अॊगो के पड़कने के आधाय ऩय शब
ु -  महद कऩार पड़के तो शुब कामा होने का सॊकेत हैं।
अशब
ु ऻात कयने की धायणा सारो से प्र लरत यही  महद आॉख का पड़कना धन प्रात्प्त का सॊकेत हैं।
हैं।  महद आॉख के कोने पड़के तो आधथाक उन्नतत होने
 प्राम् ऩुरुष का दाहहना (Right) अॊग औय स्री का का सॊकेत हैं।
फाॊमा (Left) अॊग पड़कना शब
ु भाना जाता हैं।  महद आॉखों के ऩास का हहस्सा पड़के तो वप्रम
 महद फाएॊ ऩैय की ऩहरी औय आणखयी उॊ गरी पड़के, व्मत्क्त से लभरन होने का सॊकेत हैं।
तो राब होता हैं।  महद हाथों का पड़कना उत्तभ कामा द्वाया धन
 महद दाएॊ ऩैय की ऩहरी औय आणखयी उॊ गरी पड़के प्रात्प्त का सॊकेत हैं।
तो अशुब होता हैं।  महद वऺ्स्थर का पड़कना ववजम प्रात्प्त का सॊकेत
 महद ऩाॊव की वऩॊडरीमाॊ पड़कने से काभ भें फाधा हैं।
उतऩन्न होती हैं एवॊ मह शिु द्वाया ऩये शानी का  महद रृदम पड़के तो इष्ट लसिी प्राप्त होने का
सॊकेत हैं। दामाॊ घुटना पड़के, तो अशुब पर फक सॊकेत हैं।
प्रात्प्त औय फामाॊ पड़के, तो शब
ु पर फक प्रात्प्त  महद नालब के पड़क्ने से स्िी वगा को हातन होने का
होती हैं। सॊकेत हैं।
 महद फामाॊ ऩैय पड़कना शुब होता हैं, दामाॊ ऩैय  महद ऩेट का पड़कना कोष ववृ ि होने का सॊकेत हैं।
पड़कने से भस
ु ीफतों का अॊत होने का सॊकेत हैं।  महद गद
ु ा का पड़कना वाहन सख
ु फक प्रात्प्त का
 महद फाईं जाॊघ के पड़कने से दोस्त से सहामता सॊकेत हैं।
लभरने का सॊकेत हैं।  महद कण्ठ के पड़कने से ऐश्वमा राब फक प्रात्प्त का
 महद दाईं जाॊघ पड़कने से शिु शाॊत होने का सॊकेत सॊकेत हैं।
हैं।  महद भुख के पड़कने से लभि द्वाया राब होने का
 महद दाएॊ हाथ का अॊगूठा पड़कने से शुब सभा ाय सॊकेत हैं।
लभरने का सॊकेत हैं।  महद होठों का पड़कना वप्रम वस्तु की प्रात्प्त का
 महद फाएॊ हाथ का अॊगूठा पड़कने से हानी होने का सॊकेत हैं।
सॊकेत हैं।
18 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

यत्नों का अद्भत
ु यहस्म
 सॊकरन गरुु त्व कामाारम
गताॊक से आगे... ऩन्ना भुख्मत् ऩांच यं गों भें ऩामा जाता शै

ऩन्ना 1. भमयू ऩॊख के यॊ ग के सभान यॊ ग का


2. हये ऩानी के यॊ ग के सभान यॊ ग का
फुध का यत्न ऩन्ना फुध ग्रह के शुब परों की
3. सयसों के ऩुष्ऩ के सभान यॊ ग का
प्रात्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं।
4. हल्का शेन्डूर ऩुष्ऩ के सभान यॊ ग का
ऩन्ना को फुध का यत्न भाना गमा है । ऩन्ना फुध
5. तोते के ऩॊख के सभान हये यॊ ग का
ग्रह का प्रतततनधध यत्न भाना जाता है
इसे ववलबन्न नाभों से ऩुकाया जाता है - ऩन्ना धायण कयने से राब:
 ऩन्ने का ववशेष गुण हैं की वह धायण कताा भें
हशन्दी भे :- ऩन्ना उत्तेजना एवॊ भादक बाव ऩैदा कयता हैं।
वस्कृत भे :- ऩन्ना, भयकत, ऩाध , गुरुत्भत, हरयतभणण,  इस लरमे ऩूयातन कार भें याजा-भहायाजा ऩन्ने के
गरुडाॊफकत गयतारय, सौऩणणा, गरुड़ोदग
ू ांणा आहद नाभ से फने धगरासों भें शयाफ ऩीमा कयते थे एसी भान्मता
जाना जाता हैं। हैं की ऩन्ने के फने धगरासों शयाफ ऩीने से शयाफ का
फ़ायवी भे :- जभुईद, जभयन, नशा कई गुना फढ़ जाता हैं।
अंग्रेजी :- एभयाल्ड  ऩन्ना धायण कयने से नेियोग एवॊ ज्वयनाशक होता
ऩन्ना यत्न को अतत प्रा ीन
फहुप्र लरत व हैं।
भूल्मवान भाना जाता हैं। ऩन्ना भूर रुऩ से फैरूज जातत  ऩन्ना सत्न्नऩात, दभा, पोडे आहद व्माधधमों को को
के ऩत्थय भें से एक ववलशष्ठ जातत का ऩत्थय होता हैं। दयू कयता हैं।
उत्तभ गुणो वारा ऩन्ना हयी भखभरी घास के सभान  ऩन्ना धायण कताा के शयीय भें फर एवॊ वीमा की ववृ ि
अतत सुन्दय हये यॊ ग का होता हैं। ऩन्ना गहये हये यॊ ग से कयता हैं।
रेकय हल्के हये यॊ ग का होता हैं। जानकायो की भाने तो  ऩन्ना धायण कयने से व्मत्क्त का ॊ र ध त्त शाॊत
ऩन्ना ऩीरे व गर
ु ाफी यॊ ग का बी ऩामा जाता हैं। रेफकन व सॊमलभत हो जाता हैं। त्जससे व्मत्क्त को
गहये हयें यॊ ग के ऩन्न सवाश्रेष्ठ होते हैं। भानलसक शाॊतत प्राप्त होती हैं औय व्मत्क्त का भन
ऩन्ना बायत भें अधधकतय अजभेय व उदमऩयु के एकाग्र हो जाता है ।
अराव अन्मस्थानो से प्राप्त होता हैं। ववदे शों भें ऩन्ना  ऩन्ना काभ, क्रोध आहद ववकायों को शाॊत कय व्मत्क्त
रुस, ऩाफकस्तान, कोरत्म्फमा (अभेरयका), ब्राजीर, को असीभ सुख शात्न्त प्रदान कयता हैं।
योडेलशमा(अफ्रीका), लभस्र, सेन्डेवान(अफ्रीका), भेडागास्कय  ववद्या अध्ममन से जुड़े व्मत्क्त को भन की उत्तभ
आहद स्थानों से प्राप्त होता हैं। एकाग्रता एवॊ कुशाग्र फुवि की प्रात्प्त हे तु ऩन्ना
कोरत्म्फमा के ऩन्ना की भाॊग आज फाजायो भें अवश्म धायण कयना ाहहए।
सवााधधक हैं। ऩन्ना ऩायदशॉ औय अऩायदशॉ दोनों तयह
फकसी बी यालश यत्न एवॊ उऩयत्न प्राप्त कयने मा
के होते है । कभ भूल्म के ऩायदशॉ ऩन्ना यत्न भें प्राम्
फादर जैसा ये शा मा हल्का-सा जारा होता हैं, दोष यहहत धायण कयने हे तु सॊऩका कयें ।
ऩन्ना कभ ही प्राप्त होते हैं इस लरमे दोष यहहत ऩन्ना GURUTVA KARYALAY
का भूल्म अॊतयात्ष्रत फाजायो भें अधधक होता हैं। Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
19 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

भान्मता:  त्जस ऩन्ने भें दो से अलशक यॊ ग हो, एसा ऩन्ना

 ऩन्ना की औय दे खने से आॉखों को शीतरता भहसूस धायण कयने से व्मत्क्त के फर, वीमा औय फवु ि का

होती हैं। नाश कयने वारा होता हैं।

 असरी ऩन्ने को रकड़ी ऩय यगड़ने से इसकी भक  त्जस ऩन्ने भें जार जैसी ये खाओॊ का सभूह हो ऎसा

भें ववृ ि होती है । ऩन्ना धायण कयना स्वास्र्थम के लरए हातन होता हैं।

 असरी ऩन्ने ऩय ऩानी की फूॊद यखने से फूॊद ऩन्ना  जो ऩन्ना दे खने भें भकहीन हो, उल्टा दे खने से

ऩय फनी यहती है, पैरती नहीॊ हैं। सुन्न सा उदास मा भकहीन हदखाई दे ता हों, ऎसा

 इसभें बॊगुयता होने के कायण मह जोय से ठोकय ऩन्ना धायण कयने से धनहातन होती हैं।

रगने ऩय मा धगयने से टूट सकता है ।  त्जस ऩन्ने भें छोटी-छोटी टूटी हुई धारयमों हदखे,

 ऩन्ना को सूमा की योशनी भे दे खने से हये यॊ ग की ऎसा ऩन्ना धायण कयने से वॊशववृ ि हे तु हातन कयता

छामा तनकरती है | हैं।

 काॊ के धगरास भें ऩानी बय कय ऩन्ना को इस  त्जस ऩन्ने भें गड्ढा हो, ऎसा ऩन्ना धायण कयने से

धगरास भें डार दे ने से ऩानी से हये यॊ ग की फकयणे आकत्स्भक दघ


ु ट्
ा ना होने की सॊबावना को फढाता हैं।

स्पूयीत होती हैं।  त्जस ऩन्ने भें कारे धब्फे हदखाई दे ते हों, ऎसा ऩन्ना
धायण कयना स्िी के लरए हातनकायक होता हैं।
योग औय ऩन्ना:
 त्जस ऩन्ने सीधी ये खा हदखाई दे ते हों, ऎसा ऩन्ना
 ऩन्ना धायण कयने से शायीरयक फर एवॊ सौदमा भें
धायण कयना धन का कयने वारा होता हैं।
ववृ ि होती हैं।
त्जस ऩन्ने को दे ख ने से वह खयु दया हदखाई दे ता हो मा
 ऩन्ना फुखाय, उल्टी, ववष, फवासीय इत्माहद योगो भें
उसका यॊ ग पटा-पटा सा हदखाई दे ता हो, ऎसा ऩना
अतत राबदामक हैं।
धायण कयने से हातन होती हैं।
 ऩथयी, भूि योग आहद भें ऩन्ना की बस्भ राबदामक
>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
होती हैं।
ऩन्ना के दोऴ ***
 ववद्वानो के भत से ऩन्ना भें ववशेष कय तनम्न दोष
ऩाए जाते हैं, अत् दोष-मुक्त ऩन्ना कबी बी धायण भॊि लसि ऩन्ना गणेश
नहीॊ कयना ाहहए। दोष मुक्त ऩन्ना धायण कयने से बगवान श्री गणेश फवु ि औय लशऺा के कायक
राब के स्थान ऩय हातन हो सकती हैं। ग्रह फध
ु के अधधऩतत दे वता हैं। ऩन्ना गणेश
 त्जस ऩन्ने का यॊ ग सोने के सभान हो मा उसका फध
ु के सकायात्भक प्रबाव को फठाता हैं एवॊ
भख
ु ऩीरे यॊ ग का हो, तो इस प्रकाय के ऩन्ना को नकायात्भक प्रबाव को कभ कयता हैं।. ऩन्न

धायण कयने से सबी प्रकाय से हातनकायक लसि होता गणेश के प्रबाव से व्माऩाय औय धन भें ववृ ि भें ववृ ि होती हैं।
फ् ो फक ऩढाई हे तु बी ववशेष पर प्रद हैं ऩन्ना गणेश इस
हैं।
के प्रबाव से फ् े फक फवु ि कूशाग्र होकय उसके आत्भववश्वास
 त्जस ऩन्ने भें यक्त वणा के रार छीॊटे हो ऎसा ऩन्ना
भें बी ववशेष ववृ ि होती हैं। भानलसक अशाॊतत को कभ कयने भें
धायण कयने से सख
ु -सम्ऩतत को नष्ट हो जाती हैं।
भदद कयता हैं, व्मत्क्त द्वाया अवशोवषत हयी ववफकयण शाॊती
 शहद के यॊ ग के सभान यॊ ग वारा ऩन्ना धायण कयना
प्रदान कयती हैं, व्मत्क्त के शायीय के तॊि को तनमॊत्रित कयती
भाता-वऩता के लरए हातनकायक होता हैं। हैं। त्जगय, पेपड़े, जीब, भत्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्माहद योग
 त्जस ऩन्ने भें ऩीरे यॊ ग के छीॊटे हो ऎसा ऩन्ना धायण भें सहामक होते हैं। कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हैं।
कयने से सॊतान ऩऺ के लरए हातनकायक होता हैं। Rs.550 वे Rs.8200 तक
20 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

प्रकृतत की अरौफकक दे न रुद्राऺ धायण कयने से राब

 सॊकरन गुरुत्व कामाारम


गताॊक से आगे...  तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयना भॊदफुवि फ् ों के
फौधधक ववकास के लरए अत्मॊत राबदामक लसि
तीन भख
ु ी रुद्राष:
होता हैं।
 तनम्न यक्त ाऩ को दयू कयने भें बी तीन भुखी
रुद्राऺ धायण कयना राबदामक होता हैं।
 तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अत्ग्नदे व की कृऩा
प्राप्त होती हैं।
 तीन भुखी रुद्राऺ से अत्ग्न बम से यऺण होता हैं।

तीनभुखी रुद्राष को धायण कयने का भन्त्र:-


ॐ यॊ हूॊ ह्ीॊ हूॊ ओॊ॥

Natural Nepali 5 Mukhi


Rudraksha
 तीन भुखी रुद्राऺ थोडा रॊफे आकाय भें व
गोराकाय स्वरुऩ दोनो स्वरुऩों भें प्राप्त होता हैं।
1 Kg Seller Pack
 तीन भुखी रुद्राऺ साऺात अत्ग्न का स्वरुऩ हैं।
 तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से गॊलबय फीभारयमों से
यऺा होती हैं।
 महद कोई रम्फे सभम से योगग्रस्त हैं तो उसके तीन
भख
ु ी रुद्राऺ धायण कयने से योग से शीघ्र भत्ु क्त
लभरती हैं।
 तीन भख
ु ी रुद्राऺ धायण कयना ऩीलरमा के योगी के
लरए अत्माधधक राबकायी होता हैं।
 तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से स्पूतता, कामाऺभता
भें ववृ ि होती हैं।
 जानकायों के भतानुशाय तीन भुखी रुद्राऺ धायण
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कयने से स्िी हत्मा इत्माहद ऩाऩों का नाश होता हैं।
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कुछ ववद्वानो का भत हैं की तीन भुखी रुद्राऺ ब्रह्भ
हत्मा के ऩाऩ को नाश कयने भें बी सभथा हैं। GURUTVA KARYALAY
 तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से शीत ज्वय दयू होता Call Us: 91 + 9338213418, 91+
हैं।
9238328785
 तीन भुखी रुद्राऺ धायण कयने से अद्भत
ु ववद्या की
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प्रात्प्त होती हैं।
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21 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

