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ूश्न-1
(क) जब हम 90 से 99% बीमािरयों को भारितय योग व आयुवद
ेर् आिद भारतीय
िचिकत्सा पध्दितयो से ठीक कर सकते है तो िफर िवदे शी िचिकत्सा पध्दितयों की गुलामी
को राष्टर्ीय िचिकत्सा पध्दित के रुप मे ःवीकायर्ता क्यों?
(ख) जब ःवदे शी िचिकत्सा पध्दित से बी पी व थाइराइड आिद 99% बीमािरयों को
ठीक िकया जा सकता है तो अंमेजी दवाओं से बीमािरयों को िनयिन्ऽत करने के नाम पर
ूितवषर् 6 लाख करोड से अिधक की लूट क्यों और ःवदे शी िचिकत्सा पध्दितयों का
सरकारी ःतर पर ितरःकार, अपमान, उदासीनता व उपेक्षा क्यों?
ूश्न-2
(क) जब योग िशक्षा से दे श के बच्चों एवं युवाओं को संयमी, सदाचारी, बलवान,
चिरऽवान, िपतृभक्त एवं राष्टर्भक्त बनाकर नशा-वासना, िहन्सा व अपराध से बचाया जा
सकता है तो िफर यौन िशक्षा की वकालत क्यों?
ूश्न-3
(क) जब ःवदे शी अथर्-व्यवःथा से दे श के ूितवषर् 20 से 30 लाख करोड रुपये
बचाकर भारत को िवश्व की आिथर्क महाशिक्त बनाया जा सकता है , तो िफर वैिश्वकरण व
औद्योगीकरण की गलत नीितयों से दे श का आिथर्क शोषण व दोहन क्यों? ःवदे शी
अथर्व्यवःथा को नष्ट कर दे श को गरीब, िभखमंगा, कंगाल बनाने का व लूटने का यह
षड्यन्ऽ क्या बन्द नहीं होना चािहए?
ूश्न-4
(क) जो 34,735 कानून अंमेजों ने अपने शासन काल में हमें लुटने, हमेशा के
िलए गुलाम बनाने के िलए तथा हम पर अत्याचार व शोषण करने के िलए बनाए थे,
आजादी के बाद भी उन्हीं कानूनों को लागू करके, हम पर अत्याचार तथा हमारा शोषण व
लूट क्यों? तथा संिवधान के अनुच्छे द 372(क) के अनुसार राष्टर्िहत मे कानून व्यवःथाओं
मे पिरवतर्न क्यों नहीं?
(ख) जब अिनवायर् मतदान का कानून बनाकर दे श के लोकतन्ऽ को बचाया जा
सकता है और लोकतन्ऽ के नाम पर चल रहे ॅष्टाचार व षड्यन्ऽ को पूणत
र् : समाप्त िकया
जा सकता है , तो िफर अिनवायर् मतदान का कानून क्यों नहीं बनाते?
(ग) यिद शराब व तम्बाकू बनाने वाली कम्पिनयो पर नशा करके बीमार हए
ु लोगों
के उपचार का खचर् वसूलने का कानून बनाकर उन पर अंकुश लगाया जा सकता है तो िफर
कुछ चंद लोगों को रोजगार दे ने व व्यापार करके करोडपित बनाने की एवज मे लाखों लोगों
को मौत के मुह
ँ में सुलाने के षड्यन्ऽ के िखलाफ कानून क्यों नहीं बनना चािहए क्योंिक
लुभावने िवज्ञापन व गलत िवचार दे कर लोगों के मन मे बिऽम भूख पैदा करके नशों की
लत डालने के िलए ये कम्पिनयाँ सीधी िजम्मेदार है ।
(ड) पाँच तरह के अपराधीयों अथार्त ॅष्टाचारी, बलात्कारी, आतंकवादी, िमलावटखोर
तथा अत्यन्त जहरीला ूदषण
ु फैलाकर लाखों-करोडों दे शवािसयों को टी बी, केन्सर व अन्य
ूाणघात िबमािरयों व मौत के मुह
ँ मे सुलाने वाले दे श व दे शवािसयों की सुरक्षा खतरे मे
डालने वाले इन लोगों को आजीवन कारावास या ॆत्युदण्ड क्यों नहीं?
(च) जब ॅष्टाचािरयों को फांसी दे कर दे श को लूटने से व आतंकवािदयों को
ॆत्युदण्ड दे कर दे श को आतंक से बचा सकते है , जब माँ, बहन बेिटयों की इज्जत से
िखलवाड करने वाले बलात्कारी व दराचािरयों
ु को म मौत की सजा का कानून बनाकर
उनकी इज्जत को बचा सकते है तथा जहरीला ूदषण
ु फैलाकर दे श को बीमािरयों व मौत
के मुह
ँ में सूलाने वाले लोगों के िखलाफ कानून बनाकर दे श की लोगों की ूाणघात रोगों व
मौत से रक्षा कर सकते हैं तो िफर इनके िखलाफ ॆत्युदण्ड का ूावधान क्यों नहीं?
तो क्या इसका मतलब यह िनकाला जाये िक सरकारों व व्यवःथाओं को चलाने
वाले लोगों की नीितयाँ व िनयत ठीक नहीं है और कहीं सरकार व शासन ही तो इन
अपरािधयों को संरक्षण नहीं दे रहें हैं ?
(छ) जब माऽ 2% शान्जैक्शन ‘कर’ (टै क्स) लगा करके दे श के िवकास के िलए 18
लाख 20 हजार करोड रुपये जुटाए जा सकते हैं तो िफर 64 ूकार के गैर जरुरी कर
लगाकर दे श के लोगों की मेहनत की कमाई का लगभग 50% िहःसे को लूटने का षड्यन्ऽ
क्यों?
ूश्न-5
(क) जब भारतीय धमर्, दशर्न, अध्यात्म व संःकृ ित िवश्व की सबसे पुरानी
सावर्भौिमक, वैज्ञािनक एवं सवर्ौष्ट
े संःकृ ित है और हमारे सांःकृ ितक व आध्याित्मक
िचन्तन में कहीं भी न्यूनता व अपूणत
र् ा नहीं है तो िफर िवदे शी संःकृ ित, सभ्यता की
आवँयकता व गुलामी क्यों? तथा भारतीय संःकृ ित के संरक्षण, संवधर्न व ूोत्साहन के
िलए ूितबध्दता क्यों नहीं?