चाय भख
ु ी रुद्राष:  ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से वाणी भें लभठास
आती हैं।
 ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से भानलसक ववकाय
दयू होते हैं।
 ववद्वानो का कथन है की ाय भुखी रुद्राऺ के दशान
एवॊ स्ऩशा से धभा, अथा, काभ औय भोऺ इन ायों
ऩुरुषाथो की शीघ्र प्रात्प्त होती हैं।
 ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से जीव हत्मा के ऩाऩों
का नाश होता हैं।
 ाय भुखी रुद्राऺ धायण कयने से हदव्म ऻान की
प्रात्प्त होती हैं।
 ाय भुखी रुद्राऺ को अबीष्ट लसविमों को प्राप्त कयने
 ाय भुखी रुद्राऺ साऺात ब्रह्भा का स्वरुऩ हैं। भें सहामक व कल्माणकायी हैं।
 ाय भुखी रुद्राऺ को धायण कयने से फौधधक शत्क्त चाय भुखी रुद्राष को धायण कयने का भन्त्र:-
का ववकास होता हैं। ॐ व्राॊ क्राॊ ताॊ हाॊ ई॥
 ववद्याध्ममन कयने वारे फ् ो के फौधधक ववकास एवॊ
>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
स्भयण शत्क्त के ववकास के लरए ाय भुखी रुद्राऺ
उत्तभ परदातम लसि होता हैं। ***

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22 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

वणाभारा के अनुसाय स्वप्न पर वव ाय


 सॊकरन गरुु त्व कामाारम
गताॊक से आगे...  स्वप्न भें णखरणखराते दे खना दख
ु द सभा ाय लभरने
का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें णखल्री उडाते दे खना स्वजनों से तनयाशा
लभरने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें णखरौना दे खना सुख लभरने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें खज
ु री होते दे खना योग से छुटकाया लभरने
का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें ऽश
ु ी लभरते दे खना ऩये शानी फढ़ने का
 स्वप्न भें खयों रगना शयीय स्वस्थ होने का सॊकेत सॊकेत है ।
है ।  स्वप्न भें खश
ु फू रगाते दे खना सम्भान फढ़ने का
 स्वप्न भें खटभर दे खना जीवन भें सॊघषा फढ़ने का सॊकेत है ।
सॊकेत है ।  स्वप्न भें खन
ू दे खना धन राब लभरने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें खटभर भायते दे खना कहठनाई से छुटकाया  स्वप्न भें खन
ू -खयाफा होते दे खना सौबाग्म ववृ ि होन
लभरने का सॊकेत है । का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें खयफूजा दे खना कामा ऺेि भें सपरता  स्वप्न भें खन
ू की वषाा होते दे खना याज्म मा दे श भें
लभरने का सॊकेत है । अकार ऩड़ने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें ऽत ऩढ़ना फकसी शुब सभा ाय के लभरने  स्वप्न भें खन
ू भें रुढ़के दे खना धन-सम्ऩतत प्राप्त
का सॊकेत है । होने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें खयगोश दे खना स्िी से फेवपाई का सॊकेत  स्वप्न भें खेर कूद भें बाग रेते दे खना बाग्मोदम
है । होने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें खलरहान दे खना भान-सम्भान फढ़ने का  स्वप्न भें खेत दे खना दयू स्थ स्थानो की मािा एवॊ
सॊकेत है । ववद्या, धन की ववृ ि का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें खटाई खाते दे खना धन हातन होने का  स्वप्न भें खेत काटते दे खना ऩत्नी से भन भुटाव
सॊकेत है । होने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें खॊबा (रोहे का) दे खना शीघ्र वववाह होने  स्वप्न भें खोऩडी दे खना फौधधक कामो भें सपरता
औय कामा भें सपरता लभरने का सॊकेत हैं। लभरने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें खॊबा मा भीनाय दे खना हदधाामु होने औय
Manta Siddha
सख
ु शात्न्त फढ़ने का सॊकेत है ।
Natural 1 Mukhi
 स्वप्न भें खारी खहटमा दे खना फकसी फीभायी से
कष्ट लभरने का सॊकेत है । Rudraksha
 स्वप्न भें खारी फतान दे खना कामा भें नक्
ु शान होन Available @ Rs.910 to Rs.4600 Small to
का सॊकेत है । big size to Know more Visit our Website :
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23 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

 स्वप्न भें गाजय दे खना खेत भें पसर अ्छी होने


का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गालरमा दे ते दे खना सभाज भें फदनाभी
होने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गामिी भॊि का ऩाठ कयते दे खना सकर
भनोयथों की ऩूतता एवॊ सुख सभवृ ि फढ़ने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें धगरास दे खना अनावश्मक ख ो भें कटोटी
 स्वप्न भें गधा दे खना स्वजनो से प्माय लभरने का का सॊकेत है ।
सॊकेत है ।  स्वप्न भें धगनती कयते दे खना कामा भें हातन होने का
 स्वप्न भें गधे ऩय भार रदा हुआ दे खना व्माऩाय भें सॊकेत है ।
राब लभरने का सॊकेत है ।  स्वप्न भें धगयधगट दे खना फकसी झगडे भें पसने का
 स्वप्न भें गधे की ीख तनकरते सुनना दख
ु लभरने सॊकेत है ।
का सॊकेत है ।  स्वप्न भें धगरहयी को दे खना अत्मॊत शुब सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गधे की सवायी कयते दे खना शुब सभा ाय  स्वप्न भें गीदढ़ को दे खना शिु से कष्ट लभरने का
लभरने का सॊकेत है । सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गाम दे खना उत्तभ धन राब प्राप्त होने  स्वप्न भें गीरी वस्तु दे खना रम्फी फीभायी से कष्ट
का सॊकेत है । होने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गाम मा फैर को ऩीरे यॊ ग की दे खना याज्म  स्वप्न भें गीता दे खना कष्टों से भक्
ु त एवॊ शब

मा दे श भें भहाभायी होने का सॊकेत है । सभम आने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गयभ ऩानी दे खना फुखाय मा अन्म फीभायी  स्वप्न भें गर
ु ाफ के पूर दे खना भान-सम्भान भें
होने का सॊकेत है । ववृ ि का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गॊजा लसय दे खना ऩयीऺा भें ऩास होने एवॊ  स्वप्न भें गड
ु खाते दे खना फकसी कामा भें सपरता
भान-सम्भान फढ़ने का सॊकेत है । लभरने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गरी दे खना, सन
ु सान गरी दे खने से राब  स्वप्न भें गडु डमा दे खना शीघ्र वववाह होने का मा
की प्रात्प्त का सॊकेत एवॊ बीड़-बाड़ वारी गरी दे खने दाॊऩत्म जीवन भें प्रेभ फढ़ने का, सॊतान सुख लभरने
से भत्ृ मु का सभा ाय लभरने का सॊकेत है । सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गवाही दे ते दे खना फकसी अऩयाध भें पॊसने  स्वप्न भें गुठरी खाते मा पेंकते दे खना प्र यू भािा
का सॊकेत है । भें धन राब प्राप्त होने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गभरा दे खना, गभरा खारी दे खने ऩय  स्वप्न भें गें हू दे खना कहठन ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत से
झभेरे भें पसने का सॊकेत, गभरे भें पूर णखरे धन राब लभरने का सॊकेत है ।
दे खने ऩय शुब सॊकेत है ।  स्वप्न भें गें द दे खना ऩये शानी फढ़ने का सॊकेत है ।
 स्वप्न भें गरी ा अथवा ़ारीन दे खना मा उस ऩय  स्वप्न भें गें दे का पूर दे खना भानलसक अशाॊतत होने
फैठना फकसी वप्रमजन के महाॉ शोक भें शालभर होने का सॊकेत है ।
का सॊकेत है ।  स्वप्न भें गेरुआ वस्ि दे खना शुब सभम के आगभन
 स्वप्न भें ग्वारा (दध
ू वारा) मा ग्वालरन (दध
ू वारी) का सॊकेत है ।
को दे खना शुब पर लभरने का सॊकेत है । >> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
 स्वप्न भें गाड़ी दे खना मािा सपर होने का सॊकेत है ।
24 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

अॊक ज्मोततष का यहस्म


 सॊकरन गरुु त्व कामाारम
कामा औय आश् माजनक कामा को बी ऩयू ा कयने भें
गताॊक से आगे...
सभथा होते हैं।
भूराॊक 4 स्वाभी याहु भर
ू ाॊक 4 के व्मत्क्त अन्म रोगों के भक
ु ाफरे
भूराॊक 4 अधधक सॊघषाशीर होते हैं, क्मोकी मह रोग
दस
ू यों से अरग वव ाय धाया यखते हैं।
स्वाभी ग्रह: याहु
व्मत्क्त हय फकसी से अऩनी फात
लभि अॊक- 1, 5
भनवाने का प्रमास कयता हैं
शिु अॊक- 1, 7 त्जस कायण व्मत्क्त के लभि
सभ 3,6,8,9 बी कबी-कबी शिु फन जाते
हैं।
स्व अॊक-4
भूराॊक 4 वारे
महद फकसी व्मत्क्त
व्मत्क्त अ्छे सभाज
का जन्भ फकसी बी भास
सुधायक, ऩौयाणणक प्रथा का
की4,13,22 व 31 तायीख
आधतु नक प्रथा भें फदने वारे
को हुवा हैं तो उनका भूराॊक 4
होते हैं। व्मत्क्त साभात्जक ऺेिों
होता है ।
भें फदराव राने भें अग्रणीम होते हैं ।
भूराॊक 4 अॊक के व्मत्क्त अधधक
व्मत्क्त आसानी से फकसी से शीघ्र घुर-लभर
क्रोधध एवॊ तुनकलभजाज रेफकन फक्रमाशीर वव ाय धाया
नहीॊ ऩाते रेफकन एक फाय फकसी से लभिता कयरे तो
वारे होते हैं। व्मत्क्त की प्रकृतत कामा ऺेि भें दस
ू यें रोगों
उसे तनबाने का प्रमत्न कयते हैं।
से ववऩयीत अधधक साहस ऩूणा होती हैं।
भर
ू ाॊक 4 वारे व्मत्क्त अऩनी गरततमों के कायण
मह भर
ू ाॊक 4 ववषेशत् उथर-ऩथ
ु र का घोतक हैं।
जीवन ऩमान्त ऩये शान यहता हैं , व्मत्क्त ऩय अऩने मा
भर
ू ाॊक-4 वारे व्मत्क्त जीवन भें शाॊत होकय फैठ जाएॊ,
ऩयामे रोग जल्द ववश् ास नहीॊ कय ऩाते।
मह सॊबव नहीॊ हैं। व्मत्क्त की प्रकृतत के अनश
ु ाय उसके
भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त मा तो उन्नतत के सवो्
बाग्मोदम भें तनयॊ तय उताय- ढ़ाव होते यहते हैं।
लशखय ऩय होंगे मा फपय ऩतन के गहये गता भें होते हैं।
भूराॊक 4 का स्वाभी ग्रह याहु हैं, इस लरए
भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त महद आज उन्नतत की ऩयाकाष्ठा
भूराॊक 4 भें जन्भ रेने वारे व्मत्क्त के उऩय याहु का
ऩय हैं तो वहीॊ कर गहयी खाई भें होते हैं। व्मत्क्त को
ववशेष प्रबाव दे खने को लभरता हैं , क्मोफक 4 भूराॊक भें
फाय-फाय जेर मा कोटा -क हयी के क्कय काटने ऩड़ते हैं,
जन्भ रेने के कायण व्मत्क्त के लबतय याहु ग्रह की
इस प्रकाय की द्मटनाएॊ अधधकाॊशत भूराॊक 4 वारे
अनुकूरता के कायण याहु ग्रह के गुणों का सभावेश अन्म
व्मत्क्तमों के जीवन भें ही घहटत होती हैं।
ग्रहों की अऩेऺा अधधक भािा भें हो जाता हैं। याहु ग्रह के
व्मत्क्त अऩने जीवन भें अऩनी गोऩतनम नीततमों
इस ववशेष प्रबावव गुणों के कायण ही व्मत्क्त के लबतय
से अ ानक आश् माजनक रुऩ से प्रगतत के लशखय ऩय
सॊघषा औय साहस ऩूणा कामा कयने के ववशेष गण
ु ऩामे
होते हैं। व्मत्क्त हदन दोगतु न यात ौगतु न यफ्ताय से
जाते हैं। व्मत्क्त की प्रभुखता होती हैं की वह असॊबव
25 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

धन-वैबव प्राप्त कयना ाहते हैं। रेफकन व्मत्क्त को धन व्मत्क्त को ऩाऩा ाय, अनैततक इत्मादी कामा कयने वारे
सॊग्रह कयने भें कहठनाई होती हैं। व्मत्क्त की सो एवॊ रोगों से दयू यहना ाहहए औय स्वमॊ बी दयू यहना
नजरयमा सभाज से लबन्न होता हैं इस कायण व्मत्क्त ाहहए, अन्मथा व्मत्क्त फकसी औय के फकमे गमे षड़मॊि
को सभाज भें रोक तनॊदा, आरो ना एवॊ ववयोध का भें शीघ्र पॊस सकते हैं मा फकसी फड़े सॊकट भें त्रफना
साभना कयना ऩड़ता हैं। वज़ह पॊस सकते हैं। व्मत्क्त को त्रफना कायण जेर की

भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त की साभात्जक कामा भें ववशेष हवा खानी ऩड़ सकती हैं, इस लरए फकसी एसे कामा जो

रुध होती हैं इस कायण व्मत्क्त को सभाज भें अ्छा सभाज औय कानून की नज़यों भें अनुध त औय अनैततक

भान-सम्भान एवॊ ख्मातत प्राप्त होती है । व्मत्क्त के हो उससे दयू यहना ाहहए।

लबतय अद्भत
ु कामा दऺता होने के कायण मह दस
ू यों के व्मत्क्त को प्राम् प्रेभ प्रसॊगों भें असपरता,
लरए एक प्रेयणा स्िोत फन सकते हैं। व्मत्क्त के जीवन फदनाभी, धोखा आहद लभरते हैं, इस लरए व्मत्क्त को
भें सपरता एवॊ असपरता प्राम् सभान रुऩ से रने के प्रेभ ऩसॊगों भें ववशेष सावधानी फयतनी ाहहए। अऩना
कायण भर
ू ाॊक 4 वारे व्मत्क्त अधधकतय ध तॊ तत एवॊ व्मवहाय औय रयि साप-सथ
ु या यखें अन्मथा व्मत्क्त को
तनाव ग्रस्त होते दे खे जाते हैं। व्मत्क्त को सभाज भें अऩने प्रेभी के साथ-साथ स्वजनों एवॊ सभाज से ववयोध
अऩना ऩद-प्रततष्ठा फनाएॊ यखने के लरए तनयॊ तय प्रमास एवॊ अऩभान सहना ऩड़ सकता हैं।
यत यहना ऩड़ता हैं। व्मत्क्त हय सभम कुछ नमा कय भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त कबी-कबी इतने स्वाथॉ
हदखाने की ाह यखता हैं , त्जसके लरए वह तनयॊ तय नमे- हो जाते हैं की वहॊ अऩने कामा-उद्देश्म की ऩूतता के लरए
नमे शोध एवॊ आववष्काय कयने भें रगे यहते हैं। उध त-अनुध त, नैततक-अनैततक सबी भूल्मों को ताक
भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त बौततक सुख साधन एवॊ ऩय यख दे ते हैं, औय केवर अऩने स्वाथा की ऩूतता भें ही
ऐशोआयाभ के ऩीछे अधधक धन व्मम कयते हैं त्जस रगे यहते हैं, त्जस कायण व्मत्क्त को प्राम् सभम कामा
कायण उनके लरए धन सॊग्रह कयना कहठन हो जाता हैं। ऺेि भें असपरता का साभना कयना ऩडाता
ा़ हैं। इस लरए
इस लरए व्मत्क्त को मथा सॊबव अऩनें व्ममों ऩय भूराॊक 4 वारे व्मत्क्त महद अऩने स्वबाव तथा
तनमॊिण कयके धन सॊम कयने ऩय अधधक ध्मान यखना वव ायधाया भें सुधाय कयते हैं तो व्मत्क्त हय ऺेि भें
ाहहए। व्मत्क्त को धन सॊफॊधधत कामों भें हहसाफ साप- सपरता प्राप्त कय सकते हैं।
सुथया यखना ाहहए अन्मथा दस
ू यों को हदमा गमा ऩैसा व्मत्क्त गस्
ु सेर मा तन
ु कलभजाज ककाश स्वबाव
मा उधायी वाऩस नहीॊ लभरेगी औय फकसी से उधाय लरमे के होने के कायण व्मत्क्त फात-फात भें ध ड़ जाते हैं।
धन मा साभान भें हेया-पेयी इत्माहद कयने से फ े व्मत्क्त के भन से अरग कामा हो जाने ऩय मे अऩने
अन्मथा त्जतने भूल्म की हे यापेयी होगी, आऩको उस्से आऩे से फाहय हो जाते हैं। रेफकन त्जतनी गतत से क्रोध
कई गुना अधधक का नुकसान उठाना ऩड़ सकता हैं। ढ़ता हैं , उतनी ही तीव्र गतत से वह उतय बी जाता हैं।
भर
ू ाॊक 4 वारे व्मत्क्त को फकसी बी प्रकाय के गस्
ु से भें व्मत्क्त अऩना आऩा खों फेठते हैं औय फकसे
व्मसन औय नशे आहद से दयू यहना ाहहए, महद व्मत्क्त क्मा फोरना मा कहना ाहहए इस का होश नहीॊ होता
को एक फाय फकसी व्मसन की रत रग जाती हैं तो वह त्जस कायण व्मत्क्त हय फकसी से शित
ु ा एवॊ ववयोध कय
जल्द नहीॊ छुटती व्मत्क्त नशे का गुराभ हो जाता हैं, रेता हैं। व्मत्क्त के जीवन भें शिओ
ु ॊ की कभी नहीॊ
औय अऩनी सॊध त जभा ऩूॊत्ज को नशे के ऩीछे ही ख ा होती, एक शिु को ऩयास्त कयने ऩय दस नए शिु ऩैदा
कय दे ता हैं। इसके अरावा व्मत्क्त को जुआ, धत
ृ क्रीड़ा, हो जामेंगे हैं। व्मत्क्त के शिु ऩीठ ऩीछे कु क्र य ें गे,
सट्टा, रॉटयी इत्माहद कामों से बी दयू यहना ाहहए नहीॊ षड़मॊि कयते यहें गे रेफकन भुॊह के साभने कुछ बी नहीॊ
तो व्मत्क्त इस कामों भें अऩना सफ कुछ खो फैठता हैं। कय ऩाएॊगे।
26 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

शुब हदन: भूरांक 4 के व्मक्क्त के लरए कष्ट ननलायक उऩाम

शब वषा 22,31,40,49,58,67,76 वाॊ वषा हैं,  आऩका भूरांक के स्वाभी ग्रह याहु के शुब प्रबावो

ततधथ 4,13,22,31 वषा दामक होती हैं , फकसी कामा भें की ववृ ि हे तु आऩ अऩनी भध्मभा उॊ गरी भें गोभेद

सपरता प्राप्त कयने के लरमे इन्हीॊ ततधथ का प्रमोग धायण कय सकते हैं। अऩने ऩूजा स्थान भें प्राण-

कयना ाहहमे, इन ततधथमों भें शतनवाय का हदन ऩड़े तो प्रततत्ष्ठत याहु मॊि को स्थावऩत कय सकते हैं।

फहुत वषा होता हैं।  महद आधथाक सभस्मा हो तो प्राण-प्रततत्ष्ठत श्रीमॊि


का तनमलभत ऩूजन कयना राबप्रद यहे गा।
स्वास्र्थम्
ग्रश ळांनत के लरए व्रत उऩलाव:
व्मत्क्त प्राम् यक्त की कभी से ऩीडड़त यहते हैं। व्रत: याहु ग्रह के लरए कोई हदन तनत्श् त नहीॊ फकमा
यक्त की कभी से अनेक योग आ घेयते हैं। ऐसे
गमा हैं, इस लरए याहु को प्रसन्न कयने हे तु शतनवाय के
व्मत्क्तमों को रोहतत्व मक्
ु त बोजन कयना ाहहमें।
हदन व्रत फकमा जा सकता हैं। याहु का व्रत कयने से
रने-फपयने तथा ष्वास रेने भें कश्ट होना, पैपड़ो की
शिओ
ु ॊ ऩय ववजम प्राप्त हैं, सयकायी कामों भें सहमोग
खयाफी, अतनद्रा, भ्रभ, हहस्रीयीमा, शदॊ, ऩैयों का पटना
प्राप्त होता हैं, याहु-केतु से सॊफॊधधत सबी योगो का शभन
ऩैयों भें ददा , ऩैयों की अन्म फीभारयमाॊ होती हैं। गुदे से
सॊफॊधध योग बी हो जाते हैं। व्मत्क्त भानलसक रूऩ से बी होता हैं।

अस्वस्थ एवॊ तनावग्रस्त यहता हैं। लसय ददा बी ऩामा ग्रश ळांनत के लरए उऩमुक्त रुद्राष:
जाता हैं। आऩका भर ू ांक स्वाभी याहु हैं अत् याहु ग्रह के अशब ु
प्रबाव को दयू कयने औय शब ु परों की प्रात्प्त के लरए 8
उऩमुक्त आहाय्
भख
ु ी रुद्राऺ धायण कयना आऩके लरए उऩमक्
ु त यहे गा।
रौकी, ककड़ी, खीया, अॊगूय, सेफ, अनानस,
आऩ 8 भख
ु ी रुद्राऺ के साथ भें 7 भख
ु ी मा 14 भख
ु ी
तुरसी, कारीलभ ा एवॊ हल्दी उऩमोंगी हैं। नषीरी ीजों
औय 9 भख
ु ी रुद्राऺ धायण कयने से बी आऩको ववशेष
से ऩयहे ज कयें तेज भसारेदाय बोजन से फ ें , षाकाहाय
शुब ऩरयणाभो की प्रात्प्त होगी।
ऩय अधधक ध्मान दें ।
ळांनत के लरए दान
अनुकूर व्मवसाम: ग्रश:- याशु लाय:- ळननलाय
व्मत्क्त इॊजीतनमय, सेल्सभैन, भुतनभ ;ब्ण ्। ि, याहु ग्रह फक शाॊतत हेतु कारी वस्तु एवॊ गोभेद, नीरा
दारू, त्स्प्रट, तेर, केयोसीन, अका, ईि, वामु सेना, जर- कऩड़ा, कॊफर, साफूत सयसों (याई), ऊनी कऩड़ा, कारे
जहाज, यॊ ग कामा, टे लरपोन, ओऩये टय, करा, दजॉ, ततर व तेर का दान कयने से शुबपर फक प्रात्प्त होती हैं
स्टे नो, वषल्ऩ काय, ववघुत, ठे केदाय, खदान, वकारत, ग्रश ळांनत के अन्म वयर उऩाम:
ा़
ये रवे, टे रीग्रापी, ऩिकारयता, तम्फाकू, रेखन, सॊऩादन,  भाता-वऩता एवॊ फडे-फुजुगों का सम्भान कयें ।
राॊसऩोटा , याजनीतत, ज्मोततष, फीभा, दरारी, ऩुयातत्व  सत्कभा कयते यहें आऩके सबी कामा स्वत् लसवि
ववऻान आहद सॊफॊधधत कामो भें अधधक सपर होते हैं। होते जामेगें।
 बगवान लशव, ववष्णु मा भाॉ दग
ु ाा का स्भयण कयते
शब
ु हदशा:
हुवे हदन की शुरुवात कयें ।
व्मत्क्त के लरए नौकत्म कोण एवॊ ऩत्श् तभ हदशा
 बोजन कयते सभम लसय ढक कय न यखें औय
अनुकूर होती हैं। व्मत्क्त के लरए क्रीभयॊ ग, नीरा,
दक्षऺण हदशा की ओय भुॊह कयके बोजन न कयें ।
लभधश्रत, खाकी, भकदाय, नीरेयॊग के वस्ि अनुकूर एवॊ
 फकसी से दव्ु मावहाय न कयें ।
बाग्मशारी होते हैं।
>> क्रभश: अगरे अॊक भें ...
27 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

भॊि लसि दर
ु ब
ा साभग्री
कारी हल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751 हल्दी भारा - Rs- 280
धन ववृ ि हकीक सेट Rs-280 (कारी हल्दी के साथ Rs-550) तुरसी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
हकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नवयॊ गी हकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 हकीक भारा (सात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग केशय: 11 ग्राभ, Rs-145 भॊग
ू े की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पहटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
सपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 वैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुद्राऺ भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above ववधुत भारा - Rs- 190, 280
कालभमा लसॊदयू - Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भल्
ू म भें अॊतय छोटे से फड़े आकाय के कायण हैं।
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भॊि लसि स्पहटक श्री मॊि


"श्री मॊि" सफसे भहत्वऩण
ू ा एवॊ शत्क्तशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह अत्मन्त
शब
ु र्रदमी मॊि है । जो न केवर दस
ू ये मन्िो से अधधक से अधधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय के हय
व्मत्क्त के लरए पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩण
ू ा प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण
ू ा त
ै न्म मक्
ु त "श्री मॊि" त्जस व्मत्क्त
के घय भे होता है उसके लरमे "श्री मॊि" अत्मन्त र्रदामी लसि होता है उसके दशान भाि से अन-धगनत राब
एवॊ सख
ु की प्रात्प्त होतत है । "श्री मॊि" भे सभाई अहद्रततम एवॊ अद्रश्म शत्क्त भनष्ु म की सभस्त शब
ु इ्छाओॊ
को ऩयू ा कयने भे सभथा होतत है । त्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनष्ु म असर्रता
से सर्रता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त बौततक सख
ु ो फक प्रात्प्त होतत
है । "श्री मॊि" भनष्ु म जीवन भें उत्ऩन्न होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक
उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से
वास्तु दोष म वास्तु से सम्फत्न्धत ऩये शातन भे न्मन
ु ता आतत है व सख
ु -सभवृ ि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रत्प्त
होती है । >> Shop Online | Order Now
गुरुत्ल कामावरम भे ववलबन्न आकाय के "श्री मॊि" उप्रब्ध है
भूल्म:- प्रनत ग्राभ Rs. 28.00 वे Rs.100.00

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28 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सवा कामा लसवि कव


त्जस व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के
फादबी उसे भनोवाॊतछत सपरतामे एवॊ फकमे गमे कामा भें
लसवि (राब) प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मत्क्त को सवा कामा
लसवि कव अवश्म धायण कयना ाहहमे।
कलच के प्रभुख राब: सवा कामा लसवि कव के द्वारा
सख
ु सभवृ ि औय नल ग्रशों के नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय
धायण कयता व्मत्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र
का नाश हो कय सख
ु -सौबाग्म एवॊ उन्नतत प्रात्प्त होकय
जीवन भे सलब प्रकाय के शब
ु कामा लसि होते हैं। त्जसे धायण
कयने से व्मत्क्त महद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे ववृ ि
होतत हैं औय महद नौकयी कयता होतो उसभे उन्नतत होती हैं।

 सवा कामा लसवि कव के साथ भें वलवजन लळीकयण कव


के लभरे होने की वजह से धायण कताा की फात का दस
ू ये
व्मत्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं।

 सवा कामा लसवि कव के साथ भें अष्ट रक्ष्भी कव के


लभरे होने की वजह से व्मत्क्त ऩय सदा भाॊ भहा रक्ष्भी
की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। त्जस्से भाॊ रक्ष्भी
के अष्ट रुऩ (१)-आहद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-सॊतान रक्ष्भी, (६)-
ववजम रक्ष्भी, (७)-ववद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं।

 सवा कामा लसवि कव के साथ भें तंत्र यषा कव के लभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू होती हैं,
साथ ही नकायात्भक शत्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मत्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव के प्रबाव
से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मत्क्तओ द्वारा होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं।

 सवा कामा लसवि कव के साथ भें ळत्रु वलजम कव के लभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊधधत सभस्त
ऩये शातनओ से स्वत् ही छुटकाया लभर जाता हैं। कव के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मत्क्त का ाहकय
कुछ नही त्रफगाड़ सकते।

अन्म कव के फाये भे अधधक जानकायी के लरमे कामाारम भें सॊऩका कये :


फकसी व्मत्क्त ववशेष को सवा कामा लसवि कव दे ने नही दे ना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास सयु क्षऺत हैं।
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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


29 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

दस भहाववद्या ऩज
ू न मॊि Das Mahavidy a Poojan Yantra | Dasmahavidy a Pujan Yantra

दस भहाववद्या ऩूजन मॊि को दे वी दस


भहाववद्या की शत्क्तमों से मुक्त अत्मॊत
प्रबावशारी औय दर
ु ब
ा मॊि भाना गमा हैं।
इस मॊि के भाध्मभ से साधक के ऩरयवाय
ऩय दसो महाविद्याओॊ का आलशवााद प्राप्त होता
हैं। दस भहाववद्या मॊि के तनमलभत ऩूजन-दशान
से भनुष्म की सबी भनोकाभनाओॊ की ऩूतता होती
हैं। दस भहाववद्या मॊि साधक की सभस्त
इ्छाओॊ को ऩण
ू ा कयने भें सभथा हैं। दस
भहाववद्या मॊि भनुष्म को शत्क्तसॊऩन्न एवॊ
बूलभवान फनाने भें सभथा हैं।
दस भहाववद्या मॊि के श्रिाऩूवक
ा ऩूजन
से शीघ्र दे वी कृऩा प्राप्त होती हैं औय साधक को
दस भहाववद्या दे वीमों की कृऩा से सॊसाय की
सभस्त लसविमों की प्रात्प्त सॊबव हैं। दे वी दस
भहाववद्या की कृऩा से साधक को धभा, अथा,
काभ व ् भोऺ तुववाध ऩुरुषाथों की प्रात्प्त हो
सकती हैं। दस भहाववद्या मॊि भें भाॉ दग
ु ाा के दस
अवतायों का आशीवााद सभाहहत हैं, इस लरए दस
भहाववद्या मॊि को के ऩूजन एवॊ दशान भाि से व्मत्क्त अऩने जीवन को तनयॊ तय अधधक से अधधक साथाक एवॊ
सपर फनाने भें सभथा हो सकता हैं।
दे वी के आलशवााद से व्मत्क्त को ऻान, सख
ु , धन-सॊऩदा, ऐश्वमा, रूऩ-सौंदमा की प्रात्प्त सॊबव हैं। व्मत्क्त को वाद-
वववाद भें शिओ
ु ॊ ऩय ववजम की प्रात्प्त होती हैं।
दश भहाववद्या को शास्िों भें आद्या बगवती के दस बेद कहे गमे हैं, जो क्रभश् (1) कारी, (2) ताया, (3)
षोडशी, (4) बव
ु नेश्वयी, (5) बैयवी, (6) तछन्नभस्ता, (7) धभ
ू ावती, (8) फगरा, (9) भातॊगी एवॊ (10)
कभात्त्भका। इस सबी दे वी स्वरुऩों को, सत्म्भलरत रुऩ भें दश भहाववद्या के नाभ से जाना जाता हैं।
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30 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

अभोद्य भहाभत्ृ मॊुजम कव


अभोद्य् भहाभत्ृ मॊज
ु म कव व उल्रेणखत अन्म साभग्रीमों को शास्िोक्त ववधध-ववधान से
ववद्वान ब्राह्भणो द्वारा वला राख भशाभत्ृ मुंजम भंत्र जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वारा तनलभात कव
अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं।

अभोद्य् भहाभत्ृ मॊुजम कव


अभोद्य् भहाभत्ृ मॊज
ु म
कव फनवाने हे त:ु
अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, कव
गोि, एक नमा पोटो बेजे दक्षऺणा भाि: 10900

कव के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु गरु


ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें । >> Order Now
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श्री हनुभान मॊि


शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनभ
ु ान जी को बगवान सम
ू द
ा े व ने ब्रह्भा जी के आदे श ऩय हनभ
ु ान जी को
अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि का
ऩूणा ऻान दॉ ग
ू ा। त्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि ववद्या भें इन्हें भहायत हालसर
होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुशाय हनुभान मॊि की आयाधना से
ऩुरुषों की ववलबन्न फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत
ु शत्क्त सभाहहत होने के कायण व्मत्क्त की
स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माहद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें
अत्मन्त राबकायी हैं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हैं। श्री हनुभान मॊि व्मत्क्त को सॊकट, वाद-
वववाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, ववषबम, ोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माहद से सॊकटो से
यऺा कयता हैं औय लसवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं। श्री हनुभान मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे
गरु
ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें । भल्
ू म Rs- 325 वे 12700 तक >> Shop Online | Order Now

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31 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

भॊि लसि ऩायद प्रततभा


ऩायद श्री मॊि ऩायद रक्ष्भी गणेश ऩायद रक्ष्भी नायामण ऩायद रक्ष्भी नायामण

21 Gram से 5.250 Kg तक 100 Gram 121 Gram 100 Gram


उऩरब्ध
ऩायद लशवलरॊग ऩायद लशवलरॊग+नॊहद ऩायद लशवजी ऩायद कारी

21 Gram से 5.250 Kg तक 101 Gram से 5.250 Kg 75 Gram 37 Gram


उऩरब्ध तक उऩरब्ध
ऩायद दग
ु ाा ऩायद दग
ु ाा ऩायद सयस्वती ऩायद सयस्वती

82 Gram 100 Gram 50 Gram 225 Gram


ऩायद हनुभान 2 ऩायद हनुभान 3 ऩायद हनुभान 1 ऩायद कुफेय

100 Gram 125 Gram 100 Gram 100 Gram


हभायें महाॊ सबी प्रकाय की भॊि लसि ऩायद प्रततभाएॊ, लशवलरॊग, वऩयालभड, भारा एवॊ गुहटका शुि ऩायद भें उऩरब्ध हैं।
त्रफना भॊि लसि की हुई ऩायद प्रततभाएॊ थोक व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध हैं।
ा़
ज्मोततष, यत्न व्मवसाम, ऩूजा-ऩाठ इत्माहद ऺेि से जुडे फॊध/ु फहन के लरमे हभायें ववशेष मॊि, कव , यत्न, रुद्राऺ व अन्म दर
ु ब
साभग्रीमों ऩय ववशेष सुत्रफधाएॊ उऩरब्ध हैं। अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।
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32 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

हभाये ववशेष मॊि


व्माऩाय लवृ ि मंत्र: हभाये अनब
ु वों के अनस
ु ाय मह मॊि व्माऩाय ववृ ि एवॊ ऩरयवाय भें सख
ु सभवृ ि हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।
बलू भराब मंत्र: बलू भ, बवन, खेती से सॊफॊधधत व्मवसाम से जड़ु े रोगों के लरए बलू भराब मॊि ववशेष राबकायी लसि
हुवा हैं।
तंत्र यषा मंत्र: फकसी शिु द्वारा फकमे गमे भॊि-तॊि आहद के प्रबाव को दयू कयने एवॊ बूत, प्रेत नज़य आहद फुयी
शत्क्तमों से यऺा हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।
आकक्स्भक धन प्राक्प्त मंत्र: अऩने नाभ के अनुसाय ही भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रात्प्त हे तु परप्रद हैं इस
मॊि के ऩज
ू न से साधक को अप्रत्मालशत धन राब प्राप्त होता हैं। ाहे वह धन राब व्मवसाम से हो, नौकयी से हो,
धन-सॊऩत्त्त इत्माहद फकसी बी भाध्मभ से मह राब प्राप्त हो सकता हैं। हभाये वषों के अनस
ु ॊधान एवॊ अनब
ु वों से
हभने आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि से शेमय रे डडॊग, सोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्माहद सॊफॊधधत ऺेि से जड
ु े रोगो को
ववशेष रुऩ से आकत्स्भक धन राब प्राप्त होते दे खा हैं। आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि से ववलबन्न स्रोत से धनराब बी
लभर सकता हैं।
ऩदौन्ननत मंत्र: ऩदौन्नतत मॊि नौकयी ऩैसा रोगो के लरए राबप्रद हैं। त्जन रोगों को अत्माधधक ऩरयश्रभ एवॊ श्रेष्ठ
कामा कयने ऩय बी नौकयी भें उन्नतत अथाात प्रभोशन नहीॊ लभर यहा हो उनके लरए मह ववशेष राबप्रद हो सकता हैं।
यत्नेश्लयी मंत्र: यत्नेश्वयी मॊि हीये -जवाहयात, यत्न ऩत्थय, सोना- ाॊदी, ज्वैरयी से सॊफॊधधत व्मवसाम से जुडे रोगों के
लरए अधधक प्रबावी हैं। शेय फाजाय भें सोने- ाॊदी जैसी फहुभल्
ू म धातओ
ु ॊ भें तनवेश कयने वारे रोगों के लरए बी
ववशेष राबदाम हैं।
बलू भ प्राक्प्त मंत्र: जो रोग खेती, व्मवसाम मा तनवास स्थान हे तु उत्तभ बूलभ आहद प्राप्त कयना ाहते हैं, रेफकन
उस कामा भें कोई ना कोई अड़ न मा फाधा-ववर्घन आते यहते हो त्जस कायण कामा ऩण
ू ा नहीॊ हो यहा हो, तो उनके
लरए बलू भ प्रात्प्त मॊि उत्तभ परप्रद हो सकता हैं।
गश
ृ प्राक्प्त मंत्र: जो रोग स्वमॊ का घय, दक
ु ान, ओफपस, पैक्टयी आहद के लरए बवन प्राप्त कयना ाहते हैं।
मथाथा प्रमासो के उऩयाॊत बी उनकी अलबराषा ऩूणा नहीॊ हो ऩायही हो उनके लरए गह
ृ प्रात्प्त मॊि ववशेष उऩमोगी लसि
हो सकता हैं।
कैराव धन यषा मंत्र: कैरास धन यऺा मॊि धन ववृ ि एवॊ सुख सभवृ ि हे तु ववशेष परदाम हैं।
आधथाक राब एवॊ सुख सभवृ ि हे तु 19 दर
ु ब
ा रक्ष्भी मॊि >> Shop Online | Order Now

ववलबन्न रक्ष्भी मॊि


श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भहारक्ष्भमै फीज मॊि कनक धाया मॊि
श्री मॊि (भॊि यहहत) भहारक्ष्भी फीसा मॊि वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान लसवि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)

श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सहहत) रक्ष्भी दामक लसि फीसा मॊि श्री श्री मॊि (रलरता भहात्रिऩुय सुन्दमै श्री भहारक्ष्भमैं श्री भहामॊि)

श्री मॊि (फीसा मॊि) रक्ष्भी दाता फीसा मॊि अॊकात्भक फीसा मॊि
श्री मॊि श्री सूक्त मॊि रक्ष्भी फीसा मॊि ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) रक्ष्भी गणेश मॊि धनदा मॊि > Shop Online | Order Now

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33 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सवालसविदामक भहु द्रका


इस भहु द्रका भें भग
ॊू े को शब
ु भह
ु ू ता भें त्रिधातु (सव
ु णा+यजत+ताॊफें) भें जड़वा कय उसे शास्िोक्त ववधध-
ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वारा सवालसविदामक फनाने हे तु प्राण-प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩणू ा तै न्म मक्
ु त
फकमा जाता हैं। इस भहु द्रका को फकसी बी वगा के व्मत्क्त हाथ की फकसी बी उॊ गरी भें धायण कय
सकते हैं। महॊ भहु द्रका कबी फकसी बी त्स्थती भें अऩववि नहीॊ होती। इस लरए कबी भहु द्रका को
उतायने की आवश्मक्ता नहीॊ हैं। इसे धायण कयने से व्मत्क्त की सभस्माओॊ का सभाधान होने
रगता हैं। धायणकताा को जीवन भें सपरता प्रात्प्त एवॊ उन्नतत के नमे भागा प्रसस्त होते यहते हैं
औय जीवन भें सबी प्रकाय की लसविमाॊ बी शीध्र प्राप्त होती हैं। भल्
ू म भात्र- 6400/-
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(नोट: इस भुहद्रका को धायण कयने से भॊगर ग्रह का कोई फुया प्रबाव साधक ऩय नहीॊ होता हैं।)
वलवलवविदामक भहु द्रका के वलऴम भें अधधक जानकायी के लरमे शे तु वम्ऩकव कयें ।

ऩतत-ऩत्नी भें करह तनवायण हे तु


महद ऩरयवायों भें सख
ु -सुववधा के सभस्त साधान होते हुए बी छोटी-छोटी फातो भें ऩतत-ऩत्नी के त्रफ भे
करह होता यहता हैं, तो घय के त्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गुरुत्व कामाारत द्वारा शास्िोक्त
ववधध-ववधान से भॊि लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण
ू ा ैतन्म मक्
ु त वशीकयण कव एवॊ गहृ करह नाशक
डडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें त्रफना फकसी ऩूजा, ववधध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय
सकते हैं। महद आऩ भॊि लसि ऩतत वशीकयण मा ऩत्नी वशीकयण एवॊ गह
ृ करह नाशक डडब्फी फनवाना
ाहते हैं, तो सॊऩका आऩ कय सकते हैं।

100 से अधधक जैन मॊि


हभाये महाॊ जैन धभा के सबी प्रभुख, दर
ु ब
ा एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ऩि,
लसरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे उऩरब्ध हैं।
हभाये महाॊ सबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, लसरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है।
इसके अरावा आऩकी आवश्मकता अनस
ु ाय आऩके द्वारा प्राप्त (ध ि, मॊि, डड़ज़ाईन) के अनरु
ु ऩ मॊि
बी फनवाए जाते है. गुरुत्व कामाारम द्वारा उऩरब्ध कयामे गमे सबी मॊि अखॊडडत एवॊ 22 गेज शि

कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 ट शि
ु लसरवय ( ाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है। मॊि
के ववषम भे अधधक जानकायी के लरमे हे तु सम्ऩका कयें ।
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34 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

द्वादश भहा मॊि


मॊि को अतत प्राध न एवॊ दर
ु ब
ा मॊिो के सॊकरन से हभाये वषो के अनुसॊधान
द्वारा फनामा गमा हैं।
 ऩयभ दर
ु ब
ा वशीकयण मॊि,  सहस्िाऺी रक्ष्भी आफि मॊि
 बाग्मोदम मॊि  आकत्स्भक धन प्रात्प्त मॊि
 भनोवाॊतछत कामा लसवि मॊि  ऩूणा ऩौरुष प्रात्प्त काभदे व मॊि
 याज्म फाधा तनवत्ृ त्त मॊि  योग तनवत्ृ त्त मॊि
 गहृ स्थ सुख मॊि  साधना लसवि मॊि
 शीघ्र वववाह सॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि  शिु दभन मॊि

उऩयोक्त सबी मॊिो को द्वादश भहा मॊि के रुऩ भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि ऩूणा
प्राणप्रततत्ष्ठत एवॊ ैतन्म मक्
ु त फकमे जाते हैं। त्जसे स्थाऩीत कय त्रफना फकसी ऩज
ू ा
अ न
ा ा-ववधध ववधान ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं।
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 क्मा आऩके फ् े कुसॊगती के लशकाय हैं?

 क्मा आऩके फ् े आऩका कहना नहीॊ भान यहे हैं?

 क्मा आऩके फ् े घय भें अशाॊतत ऩैदा कय यहे हैं?

घय ऩरयवाय भें शाॊतत एवॊ फ् े को कुसॊगती से छुडाने हे तु फ् े के नाभ से गरु


ु त्व कामाारत
द्वारा शास्िोक्त ववधध-ववधान से भॊि लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा ैतन्म मुक्त वशीकयण कव
एवॊ एस.एन.डडब्फी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩज
ू ा, ववधध-ववधान से
आऩ ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं। महद आऩ तो आऩ भॊि लसि वशीकयण कव एवॊ
एस.एन.डडब्फी फनवाना ाहते हैं, तो सॊऩका इस कय सकते हैं।

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92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ODISHA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
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35 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सॊऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत 22 गेज शुि स्टीर भें तनलभात अखॊडडत

ऩुरुऴाकाय ळनन मंत्र


ऩरु
ु षाकाय शतन मॊि (स्टीर भें ) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शतन की कायक धातु शि

स्टीर(रोहे ) भें फनामा गमा हैं। त्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राप्त होता हैं। महद
जन्भ कॊु डरी भें शतन प्रततकूर होने ऩय व्मत्क्त को अनेक कामों भें असपरता प्राप्त होती है, कबी
व्मवसाम भें घटा, नौकयी भें ऩये शानी, वाहन दघ
ु ट
ा ना, गह
ृ क्रेश आहद ऩये शानीमाॊ फढ़ती जाती है
ऐसी त्स्थततमों भें प्राणप्रततत्ष्ठत ग्रह ऩीड़ा तनवायक शतन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भें
ा़
स्थाऩना कयने से अनेक राब लभरते हैं। महद शतन की ढै मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे
अवश्म ऩज
ू ना ाहहए। शतनमॊि के ऩज
ू न भाि से व्मत्क्त को भत्ृ मु, कजा, कोटा केश, जोडो का ददा ,
फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मत्क्त के लरमे शतन मॊि अधधक
राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आहद के रोगों को ऩदौन्नतत बी शतन द्वारा ही लभरती है अत् मह
मॊि अतत उऩमोगी मॊि है त्जसके द्वारा शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है ।
भल्
ू म: 1225 वे 8200 >> Shop Online | Order Now

सॊऩण
ू ा प्राणप्रततत्ष्ठत
22 गेज शुि स्टीर भें तनलभात अखॊडडत

शतन तैततसा मॊि


शतनग्रह से सॊफॊधधत ऩीडा के तनवायण हे तु ववशेष राबकायी मॊि।
भल्
ू म: 640 वे 12700 >> Shop Online | Order Now

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36 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

नवयत्न जडड़त श्री मॊि


शास्ि व न के अनुसाय शुि सुवणा मा
यजत भें तनलभात श्री मॊि के ायों औय
महद नवयत्न जड़वा ने ऩय मह नवयत्न
जडड़त श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को
उसके तनत्श् त स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट
के रूऩ भें धायण कयने से व्मत्क्त को
अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रात्प्त होती
हैं। व्मत्क्त को एसा आबास होता हैं जैसे
भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री
मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशुब
दशा का धायणकयने वारे व्मत्क्त ऩय
प्रबाव नहीॊ होता हैं।

गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो
जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस लरमे इसे सफसे
तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत
ृ से उत्तभ कोई औषधध नहीॊ, उसी प्रकाय
रक्ष्भी प्रात्प्त के लरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं।
इस प्रकाय के नवयत्न जडड़त श्री मॊि गरू
ु त्व कामाारम द्वाया शब
ु भह
ु ू ता भें प्राण प्रततत्ष्ठत
कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 4600, 5500, 6400 से 10,900 से अधधक
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अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

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37 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

भॊि लसि वाहन दघ


ु ट
ा ना नाशक भारुतत मॊि
ऩौयाणणक ग्रॊथो भें उल्रेख हैं की भहाबायत के मुि के सभम अजुन
ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुतत ध्वज
एवॊ भारुतत मन्ि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩूणा मुि के दौयान हज़ायों-राखों प्रकाय के आग्नेम
अस्ि-शस्िों का प्रहाय होने के फाद बी अजन
ुा का यथ जया बी ऺततग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृष्ण भारुतत मॊि
के इस अद्भत ु यहस्म को जानते थे फक त्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुतत नॊदन कयते हों, वह
दघु ट
ा नाग्रस्त कैसे हो सकता हैं। वह यथ मा वाहन तो वामव
ु ेग से, तनफााधधत रुऩ से अऩने रक्ष्म ऩय ववजम ऩतका
रहयाता हुआ ऩहुॊ ग
े ा। इसी लरमे श्री कृष्ण नें अजन
ुा के यथ ऩय श्री भारुतत मॊि को अॊफकत कयवामा था।
त्जन रोगों के स्कूटय, काय, फस, रक इत्माहद वाहन फाय-फाय दघ ु ट
ा ना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन
को नऺ
ु ान हो यहा हों! उन्हें हानी एवॊ दघ
ु ट
ा ना से यऺा के उद्देश्म से अऩने वाहन ऩय भॊि लसि श्री भारुतत मॊि अवश्म
रगाना ाहहए। जो रोग रान्स्ऩोहटं ग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जड
ु े हैं उनको श्रीभारुतत मॊि को अऩने वाहन भें
अवश्म स्थावऩत कयना ाहहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जड
ु े सैकडों रोगों का अनब
ु व यहा हैं की श्री भारुतत मॊि
को स्थावऩत कयने से उनके वाहन अधधक हदन तक अनावश्मक ख ो से एवॊ दघ
ु ट
ा नाओॊ से सयु क्षऺत यहे हैं। हभाया
स्वमॊका एवॊ अन्म ववद्वानो का अनुबव यहा हैं, की त्जन रोगों ने श्री भारुतत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हैं, उन
रोगों के वाहन फडी से फडी दघ
ु ट
ा नाओॊ से सुयक्षऺत यहते हैं। उनके वाहनो को कोई ववशेष नुक्शान इत्माहद नहीॊ होता
हैं औय नाहीॊ अनावश्मक रुऩ से उसभें खयाफी आतत हैं।
लास्तु प्रमोग भें भारुनत मंत्र: मह भारुतत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है । महद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा
उस ऩय कोई वाद-वववाद हो, तो इ्छा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उध त भूल्म ऩय त्रफक जामे इस लरमे इस भारुतत मॊि
का प्रमोग फकमा जा सकता हैं। इस भारुतत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा वववादभुक्त हो जाएगी।
इस लरमे मह मॊि दोहयी शत्क्त से मुक्त है ।
भारुतत मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।
भल्
ू म Rs- 325 वे 12700 तक

श्री हनुभान मॊि शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनुभान जी को बगवान सूमद
ा े व ने ब्रह्भा जी के आदे श ऩय
हनुभान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि
का ऩूणा ऻान दॉ ग
ू ा। त्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि ववद्या भें इन्हें भहायत हालसर होगी
औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुसाय हनुभान मॊि की आयाधना से ऩुरुषों की
ववलबन्न फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत
ु शत्क्त सभाहहत होने के कायण व्मत्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग,
यक्त दोष, वीमा दोष, भूछाा, नऩुॊसकता इत्माहद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें अत्मन्त राबकायी हैं। अथाात
मह मॊि ऩौरुष को ऩुष्ट कयता हैं। श्री हनुभान मॊि व्मत्क्त को सॊकट, वाद-वववाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, ववषबम, ोय
बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्माहद से सॊकटो से यऺा कयता हैं औय लसवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं।
श्री हनुभान मॊि के ववषम भें अधधक जानकायी के लरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।
भूल्म Rs- 910 वे 12700 तक

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38 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

वललबन्न दे लताओं के मंत्र


गणेश मॊि भहाभत्ृ मज
ुॊ म मॊि याभ यऺा मॊि याज
गणेश मॊि (सॊऩण
ू ा फीज भॊि सहहत) भहाभत्ृ मज
ुॊ म कव मॊि याभ मॊि
गणेश लसि मॊि भहाभत्ृ मज
ॊु म ऩज
ू न मॊि द्वादशाऺय ववष्णु भॊि ऩज
ू न मॊि
एकाऺय गणऩतत मॊि भहाभत्ृ मुॊजम मुक्त लशव खप्ऩय भाहा लशव ववष्णु फीसा मॊि
मॊि
हरयद्रा गणेश मॊि लशव ऩॊ ाऺयी मॊि गरुड ऩज
ू न मॊि
कुफेय मॊि लशव मॊि ध त
ॊ ाभणी मॊि याज
श्री द्वादशाऺयी रुद्र ऩज
ू न मॊि अवद्वतीम सवाकाम्म लसवि लशव मॊि ध त
ॊ ाभणी मॊि
दत्तािम मॊि नलृ सॊह ऩज
ू न मॊि स्वणााकषाणा बैयव मॊि
दत्त मॊि ऩॊ दे व मॊि हनभ
ु ान ऩज
ू न मॊि
आऩदि
ु ायण फटुक बैयव मॊि सॊतान गोऩार मॊि हनभ
ु ान मॊि
फटुक मॊि श्री कृष्ण अष्टाऺयी भॊि ऩज
ू न मॊि सॊकट भो न मॊि
व्मॊकटे श मॊि कृष्ण फीसा मॊि वीय साधन ऩज
ू न मॊि
कातावीमााजन
ुा ऩज
ू न मॊि सवा काभ प्रद बैयव मॊि दक्षऺणाभतू ता ध्मानभ ् मॊि

भनोकाभना ऩूनतव एलं कष्ट ननलायण शे तु वलळेऴ मंत्र


व्माऩाय ववृ ि कायक मॊि अभत
ृ तत्व सॊजीवनी कामा कल्ऩ मॊि िम ताऩोंसे भत्ु क्त दाता फीसा मॊि
व्माऩाय ववृ ि मॊि ववजमयाज ऩॊ दशी मॊि भधुभेह तनवायक मॊि
व्माऩाय वधाक मॊि ववद्यामश ववबूतत याज सम्भान प्रद लसि फीसा ज्वय तनवायण मॊि
मॊि
व्माऩायोन्नतत कायी लसि मॊि सम्भान दामक मॊि योग कष्ट दरयद्रता नाशक मॊि
बाग्म वधाक मॊि सख
ु शाॊतत दामक मॊि योग तनवायक मॊि
स्वत्स्तक मॊि फारा मॊि तनाव भक्
ु त फीसा मॊि
सवा कामा फीसा मॊि फारा यऺा मॊि ववद्मत
ु भानस मॊि
कामा लसवि मॊि गबा स्तम्बन मॊि गह
ृ करह नाशक मॊि
सख
ु सभवृ ि मॊि सॊतान प्रात्प्त मॊि करेश हयण फत्त्तसा मॊि
सवा रयवि लसवि प्रद मॊि प्रसत
ू ा बम नाशक मॊि वशीकयण मॊि
सवा सख
ु दामक ऩैंसहठमा मॊि प्रसव-कष्टनाशक ऩॊ दशी मॊि भोहहतन वशीकयण मॊि
ऋवि लसवि दाता मॊि शाॊतत गोऩार मॊि कणा वऩशा नी वशीकयण मॊि
सवा लसवि मॊि त्रिशर
ू फीशा मॊि वाताारी स्तम्बन मॊि
साफय लसवि मॊि ऩॊ दशी मॊि (फीसा मॊि मक्
ु त ायों वास्तु मॊि
प्रकायके)
शाफयी मॊि फेकायी तनवायण मॊि श्री भत्स्म मॊि
लसिाश्रभ मॊि षोडशी मॊि वाहन दघ
ु ट
ा ना नाशक मॊि
ज्मोततष तॊि ऻान ववऻान प्रद लसि फीसा अडसहठमा मॊि प्रेत-फाधा नाशक मॊि
मॊि
ब्रह्भाण्ड साफय लसवि मॊि अस्सीमा मॊि बत
ू ादी व्माधधहयण मॊि
कुण्डलरनी लसवि मॊि ऋवि कायक मॊि कष्ट तनवायक लसवि फीसा मॊि
क्रात्न्त औय श्रीवधाक ौंतीसा मॊि भन वाॊतछत कन्मा प्रात्प्त मॊि बम नाशक मॊि
श्री ऺेभ कल्माणी लसवि भहा मॊि वववाहकय मॊि स्वप्न बम तनवायक मॊि
39 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

ऻान दाता भहा मॊि रग्न ववर्घन तनवायक मॊि कुदृत्ष्ट नाशक मॊि
कामा कल्ऩ मॊि रग्न मोग मॊि श्री शिु ऩयाबव मॊि
दीधाामु अभत
ृ तत्व सॊजीवनी मॊि दरयद्रता ववनाशक मॊि शिु दभनाणाव ऩज
ू न मॊि

भॊि लसि ववशेष दै वी मॊि सधू


आद्य शत्क्त दग
ु ाा फीसा मॊि (अॊफाजी फीसा मॊि) सयस्वती मॊि
भहान शत्क्त दग
ु ाा मॊि (अॊफाजी मॊि) सप्तसती भहामॊि(सॊऩण
ू ा फीज भॊि सहहत)
नव दग
ु ाा मॊि कारी मॊि
नवाणा मॊि ( ाभड
ुॊ ा मॊि) श्भशान कारी ऩज
ू न मॊि
नवाणा फीसा मॊि दक्षऺण कारी ऩज
ू न मॊि
ाभड
ॊु ा फीसा मॊि ( नवग्रह मक्
ु त) सॊकट भोध नी कालरका लसवि मॊि
त्रिशर
ू फीसा मॊि खोडडमाय मॊि
फगरा भख
ु ी मॊि खोडडमाय फीसा मॊि
फगरा भख
ु ी ऩज
ू न मॊि अन्नऩण
ू ाा ऩज
ू ा मॊि
याज याजेश्वयी वाॊछा कल्ऩरता मॊि एकाॊऺी श्रीपर मॊि

भॊि लसि ववशेष रक्ष्भी मॊि सधू


श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भहारक्ष्भमै फीज मॊि
श्री मॊि (भॊि यहहत) भहारक्ष्भी फीसा मॊि
श्री मॊि (सॊऩण
ू ा भॊि सहहत) रक्ष्भी दामक लसि फीसा मॊि
श्री मॊि (फीसा मॊि) रक्ष्भी दाता फीसा मॊि
श्री मॊि श्री सक्
ू त मॊि रक्ष्भी गणेश मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩज
ू न मॊि
रक्ष्भी फीसा मॊि कनक धाया मॊि
श्री श्री मॊि (श्रीश्री रलरता भहात्रिऩयु सन्ु दमै श्री भहारक्ष्भमैं श्री भहामॊि) वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान लसवि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)
अॊकात्भक फीसा मॊि
ताम्र ऩत्र ऩय वल
ु णव ऩोरीव ताम्र ऩत्र ऩय यजत ऩोरीव ताम्र ऩत्र ऩय
(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज भल्
ू म साईज भल्
ू म साईज भल्
ू म
1” X 1” 550 1” X 1” 370 1” X 1” 325
2” X 2” 910 2” X 2” 640 2” X 2” 550
3” X 3” 1450 3” X 3” 1050 3” X 3” 910
4” X 4” 2350 4” X 4” 1450 4” X 4” 1225
6” X 6” 3700 6” X 6” 2800 6” X 6” 2350
9” X 9” 9100 9” X 9” 4600 9” X 9” 4150
12” X12” 12700 12” X12” 9100 12” X12” 9100

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40 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

11 नवम्फय से 17 नवम्फय 2018 साप्ताहहक ऩॊ ाॊग


विवि चंद्र
दि िार माह पक्ष समावि नक्षत्र समावि योग समावि करण समावि समावि
रावि

11 यवव कातताक शक्


ु र तथ
ु ॉ 23:58 भर
ू 24:1 सक
ु भाा 14:23 वणणज 11:06 धनु -

12 सोभ कातताक शक्


ु र ऩॊ भी 26:8 ऩव
ू ााषाढ़ 26:37 धतृ त 14:43 फव 12:59 धनु -

13 भॊगर कातताक शक्


ु र षष्ठी 28:41 उत्तयाषाढ़ 29:36 शर
ू 15:25 कौरव 15:22 धनु 09:21

14 फध
ु कातताक शक्
ु र सप्तभी - श्रवण .... गॊड 16:21 गय 18:03 भकय -

7 ततधथ
सप्तभी-
15 गरु
ु कातताक शक्
ु र ववृ ि श्रवण 08:44 ववृ ि 17:21 वणणज 07:24 भकय 22:18
अष्टभी
07:24

16 शक्र
ु कातताक शक्
ु र अष्टभी 10:00 धतनष्ठा 11:45 ध्रुव 18:11 फव 10:00 कॊु ब -

17 शतन कातताक शक्


ु र नवभी 12:13 शतलबषा 14:25 व्माघात 18:43 कौरव 12:13 कॊु ब -

11 नवम्फय से 17 नवम्फय 2018 साप्ताहहक व्रत-ऩवा-त्मौहाय


हद लाय भाश ऩष नतधथ समावि प्रभुख व्रत-त्मोशाय

वयदववनामक तथ
ु ॉ व्रत ( ॊद्र.अस्त 19:43 फजे), सूमष
ा ष्ठी व्रत
11 यवव कातताक शक्
ु र तथ
ु ॉ 23:58
प्रायम्ब, छठऩूजा शुरू-नहाम खाम (त्रफहा., झाय,)

सौबाग्म-राब ऩॊ भी, ऩाण्डव ऩॊ भी, छठ ऩूजा का दस


ू या हदन,
12 सोभ कातताक शक्
ु र ऩॊ भी 26:8
छठऩूजा का खयना, ऻानऩॊ भी (जैन),

षष्ठी छठ ऩूजा, सूमष


ा ष्ठी व्रत, प्रततहायषष्ठी व्रत (लभधथ.), डारा
13 भॊगर कातताक शक्
ु र षष्ठी 28:41 छठ, छठ ऩूजा-उऩवास एवॊ सामॊकार अस्तॊगत सूमा को प्रथभ
अध्मादान, स्कन्दषष्ठी,

अरुणोदमकार भें उदीमभान सूमा को द्ववतीम अध्मादान, छठ व्रत


14 फध
ु कातताक शक्
ु र सप्तभी - का ऩायण, सहस्राजन
ुा जमन्ती, साभाऩूजा ऩूणणाभा तक (लभधथ.),
जगिािी ऩूजा 3 हदन (ऩ.फॊ),

सप्तभी- 7 ततधथ गोऩाष्टभी, गोऩार अष्टभी, श्रीदग


ु ााष्टभी व्रत, श्रीअन्नऩूणााष्टभी
15 गरु
ु कातताक शक्
ु र ववृ ि
अष्टभी व्रत,
07:24

16 शक्र
ु कातताक शक्
ु र अष्टभी 10:00 सूमा वत्ृ श् क सॊक्राॊतत 18:38 फजे से,

अऺमनवभी व्रत, आॊवरा नवभी ऩूजन, भाॉ कूष्भाण्ड नवभी,


अनरा नवभी (ओड़ीसा), सत्ममुगाहद ततधथ, श्रीहॊ स बगवान एवॊ
17 शतन कातताक शक्
ु र नवभी 12:13
सनकाहद जमॊती, जगिािी नवभी भहाऩूजा (ऩ.फॊगार), ववष्णु
त्रियाि प्रतायॊ ब,
41 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

यालश यत्न
भेष यालश: वष
ृ ब यालश: लभथन
ु यालश: कका यालश: लसॊह यालश: कन्मा यालश:
भग
ॊू ा हीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना

Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green


(Special) (Special) (Old Berma) Emerald
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7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
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9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
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तुरा यालश: वत्ृ श् क यालश: धनु यालश: भकय यालश: कॊु ब यालश: भीन यालश:
हीया भग
ूॊ ा ऩख
ु याज नीरभ नीरभ ऩख
ु याज

Diamond Red Coral Y.Sapphire B.Sapphire B.Sapphire Y.Sapphire


(Special)
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10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
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ू म के यत्न एवॊ उऩयत्न बी हभाये महा व्माऩायी भल्
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42 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

श्रीकृष्ण फीसा मॊि


फकसी बी व्मत्क्त का जीवन तफ आसान फन जाता हैं जफ उसके ायों औय का भाहोर उसके अनरु
ु ऩ उसके वश
भें हों। जफ कोई व्मत्क्त का आकषाण दस
ु यो के उऩय एक ुम्फकीम प्रबाव डारता हैं, तफ रोग उसकी सहामता एवॊ
सेवा हे तु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना अधधक कष्ट व
ऩये शानी से सॊऩन्न हो जाते हैं। आज के बौततकता वाहद मुग भें हय व्मत्क्त श्रीकृष्ण फीसा कव
के लरमे दस
ू यो को अऩनी औय खी ने हे तु एक प्रबावशालर ुॊफकत्व को श्रीकृष्ण फीसा कव को केवर
कामभ यखना अतत आवश्मक हो जाता हैं। आऩका आकषाण औय व्मत्क्तत्व ववशेष शुब भुहुता भें तनभााण फकमा
आऩके ायो ओय से रोगों को आकवषात कये इस लरमे सयर उऩाम हैं, जाता हैं। कव को ववद्वान
श्रीकृष्ण फीवा मंत्र। क्मोफक बगवान श्री कृष्ण एक अरौफकव एवॊ हदवम कभाकाॊडी ब्राहभणों द्वाया शुब भुहुता
ॊुफकीम व्मत्क्तत्व के धनी थे। इसी कायण से श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के ऩूजन भें शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट
एवॊ दशान से आकषाक व्मत्क्तत्व प्राप्त होता हैं। तेजस्वी भॊिो द्वाया लसि प्राण-

श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के साथ व्मत्क्तको दृढ़ इ्छा शत्क्त एवॊ उजाा प्रततत्ष्ठत ऩूणा त
ै न्म मुक्त कयके

प्राप्त होती हैं, त्जस्से व्मत्क्त हभेशा एक बीड भें हभेशा आकषाण का केंद्र तनभााण फकमा जाता हैं। त्जस के
पर स्वरुऩ धायण कयता व्मत्क्त
यहता हैं।
को शीघ्र ऩूणा राब प्राप्त होता हैं।
महद फकसी व्मत्क्त को अऩनी प्रततबा व आत्भववश्वास के स्तय भें
कव को गरे भें धायण कयने से
ववृ ि, अऩने लभिो व ऩरयवायजनो के त्रफ भें रयश्तो भें सुधाय कयने की
वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता हैं।
ई्छा होती हैं उनके लरमे श्रीकृष्ण फीवा मंत्र का ऩूजन एक सयर व सुरब
गरे भें धायण कयने से कव
भाध्मभ सात्रफत हो सकता हैं।
हभेशा रृदम के ऩास यहता हैं त्जस्से
श्रीकृष्ण फीवा मंत्र ऩय अॊफकत शत्क्तशारी ववशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ
व्मत्क्त ऩय उसका राब अतत तीव्र
अॊको से व्मत्क्त को अद्द्भत
ु आॊतरयक शत्क्तमाॊ प्राप्त होती हैं जो व्मत्क्त एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हैं।
को सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भें अग्रणणम फनाने भें सहामक लसि होती हैं।
भर
ू म भात्र: 2350 >>Order Now
श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के ऩूजन व तनमलभत दशान के भाध्मभ से बगवान
श्रीकृष्ण का आशीवााद प्राप्त कय सभाज भें स्वमॊ का अद्ववतीम स्थान स्थावऩत कयें ।
श्रीकृष्ण फीवा मंत्र अरौफकक ब्रह्भाॊडीम उजाा का सॊ ाय कयता हैं, जो एक प्राकृत्त्त भाध्मभ से व्मत्क्त के बीतय
सद्दबावना, सभवृ ि, सपरता, उत्तभ स्वास्र्थम, मोग औय ध्मान के लरमे एक शत्क्तशारी भाध्मभ हैं!
 श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के ऩूजन से व्मत्क्त के साभात्जक भान-सम्भान व ऩद-प्रततष्ठा भें ववृ ि होती हैं।
 ववद्वानो के भतानुसाय श्रीकृष्ण फीवा मंत्र के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग केंहद्रत कयने से व्मत्क्त फक ेतना शत्क्त जाग्रत
होकय शीघ्र उ् स्तय को प्राप्तहोती हैं।
 जो ऩुरुषों औय भहहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना ाहते हैं औय उन्हें अऩनी औय आकवषात कयना ाहते
हैं। उनके लरमे श्रीकृष्ण फीवा मंत्र उत्तभ उऩाम लसि हो सकता हैं।
 ऩतत-ऩत्नी भें आऩसी प्रभ की ववृ ि औय सख
ु ी दाम्ऩत्म जीवन के लरमे श्रीकृष्ण फीवा मंत्र राबदामी होता हैं।

भल्
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43 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

जैन धभाके ववलशष्ट मॊिो की सू ी


श्री ौफीस तीथंकयका भहान प्रबाववत भत्कायी मॊि श्री एकाऺी नारयमेय मॊि
श्री ोफीस तीथंकय मॊि सवातो बद्र मॊि
कल्ऩवऺ
ृ मॊि सवा सॊऩत्त्तकय मॊि
ध त
ॊ ाभणी ऩाश्वानाथ मॊि सवाकामा-सवा भनोकाभना लसविअ मॊि (१३० सवातोबद्र मॊि)
ध त
ॊ ाभणी मॊि (ऩैंसहठमा मॊि) ऋवष भॊडर मॊि
ध त
ॊ ाभणी क्र मॊि जगदवल्रब कय मॊि
श्री क्रेश्वयी मॊि ऋवि लसवि भनोकाभना भान सम्भान प्रात्प्त मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि ऋवि लसवि सभवृ ि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि
श्री घॊटाकणा भहावीय सवा लसवि भहामॊि ववषभ ववष तनग्रह कय मॊि
(अनब
ु व लसि सॊऩण
ू ा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)
श्री ऩद्मावती मॊि ऺुद्रो ऩद्रव तननााशन मॊि
श्री ऩद्मावती फीसा मॊि फह
ृ ् क्र मॊि
श्री ऩाश्वाऩद्मावती ह्ींकाय मॊि वॊध्मा शब्दाऩह मॊि
ऩद्मावती व्माऩाय ववृ ि मॊि भत
ृ वत्सा दोष तनवायण मॊि
श्री धयणेन्द्र ऩद्मावती मॊि काॊक वॊध्मादोष तनवायण मॊि
श्री ऩाश्वानाथ ध्मान मॊि फारग्रह ऩीडा तनवायण मॊि
श्री ऩाश्वानाथ प्रबक
ु ा मॊि रधद
ु े व कुर मॊि
बक्ताभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक) नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका ववलशष्ट मॊि
भणणबद्र मॊि उवसग्गहयॊ मॊि
श्री मॊि श्री ऩॊ भॊगर भहाश्रत
ृ स्कॊध मॊि
श्री रक्ष्भी प्रात्प्त औय व्माऩाय वधाक मॊि ह्ीॊकाय भम फीज भॊि
श्री रक्ष्भीकय मॊि वधाभान ववद्या ऩट्ट मॊि
रक्ष्भी प्रात्प्त मॊि ववद्या मॊि
भहाववजम मॊि सौबाग्मकय मॊि
ववजमयाज मॊि डाफकनी, शाफकनी, बम तनवायक मॊि
ववजम ऩतका मॊि बत
ू ाहद तनग्रह कय मॊि
ववजम मॊि ज्वय तनग्रह कय मॊि
लसि क्र भहामॊि शाफकनी तनग्रह कय मॊि
दक्षऺण भख
ु ाम शॊख मॊि आऩत्त्त तनवायण मॊि
दक्षऺण भख
ु ाम मॊि शिभ
ु ख
ु स्तॊबन मॊि
मंत्र के वलऴम भें अधधक जानकायी शे तु वंऩकव कयें ।

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44 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

घॊटाकणा भहावीय सवा लसवि भहामॊि को


स्थाऩीत कयने से साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩण
ू ा
होती हैं। सवा प्रकाय के योग बत
ू -प्रेत आहद उऩद्रव से
यऺण होता हैं। जहयीरे औय हहॊसक प्राणीॊ से सॊफॊधधत
बम दयू होते हैं। अत्ग्न बम, ोयबम आहद दयू होते
हैं।
दष्ु ट व असयु ी शत्क्तमों से उत्ऩन्न होने वारे
बम से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हैं।
मॊि के ऩज
ू न से साधक को धन, सख
ु , सभवृ ि,
ऎश्वमा, सॊतत्त्त-सॊऩत्त्त आहद की प्रात्प्त होती हैं।
साधक की सबी प्रकाय की सात्त्वक इ्छाओॊ की ऩतू ता
होती हैं।
महद फकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय
वशीकयण, भायण, उ् ाटन इत्माहद जाद-ू टोने वारे
प्रमोग फकमे गमें होतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत्
नष्ट हो जाते हैं औय बववष्म भें महद कोई प्रमोग
कयता हैं तो यऺण होता हैं।
कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका
मॊि से जुडे अद्द्भत
ु अनब
ु व यहे हैं। महद घय भें श्री
घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थावऩत फकमा हैं औय महद कोई इषाा, रोब, भोह मा शित ु ावश महद
अनधु त कभा कयके फकसी बी उद्देश्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हैं तो मॊि के
प्रबाव से सॊऩण
ू ा ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हैं, कबी-कबी शिु के द्वाया फकमा गमा अनधु त कभा
शिु ऩय ही उऩय उरट वाय होते दे खा हैं। भल्
ू म:- Rs. 2350 वे Rs. 12700 तक उप्रब्द्ि
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45 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

अभोघ भहाभत्ृ मॊुजम कव


अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव व उल्रेणखत अन्म साभग्रीमों को शास्िोक्त ववधध-ववधान से
ववद्वान ब्राह्भणो द्वाया वला राख भशाभत्ृ मुंजम भंत्र जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वाया तनलभात फकमा
जाता हैं इस लरए कव अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं। >> Order Now

अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम कव


अभोद्य् भहाभत्ृ मुॊजम
कव फनवाने हे तु:
अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, कव
गोि, एक नमा पोटो बेजे दक्षऺणा भाि: 10900

याशी यत्न एवॊ उऩयत्न


ववशेष मॊि

हभायें महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने- ाॊहद-


ताम्फे भें आऩकी आवश्मक्ता के अनस
ु ाय
फकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी
आवश्मक डडजाईन के अनुसाय २२ गेज
शुि ताम्फे भें अखॊडडत फनाने की ववशेष
सबी साईज एवॊ भल्
ू म व क्वालरहट के
सवु वधाएॊ उऩरब्ध हैं।
असरी नवयत्न एवॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध हैं।
ा़
हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भल्
ू म ऩय उऩरब्ध हैं। ज्मोततष कामा से जड
ु े
फध/ु फहन व यत्न व्मवसाम से जड
ु े रोगो के लरमे ववशेष भल्
ू म ऩय यत्न व अन्म साभग्रीमा व अन्म
सवु वधाएॊ उऩरब्ध हैं।

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46 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

11 नवम्फय से 17 नवम्फय 2018 -ववशेष मोग


कामा लसवि मोग
11 प्रात् 05:50 से यात 12:03 तक

त्रत्रऩष्ु कय मोग (तीनगन


ु ा पर दामक )
14 प्रात् 04:22 से प्रात् 05:38 तक

वलघ्नकायक बद्रा
प्रात् 10:54 से यात 11:44 तक प्रात् 07:04 से यात 08:24 तक
11 15
(ऩातार) (ऩर्थ
ृ वी)

मोग पर :
 कामा लसवि मोग भे फकमे गमे शब
ु कामा भे तनत्श् त सपरता प्राप्त होती हैं, एसा शास्िोक्त व न हैं।
 त्रिऩष्ु कय मोग भें फकमे गमे शब
ु कामो का राब तीन गन
ु ा होता हैं। एसा शास्िोक्त व न हैं।
 शास्िोंक्त भत से ववर्घनकायक बद्रा मोग भें शब
ु कामा कयना वत्जात हैं।

दै तनक शब
ु एवॊ अशब
ु सभम ऻान तालरका
गुलरक कार (शुब) मभ कार (अशुब) याहु कार (अशुब)
वाय सभम अवधध सभम अवधध सभम अवधध
यवववाय 03:00 से 04:30 12:00 से 01:30 04:30 से 06:00
सोभवाय 01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00
भॊगरवाय 12:00 से 01:30 09:00 से 10:30 03:00 से 04:30
फुधवाय 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
गरु
ु वाय 09:00 से 10:30 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00
शक्र
ु वाय 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30 10:30 से 12:00
शतनवाय 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00 09:00 से 10:30

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 Lapis Lazuli Bracelet  Amethyst Bracelet  Amanzonite Bracelet

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47 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

हदन के ौघडडमे
सभम यवववाय सोभवाय भॊगरवाय फध
ु वाय गरु
ु वाय शक्र
ु वाय शतनवाय

06:00 से 07:30 उद्वेग अमृि रोग लाभ िुभ चल काल


07:30 से 09:00 चल काल उद्वेग अमृि रोग लाभ िुभ
09:00 से 10:30 लाभ िुभ चल काल उद्वेग अमृि रोग
10:30 से 12:00 अमृि रोग लाभ िुभ चल काल उद्वेग
12:00 से 01:30 काल उद्वेग अमृि रोग लाभ िुभ चल
01:30 से 03:00 िुभ चल काल उद्वेग अमृि रोग लाभ
03:00 से 04:30 रोग लाभ िुभ चल काल उद्वेग अमृि
04:30 से 06:00 उद्वेग अमृि रोग लाभ िुभ चल काल

यात के ौघडडमे
सभम यवववाय सोभवाय भॊगरवाय फुधवाय गुरुवाय शुक्रवाय शतनवाय

06:00 से 07:30 िुभ चल काल उद्वेग अमृि रोग लाभ


07:30 से 09:00 अमृि रोग लाभ िुभ चल काल उद्वेग
09:00 से 10:30 चल काल उद्वेग अमृि रोग लाभ िुभ
10:30 से 12:00 रोग लाभ िुभ चल काल उद्वेग अमृि
12:00 से 01:30 काल उद्वेग अमृि रोग लाभ िुभ चल
01:30 से 03:00 लाभ िुभ चल काल उद्वेग अमृि रोग
03:00 से 04:30 उद्वेग अमृि रोग लाभ िुभ चल काल
04:30 से 06:00 िुभ चल काल उद्वेग अमृि रोग लाभ

शास्िोक्त भत के अनस
ु ाय महद फकसी बी कामा का प्रायॊ ब शब
ु भह
ु ू ता मा शब
ु सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भें
सपरता प्राप्त होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हैं। इस लरमे दै तनक शब
ु सभम ौघडड़मा दे खकय प्राप्त फकमा जा
सकता हैं।

नोट: प्राम् हदन औय यात्रि के ौघडड़मे फक धगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हैं। प्रत्मेक ौघडड़मे फक अवधध
1 घॊटा 30 लभतनट अथाात डेढ़ घॊटा होती हैं। सभम के अनुसाय ौघडड़मे को शुबाशुब तीन बागों भें फाॊटा जाता हैं, जो क्रभश्
शुब, भध्मभ औय अशुब हैं।

ौघडडमे के स्वाभी ग्रह * हय कामा के लरमे शब


ु /अभत
ृ /राब का
शब
ु ौघडडमा भध्मभ ौघडडमा अशब
ु ौघडड़मा ौघडड़मा उत्तभ भाना जाता हैं।
ौघडडमा स्वाभी ग्रह ौघडडमा स्वाभी ग्रह ौघडडमा स्वाभी ग्रह
शुब गुरु य शुक्र उद्बेग सूमा * हय कामा के लरमे र/कार/योग/उद्वेग
अभत
ृ द्र
ॊ भा कार शतन का ौघडड़मा उध त नहीॊ भाना जाता।
राब फुध योग भॊगर
48 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

हदन फक होया - सूमोदम से सूमाास्त तक


वाय 1.घॊ 2.घॊ 3.घॊ 4.घॊ 5.घॊ 6.घॊ 7.घॊ 8.घॊ 9.घॊ 10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ

यवववाय सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन
सोभवाय ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा
भॊगरवाय भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र
फध
ु वाय फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर
गरु
ु वाय गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध

शक्र
ु वाय शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु

शतनवाय शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र

यात फक होया – सम
ू ाास्त से सम
ू ोदम तक
यवववाय गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध

सोभवाय शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु
भॊगरवाय शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र

फध
ु वाय सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन
गरु
ु वाय ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गरु
ु भॊगर सम
ू ा
शक्र
ु वाय भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र
शतनवाय फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर सम
ू ा शक्र
ु फध
ु ॊद्र शतन गुरु भॊगर
होया भह
ु ू ता को कामा लसवि के लरए ऩण
ू ा परदामक एवॊ अ क
ू भाना जाता हैं, हदन-यात के २४ घॊटों भें शब
ु -अशब

सभम को सभम से ऩव
ू ा ऻात कय अऩने कामा लसवि के लरए प्रमोग कयना ाहहमे।

वलद्वानो के भत वे इक्च्छत कामव लववि के लरए ग्रश वे वंफधं धत शोया का चन


ु ाल कयने वे वलळेऴ राब
प्राप्त शोता शैं।
 सूमा फक होया सयकायी कामो के लरमे उत्तभ होती हैं।

 द्र
ॊ भा फक होया सबी कामों के लरमे उत्तभ होती हैं।

 भॊगर फक होया कोटा -क ये ी के कामों के लरमे उत्तभ होती हैं।

 फुध फक होया ववद्या-फुवि अथाात ऩढाई के लरमे उत्तभ होती हैं।

 गुरु फक होया धालभाक कामा एवॊ वववाह के लरमे उत्तभ होती हैं।

 शुक्र फक होया मािा के लरमे उत्तभ होती हैं।

 शतन फक होया धन-द्रव्म सॊफॊधधत कामा के लरमे उत्तभ होती हैं।


49 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सवा योगनाशक मॊि/कव


भनुष्म अऩने जीवन के ववलबन्न सभम ऩय फकसी ना फकसी साध्म मा असाध्म योग से ग्रस्त होता
हैं। उध त उऩ ाय से ज्मादातय साध्म योगो से तो भुत्क्त लभर जाती हैं, रेफकन कबी-कबी साध्म योग
होकय बी असाध्म होजाते हैं, मा कोइ असाध्म योग से ग्रलसत होजाते हैं। हजायो राखो रुऩमे ख ा कयने ऩय
बी अधधक राब प्राप्त नहीॊ हो ऩाता। डॉक्टय द्वारा हदजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के लरमे कायगय
सात्रफत होती हैं, एसी त्स्थती भें राब प्रात्प्त के लरमे व्मत्क्त एक डॉक्टय से दस
ू ये डॉक्टय के क्कय रगाने
को फाध्म हो जाता हैं।
बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊतत हे तु ववलबन्न आमव
ु ेय औषधो के
अततरयक्त मॊि, भॊि एवॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भें कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक
प्रमास हजायो वषा ऩूवा फकमा था। फुविजीवो के भत से जो व्मत्क्त जीवनबय अऩनी हदन माा ऩय तनमभ,
सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हैं, एसे व्मत्क्त को ववलबन्न योग से ग्रलसत होने की सॊबावना कभ होती
हैं। रेफकन आज के फदरते मुग भें एसे व्मत्क्त बी बमॊकय योग से ग्रस्त होते हदख जाते हैं। क्मोफक सभग्र
सॊसाय कार के अधीन हैं। एवॊ भत्ृ मु तनत्श् त हैं त्जसे ववधाता के अरावा औय कोई टार नहीॊ सकता,
रेफकन योग होने फक त्स्थती भें व्मत्क्त योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हैं। इस लरमे मंत्र
भंत्र एलं तंत्र के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मत्क्त योगो से भत्ु क्त ऩाने का मा उसके प्रबावो
को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हैं।
ज्मोनतऴ विद्या के कुशर जानकय बी कार ऩुरुषकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को
उजागय कय सकते हैं। ज्मोततष शास्ि के भाध्मभ से योग के भूरको ऩकडने भे सहमोग लभरता हैं, जहा
आधतु नक ध फकत्सा शास्ि अऺभ होजाता हैं वहा ज्मोततष शास्ि द्वाया योग के भूर(जड़) को ऩकड कय
उसका तनदान कयना राबदामक एवॊ उऩामोगी लसि होता हैं।
हय व्मत्क्त भें रार यॊ गकी कोलशकाए ऩाइ जाती हैं, त्जसका तनमभीत ववकास क्रभ फि तयीके से
होता यहता हैं। जफ इन कोलशकाओ के क्रभ भें ऩरयवतान होता है मा ववखॊडडन होता हैं तफ व्मत्क्त के शयीय
भें स्वास्र्थम सॊफॊधी ववकायो उत्ऩन्न होते हैं। एवॊ इन कोलशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हैं।
त्जस्से योगो के होने के कायण व्मत्क्त के जन्भाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो फक गो य त्स्थती से प्राप्त
होता हैं।
सवा योग तनवायण कव एवॊ भहाभत्ृ मॊुजम मॊि के भाध्मभ से व्मत्क्त के जन्भाॊग भें त्स्थत कभजोय
एवॊ ऩीडडत ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक
ा फकमा जासकता हैं। जेसे हय
व्मत्क्त को ब्रह्भाॊड फक उजाा एवॊ ऩर्थ
ृ वी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हैं हठक उसी प्रकाय कव एवॊ
मॊि के भाध्मभ से ब्रह्भाॊड फक उजाा के सकायात्भक प्रबाव से व्मत्क्त को सकायात्भक उजाा प्राप्त होती हैं
त्जस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भक्
ु त कयने हे तु सहामता लभरती हैं।
योग तनवायण हे तु भहाभत्ृ मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फडा भहत्व हैं। त्जस्से हहन्द ू सॊस्कृतत का प्राम् हय
व्मत्क्त भहाभत्ृ मुॊजम भॊि से ऩरयध त हैं।
50 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

कलच के राब :
 एसा शास्िोक्त व न हैं त्जस घय भें भहाभत्ृ मॊुजम मॊि स्थावऩत होता हैं वहा तनवास कताा हो नाना
प्रकाय फक आधध-व्माधध-उऩाधध से यऺा होती हैं।
 ऩण
ू ा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩण
ू ा ैतन्म मक्
ु त सवा योग तनवायण कव फकसी बी उम्र एवॊ जातत धभा के
रोग ाहे स्िी हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हैं।
 जन्भाॊगभें अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रततकूरता से योग उतऩन्न होते हैं।
 कुछ योग सॊक्रभण से होते हैं एवॊ कुछ योग खान-ऩान फक अतनमलभतता औय अशुितासे उत्ऩन्न होते हैं।
कव एवॊ मॊि द्वाया एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्वास्र्थम राब औय शायीरयक यऺण
प्राप्त कयने हे तु सवा योगनाशक कव एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हैं।
 आज के बौततकता वादी आधुतनक मुगभे अनेक एसे योग होते हैं, त्जसका उऩ ाय ओऩये शन औय दवासे
बी कहठन हो जाता हैं। कुछ योग एसे होते हैं त्जसे फताने भें रोग हह फक ाते हैं शयभ अनुबव कयते हैं
एसे योगो को योकने हे तु एवॊ उसके उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव एवॊ मॊि राबादातम लसि होता हैं।
 प्रत्मेक व्मत्क्त फक जेसे-जेसे आमु फढती हैं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हैं। त्जसके
साथ अनेक प्रकाय के ववकाय ऩैदा होने रगते हैं एसी त्स्थती भें उऩ ाय हे तु सवायोगनाशक कव एवॊ
मॊि परप्रद होता हैं।
 त्जस घय भें वऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक हह नऺिभे जन्भ रेते हैं, तफ उसकी
भाता के लरमे अधधक कष्टदामक त्स्थती होती हैं। उऩ ाय हे तु भहाभत्ृ मॊुजम मॊि परप्रद होता हैं।
 त्जस व्मत्क्त का जन्भ ऩरयधध मोगभे होता हैं उन्हे होने वारे भत्ृ मु तुल्म कष्ट एवॊ होने वारे योग,
ध त
ॊ ा भें उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव एवॊ मॊि शुब परप्रद होता हैं।
नोट:- ऩूणा प्राण प्रततत्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त सवा योग तनवायण कव एवॊ मॊि के फाये भें अधधक
जानकायी हे तु सॊऩका कयें । >> Shop Online | Order Now

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51 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

भंत्र लवि कलच


मंत्र वसद्ध किच को वििेष प्रयोजन में उपयोग के वलए और िीघ्र प्रभाि िाली बनाने के वलए िेजस्िी मंत्रो द्वारा िुभ महूित में िुभ
दिन को िैयार दकये जािे है । अलग-अलग किच िैयार करने के वलए अलग-अलग िरह के मंत्रो का प्रयोग दकया जािा है ।
 क्यों चुने मंत्र वसद्ध किच?  उपयोग में आसान कोई प्रविबन्ध नहीॊ  कोई वििेष वनवि-वनयम नहीं  कोई बुरा प्रभाि नहीं

भंत्र लवि कलच वधू च


राज राजेश्वरी किच 11000 विष्णु बीसा किच
Raj Rajeshwari Kawach ………..……………………… Vishnu Visha Kawach ………..………………………... 2350
अमोघ महामृतयुंजय किच रामभद्र बीसा किच
Amogh Mahamrutyunjay Kawach ……………………. 10900 Ramabhadra Visha Kawach ………..………………… 2350
िस महाविद्या किच कु बेर बीसा किच
Dus Mahavidhya Kawach ………..……………………. 7300 Kuber Visha Kawach ………..…………………………. 2350
श्री घंटाकणत महािीर सित वसवद्ध प्रि किच गरुड बीसा किच
Shri Ghantakarn Mahavir Sarv Siddhi Prad Kawach.. 6400 Garud Visha Kawach ………..………………………… 2350
सकल वसवद्ध प्रि गायत्री किच लक्ष्मी बीसा किच
Sakal Siddhi Prad Gayatri Kawach …………………... 6400 Lakshmi Visha Kawach ……..…………………………. 2350
नििुगात िवि किच ससह बीसा किच
Navdurga Shakiti Kawach ………..…………………… 6400 Sinha Visha Kawach ………..…………………………. 2350
रसायन वसवद्ध किच निातण बीसा किच
Rasayan Siddhi Kawach ………..…………………….. 6400 Narvan Visha Kawach ………..……………………….. 2350
पंचिेि िवि किच संकट मोवचनी कावलका वसवद्ध किच
Pancha Dev Shakti Kawach ………..…………………. 6400 Sankat Mochinee Kalika Siddhi Kawach ………..…… 2350
सित कायत वसवद्ध किच राम रक्षा किच
Sarv Karya Siddhi Kawach ………..………………….. 5500 Ram Raksha Kawach ………..………………………… 2350
सुिणत लक्ष्मी किच नारायण रक्षा किच
Suvarn Lakshmi Kawach ………..……………………. 4600 Narayan Raksha Kavach .……………………………... 2350
स्िणातकषतण भैरि किच हनुमान रक्षा किच
Swarnakarshan Bhairav Kawach ………..…………… 4600 Hanuman Raksha Kawach ………..………………….. 2350
कालसपत िांवि किच भैरि रक्षा किच
Kalsharp Shanti Kawach ………..…………………….. 3700 Bhairav Raksha Kawach ………………………………. 2350
विलक्षण सकल राज ििीकरण किच िवन साड़ेसािी और ढ़ैया कष्ट वनिारण किच
Vilakshan Sakal Raj Vasikaran Kawach ………..…… 3250 Shani Sadesatee aur Dhaiya Kasht Nivaran Kawach ….. 2350
इष्ट वसवद्ध किच श्रावपि योग वनिारण किच
Isht Siddhi Kawach ………..…………………………… 2800 Sharapit Yog Nivaran Kawach ……..………………… 1900
परिेि गमन और लाभ प्रावि किच विष योग वनिारण किच
Pardesh Gaman Aur Labh Prapti Kawach ………...... 2350 Vish Yog Nivaran Kawach ……..……………………. 1900
श्रीिुगात बीसा किच सितजन ििीकरण किच
Durga Visha Kawach ………..…………………………. 2350 Sarvjan Vashikaran Kawach ……..…………………… 1450
कृ ष्ण बीसा किच वसवद्ध विनायक किच
Krushna Bisa Kawach ………..………………………... 2350 Siddhi Vinayak Ganapati Kawach ……..…………….. 1450
अष्ट विनायक किच सकल सम्मान प्रावि किच
Asht Vinayak Kawach ………..………………………... 2350 Sakal Samman Praapti Kawach ……..………………. 1450
आकषतण िृवद्ध किच स्िप्न भय वनिारण किच
Aakarshan Vruddhi Kawach ……..…………………… 1450 Swapna Bhay Nivaran Kawach ……..……………….. 1050
52 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

ििीकरण नािक किच सरस्ििी किच (कक्षा +10 के वलए)


Vasikaran Nashak Kawach ……..…………………….. 1450 Saraswati Kawach (For Class +10) ………………….. 1050
प्रीवि नािक किच सरस्ििी किच (कक्षा 10 िकके वलए)
Preeti Nashak Kawach ……..…………………………. 1450 Saraswati Kawach (For up to Class 10) …………….. 910
चंडाल योग वनिारण किच ििीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)
Chandal Yog Nivaran Kawach ……..………………… 1450 Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) ……………. 1250
ग्रहण योग वनिारण किच पत्नी ििीकरण किच
Grahan Yog Nivaran Kawach ……..………………….. 1450 Patni Vasikaran Kawach ………………………………... 820
मांगवलक योग वनिारण किच (कु जा योग ) पवि ििीकरण किच
Magalik Yog Nivaran Kawach (Kuja Yoga) …………. 1450 Pati Vasikaran Kawach …………………………………. 820
अष्ट लक्ष्मी किच ििीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए)
Asht Lakshmi Kawach ……..………………………... 1250 Vashikaran Kawach (For 1 Person) …………………… 820
आकवस्मक धन प्रावि किच सुिितन बीसा किच
Akashmik Dhan Prapti Kawach ……..……………….. 1250 Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…... 910
स्पे.व्यापार िृवद्ध किच महा सुिितन किच
Special Vyapar Vruddhi Kawach ……..……………… 1250 Mahasudarshan Kawach ……..……………...…………. 910
धन प्रावि किच िंत्र रक्षा किच
Dhan Prapti Kawach ……..…………………………... 1250 Tantra Raksha Kawach …………………………………. 910
कायत वसवद्ध किच ििीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)
Karya Siddhi Kawach ……..…………………………… 1250 Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) ……………. 1250
भूवमलाभ किच पत्नी ििीकरण किच
Bhumilabh Kawach ……..……………………………. 1250 Patni Vasikaran Kawach ………………………………... 820
निग्रह िांवि किच पवि ििीकरण किच
Navgrah Shanti Kawach ……..……………………….. 1250 Pati Vasikaran Kawach …………………………………. 820
संिान प्रावि किच ििीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए)
Santan Prapti Kawach ……..………………………….. 1250 Vashikaran Kawach (For 1 Person) …………………… 820
कामिेि किच सुिितन बीसा किच
Kamdev Kawach ……..………………………………. 1250 Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…... 910
हंस बीसा किच महा सुिितन किच
Hans Visha Kawach ……..…………………………….. 1250 Mahasudarshan Kawach ……..……………...…………. 910
पिौन्नवि किच िंत्र रक्षा किच
Padounnati Kawach ……..…………………………. 1250 Tantra Raksha Kawach …………………………………. 910
ऋण / कजत मुवि किच वत्रिूल बीसा किच
Rin / Karaj Mukti Kawach ……..……………………… 1250 Trishool Visha Kawach ……..…………………………... 910
ित्रु विजय किच व्यापर िृवद्ध किच
Shatru Vijay Kawach ………………………………….. 1050 Vyapar Vruddhi Kawach ………………………………... 910
वििाह बाधा वनिारण किच सित रोग वनिारण किच
Vivah Badha Nivaran Kawach ………………………... 1050 Sarv Rog Nivaran Kawach ……………………………... 910
स्िवस्िक बीसा किच िारीररक िवि िधतक किच
Swastik Visha Kawach ……..…………………………. 1050 Sharirik Shakti Vardhak Kawach ..……………………... 910
मवस्िष्क पृवष्ट िधतक किच वसद्ध िुक्र किच
Mastishk Prushti Vardhak Kawach …………………… 820 Siddha Shukra Kawach …………………………………. 820
53 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

िाणी पृवष्ट िधतक किच वसद्ध िवन किच


Vani Prushti Vardhak Kawach ………………………… 820 Siddha Shani Kawach …………………………………... 820
कामना पूर्ति किच वसद्ध राहु किच
Kamana Poorti Kawach ………………………………. 820 Siddha Rahu Kawach …………………………………… 820
विरोध नािक किच वसद्ध के िु किच
Virodh Nashan Kawach ………………………………. 820 Siddha Ketu Kawach ……………………………………. 820
वसद्ध सूयत किच रोजगार िृवद्ध किच
Siddha Surya Kawach …………………………………. 820 Rojgar Vruddhi Kawach ………………………………… 730
वसद्ध चंद्र किच विघ्न बाधा वनिारण किच
Siddha Chandra Kawach ……………………………… 820 Vighna Badha Nivaran Kawah …………………………. 730
वसद्ध मंगल किच (कु जा) नज़र रक्षा किच
Siddha Mangal Kawach (Kuja) ……………………… 820 Najar Raksha Kawah ……………………………………. 730
वसद्ध बुध किच रोजगार प्रावि किच
Siddha Bhudh Kawach ………………………………… 820 Rojagar Prapti Kawach …………………………………. 730
वसद्ध गुरु किच िुभातग्य नािक किच
Siddha Guru Kawach ………………………………..… 820 Durbhagya Nashak ……………………………………… 640

उऩयोक्त कव के अरावा अन्म सभस्मा ववशेष के सभाधान हे तु एवॊ उद्देश्म ऩतू ता हे तु कव का तनभााण फकमा जाता हैं। कव के ववषम भें
अधधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें । *कव भाि शब
ु कामा मा उद्देश्म के लरमे >> Shop Online | Order Now

GURUTVA KARYALAY
Call Us - 9338213418, 9238328785,
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Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


54 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

Gemstone Price List


NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (ऩन्ना) 200.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (ऩुखयाज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Yellow Sapphire Bangkok (फैंकोक ऩख
ु याज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीरभ) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सर्ेद ऩुखयाज) 1000.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(फैंकोक नीरभ) 100.00 150.00 190.00 550.00 1000.00 & above
Ruby (भाणणक) 100.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (फभाा भाणणक) 5500.00 6400.00 8200.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नयभ भाणणक/रारडी) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (भोतत) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 यतत तक) (रार भूॊगा) 125.00 190.00 280.00 370.00 460.00 & above
Red Coral (4 यतत से उऩय)( रार भूॊगा) 190.00 280.00 370.00 460.00 550.00 & above
White Coral (सर्ेद भूॊगा) 73.00 100.00 190.00 280.00 460.00 & above
Cat’s Eye (रहसतु नमा) 25.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Cat’s Eye ODISHA(उडडसा रहसुतनमा) 280.00 460.00 730.00 1000.00 1900.00 & above
Gomed (गोभेद) 19.00 28.00 45.00 100.00 190.00 & above
Gomed CLN (लसरोनी गोभेद) 190.00 280.00 460.00 730.00 1000.00 & above
Zarakan (जयकन) 550.00 730.00 820.00 1050.00 1250.00 & above
Aquamarine (फेरुज) 210.00 320.00 410.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीरी) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise (फर्योजा) 100.00 145.00 190.00 280.00 460.00 & above
Golden Topaz (सुनहरा) 28.00 46.00 90.00 120.00 190.00 & above
Real Topaz (उडडसा ऩख ु याज/टोऩज) 100.00 190.00 280.00 460.00 640.00 & above
Blue Topaz (नीरा टोऩज) 100.00 190.00 280.00 460.00 640.00 & above
White Topaz (सर्ेद टोऩज) 60.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे रा) 28.00 46.00 90.00 120.00 190.00 & above
Opal (उऩर) 28.00 46.00 90.00 190.00 460.00 & above
Garnet (गायनेट) 28.00 46.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुभर ा ीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुमक ा ान्त भणण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (कारा स्टाय) 15.00 30.00 45.00 60.00 100.00 & above
Green Onyx (ओनेक्स) 10.00 19.00 28.00 55.00 100.00 & above
Lapis (राजवात) 15.00 28.00 45.00 100.00 190.00 & above
Moon Stone ( न्द्रकान्त भणण) 12.00 19.00 28.00 55.00 190.00 & above
Rock Crystal (स्र्हटक) 19.00 46.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फर्यॊ गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगय स्टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (भयग ) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन लसताया) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
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55 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

GURUTVA KARYALAY
YANTRA LIST EFFECTS
Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
56 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA)
Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 325 to 12700 and Above…..
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57 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

सू ना
 ऩत्रिका भें प्रकालशत सबी रेख ऩत्रिका के अधधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।

 रेख प्रकालशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन वव ायो से सहभत हों।

 नात्स्तक/ अववश्वासु व्मत्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।

 ऩत्रिका भें प्रकालशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मत्क्त ववशेष मा फकसी बी स्थान मा
घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हैं।

 प्रकालशत रेख ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण
महद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तववक जीवन से भेर होता हैं तो मह भाि
एक सॊमोग हैं।

 प्रकालशत सबी रेख बायततम आध्मात्त्भक शास्िों से प्रेरयत होकय लरमे जाते हैं। इस कायण इन ववषमो फक
सत्मता अथवा प्राभाणणकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक त्जन्भेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।

 अन्म रेखको द्वाया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव फक त्जन्भेदायी कामाारम मा
सॊऩादक फक नहीॊ हैं। औय नाहीॊ रेखक के ऩते हठकाने के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक
फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।

 ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्त,ु भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भें ऩाठक का अऩना
ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मत्क्त ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना
कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।

 ऩाठक द्वारा फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।

 हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय लरखे होते हैं। हभ फकसी बी
व्मत्क्त ववशेष द्वारा प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नहहॊ रेते हैं।

 मह त्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मत्क्त फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन ववषमो भें
नैततक भानदॊ डों, साभात्जक, कानन
ू ी तनमभों के णखराप कोई व्मत्क्त महद नीजी स्वाथा ऩतू ता हे तु प्रमोग कताा हैं
अथवा प्रमोग के कयने भे िहु ट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं।

 हभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अन्म हभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग फकमे
हैं त्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्वारा तनत्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।

 ऩाठकों फक भाॊग ऩय एक हह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का अधधकाय यखता हैं। ऩाठकों को एक रेख के
ऩून् प्रकाशन से राब प्राप्त हो सकता हैं।

 अधधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं।

(वबी वललादो केलरमे केलर बुलनेश्लय न्मामारम शी भान्म शोगा।)


58 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

FREE
E CIRCULAR
गरु
ु त्व ज्मोततष साप्ताहहक ई-ऩत्रिका
11 नवम्फय से 17 नवम्फय 2018
सॊऩादक
ध त
ॊ न जोशी
सॊऩका

गरु
ु त्व ज्मोततष ववबाग
गरु
ु त्व कामाारम
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59 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

हभाया उद्देश्म
वप्रम आत्त्भम
फॊधु/ फहहन
जम गरु
ु दे व
जहाॉ आधतु नक ववऻान सभाप्त हो जाता हैं। वहाॊ आध्मात्त्भक ऻान प्रायॊ ब
हो जाता हैं, बौततकता का आवयण ओढे व्मत्क्त जीवन भें हताशा औय तनयाशा भें
फॊध जाता हैं, औय उसे अऩने जीवन भें गततशीर होने के लरए भागा प्राप्त नहीॊ हो
ऩाता क्मोफक बावनाए हह बवसागय हैं, त्जसभे भनुष्म की सपरता औय
असपरता तनहहत हैं। उसे ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेष्ठकय
सपरता हैं। सपरता को प्राप्त कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ अधधकाय हैं। ईसी
लरमे हभायी शब
ु काभना सदै व आऩ के साथ हैं। आऩ अऩने कामा-उद्देश्म एवॊ
अनक
ु ू रता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर
ु ब
ा भॊि शत्क्त से ऩण
ू ा प्राण-
प्रततत्ष्ठत ध ज वस्तु का हभें शा प्रमोग कये जो १००% परदामक हो। ईसी लरमे
हभाया उद्देश्म महीॊ हे की शास्िोक्त ववधध-ववधान से ववलशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वाया
लसि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण
ू ा ैतन्म मक्
ु त सबी प्रकाय के मन्ि- कव एवॊ शब

परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहो ाने का हैं।
सूमा की फकयणे उस घय भें प्रवेश कयाऩाती हैं।
जीस घय के णखड़की दयवाजे खुरे हों।

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60 11 नवम्फय से 17 नवम्फय-2018

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Weekly
11-Nov to 17-Nov
2018

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